ननदोई ने सलहज की चुत चोदकर गर्भवती किया

साड़ी वाली भाभी की चुदाई कहानी एक ऐसी सलहज की है जो संतान सुख के लिए अपने ननदोई से चुद गयी. भाभी की साड़ी उठाकर चोदने का आनन्द इस कहानी में लें.

दोस्तो, मैं आपका अपना दोस्त अरुण एक बार फिर से आप सभी के सामने हाजिर हूँ.

मेरी पिछली कहानी थी:
एक कुंवारा, एक कुंवारी और चुदाई का मजा

मैं आज पुन: एक नई सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूँ. ये बिल्कुल सत्य घटना पर आधारित साड़ी वाली भाभी की चुदाई कहानी है.

मुझे आशा है कि मेरी बाकी कहानियों की तरह इस सेक्स कहानी को भी अपने कच्छे में हाथ डालकर लंड को पकड़ कर ही पढ़ेंगे और लड़कियां, भाभियां भी अपनी सलवार, लैगी या पैंटी में हाथ डाल कर गर्म चुत को ठंडा करेंगी.

ये सेक्स कहानी एक ननद के पति यानि ननदोई और साले की बीवी यानि सलहज के बीच हुई चुदाई की घटना पर आधारित है.

अमर एक ऐसा ही ननदोई था जिसकी शादी को अभी 5 साल ही हुए थे.
दूसरी तरफ सलहज़ का नाम पिंकी था. उसकी शादी को 6 साल हो चुके थे.

पिंकी की शादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद अभी भी उसकी कोख हरी नहीं हुई थी. उसके अभी तक कोई बच्चा नहीं था.

जबकि अमर की बीवी को एक लड़की हो चुकी थी और जल्दी ही एक और बेबी होने को था.

ये बात तब की है जब पिंकी अपनी ननद के घर उसकी पहली सन्तान के होने पर आई थी.
पिंकी की ननद ने अपनी भाभी को अपनी देखभाल के लिए बुला लिया था ताकि वो अमर का और उसके परिवार के लिए ध्यान रख सके.

वैसे मैं एक बात आपको बताना भूल ही गया कि अमर की पिंकी के साथ बहुत अच्छी बनती थी.
अमर की पिंकी के साथ खुली खुली बातें तो नहीं होती थीं मगर डबल मीनिंग बातों में कुछ ना कुछ बात तो हो ही जाती थी.

अभी पिंकी को अमर अपने घर बाइक पर बिठा कर ले आया था.
उसने सारे रास्ते अपनी बाइक को ब्रेक मार मार कर पिंकी को अपनी पीठ से चिपकाने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ा था.
शायद पिंकी भी इस बात को भांप चुकी थी. लेकिन उसने अपने जीजा से कुछ नहीं कहा.

बाइक पर जो भी हुआ, अमर उस बात को लेकर सलहज की तरफ से हरी झंडी समझने लगा था.

ननद के घर पहुंचने के बाद पिंकी ने अमर के लिए, हॉस्पिटल में ले जाने के लिए अमर की मां और अपनी ननद के लिए खाना बनाया.

पिंकी अमर को खाना देने उसके कमरे में आई तो अमर ने पिंकी के हाथ से खाने की थाली लेते हुए ही हरकत कर दी.
वो अपनी सलहज पिंकी का हाथ पकड़ने लगा था.

पिंकी ने एक बार अमर को थोड़ा घूर कर देखा, लेकिन कुछ कहा नहीं.
अमर इसको और भी सहमति समझ चुका था इसलिए अमर का मूड बन गया और अगली बार जैसे ही पिंकी खाने के बाद अमर को पानी देने के लिए आई तो अमर ने पिंकी के दोनों हाथ पकड़ लिए और पिंकी को अपनी तरफ खींचने लगा.

पिंकी अपने आपको छुड़ाने लगी.

ऐसा विरोध देख कर अमर ने भी पिंकी को छोड़ दिया और जाने दिया.

पिंकी जाते हुए दरवाजे पर कुछ देर रुकी और अमर को देख कर मुस्कुरा कर अपनी साड़ी का पल्लू मुंह पर रख कर चली गई.

अमर समझ चुका था कि रास्ता एकदम साफ़ है, बस एक मौका मिलने का इंतजार करना बाकी है.

वो मौक़ा देखने लगा.

फिर दो दिन बाद वो मौका भी आ ही गया.
उस दिन घर पर पिंकी और अमर के अलावा घर में कोई नहीं था.
अमर की मम्मी अस्पताल में रुकने के लिए गई हुई थीं और पापा शहर से बाहर गए हुए थे.

पिंकी रसोई में जूठे बर्तन साफ़ कर रही थी.
उसी समय अमर ने अन्दर आकर पिंकी को पीछे से पकड़ लिया और उससे लिपट गया.

पिंकी बहुत धीरे से बोली- क्या कर रहे हो जीजा जी!

पिंकी की धीमी आवाज़ किसी डर की वजह से नहीं, बल्कि पिंकी का बहुत मन था कि अमर उसको छेड़े, उसके बदन से खेले, इस वजह से वो सिसिया रही थी.

इस मदहोश आवाज को अमर ने समझ लिया और नारी सुलभ लज्जा को मसलते हुए वो ब्लाउज के ऊपर से ही पिंकी की चूचियां दबाने लगा.

फिर अमर ने पिंकी अपनी तरफ करते हुए उसे अपने सीने से लगा लिया.
पिंकी भी अमर से ऐसे लिपट गई जैसे कोई सांप किसी पेड़ के तने पर लिपट जाता है.

अगले ही पल पिंकी और अमर दोनों एक दूसरे को चूमने लगे थे.
अमर कभी पिंकी के गालों पर, कभी नाक, कभी माथे पर तो कभी गर्दन पर किस करने लगा था.

अचानक से पिंकी को कुछ हुआ; उसने अपने आप को अमर से छुड़ाया और उससे दूर हो गई.
पिंकी अपनी गर्दन नीचे करके अपनी सांसों पर काबू पाने लगी.

अमर को लगा कि शायद पिंकी अभी भी तैयार नहीं है.
इस पर अमर एक कदम पीछे रखते हुए पिंकी को सॉरी बोलने लगा.

वो वापस जाने के लिए मुड़ ही रहा था कि तभी पिंकी अचानक से आगे आई और उसने अमर का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ घुमा लिया.

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अभी अमर कुछ समझ पाता कि पिंकी ने अमर के होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
वो एक भूखी बिल्ली की तरह अमर के होंठों को ऐसे चूमने चूसने लगी जैसे दूध पीने के लिए बिल्ली मलाई चाटती है.

इस पर अमर भी उसका साथ ठीक उसी तरह से देने लगा, जैसे पिंकी उसको चूस रही थी.

इस बीच पिंकी ने अपना एक हाथ सीधा अमर के लंड पर रख दिया और उसके लंड को कपड़ों के ऊपर से ही पकड़ कर ऊपर-नीचे करने लगी.

वो दोनों अपने प्रणय में डूबते चले गए और इसी दौरान पिंकी की आंखों से आंसू आने लगे.

पिंकी की आंखों में आंसुओं को देखते ही अमर ने पिंकी से पूछा- क्या क्या हुआ पिंकी भाभी?

इस पर पिंकी अमर को गले लगाते हुए और रोते हुए बोलने लगी- जीजा जी मुझे भी बच्चे चाहिए, मैं बिना बच्चे के नहीं रह सकती हूँ. प्लीज़ मुझे मां बना दो!

अमर ने पिंकी का मुँह अपनी तरफ उठाया और उसके आंसू पौंछते हुए पिंकी को मां बनाने का वायदा कर दिया.

अब वे दोनों एक दूसरे के होंठों को फिर से चूसने चूमने लगे; दोनों ही अपनी अपनी लाज शर्म खो चुके थे.

फिर सबसे पहले पिंकी ने धीरे धीरे अमर की टी-शर्ट को निकाला और वो अमर की छाती को चूमने लगी.
अमर की छाती की दोनों घुंडियों को चूसते हुए ही उसने अमर के लोवर को भी नीचे कर दिया.

अमर का लंड उसकी अंडरवियर में फूला हुआ था.
पिंकी ने अमर के अंडरवियर के साइड से उसके लंड को बाहर निकाला और ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी.

अमर ने भी पिंकी भाभी की साड़ी उतार कर उसके जिस्म से अलग कर दी और पिंकी के ब्लाउज के ऊपर से साफ़ नुमाया ही रही उसकी चुचियों को ऊपर से ही चूसने लगा.

साथ ही अमर ने हाथ नीचे किया और पिंकी के पेटीकोट के नाड़े को खींच दिया.
पेटीकोट रहम की भीख मांगता हुआ नीचे गिर गया.

अब अमर सिर्फ़ अंडरवियर में था और पिंकी ब्लाउज और ब्रा में थी. उसने नीचे पैंटी नहीं पहनी थी.

अमर ने पिंकी को चूमते हुए पूछा- पिंकी तुम पैंटी नहीं पहनती हो क्या?
पिंकी ने कहा- जीजू, मुझे पता था कि हम दोनों को आज मौका मिलेगा … इसलिए आज मैंने पैंटी पहनी ही नहीं.

पिंकी के मुँह से इस बात को सुनकर अमर बहुत खुश हो गया और उसने जल्दी ही पिंकी के ब्लाउज और ब्रा को भी खोल कर उसके शरीर से निकाल कर दूर फैंक दिया.

पूरी नंगी होते ही पिंकी के 36 इंच के मस्त चूचे हवा में लहराने लगे.

अमर झट से पिंकी के दोनों चूचों को अपने हाथ में लेकर मसलने लगा.
वो एक चूची के निप्पल को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा.

इस पर पिंकी ने अपनी आंखें बंद कर लीं और वो अमर की गर्दन को अपनी चूचियों पर दबाने लगी.

पिंकी की आंखें वासना के मारे बिल्कुल लाल हो चली थीं.
उन दोनों में सेक्स का खुला खेल होने लगा.

कुछ ही समय में पिंकी एकदम से हॉट हो गई.
उसने अमर को दूर कर दिया.

अमर अपनी वासना से भरी नजरों से पिंकी की नंगी जवानी को निहारने लगा.

पिंकी ने एक बार फिर अमर को खींचा और उसके गालों व होंठों पर किस कर दिया.

इसके बाद पिंकी अपने घुटनों के बल पर बैठ गई और उसने अमर के अंडरवियर को नीचे कर दिया.
अंडरवियर की कैद से मुक्त होते ही उसका लंड फनफनाता हुआ बाहर निकल आया.

इससे पहले कि लंड को कुछ सूझता, तब तक पिंकी भाभी ने लंड को अपने हाथ से पकड़ा और उसे चूसना शुरू कर दिया.

दो मिनट तक पिंकी भाभी ने लंड को पूरी शिद्दत से चूसा.
इससे अमर का लंड अब कोई नॉर्मल लंड नहीं रह गया था बल्कि वो एक मोटे और कड़क लोहे की रॉड के जैसे बन गया था.

अमर भी अब पिंकी की गर्दन को पकड़कर आगे पीछे करने लगा और अपनी आंखें बंद किए हुए इस पल को मस्ती से जीने लगा.

पिंकी और अमर दोनों ही अब तक बहुत गर्म हो गए थे.

पिंकी ने अमर के लंड को छोड़ा और बोली- जीजू, अब रहा नहीं जाता, जल्दी से अपनी इस लोहे की रॉड को मेरी गर्म भट्टी में डाल दो.

अमर ने पिंकी को गोद में उठाया और बेड पर ले जाकर पेट के बल उल्टा लिटा दिया.
फिर वो पिंकी की टांगों को चौड़ा करते हुए उसकी चूचियों की तरफ चढ़ने लगा.

पिंकी कामुकता की अतिरेकता में अपनी आंखें बंद किए हुए अपनी गर्दन को अपनी सांसों के साथ ऊपर नीचे करने लगी.

अमर पूरी तरह से पिंकी के ऊपर चढ़ गया और अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसने पिंकी की चुत में सैट कर दिया.
उधर नीचे से पिंकी भाभी ने अपनी चुत पर लंड का स्पर्श महसूस किया तो उसने अपनी टांगों को खोल कर लंड को रास्ता दे दिया.

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उसी पल अमर ने एक ही झटके में पिंकी भाभी की चुत में लंड जड़ तक ठांस दिया.
चिकनी चुत में अमर का मोटा लंड फांकों को चीरता हुआ घुसा तो पिंकी भाभी की एक तेज चीख निकल पड़ी.

अमर ने उस चीख को नजरअंदाज करते हुए धीरे धीरे झटके देने शुरू कर दिए.

कुछ पलों बाद अमर पिंकी से पूछने लगा- पिंकी भाभी, तुम तो शादीशुदा हो और खूब चुदी भी हो, तो मेरे लंड डालने पर तुम्हारी चीख क्यों निकल गई?

इस पर पिंकी झटकों का जवाब देती हुई बोली- जीजा जी, आज पहली बार किसी मर्द ने एक शॉट में ही अपना लंड मेरी चुत में अन्दर तक पेला है, चीख तो निकलेगी ही … आह आप बस चोदने में ध्यान दो … आह बहुत मजा आ रहा है जीजू … आह पेलो और अन्दर तक पेलो … आह मुझे ठंडी कर दो.

पिंकी भाभी के मुँह से इतना सुनते ही अमर ने अपने झटके तेज कर दिए.

अब पिंकी भाभी और भी खुल कर अपनी मादक आवाजों और कामुक सिसकारियों को भर रही थी- आह एयेए अहाआ जीजू बहुत मजाअ आ रहाआ है … औररर तेज करो आह और तेज!

अमर ने धक्कों की स्पीड फुल कर दी.
इससे पिंकी भाभी ने ‘आयह अहा आहाहाहा …’ करती हुई बेड की चादर को अपनी मुट्ठी में भर लिया और अपनी आंखें बंद करके चुदाई का मजा लेने लगी.

अमर को चुत चोदते हुए दस मिनट हो गए थे, उसने पिंकी को सीधा होने के लिए कहा.

सीधा होते ही अमर फिर से भाभी के ऊपर आ गया और फिर से एक ही झटके में पूरा लंड चुत के अन्दर कर दिया.
इस बार पिंकी चीखी नहीं बल्कि मस्ती में आहें भरती रही.

अमर फिर से पुरजोर तरीके से पिंकी को चोदने लगा था.

पिंकी- आआआहा अमर जीजू, आपका लौड़ा तो बहुत सख्त है … मेरी चुत का भोसड़ा बना दिया है आपने अहह … अच्छे से पेलो मेरी चुत को.

अमर अपनी स्पीड में तो था ही … उसने कुछ और तेज झटके दिए तो पिंकी झड़ने लगी.
उसने झड़ते ही अमर की कमर को अपने नाखूनों से नौंच लिया और अमर की टांगों से अपनी टांगें लपेट ली.

वो कराहती हुई बोली- आह जीजू मेरा हो गया … आह मैं कट गई … आह अब आप भी जल्दी से मेरी चुत में ही झड़ जाओ और मुझे मां बना दो.

अमर झटके पर झटके दिए जा रहा था और साथ वो पसीने में भी नहा चुका था.

पिंकी अब तक दो बार झड़ चुकी थी. अमर आधे मिनट के लिए रुका और फिर से झटके लगाने लगा.

पिंकी फिर से गर्मा गई थी और वो अपनी मदभरी आवाजों के अलावा और कोई आवाज ही नहीं निकाल रही थी- आहहा अहहाहा आआह चोदो … जीजू ज़ोर से चोद दो!

उन दोनों की चुदाई को 35 मिनट हो चुके थे, अब अमर झड़ने को आ गया था.
उसने नॉनस्टॉप 25-30 झटके बिना रुके लगाए और पिंकी के साथ झड़ गया.

अमर पिंकी की चुत में झड़ गया था.
झड़ते समय अमर की खुद भी ‘आआह …’ भरी तेज चीख निकली.
उसने पिंकी भाभी की चुत में 7-8 पिचकारियां छोड़ दीं और पिंकी के ऊपर ही ढेर हो गया.

पिंकी बहुत खुश थी.
वो अमर के माथे के पसीने को पौंछते हुए अमर के सर पर हाथ फेरने लगी.

पिंकी बोली- जीजू, आप तो सच में ही लम्बी चुदाई करते हो.
अमर ने पूछा- मतलब?

पिंकी बोली- दीदी ने मुझे बताती थीं कि आप उनको काफी देर देर तक चोदते हो. पर मुझे ये बात मजाक लगती थी. पर आज जब मैं खुद चुदी, तो पता लगा कि दीदी झूठ नहीं, बल्कि सच कहती थीं.
अमर ने कहा- भाभी तुम्हारा हब्बी तुमको कितनी देर तक चोदता है?

पिंकी- वो तो बस 3-4 मिनट में ही ढेर हो जाता है और वो भी स्लो स्पीड में. जब तक मेरी चुत में आग लगती है, तब तक तो उसकी पॉवर ऑफ हो जाती है. लेकिन जीजू आपकी स्पीड भी मस्त थी यार … मेरी चुत का तो एक बार में ही भोसड़ा बन गया.

इस चुदाई के बाद उस रात पिंकी ने अमर के लंड से दो बार और चुदवाया.

फिर पिंकी एक हफ्ते यानि सात दिन तक अमर के घर पर ही रुकी और उन दोनों ने इन दिनों में जम कर चुदाई की.

पिंकी भाभी भी अब एक बेटी की मां बन गई है जो कि अमर की चुदाई से ही हुई है.

आज भी वो दोनों एक साथ होने या मौका मिलने पर खुल कर चुदाई या कई बार तो साड़ी ऊपर उठा कर फटाफट वाली चुदाई कर लेते हैं. ऐसे मौकों पर पिंकी साड़ी के नीचे पेंटी नहीं पहनती ताकि चुदाई में आसानी रहे.

तो दोस्तो, कुछ ऐसी थी जीजा और सलहज की चुदाई की कहानी.
आप सबको कैसी लगी यह साड़ी वाली भाभी की चुदाई कहानी?
मुझे जरूर बताइएगा. आप अपनी प्रतिक्रिया मुझे मेल के द्वारा लिख सकते हैं.
धन्यवाद.
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