हेलो दोस्तो, मेरा नाम अरुण है और मेरी उमर अब 20 साल है. मैं दिखने मे काफ़ी हॅंडसम हूँ और जिम भी जाता हूँ तो मेरी बॉडी काफ़ी अछि बन रखी है. मैं हरिद्वार मे रहता हूँ. मेरे लंड का साइज़ काफ़ी अछा है और मैं इतना जनता हूँ की एक चूत की तड़प को मेरा लंड अछे से शांत कर सकता है.
आज मैं आपके लिए एक कहानी ले कर आया हूँ जो की आपको बहोट ज़्यादा पसंद आएगी. पर अब मैं अपनी कहानी शुरू करने से पहले थोड़ा बहोत अपने बारे मे भी बता देता हूँ.
मैं आज जो ये कहानी ले कर आया हूँ वो आज से 4 साल पुरानी है. क्योकि ये स्टोरी मेरे स्कूल टाइम की है जब मैं सेक्स के बारे मे इतना कुछ नही जनता था. पर हाँ मुझे जितनी भी सेक्स की नालेज थी वो मेरे दोस्तो ने मुझे दी थी. मुझे पहले ये सब अछा नही लगता था पर दोस्तो के मूह से सुन कर मुझ मे भी तोड़ा बहोत इंटेरेस्ट आने लग गया था.
मेरे दोस्तो की तो गर्लफ्रेंड भी थी पर मेरी तब कोई गर्लफ्रेंड नही थी और तब मुझे इसका इतना पता भी नही था और ना ही मुझे लड़कियों मे कोई इंटेरेस्ट था.
पर हाँ मैने दो या टीन बार मूठ ज़रूर मारी थी पर उसके बाद भी मुझे इन सबका कोई नशा नही हुआ था. अब दोस्तो आज मैं जो कहानी आपके लिए ले कर आया हूँ उसमे क्या कुछ हुआ, केसे हुआ वो सब आपको धीरे-धीरे पता चलेगा.
तो चलिए बिना कोई समये गवाए आपको अपनी कहानी पर ले कर चलता हूँ.
ये बात तब की है जब मेरी **त क्लास ख़तम हो गयइ थी और मैं अब आयेज -1 मे मेडिकल लेना चाहता था. पर मैं जिस स्कूल मे करना चाहता था वो वाहा न्ही था. वो वाहा था झा मेरे पापा का एक दोस्त रहता था. और वो अंकल मुझसे बहोत पायर करते थे और वो मुझे अपने पास रहने के लिए पापा को कहते रहते थे.
पर अब जब स्कूल की बात आई तो मुझे पापा ने उन अंकल पास पड़ने के लिए भेज दिया था. अंकल का नाम राजेश था और उनके घर पर उनकी वाइफ, उनका बेटा और बेटे की वाइफ रहती थी.
अंकल मेरे घर आने से बहोट ही ज़्यादा खुश थे और मुझे अंकल साथ तोड़ा कंफर्टबल फील भी होता था.
अंकल एक गवर्नमेंट जॉब मे थे और आंटी हाउस वाइफ थी. उनका बेटा आर्मी मे था और असम मे रहता था. उसके असम मे रहने की वजह से वो अपनी बीवी से अलग रहता था और भाभी यही अंकल आंटी साथ रहती थी.
मैं अब जब घर पर आया तो मुझे देख कर सारे खुश हो गये और अंकल और आंटी ने मुझे तो गॅल से ही लगा लिया. मैं तब अपने पापा साथ आया था और फिर हम सोफे पर बैठ गये और तब मैने भाभी को देखा जो हुमारे लिए चाइ ले कर आ रही थी.
मैं भाभी को देखते ही बस देखता ही रह गया और मुझे कुछ समझ नही आ रा था की मुझे ये क्या हो रा है. अब पापा मुझे वाहा छोड़ कर और थोड़े पैसे देकर वाहा से चले गये. मैं वाहा पहले तो थोड़े अनकंफर्टबल फील कर रा था पर ये तो आप भी जानते हो की किसी नयी जगह पर सेट्ल होना या मन लगना कितना मुश्किल होता है.
ठीक वेसए ही मेरे साथ भी हुआ. अंकल मेरे साथ बाते करते रहते थे जिससे मुझे कुछ अनकंफर्टबल फील ना हो और फिर अंकल ने मुझे एक अलग से रूम भी दे दिया जिसमे मैं आराम से बैठ कर पड़ सकता था और वही पर मैं सोता था.
मुझे ये जान कर काफ़ी खुशी मिली और फिर मैं अपने नये रूम मे रहने लग गया. भाभी जिनको देखते ही मैं थोड़ा पागल सा हो गया था उनके बारे मे भी आपको बता देता हूँ.
भाभी का नाम रिचा था और उसका फिगर बहोट ही कमाल का था पर हाँ उसका रंग सांवला था पर उसका फेस काफ़ी अट्रॅक्टिव था. मैं अब भाभी साथ भी काफ़ी आछे से मिक्स उप हो गया था और भाभी मेरी स्टडी मे हेल्प भी करवा दिया करती थी.
मैं पड़ाई अक्सर अब उनके कमरे मे कर लिया करता था क्योकि वो मेरी हेल्प भी करवाती थी और काई बार तो मैं उनके कमरे मे ही सो जाता था. भाभी अब मेरे साथ काफ़ी मज़ाक भी कर लिया करती थी और मैं भी भाभी साथ मज़ाक करलिया करता था.
भाभी मुझसे मेरे बारे मे पूछती थी की मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है क्या. तो मेरा हर बार यही जवाब होता था की भाभी मुझे गर्लफ्रेंड की क्या ज़रूरत है. अगर आप हो तो कोई ज़रूरत भी नही है क्योकि मैं आपसे ही बाते मार लेता हूँ.
मेरी बाते सुन कर भाभी मुझे लल्लू राम बोलने लग गयइ और फिर उन्होने मुझसे पूछा की तू फिर जिम जाता है वाहा भी कोई लड़की पसंद नही आई. तब भी मेरे मूह से बस ना ही निकली और फॉर भाभी हास पड़ी.