रिश्ते में बहन के साथ सेक्स सम्बन्ध- 2

देसी गर्ल हॉट स्टोरी में पढ़ें कि मैंने पड़ोस की लड़की को धोखेबाज बॉयफ्रेंड से बचाया तो वो मुझे चाहने लगी और आई लव यू बोल दिया. उसके बाद क्या हुआ?

दोस्तो मैं अगम, आपको अपने पड़ोस में रहने वाली और दूर के रिश्ते में लगने वाली बहन लवी की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
देसी गर्ल हॉट स्टोरी के पहले भाग
रिश्ते में लगी बहन की जवानी का अहसास
में अब तक आपने पढ़ा था कि लवी मेरे साथ बाइक पर बैठ कर मुझसे अपने मम्मे रगड़ रही थी.
फिर हम दोनों उसकी सहेली के घर आ गए.
उधर लवी की सहेली श्वेता और उसकी बहन नेहा मुझे बड़ी ही मस्त माल लग रही थीं.

अब आगे देसी गर्ल हॉट स्टोरी:

ऐसे ही हम चारों बात कर रहे थे. वो दोनों (श्वेता और लवी) पढ़ाई में लग गईं और मैं नेहा से बात करने लगा.

मैं नेहा को दीदी बोल रहा था क्योंकि वो मुझसे बड़ी थीं.

फिर लगभग 5 बजे पढ़ाई खत्म हो गई.

मैंने लवी को बाइक पर बिठाया और हम दोनों घर की तरफ निकल पड़े.
अबकी बार लवी ने मुझे टाइट पकड़ कर रखा था.
मैं जैसे ही ब्रेक लगाता, तो मुझे उसके चुचे मेरी कमर में गड़ जाते.

एक दो ऐसा हुआ तो लवी बोली- आराम से चलो.
मैंने स्पीड कम की और उससे बात करने लगा.

मैंने लवी से श्वेता की फैमिली के बारे में पूछा तो वो बोली कि वो दोनों यहां अकेली रहती हैं.
मैंने पूछा- क्यों?

वो बोली- उसके पापा बाहर रहते हैं और श्वेता की मम्मी की तभी डेथ हो गई थी, जब वो कम उम्र की थी. उसके पापा ने दूसरी शादी कर ली थी, पर जो उसकी नयी मम्मी हैं, वो श्वेता को तो पसंद करती हैं, पर नेहा को पसंद नहीं करती हैं. इस वजह से उनके घर में रोज लड़ाई होने लगी.
मैंने कहा- फिर?

लवी- जब श्वेता बड़ी हो गई, तब उसके मम्मी पापा यहां से बाहर शिफ्ट हो गए थे. वो दोनों नेहा को यहीं उसके मामा के यहां छोड़ कर जा रहे थे. उस पर नेहा ने कहा कि मैं अकेली रह लूंगी, मुझे किसी के सहारे की ज़रूरत नहीं है. फिर श्वेता भी उसी के पास रुक गई. अब तो उनका इस शहर में कोई नहीं है. उसके मामा भी बाहर चले गए हैं.

मैंने उनके खर्चे के बारे में पूछा तो वो बोली- अब 2 साल से तो नेहा की जॉब लग गई है. पर वैसे उसके पापा हर महीने एक अच्छा ख़ासा अमाउंट उन दोनों के अकाउंट में ट्रांस्फर करते हैं क्योंकि वो एक काफ़ी बड़े बिजनेसमैन हैं. तभी तो वो दोनों इतनी ऐशो आराम की ज़िंदगी जीती हैं और उनको कोई दिक्कत नहीं है. फिर अब तो नेहा का भी रिश्ता हो गया है और अगले साल उसकी शादी है. नेहा की शादी के बाद श्वेता भी अपने पापा के पास चली जाएगी.

ऐसे ही बात होते होते हम दोनों घर पहुंच गए.

अब ऐसे ही दिन बीतते रहे.

मेरी नेहा और श्वेता से भी अच्छी बात होने लगी थी क्योंकि मैं रोज उनके घर जाता था.

वैसे एक बात तो है. मैं लवी और श्वेता दोनों को काफ़ी अकड़ू सा एटिट्यूड में रहने वाली लड़कियां समझता था, पर मैं ग़लत था. मुझे अब पता चला कि वो काफ़ी अच्छी हैं और किसी नए बंदे के साथ फ्रेंक होने में थोड़ा टाइम लगाती हैं.

मैं अब लवी के साथ जब उनके घर जाता तो हम सभी थोड़ा बहुत घूम कर आया करते.
लवी से भी मेरी काफ़ी अच्छी बन रही थी.

कुछ दिन बीतने के बाद मैंने देखा कि लवी कुछ ज़्यादा ही परेशान सी रहने लगी है.
वो मुझसे वैसे तो काफ़ी फ्रेंक हो गई थी … पर वो न जाने क्यों कुछ उदास सी रहने लगी थी.
मैंने उससे पूछा, तो वो कुछ नहीं बताती थी.

ऐसे ही 3-4 दिन और निकल गए.

एक दिन मैं जब उसे श्वेता के यहां से घर ला रहा था, तो मैंने बीच रास्ते में एक ब्रिज पड़ता है, उस पर बाइक रोकी और उससे भी उतरने को कहा.

उस समय मैंने लवी से ज़ोर देकर पूछा- क्या हुआ अब बताओ.
पहले तो वो मना करने लगी- कुछ नहीं हुआ.

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फिर मैंने ज़्यादा ज़ोर दिया तो वो रोती हुई बोली- एक लड़का है, वो पहले मेरा ब्वॉयफ्रेंड था, मगर अब वो मुझे परेशान कर रहा है.
वो इतना कह कर चुप हो गई.

मैंने उसकी तरफ देखा.

वो आगे बोली- मुझे उससे बात नहीं करनी, पर वो मान ही नहीं रहा है. वो अब बोलता है कि मेरे घर आकर सबको सब बता देगा.
मैंने उससे पूछा- ऐसा वो क्यों बोल रहा है?

तो उसने बताया- वो कहता है कि या तो मैं उसके साथ जाऊं, जहां वो लेकर जाए. नहीं तो फिर अच्छा नहीं होगा.
मैं लवी की बातों से समझ गया कि वो क्या बोलना चाह रही है.

मैंने उस लड़के का नंबर लिया और मेरे जान पहचान के एक इंस्पेक्टर हैं, मैंने उनको वो नंबर दे दिया और उन्हें पूरी बात बता दी.
वो बोले- टेन्शन मत लो, मैं इस हरामी से बात करता हूँ. तुम कल एक बार मुझे इसी टाइम कॉल कर लेना.

अगले दिन मैं लवी को लेकर श्वेता के यहां गया और वहां से आते वक्त मैंने उन इंस्पेक्टर सर को कॉल किया.

वो बोले- मैंने उस लड़के को अच्छे से समझा दिया है, वो अब कुछ नहीं कहेगा.
मैंने फोन पर थैंक्स कहा और बाइक चलाने लगा.

कुछ देर बाद मैंने उसी ब्रिज पर उसी जगह बाइक रोक दी जहां हम दोनों ने कल खड़े होकर बात की थी.

मैंने उसे सब बताया और उससे बोला- अब तो सब ठीक है, अब क्यों मूड ऑफ कर रखा है?
वो बोली- यार मुझे बस थोड़ी टेंशन हो रही है कि कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए.

तभी उस लड़के की कॉल आई तो लवी ने फोन स्पीकर पर कर दिया.
उस लड़के ने लवी को सॉरी बोला और कहा- मैं आज के बाद मैसेज या कॉल नहीं करूंगा और ना ही तुमसे कुछ कहूँगा.

ये कह कर उसने फोन कट कर दिया.

फोन कट होते ही लवी ने मुझे एकदम ज़ोर से हग कर लिया.
फिर वो मुझसे अलग हुई और अपना चेहरा नीचे करके खड़ी हो गई.

मैंने अपने हाथ से उसका चेहरा ऊपर किया और कहा- अब तो खुश हो?
वो हंसती हुई बोली- हां अब मैं बहुत खुश हूँ. थैंक्यू अगम, तुमने मुझे बचा लिया.

ये कह कर उसने मुझे एक बार फिर से हग कर लिया.

फिर मैंने उसे बाइक पर बिठाया और वो मेरे पीछे से मुझे ज़ोर से हग करके बैठ गई.
हम दोनों घर आने लगे.

तभी रास्ते में एक गड्ढा आया तो मैंने ज़ोर से ब्रेक लगा दिए और लवी को झटका लगा तो उसे होश सा आया कि वो रास्ते में है.

वो अब ठीक होकर बैठ गई और हम दोनों घर आ गए.
उसने अन्दर जाते हुए मुझे फिर थैंक्स बोला.

मैंने भी बाइक घर में खड़ी की और बस ऐसे ही में उसके बारे में सोचता रहा.

न जाने क्यों अब मेरे मन में लवी को चोदने के ख्याल आने लगे.
अब मैं उसके बारे में सोचता रहता और उसे अपने ख्यालों में चोद देता.

इसी तरह दिन बीतने लगे.
मेरी और लवी की बातें भी बढ़ने लगीं.

अब तो हम दोनों व्हाट्सैप पर काफी देर देर तक बात करने लगे.
मुझे भी लगने लगा कि लवी मेरी ओर आकर्षित होने लगी है. पर मुझे ये भी लग रहा था कि वो अभी अभी अपने पहले ब्वॉयफ्रेंड वाले हादसे से गुज़री है, तो शायद इसी वजह से मेरे साथ ज़्यादा फ्रेंक न हो पा रही हो. मैंने कुछ कहा या किया तो कहीं उसे मेरी बात का बुरा ना लग जाए.

मैंने उसके बारे में गलत सोचना छोड़ दिया और उसी की तरफ से पहल होने का इन्तजार करने लगा.

फिर एक दिन लवी की कॉल आई- चलो.

मैंने बाइक निकाली और हम दोनों चल पड़े.
आज लवी का रवैया कुछ बदला हुआ था. वो ज़्यादा ही खुश और बिल्कुल खुली हुई लग रही थी. वो मुझे चिपक कर बैठी हुई थी.

वो बोली- आज मुझे श्वेता के यहां नहीं जाना.
मैंने पूछा- क्यों?
वो बोली- आज वो बाहर गई है.
मैंने उससे पूछा- तो हम फिर क्यों आए हैं?

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वो बोली- मेरा घूमने का मन है, प्लीज़ घूमने चलो कहीं.
मैंने ओके बोला और उसकी हरकतों को समझने लगा.
तब भी मैं जानबूझ कर अंजान बना हुआ था.

अब मैं उसे हाइवे पर ले गया और वो मुझे कस के पकड़े हुए थी.

काफी लम्बी ड्राइव के बाद मैं वापस आने लगा.
तो वो बोली- किसी दूसरे रास्ते से चलते हैं.

मैंने उससे ओके बोला और हम दोनों दूसरे रास्ते से जाने लगे थे.
उधर कुछ सुनसान सा क्षेत्र था.

लवी बोली- रूको जरा.
मैंने बाइक रोकी और पूछा- क्यों क्या हुआ?
वो बोली- ज़रा रूको तो यार!

मुझे उस जगह के बारे में पता था कि वहां कोई नहीं आता जाता है. मुझे भी कुछ कुछ समझ आ रहा था.

वो बाइक से उतरी, तो मैं भी उतर गया.

लवी ने मुझसे कहा- मुझे कुछ बात करनी है … प्लीज़ मना मत करना.

मैंने हां बोला तो लवी ने मुझे ज़ोर से हग किया और बोली- आई लाइक यू … एंड आई लव यू.
मैंने भी उसे आई लव यू कहा.

वो मुझसे अलग हुई और बोली- झूठ?
मैंने कहा- नहीं यार सच में!

वो बोली- तो तुमने पहले क्यों नहीं कहा?
मैंने उससे कहा- यार सच बताऊं, तो बात ये है कि भले ही हम दूर के रिश्तेदार हैं, पर रिश्ता तो हमारा भाई बहन वाला है. मुझे लगा कहीं तुम्हें बुरा ना लग जाए, इसी लिए नहीं कहा. तुम ये ना सोचो कि सभी लड़के एक जैसे होते हैं. फिर तुम अभी उस लड़के के जाल से निकली हो, तो कुछ गलत ना सोचने लगो.

वो बोली- यार तुम में और उस लड़के में बहुत अंतर है … और हां मुझे पता है कि हम भाई बहन लगते हैं, पर मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है. हमने तो सही से अपनी रिश्तेदारी भी नहीं पता कि हम भाई बहन लगते कैसे हैं.
मैंने उससे कहा- यार मैं एक बात साफ बोलता हूँ … कभी बाद में गड़बड़ हो गई तो तुम कुछ कहने न लगो.

वो बोली- हां बोलो.
मैंने उससे कहा- हमारा एक जीएफ बीएफ के अलावा और कोई फ्यूचर नहीं है. फिर कभी बाद में तुम कुछ बोलो, तो उसके लिए अभी सॉरी बोलता हूँ. अगर तुमको बुरा लगा तो सॉरी, लेकिन सच ये ही है.

वो कुछ उदास होकर बोली- हां बाबा, मुझे पता है … और तुम मुझे इसलिए भी अच्छे लगते हो कि तुम सब बात साफ़ साफ़ बोलते हो. और हां वैसे भी किसी और पर भरोसा करने के बजाए मैं किसी अपने पर भरोसा करना ज़्यादा पसंद करूंगी.

मैं उसे देखने लगा और मुस्कुराने लगा.
वो भी स्माइल देती हुई बोली- अब बहुत बातें हो गईं, अब कुछ मीठा हो जाए.

ये कह कर वो अपना चेहरा मेरे करीब लाने लगी.
मैं भी उसके होंठों की ओर बढ़ने लगा.

हम दोनों बस किस करने ही वाले थे कि तभी मुझे कुछ आवाज़ आई जैसे कोई कार आ रही हो.

मैं एकदम से पीछे हटा और उससे बोला- यार अभी तो यहां से चलते हैं. यहां कोई आ सकता है.

इससे पहले वो कुछ बोलती, मैंने बाइक स्टार्ट कर दी.
मैंने उसे बिठाया और वहां से निकल गया.
हम दोनों घर आ गए.

घर जाने के बाद मेरी लवी से व्हाट्सैप पर बात हो रही थी तभी मुझे घर वालों ने कुछ काम बता दिया और मैं उस काम में लग गया.

फिर जब रात हुई तो 9 बजे के आस पास लवी से बात हुई और वो ही ‘लव यू सोना … मिस यू बेबी … वगैरा वगैरा चलने लगा.

इधर मेरा मन तो लवी को चोदने का कर रहा था. मेरे मन में उसके वो बड़े बड़े चुचे आने लगे थे.

दोस्तो, मुझे मालूम है कि आपका लंड भी मेरी जान लवी की जवानी की झलक पाने के लिए तड़फने लगा होगा.
देसी गर्ल हॉट स्टोरी के अगले भाग के साथ जल्दी ही पेश होता हूँ.
आप मुझे मेल करना न भूलें.
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