सहेली का अन्तर्वासना और पहला सेक्स-2

दोस्तो, मैं सपना अपनी कहानी का अगला भाग आपके लिये लेकर आ गयी हूं. पिछली कहानी
सहेली का अन्तर्वासना और पहला सेक्स-1
में मैंने आपको बताया था कि मैं अपनी सहेली नज़मा के साथ लेस्बियन सेक्स का मजा ले रही थी. कुछ दिनों तक उसकी चूत को मैंने बहुत गर्म किया. वो झड़कर मजा लेती थी लेकिन अब उसका मन भी किसी मर्द के असली लौड़े से चुदने के लिए करने लगा था.

एक दिन जब मैं नज़मा की चूत को चाट रही थी वो काफी गर्म हो गयी. मैंने उसकी चूत में उंगली करके शांत किया लेकिन वो कहने लगी कि मेरी चूत को किसी मर्द का असली लौड़ा दिलवा दे.
मैंने उसको अपने जीजा के बारे में बता दिया.
वो बोली- अपने जीजा का ही दिलवा दे.

जीजा से बात की तो जीजा भी ये सोच कर खुश हो गये कि उनको जैसे कोई बंद लिफाफा गिफ्ट मिलने वाला है. जीजा के साथ सारा प्रोग्राम मैंने फिक्स कर लिया.

मैं नज़मा के घर जाकर रात 10 बजे का इंतजार करने लगी. रात को जब हम दोनों सहेलियां साथ में लेटी हुई थीं तो मैंने अपनी सहेली की चूचियों को मसलना शुरू कर दिया. उसकी चूत को चाटने लगी. कुछ ही देर में उसकी सिसकारियां निकलने लगीं.

जब उससे रहा न गया तो वो बोली- यार सपना … मुझे अब किसी का लंड दिलवा दे, मेरी चूत लंड का मजा लेना चाहती है.
मैंने कहा- अपने जीजा का ही दिलवा दूं क्या?
वो बोली- हां दिलवा दे.

मैं बोली- अगर तुझे दर्द हुआ तो?
वो बोली- कोई बात नहीं, मैं सहन कर लूंगी लेकिन अब मेरी चूत को लंड चाहिए ही चाहिए होगा. मैं किसी मर्द के लौड़े से चुदना चाहती हूं.

तभी जीजा ने मेरे इशारे पर अंदर आकर उसकी चूत पर लंड को सेट कर दिया. उसको पता लग गया कि उसकी चूत पर असली का लंड लगा हुआ है.

जब तक उसने पीछे पलट कर देखा तब तक जीजा ने लंड को अंदर धकेल दिया. उसकी चूत में मेरे जीजा का लंड दो इंच तक घुस गया. वो हैरान थी कि जीजा एकदम से अंदर कैसे आ गये.

जीजा का लंड मेरी सहेली की चूत में था. जीजा उसकी चुदाई शुरू करने ही वाले थे कि मैंने उन दोनों को अलग कर दिया क्योंकि मैं नीचे दबी हुई थी. बाहर निकल कर मैंने अपने कपड़े उठाना शुरू किया. जीजा बोले कि अब तो कोई फायदा नहीं कपड़े पहनने का. अब तो तुम दोनों का मजा लेना चाहिए.

मेरी सहेली कुछ नहीं बोल रही थी. उसकी चूत को लंड का स्पर्श मिल चुका था. मैं जानती थी कि मेरे रहते वो अपनी चुदाई नहीं करवाएगी. इसलिए मैंने जीजा से कहा कि मैं दूसरे रूम में चली जाती हूं.

मैं नंगी ही उठ कर दूसरे रूम में चली गयी और उनके रूम का दरवाजा ढाल दिया. दरवाजा मैंने पूरा बंद नहीं किया क्योंकि मैं अपनी सहेली की पहली चुदाई का नजारा देखना चाहती थी. इसलिए मैंने दरवाजे को हल्का सा खुला छोड़ दिया.

दो मिनट के बाद मैंने आकर देखा कि नज़मा बेड पर अपनी आंखें बंद किये हुआ लेटी हुई थी. उसकी चूचियां एकदम से ऊपर छत की ओर ऐसे तनी हुई थीं जैसे दो गोल तोपें हों.

जीजा उसकी चूत को किस कर रहे थे. नज़मा के बदन में जैसे आग लगी हुई थी. उसके सीने पर उसकी मोटी मोटी चूचियों का ऊपर नीचे होना ये बता रहा था कि वो किसी मर्द के पहले स्पर्श को कितना इंजॉय कर रही है.

मेरे जीजा ने उसकी चूत में जीभ दे दी और उसकी चूत को मस्ती में चाटने लगे. नज़मा के मुंह से सिसकारी निकलने लगी- आह्ह … जीजा जी … ऊह्ह … आई … याह … बहुत अच्छा लग रहा है… अम्म …. आह्ह … की आवाजें करते हुए वो बहुत ही चुदासी लग रही थी.

मेरे जीजा ने उसकी जांघों को दोनों हाथों से फैलाया हुआ था और उसकी चूत में जीभ देकर मस्ती में ऐसे चाट रहे थे जैसे किसी मीठे फल का रस चूस चूस कर निकाल रहे हों.

कुछ ही देर में मेरी सहेली इतनी गर्म हो गयी कि उसने जीजा के बालों में हाथ से सहलाना शुरू कर दिया. उसकी गांड खुद ही ऊपर आ आकर उसकी चूत को जीजा के मुंह में घुसाने लगी थी.

नज़मा अपनी चूचियों को खुद ही मसलने लगी थी. उसकी चूचियों के निप्पल एकदम से टाइट होकर नुकीले हो चले थे. इतनी कड़क अवस्था में उसकी चूचियां मैंने पहली बार देखी थीं. मैं जब उसकी चूचियों को मसलती और पीती थी तो इतना तनाव नहीं होता था.

जीजा जी बीच बीच में अपने हाथ से उसकी चूचियों को दबा और मसल रहे थे. नज़मा अब तेजी से जीजा के मुंह पर चूत को धकेल रही थी. उसकी स्पीड तेज हो रही थी. फिर एकदम से उसने जीजा के मुंह को अपनी चूत पर दबा लिया. वो एकदम से ऊपर उठी और हांफने लगी. फिर से नीचे लेट गयी.

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उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था. जीजा जी पुच.. पुच … की आवाज के साथ उसकी चूत के रस को चाट रहे थे. ये देख कर मेरी चूत में पानी आ गया था. मगर अभी मैं नज़मा की चुदाई देखना चाहती थी. जीजा का लंड पूरा तोप की तरह तना हुआ था. मुझे पता था कि जीजा का लंड आज मेरी सहेली की कुंवारी चूत की धज्जियां उड़ा देगा.

उसके बाद जीजा जी नज़मा की बगल में जाकर लेट गये. उन्होंने नज़मा का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखवा दिया. नज़मा थोड़ी हिचकते हुए उनके लंड को पकड़ कर सहला रही थी. जीजा ने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. जीजा की गांड भी आगे पीछे हो रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे वो नज़मा के हाथ को ही चोद रहे हों.

फिर जीजा ने मेरी सहेली की चूचियों को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. कभी एक चूची को मुंह में लेकर पीने लगते तो कभी दूसरी चूची का दूध निचोड़ने लगते. नज़मा फिर से गर्म होती जा रही थी. जीजा ने उसकी चूत को अपनी हथेली से रगड़ना शुरू कर दिया.

उसके बाद जीजा जी उठे और नज़मा के मुंह के पास अपना लंड कर दिया. वो उसको उनके लंड को चूसने का इशारा कर रहे थे. नज़मा का पहली बार था इसलिए वो लंड चूसने के मजे के बारे में नहीं जानती थी. उसने ना में गर्दन हिला दी.

जीजा ने उससे कहा- एक बार करोगी तो फिर अच्छा लगेगा.
नज़मा फिर भी तैयार नहीं हुई. फिर जीजा ने नज़मा को नीचे पटक लिया और उसकी चूचियों के बीच में लंड को रख दिया और नज़मा को अपनी चूचियां दबाने के लिए कहा.

मेरी सहली ने अपनी चूची दोनों हाथों से एक दूसरे पर दबाव बनाते हुए लंड पर कस लीं. जीजा ने उसकी चूचियों को लंड से चोदना शुरू कर दिया. जीजा जी उसकी चूचियों के बीच में लंड को फंसा कर आगे पीछे करने लगे. जीजा का लम्बा लंड नज़मा की ठुड्डी तक जाकर लग रहा था.

बीच बीच में जीजा जी लंड को उसके होंठों तक ले जाते थे और लंड जैसे मेरी सहेली के होंठों को किस करके वापस लौट आता था. कुछ देर के बाद नजमा को इसी में मजा आने लगा.

फिर जीजा ने दोबारा से लंड नजमा के मुंह की ओर किया. नज़मा ने अबकी बार मुंह खोल दिया और जीजा के लंड को हिचकते हुए धीरे धीरे मुंह में भर लिया. जीजा के मुंह से सिसकारी निकल गयी- आह्हह … करके.

जीजा ने अपने हाथ से नज़मा की गर्दन को आगे धकेल दिया और अपना पूरा लंड उसके मुंह में दे दिया. फिर जीजा धक्के लगाने लगे. नजमा अब जीजा के लंड को चूसने लगी. कुछ ही देर में वो मस्ती में जीजा के लंड चूस रही थी. जीजा के मुंह आह्ह … ओह्ह … वाह … हाय … करके कामुक आवाजें आ रही थीं.

मैं भी दरवाजे पर खड़ी हुई अपनी चूत को मसल रही थी. मेरी चूत लंड की प्यासी हो चली थी. दो मिनट तक नज़मा को लंड चुसवाने के बाद जीजा ने जब लंड उसके मुंह से बाहर निकाला तो उनका लंड पूरा का पूरा थूक में लिपटा हुआ था.

जीजा ने मेरी सहेली की टांगों को चौड़ी कर दिया. उसकी चूत को सामने करके अपने लंड का सुपारा उसकी चूत पर लगा दिया और लंड को चूत के मुंह पर लगा कर मिशनरी पोजीशन में उसके ऊपर लेटते चले गये.

नजमा की चूत पर लंड लगा हुआ था और जीजा जी उसकी चूचियों को पीने लगे. मेरी सहेली सिसकारने लगी. तभी जीजा ने एक धक्का मार दिया. उनका लंड दो इंच तक उसकी चूत में जा घुसा. नजमा की सिसकारियां दर्द में बदल गयीं.

जीजा ने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. वो जीजा को पीछे धकेलने लगी और गूं-गूं की आवाज़ करने लगी. मगर जीजा भारी शरीर के थे. वो उसके हिलाये नहीं हिल रहे थे. जीजा का लंड मेरी सहेली की चूत में घुस चुका था.

तभी जीजा ने एक और धक्का मारा और नज़मा उचकते हुए ऊपर सी उठी. उसकी चूत में लंड आधा घुस गया था. वो छटपटाने लगी. उसकी चूत की सील शायद टूट गयी थी. उसको बहुत दर्द हो रहा था.

जीजा भी जान गये थे कि नज़मा की कुंवारी चूत का उद्घाटन हो चुका है. इसलिए उन्होंने लंड को वापस नहीं खींचा बल्कि नज़मा के बालों को सहलाते हुए उसके होंठों को पीते रहे. तीन-चार मिनट में नजमा की छटपटाहट बंद हो गयी.

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वो थीड़ी सहज हो गयी थी. जीजा ने धीरे धीरे लंड को उसकी चूत में चलाना शुरू किया. नजमा की आंखों में पानी आ रहा था. मैं भी दरवाजे पर खड़ी हुई उसकी कुंवारी चूत का दर्द महसूस कर सकती थी. जीजा आहिस्ता आहिस्ता से उसकी चूत को जैसे मरहम दे रहे थे.

धीरे धीरे करके जीजा ने अपना मूसल लंड उसकी चूत में पूरा उतार दिया. फिर वो दोनों एक दूसरे से चिपक गये. नजमा के हाथ अब जीजा की पीठ पर आ गये थे और उसने जीजा को अपनी बांहों में जकड़ लिया था. जीजा की गांड मेरी सहेली की जांघों के बीच में ऊपर नीचे हो रही थी.

ये देख कर मैंने भी अपनी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया. मेरे मुंह से आह्ह करके सिसकारी निकल गयी. तभी जीजा ने पीछे मुड़कर मुझे देख लिया.
वो बोले- तू बाहर क्यों खड़ी है जानेमन? तेरी सहेली की चूत अब खुल चुकी है. तू अंदर आ जा.

नज़मा भी मेरी ओर मुस्करा कर देख रही थी. मैं नंगी थी और इसी हालत में अंदर चली गयी. फिर जीजा ने नजमा की टांगों को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया. मैंने देखा कि बेड की चादर पर नीचे खून का धब्बा हो गया था. नजमा की चूत की सील टूट गयी थी.

जीजा ने उसकी चूत को तेजी के साथ चोदना शुरू कर दिया. मैं भी बेड पर चढ़ गयी. मैंने नजमा की चूचियों को मसलना शुरू कर दिया. नजमा की चूचियां जीजा जी के लंड के धक्कों से उछलने लगीं. मैं उसकी चूचियों को दबाने लगी और फिर उसके निप्पलों को मैंने चूसना शुरू कर दिया.

एक तरफ जीजा जी नज़मा की चूत चोद रहे थे और ऊपर से मैं उसकी चूचियों के साथ खेल रही थी. फिर मैंने दो मिनट तक अपनी सहेली के दूधों को पीया और फिर उसके होंठों को चूसने लगी. नज़मा अब बहुत ही ज्यादा आनंद में हो गयी और दो मिनट के पश्चात् एक बार फिर से उसका बदन अकड़ गया.

नजमा ने लम्बी सी आह्ह भरी और उसकी चूत के रस ने जीजा के लंड को भिगो दिया. जीजा का लंड अब जब मेरी सहेली की चूत की गहराई में जाता तो पच-पच की आवाज हो रही थी.

उसके बाद जीजा ने उसकी चूत को जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया. हर मिनट में जीजा की रफ्तार बढ़ रही थी. पांच मिनट तक ऐसे ही जीजा उसकी चूत को रगड़ते रहे. फिर अचानक जीजा के मुंह से निकला- आह्हह्ह… आआआ… हाह्हह… होह्हह… करके जीजा ने मेरी सेहली की चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया.

जीजा उसकी चूचियों पर गिर पड़े. मैं जीजा के बालों को सहलाने लगी और नजमा ने जीजा की पीठ को सहलाते हुए उनको अपनी बांहों में जकड़ लिया.

फिर जीजा उठे और मैंने जीजा के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. पांच मिनट तक मैंने जोर से जीजा के लंड को चूसा. मेरी चूत में भी चुदने की आग लगी हुई थी. मैंने जीजा के लंड को चूस चूस कर फिर से खड़ा कर दिया.

जीजा को बेड पर पटक कर मैंने उनके लंड पर चूत को सेट किया और खुद ही जीजा के लंड को अंदर लेने लगी. नजमा पीछे से आकर मेरी चूचियों को हाथों में भर कर मसलने लगी. मैं भी मस्त हो गयी. उसके बाद नजमा ने आगे आकर जीजा के मुंह पर गांड को रख दिया और अपनी गांड को चटवाने लगी. इस पोजीशन में उसका मुंह मेरी ओर था.

नजमा मेरे होंठों को चूस रही थी और मैं नजमा के मुंह से लार को खींच रही थी. नजमा भी मेरे साथ ही ऊपर नीचे होकर अपनी चूत को जीजा के होंठों पर रगड़ रही थी.

मैं भी जोर जोर से जीजा के लंड पर उछल रही थी. दस मिनट तक हम दोनों सहेलियों ने जीजा को निचोड़ा और फिर मैं भी झड़ गयी. उस रात मेरी सहेली ने तीन बार अपनी चूत चुदवाई और दो बार मैंने भी चुदवाई.

पहले सेक्स में मेरी सहेली को दर्द के साथ साथ मजा भी बहुत मिला. वो मेरे जीजा के लंड की दीवानी हो गयी. अभी भी वो मेरे जीजा और उनके लंड की तारीफ करते हुए नहीं थकती है.

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