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सलहज ने मुरझाये लंड में नई जान फूंकी-4
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सलहज ने मुरझाये लंड में नई जान फूंकी-6
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सुबह मेरी नींद बाथरूम के शॉवर से गिरते हुए पानी की आवाज से खुली, जब मैं अपनी पूरे होश में आया तो पाया कि नीलू बाथरूम में नहा रही है।
मैं उसे नहाते हुए देखना चाह रहा था पर आलस्य के कारण मैं अपनी जगह से नहीं उठा, बस पलंग के सिरहाने पर टेक लगाकर उसके बाथरूम से निकलने की प्रतीक्षा करता रहा।
चिकनी चूत तेरी… गीला बदन तेरा!
कुछ देर में वो नहाकर बाहर आई, तौलिये में लिपटी हुई, पानी की बूंदें उसके गीले बालों से टपटप टपक रही थी।
मुझे इस तरह बैठे देख वो मेरे पास आई और बोली- जीजू आप उठ गये, चलो अच्छा है, मैं भी आपको कुछ दिखाना चाहती हूँ।
कहते हुए उसने अपने तौलिये को अपने जिस्म से अलग किया और एक पैर को मेरे पास रखते हुए तौलिये से अपने बालो को सुखाने लगी।
उसकी बाल रहित चूत मेरी नजर के सामने थी।
क्या चिकनी, अर्धकाली चूत और बाहर की तरफ निकली हुई पुतिया, मेरी हाथ अपने आप उसकी चूत को सहलाने लगा, मुझे मलमल सी उसकी चूत लग रही थी।
‘अब कैसी लग रही है ये?’
‘बहुत मस्त, ऐसे ही रखा करो।’
‘ठीक है।’
कहकर उसने वहीं पास रखी हुई बॉडी लोशन को उठाया और अपने जिस्म पर मलने लगी। जैसे जैसे वो अपने जिस्म पर बॉडी लोशन मल रही थी, उसके जिस्म का आकर्षण बढ़ता ही जा रहा था।
फिर उसने अपनी पेंटी और ब्रा उठाई और पहनने लगी, उसके ब्रा पहनने के बाद मुझे लगा कि उसकी चूचियां लटकी हुई है, तो मैंने उसके ब्रा के स्ट्रिप को थोड़ा टाईट कर दिया और उसकी चूची में और ज्यादा उठान आ गया, जिससे वो और सेक्सी लग रही थी।
साड़ी और ब्लाउज पहनने के बाद वो मुझे भी उठ कर नहाने धोने के लिये बोली। मैंने अपना पलंग छोड़ा और अपनी बीवी के पास उसका हाल चाल लेने के लिये पहुंचा।
थोड़ी देर बाद नीलू भी तीनों के लिये चाय बना के ले आई। वास्तव में उस समय जब वो पूरी तरह से सजकर सामने आई, मुझे वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
चाय रखने के बाद मैंने बीवी को उठाकर बैठाया, चाय पीते-पीते मेरी बीवी बोली- नीलू, तुम्हारे यहाँ रूकने से इन्हें कितनी सहुलियत हो गई है, तुमने तो सब कुछ संभाल लिया है।
‘नहीं जीजी, ऐसी कोई बात नहीं है। बदले में मुझे भी तो आप लोगों से खूब प्यार मिल रहा है।’
‘हाँ!’ मैंने भी बोला- संभाल तो सब कुछ लिया है।
चाय पीने के बाद कुछ देर हम लोग और साथ बैठे और फिर मैं फारिग होने के लिये चल दिया और नीलू रसोई की तैयारी के लिये!
जब मैं नहाने लगा तो नीलू बाथरूम के पास आकर खड़ी हो गई और मुझे नहाते हुए देखने लगी, जब मेरी नजर उस पर पड़ी तो मैं बोल उठा- वहाँ खड़ी होकर क्या देख रही हो? पास आ जाओ मिलकर नहाते हैं।
‘आज तो मैं नहा चुकी हूँ, अब नहीं, दोपहर में आ जाओ तो मिलकर नहा सकते हैं।’
‘ठीक है।’
जब तक मैं नहाता रहा, तब तक नीलू वहीं खड़ी रही। उसके बाद मैंने अपने कपड़े पहने और तैयार होकर एक बार फिर से बीवी के रूम में एकत्र होने के लिये कमरे में आ गया।
नाश्ता वगैरह करने के बाद मैं ऑफिस के लिए निकला, नीलू भी पीछे-पीछे आई और ऑफिस जाने से पहले हम दोनों के होंठ आपस में मिले।
मेरा मन ऑफिस में आज बिल्कुल नहीं लग रहा था, नीलू की चिकनी चूत मेरी नजर के सामने बार-बार आ रही थी। वैसे भी मेरा रोज का लंच में घर आना था, बीवी की बीमारी की वजह से मैंने ऑफिस के पास ही रहने की व्यवस्था कर ली थी।
जैसे तैसे मैं टाईम पास कर रहा था। लंच टाईम होते ही मैं घर आ गया, घर की घंटी बजाते ही आवाज आई- आ रही हूँ।
नीलू की यह आवाज और पास आ रही थी।
जैसे ही उसने जाना कि ‘मैं हूँ’, उसने एक बार फिर मुझसे दो मिनट का समय मांगा, मैं बाहर ही खड़ा रहा, उसने धीरे से दरवाजा खोला, और एक किनारे हो गई।
मेरी नंगी सलहज
दरवाजे के अन्दर कदम रखते ही मेरी नजर नीलू पर पड़ी, देखा तो वो बिल्कुल नंगी थी, मेरे मुँह से बस यही निकला- ये क्या? मुस्कुराते हुए बोली, जीजू आपके लिये ही है।
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मैंने झट से दरवाजा बन्द किया और उसकी तरफ एकटक देखने लगा, मुझे ऐसे देखते हुए देख कर बोली- जीजू, जल्दी से खाना खा लो, अभी आपको ऑफिस वापस जाना है।
जिस अवस्था में मैंने नीलू को देखा वो मैंने कल्पना नहीं की, इसलिये मैंने नीलू को गोद में उठाया और मेरे मुंह से निकल पड़ा, लौड़े में गया ऑफिस, जब तेरी चूत और गांड मेरी नजर के सामने हो।
कमरे में आकर मैंने उसे अपनी गोद से उतारा और उसकी चूत को सहलाने लगा।
नीलू बोल पड़ी- जब लौड़े में ऑफिस गया ही है तो पहले चलो हम सब खाना खा लें, उसके बाद तुम मेरी बजा लेना।
हम सबने खाना खाया, उसके बाद वाईफ से झूठ बोला और छत वाले कमरे में आकर नीलू का इंतजार करने लगा।
काफी देर बाद नीलू आई, आते ही सॉरी बोली और मुझसे लिपट गई, मैंने भी उसको कस कर अपने से चिपका लिया।
मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था और एक हाथ उसकी चूची को मसल रहा था। फिर वो मुड़ गई और उसकी गांड मेरे लंड से टच हो रही थी लेकिन मेरे दोनों हाथ उसकी चूचियों की भरपूर मालिश करने में लगे थे और बीच-बीच में निप्पल को भी मसल रहे थे।
गाउन के ऊपर से चूची मसलने का कोई आनन्द नहीं आ रहा था, मैंने तुरन्त ही उसका गाउन उतारा और फिर नंगी चूची को मसलने लगा।
‘नीलू, अपना दूध मुझे पिलाओ।’
‘जीजू, मैंने कहाँ मना किया है।’
मैं तब तक पलंग पर बैठ चुका था, नीलू ने अपने स्तन को पकड़ा और मेरे मुंह में भर दिया। निप्पल चूसने के साथ ही उसकी सिसकारियाँ निकलने लगी थी।
मैं बारी-बारी उसके दोनों निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था और उसके हाथ मेरी छाती पर चल रहे थे और वो मेरी छाती को भी कस कर मसल रही थी, या यूं कहें कि उसके नाखून मेरे छाती में गड़ रहे थे। मेरे हाथ उसकी गांड की दरार में चल रहे थे।
मैंने नीलू को उठा कर पलंग पर पटक दिया और उसकी आंखों से लेकर पैरों तक एक-एक अंग को चूम रहा था, उसका पूरा जिस्म अकड़ रहा था।
‘जीजू बहुत मजा आ रहा है, मेरी चिकनी चूत तुम्हारे होंठों का इंतजार कर रही है।’
मैं उसकी नाभि में अपनी जीभ चला रहा था, वहाँ से धीरे-धीरे उतरते हुए उसकी चूत पर अपनी जीभ लगा दी।
थोड़ा चूमने चाटने के बाद मैं पलंग पर सीधा लेट गया, अब नीलू मेरे जिस्म को वैसे ही चूम रही थी, जैसा कि कुछ देर पहले मैंने उसके साथ किया था।
वो मेरे निकर के ऊपर से मेरे लंड को अपने मुंह में ले रही थी। फिर उसने मेरे जिस्म से मेरे निक्कर को बाहर किया और लंड को अपने मुंह में भर लिया।
मेरे लंड को मुंह में भरे हुये ही वो मेरी तरफ घूमी और मुझे क्रास करके अपनी चूत को मेरे सामने करके अपनी कमर हिलाने लगी।
इस समय उसकी काली और चिकनी चूत गजब की लग रही थी, मैंने भी धीरे-धीरे उसको चूसना शुरू किया।
काफी चूसाई के बाद नीलू मेरे लंड की सवारी करने लगी।
अब कभी वो मेरे ऊपर तो कभी मैं उसके ऊपर… यही सीन चल रहा था। कई पोज में हम दोनों की चुदम चुदाई के मजे ले रहे थे और जल्दी-जल्दी पोजिशन को बदल रहे थे।
इस बार जब नीलू मेरे नीचे थी तो उसने मुझे धक्के लगाने से रोक दिया और खुद ही वो नीचे धक्के लगाने लगी, मैं अपने दोनों हाथ को पलंग पर टिका कर स्थिर हो गया और नीचे नीलू उचक-उचक कर मेरे लंड को अपनी उंगलियों पर नचा रही थी। मेरे सुपारे की झिल्ली उसकी चूत की दीवार से रगड़ खा-खाकर अपना हौसला पस्त कर चुकी थी, हारकर मुझे बोलना पड़ा- नीलू, मैं झड़ने वाला हूँ।
‘जीजू, मैं दो बार पहले ही झड़ चुकी हूँ, आप भी झड़ जाओ!’
‘मेरा निकलने वाला है! उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मेरा बदन अकड़ने लगा और मुझे नीलू की कोई बात समझ में नहीं आ रही थी।
जब तक वो बोलती, मैंने अपना लंड निकाला और उसके मुंह के सामने कर दिया, जितने देर में वो अपना मुंह खोलती, उतनी देर में मेरा माल उसके चेहरे के ऊपर, छाती पर और थोड़ा बहुत उसके मुंह के अन्दर गिर चुका था।
मैं निढाल होकर नीलू के बगल में लेट गया, नीलू ने चादर से अपने चेहरे को साफ किया और उठकर नीचे चली गई और मैंने वहीं लेट कर अपनी आंखें मूंद ली।
कहानी जारी रहेगी।
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