ससुरजी के बाद ननदोई को अपने ऊपर चढ़ाया

सलहज जीजा चुदाई कहानी में पढ़ें कि मेरी चुदाई के बाद ससुरजी ने प्रॉपर्टी मेरे नाम कर दी। ये देख मेरी ननद मुझसे जलने लगी। उसे सबक सिखाने के लिए मैंने क्या किया?

यह कहानी सुनें.


अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।

आप सब लोगों का अथाह प्यार मुझे मिल रहा है और मैं इसके लिए आप सभी की आभारी हूं।
मुझे बहुसंख्य ईमेल प्राप्त हो रहे हैं जिसमें से मैं हर एक का जवाब भी नहीं दे पा रही हूं।
फिर भी मैं काफी पाठकों को रिप्लाई कर रही हूं।

सबसे पहले अपने पाठकों को बताना चाहती हूं कि मेरे घर बेटी हुई है और मैं मिस्त्री के बच्चे की माँ बन चुकी हूं। इससे सासू मां थोड़ी निराश हैं क्योंकि उनको पोता नहीं मिला।

मगर मेरे ससुरजी खुश हैं क्योंकि उनको मालूम है कि मैं उनकी इज्जत बचाकर बैठी हुई हूँ। लड़का तो अगली बार भी हो जाएगा।

खैर छोड़िये, मैं थोड़ा लेट चल रही हूं अन्तर्वासना पर क्योंकि अपने सभी चुदाई के किस्से मैंने गर्भ अवस्था में फ्री बैठकर लिखे थे।

इसलिए हल्के बदलाव के साथ मैं वे सभी किस्से आपके साथ शेयर कर रही हूं।
मजा लें अब सलहज जीजा चुदाई कहानी का!

जैसा कि आपको मालूम है कि ससुरजी ने मुझे चोद कर वादा किया था कि मेरे नाम प्रापर्टी कर देंगे।
उन्होंने अपना वादा पूरा किया भी।

मगर मेरी ननद को मेरे ससुर का मेरी ओर झुकाव बर्दाश्त नहीं हुआ; वो मुझसे उखड़ी ही रहने लगी।

इधर मेरा पेट बाहर निकलने लगा था।
मेरी ननद जानबूझकर अपने पति के साथ यहीं घर आकर रहने लगी।

उसका पति राहुल उतना ही मेरी तरफ आकर्षित होने लगा।
कोरोना की वजह से मुझे उसके पति का लंड खड़ा करने का मौका नहीं मिल रहा था।

फिर आखिर एक मौका मिल ही गया।

मेरी ननद मेडिकल लाइन में थी। जिस दफ्तर में वो जॉब करती थी वहां इनकी ज़बरदस्त ड्यूटी लग गयी, 9 से 5 तक वो वहीं रहती।

एक दिन राहुल को मैं अकेली घर में मिल गयी। अब तो मेरे पास अच्छा मौका था। ननद डियूटी पर थी और कोई घर में नहीं था।

राहुल को मैं उकसा तो चुकी ही थी बस अब बिस्तर पर लाना बाकी था।

मगर मैं कोई गलती नहीं कर सकती थी क्योंकि मैं प्रेगनेंट थी। अब पेट भी निकलने लगा था।

राहुल बाहर से कुछ सामान लेने गया था।
मैं पर्दा हटाकर बार बार देख रही थी कि कब वो वापस लौटेगा।

जैसे ही मुझे दरवाज़े की आवाज सुनाई दी तो झांक कर देखा कि राहुल था।

तो मैं झट से बाथरूम में चली गयी।
मुझे मालूम था वो मेरे कमरे में आएगा।

मैं अनजान सी बनकर अंदर इंतज़ार करने लगी। जैसे ही मेरे रूम के दरवाज़े की आवाज़ आई तो मैंने नंगे बदन पर तौलिया बांध लिया और बाल गीले करके पौंछे और खुले छोड़ दिये।

उसके बाद मैं नाटक करते हुए अपनी मस्ती में बाहर निकली जैसे मुझे कुछ पता ही न हो।

मैंने एकदम से नज़र उठाई और चौंकने का नाटक करते करते टॉवल हाथ से छोड़ दिया और बिल्कुल नंगी उसके सामने खड़ी हो गयी।

मैंने उसको देखकर घबराने का नाटक किया और जल्दी से तौलिया उठाकर लपेट लिया।

अब मेरा गदराया हुस्न राहुल नँगा देख चुका था।
वो बोला- ओह्ह सॉरी! मुझे ऐसे नहीं आना चाहिए था।

मैं शर्माती हुई बोली- नहीं नहीं ननदोई जी, गलती मेरी भी है … मैं ऐसे बाथरूम से निकल आई बिना कपड़े पहने ही। आपने कुछ देखा तो नहीं न?
पूछते हुए मेरी मुस्कराहट में वासना भरी थी.

मेरा ऐसा व्यवहार देखकर राहुल थोड़ा नॉर्मल हुआ।
वो बोला- नहीं भाभी, ज्यादा कुछ नहीं देखा मैंने। मगर जो देखा वो ऐसा था कि मैं कुछ नहीं बोल नहीं पा रहा हूं।

उसके थोड़ा करीब जाकर मैंने फिर से पूछा- ओह्ह … ऐसा क्या देख लिया ननदोई जी?
वो बोला- बस जो देखा उसने आग लगा दी भाभी!

अब मैं बिल्कुल उसके करीब चली गई और आंखों में आँखें डालकर बोली- कहाँ आग लग गई नंदोई जी?
वो बोला- राहुल कहा करो अकेले में मुझे भाभी!
मैं- तुम भी गोरी कहा करो मुझे अकेले में!

राहुल- उफ्फ … गोरी … तुम कितनी हसीन और कामुक हो।
मैं- उफ्फ … राहुल तुम भी कितने कठोर और मजबूत हो।

उसने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- बहुत दिन से आग लगा रखी है गोरी तुमने … आज तो तुमने उस आग पर तेल ही डाल दिया।
मैं- आह्ह … आग तो मेरे अंदर भी बहुत लगी थी। बस मौका ही आज मिला है। तुम्हारी बीवी तो जोक बनकर चिपकी रहती है तुमसे!

ये सुनते ही उसने झटके से मेरे बदन पर लिपटा तौलिया खींच दिया और मेरा सुनहरा नंगा हुस्न उसके सामने था। मेरा थोड़ा उभरा चिकना पेट, पहाड़ सी छातियां, गोरी चिकनी जांघों के बीच छुपा हुआ छेद, पीछे भारी उभरे हुए चूतड़ और होंठों पर चुदाई की प्यास!

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वो जैसे मुझे देखता ही रह गया।
उसका बरमूडा उभरा पड़ा था।

बिल्ली की तरह मैं उस पर झपटी और उसकी टीशर्ट उतार फेंकी। उसके चौड़े सीने पर मैंने प्यासे कामुक चुम्बनों की बरसात कर दी।

अपनी मोटी मोटी छातियों को उसके सीने पर दबाते हुए मैं उसकी पीठ में नाखूनों से खरोंचने लगी।

वो सिसकारा- उफ्फ … मेरी जंगली बिल्ली, काश यह आग मेरी बीवी में होती!
यह सुनकर मैं बहुत खुश हुई।

मैं एक कामुक रंडी के जलवे उसको दिखाना चाहती थी ताकि वो मेरे वश में हो जाए।
उसने भी मुझे बांहों में जकड़ लिया। मेरी रेशम जैसी कोमल चिकनी पीठ पर राहुल के हाथ रेंगने लगे।

वो बोला- उफ्फ गोरी … क्या तारीफ करूं मैं तेरे हुस्न की … इतना कातिल हुस्न और ऐसी जवानी …. ओह्ह … तुझे तो भोगता रहूं बस!
हाथ नीचे ले जाते हुए उसने मेरे चूतड़ों को कस कर भींच लिया।

मेरे मुंह से आह्ह … करके कामुक सिसकारी निकल गयी।

उधर उसका जोश भी बढ़ गया। उसने मुझे बांहों से निकाल मेरी दोनों चूचियों को हाथों में भरा और कसकर दबाने लगा।
मेरे मुंह से मीठी मीठी कसक फूटने लगी।

मैंने उसके सिर को पीछे से पकड़ा और आगे खींचते हुए अपनी चूचियों पर दबा दिया।
मैं सिसकारी- उफ्फ राहुल … चूस इन्हें। कैसे लगे मेरे चूचे?

राहुल- बहुत मस्त हैं।
मैं- मेरी ननद भी ऐसे ही चुसवाती है क्या?
राहुल- छोड़ो … वो तो बहुत ठंडी औरत है।

वो मेरी चूचियों को कसकर दबाते हुए उन्हें पी रहा था और मैं लंड के स्पर्श के लिए तड़प उठी।
मैं तेजी से नीचे बैठी और उसकी बरमूडा को खींचकर नीचे कर दिया।

इतनी बेसब्री थी कि लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही चूसने लगी।
मेरी बेकरारी देख राहुल भी पागल हुआ जा रहा था।

मैं बोली- बस कुछ दिन ही मजे लूट सकते हैं क्योंकि फिर मेरा पेट बढ़ जाएगा और चुदाई नहीं होगी।
वो बोला- चुदाई तो मैं फिर भी करूंगा। चाहे कितनी भी धीरे करनी पड़े।

मैं उठी और घूमकर अपने चूतड़ों को उसके सामने फैला दिया; दोनों हाथों से अपनी गांड के छेद को दिखाते हुए मैं बोली- इसको चोद लेना!

राहुल- ओह्ह … तुम मुझे पागल किये जा रही हो गोरी!
उसने अंडरवियर उतार फेंका और उसका फनफनाता हुआ लंड मेरे सामने कूदने लगा।

ससुर जी और गुलाब और उसके दोस्तों जितना बड़ा लंड तो नहीं था मगर लंड ठीक था।
एक अच्छा लंड कह सकते थे हम उसे!

वैसे भी मुझे तो ननद को मजा चखाना था। मैं तेजी से उसकी ओर बढ़ी और बैठकर उस पर थूकने लगी। मैंने उसके लंड को चुपड़ा कर दिया।
राहुल की आहें निकल रही थीं।

वो बोला- आह्ह यार … तुम तो बिल्कुल रंडी की तरह करती हो।
मैं- तुम्हारे मस्त लंड को देखकर मेरे अंदर की रंडी बाहर निकल आयी।

मैंने थूक कर पूरे लंड को गीला किया और चाटने लगी।
राहुल आह्ह … उफ्फ … सीसी … सीसी … करते हुए लंड चुसवाने के मजे लेने लगा।

मैं उसका पूरा लंड मुंह में लेकर निप्पल की तरह चूस रही थी।
पुचक पुचक की आवाज़ों से कमरा भर गया।

राहुल सिसकारा- उफ … उफ उफ … गया … गया … करके राहुल ने पिचकारियों से मेरा मुँह भर दिया।

मेरे मुंह में मेरे ननद के पति के लंड का गर्म गर्म लावा गिरने लगा जिसको में चाट चाट कर साफ करती हुई पी गई।

वो बोला- उफ … गोरी … ऐसा लंड कभी किसी ने नहीं चूसा। मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ। मजा आ गया।

मेरे होंठों पर लगे कतरे को राहुल ने अपने लंड से लपेट कर वो भी चटवा दिया और ऊपर उठकर मैंने राहुल को फ्रेंच किस करनी शुरू कर दी। जुबान से जुबान घिसने लगी।

हम डीप किस करने लगे और फिर राहुल को मैंने बिस्तर पर धक्का दे दिया।
उसको लिटाकर मैं उसकी छाती पर बैठ गई और स्तनपान करवाने लगी।

धीरे धीरे मैं थोड़ा और आगे सरकती गई और मेरी चूत बिल्कुल उसके होंठों के पास थी।
वो समझ गया और जीभ से चूत को कुरेदने लगा।
अपने दोनों चूचों को पकड़ कर मैं उससे चूत चुसवाने लगी।

कुछ देर मैं सिसकारियां लेती हुई उससे चूत चटवाती रही और अपने चूचों को दबाती रही।
फिर उठी और उल्टा घूम गई, अपनी गांड मैंने उसकी तरफ कर दी और उसके लंड को मुहँ में भर लिया।

वो उठने लगा था थोड़ा थोड़ा। राहुल का जल्दी झड़ना मुझे थोड़ा निराश कर गया था पर मुझे मालूम था कि जिस अंदाज से मैं झपटी थी बड़े से बड़ा मर्द भी पिघल जाता।

ननद को नीचा दिखाने के चक्कर में मैं कुछ ज्यादा ही रंडी बन गई थी।

अब राहुल हब्शी बन गया और पागलों की तरह मेरी चूत पर टूट पड़ा। मैं भी उसका पूरा लंड मुंह में लिए गांड को हिलाने लगी।

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उसने मेरी चूत में उंगली दे दी और मेरी टपकती चूत को बीच बीच में चाटता रहा। उसका लंड फिर से जोश में आ चुका था और मैं उसके लौड़े की पूरी सेवा कर रही थी।

चूस चूस कर मैंने उसका लंड फिर से लोहे जैसा कर दिया था।

“राहुल डाल दो अंदर अब … मगर झटके धीरे देना … तुझे फूफा भी बनाना है अभी और ननद जी को बुआ!”

वो हंसने लगा और बोला- थोड़ा और चूसो गोरी … बहुत मजा दे रही हो।
मैं बोली- अगर तुम फिर से झड़ गए तो मैं प्यासी ही मर जाऊंगी।
वो बोला- नहीं, ऐसा नहीं होगा।

उसके कुछ देर तक मैंने उसका लंड चूसा और फिर उसने मुझे सीधी लेटा दिया।
मेरी चूत पर लंड उसने टिका दिया।

मैं बोली- आह्ह … डाल दो अब।
उसने फिर धीरे धीरे लंड घुसाया और जड़ तक फंसा दिया।

लंड देकर वो बोला- उफ्फ गोरी … तेरी प्यासी चूत कितनी गर्म है … आह्ह … पूरा लंड खा गई मेरा!

राहुल धीरे धीरे रफ्तार पकड़ता गया और मुझे आनंद आने लगा।
मैं बराबर अपनी चूत के दाने को रगड़ती रही और राहुल मुझे रगड़ता रहा।
उसका हर झटका मुझे चरम सीमा की तरफ बढ़ाने लगा।

वो मेरी चूत मारता गया और साथ साथ मेरा दूध पीता गया।
मेरे दाने को रगड़ने की वजह से मैं दूसरी बार चरम सीमा पर पहुंच गई।

राहुल के लंड पर जब मेरी गर्मी पड़ी तो उसको भी मजा आया और उसने 2-3 ज़बरदस्त झटके दिए।
मगर उसका माल नहीं निकला।

राहुल बोला- गोरी मेरा हुआ नहीं अभी।
मैं मुस्कराई और बोली- मेरे राहुल राजा … इधर देखो!

उसको दिखा मैंने अपनी गांड पर हाथ फेरा।
वो बोला- ओह्ह … गोरी की गांड लंड मांग रही है!
मैं- हां, तुम्हारा ही मांग रही है।

उसने गीला लंड पहले मेरे मुंह में डाला और फिर बोला- चल गोरी रानी … बन जा घोड़ी।
मैं उसके सामने घोड़ी बन गई और राहुल ने लंड को गांड के छेद पर टिका कर झटका दिया।

उसका लंड फिसल गया।
मैं बोली- उफ्फ आराम से डालो राहुल … टाईट है।
उसने फिर से लंड छेद पर रखकर झटका दिया तो लंड मेरी गांड को चीरता हुआ घुस गया।

मैं चीखी- उफ्फ मर गयी … ईई ईई … आराम से!
उसने पूरा लंड अंदर डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से झटके लगाने लगा।
करीब 5 मिनट तक उसने मेरी गांड मारी और अपना लावा मेरी गांड में निकाल दिया।

उसके बाद हम नंगे ही बिस्तर पर पड़े रहे और एक दूसरे को प्यार करते रहे।

फिर उठकर दोनों नहाये और बाथरूम रोमांस शुरू किया जिसमें हम गर्म हो गए और वहां भी मैंने उसका लंड खूब चूस डाला।

पानी के नीचे सलहज जीजा चुदाई की आग और ज्यादा भड़की।
एक बार फिर से हम बिस्तर की तरफ आये और आकर चुदाई का आनंद उठाया।

मैं बोली- ऐसा आनंद कभी दिया है क्या मेरी ननद ने?
वो बोला- नहीं, न तो वो लंड चूसती है और अगर कभी चूस भी लिया तो बस ऊपर से ही चूसकर रह जाती है।

मैं बोली- कोई बात नहीं राहुल … मैं हूँ ना! हम दोनों इस घर में ब्याहे हैं। ना सुख मुझे मिला ना तुम्हें!
वो बोला- गोरी मुझे तेरी चूत की लत लग गई है। आगे चलकर कैसे होगा?

उसके लंड पर हाथ फेरते हुए मैंने कहा- कोई बात नहीं राहुल, मैं लंड तो चूस सकती हूं आपका लेकिन बच्चे के लिए चूत मरवाना मुश्किल हो जाएगा। तुम गांड चुदाई कर लिया करो।

वो बोला- पक्का मेरी जान?
मैं बोली- हां बाबा, ये तुम्हारी ही है।

ये सुनकर उसने मेरे होंठों को जोर से चूस डाला।

इस सलहज जीजा चुदाई से मैंने अपने ननदोई को अपने वश में कर लिया। उसको भी मैंने अपने हुस्न के जलवे दिखा दिए।

कभी ससुरजी को मौका मिलता तो वो मुझे बाहर ले जाते। कभी मुझे लंड चुसवा देते तो कभी मैं उनको चूचियां पिला देती।
राहुल भी बीच बीच में मजे ले लिया करता था।

अब मैं मां बन गई हूं और मिस्त्री गुलाब उसके पापा।

अभी मुझे ससुर और ननदोई के अलावा कोई तीसरा शिकार नहीं मिला है। फिलहाल मैं घर पर ही हूं। अब देखूंगी कि जब घर से निकलना होगा तो कौन सा मर्द मिलेगा या फिर वो मर्द आप पाठकों में से ही कोई होगा।

मैं उम्मीद करती हूं कि आपको मेरी चूत चुदाई की ये रियल स्टोरी पसंद आई होगी।
आप सब अपना प्यार मुझे देते रहना। कुछ भी शेयर करना चाहते हैं तो मुझे ईमेल करें।
सलहज जीजा चुदाई कहानी के बारे में कमेंट्स में भी लिखें। जल्दी ही लौटूंगी, तब तक के लिएविदा।
आपकी रंडी गोरी
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