रसीली पड़ोसन की चुदाई कथा में पढ़ें कि मेरी नजर पड़ोस की एक कमसिन लड़की पर थी. पर शायद उससे पहले उसकी भाभी मेरी किस्मत में थी.
मैं शिवम, मेरी बहुत सारी कहानियाँ पर प्रकाशित हुई हैं.
अच्छा लगता है जब आप कहानी के बारे में मेल करते हैं.
ऐसा लगता है मेहनत वसूल हो गई.
अपनी अगली गरम सेक्स कहानी आपको सुनाने जा रहा हूं. आज की रसीली पड़ोसन की चुदाई कथा हमारे घर में किराए पर रहने आए परिवार की है.
वो 5 लोगों का परिवार था.
अंकल आंटी 50 साल की उम्र के आस पास के थे. उनके अलावा परिवार में उनका बेटा, बहू और उनकी बेटी थे.
जब ये लोग ऊपर वाले फ्लोर पर रहने आए, तो मेरी नजर उनकी जवान बेटी श्रुति पर टिक गई.
श्रुति अभी 20 साल की थी. उसकी बिल्कुल स्लिम बॉडी और वो पांच फुट ऊंची एक साधारण सी लौंडिया थी.
उसकी चूचियों के नाम पर दो छोटे छोटे निशान से थे … शायद वो कुपोषण का शिकार हो गई है.
काफी दिन साथ रहने के बाद समझ आया कि वो पूरा दिन बस पढ़ती रहती है इसलिए खाने पीने पर ध्यान नहीं देती.
मैं उसकी छाती पर चूची टटोलने की कोशिश में था कि कभी मौका मिल जाए तो दबा दबा कर उसके चूचों को हरा-भरा कर दूँ.
मैंने काफी दिनों तक मेहनत की पर उसने मौका नहीं दिया.
पर मेहनत तो रंग लाती ही है.
एक दिन मैं फोन पर बात करते हुए घर के बाहर सिगरेट पीने में लगा था क्योंकि घर में पीता तो कुटाई होती.
तभी ऊपर से एक चोली मेरे सामने सड़क पर गिर गई.
तो मैंने अचानक ऊपर देखा. मुझे वहां कोई दिखा नहीं, बस रस्सी पर लटके हुए कुछ कपड़े दिखे, जो धूप में सूखने के लिए वहां टांग देते हैं.
चोली को मैंने उठाया और घर में अन्दर आने लगा तो ऊपर वाली भाभी सीढ़ी से नीचे आती हुई दिखाई दीं.
मैंने मस्ती करने की सोची और चोली को जींस की जेब में डाल लिया.
भाभी बाहर गईं और ढूंढने के बाद वापस आईं.
उन्हें मैं दिखा तो भाभी ने मुझसे कहा- बाहर एक कपड़ा गिर गया था, जहां तुम खड़े थे. क्या तुमने देखा है?
मैंने कहा- कौन सा कपड़ा भाभी?
तो वो चारों तरफ देखने लगीं और चुप होकर ऊपर चली गईं.
मैं अपने कमरे में आया और चोली निकाल कर देखने लगा.
वो लाल रंग की थी और 34 B साइज था.
अब मैं सोचने लगा कि ये चोली किसकी होगी.
क्योंकि श्रुति का साइज तो बहुत कम है.
या तो ये चोली भाभी की है या फिर आंटी की.
मैं उस चोली में क़ैद होने वाले चूचों को सोचते हुए बाथरूम में घुस गया और अपना लंड चोली में लपेट कर हिलाने लगा.
उफ्फ … ऐसा लगा जैसे सच में चूची के बीच में लंड डाल कर धक्के लगा रहा हूं सच में मुठ मारने में बड़ा मजा आया.
मैंने चोली में ही अपना पानी निकाल दिया.
अब मैं वापस आया और चोली को बेड के सिरहाने की दराज में रख दिया और उसे लॉक कर दिया.
इसके दो दिन बाद शाम को मैं फोन पर बात कर रहा था, तब भाभी सीढ़ी पर आईं और मुझे बुलाया.
मैं चला गया.
वो बोलीं- तुम्हारा नाम शिवम है न?
मैंने बोला- हां शिवम ही है.
वो बोलीं- इतने दिन से हम इस घर में रह रहे हैं, तुम तो बात ही नहीं करते हो.
मैंने कहा- वो घर में सब होते हैं तो अच्छा नहीं लगता. आपके हसबैंड को बुरा लगेगा.
इस पर भाभी बोलीं- आज तो कोई नहीं है … अब तो बात कर सकते हो.
मैंने कहा- हां क्यों नहीं. बताओ क्या बात करनी है?
भाभी शरारती मुस्कान के साथ बोलीं- यार, तुम जिस एटीट्यूड में बात कर रहे हो … वैसे हो नहीं.
मैं- तो कैसा हूँ भाभी?
भाभी- अच्छा … भाभी भी बना लिया!
मैं- तो और बताओ … क्या बनना है?
भाभी एकदम से हड़बड़ा कर बोलीं- नहीं, भाभी ही ठीक है.
इस तरह से हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी खुल गए.
भाभी लगातार शरारती मुस्कान के साथ बात कर रही थीं और मैं भी उनके करीब जाना चाहता था.
मैंने भी मौके का फायदा उठाया और मजा लेता रहा.
फिर भाभी बोलीं- अच्छा एक बात सच सच बताओगे?
मैं- हां भाभी, एक क्या … दो पूछो.
भाभी- दो नहीं, बस ये बताओ कि उस दिन तुमने सच में नहीं देखा था ब्रा को … और …
वो यही बोलती हुई रुक गईं.
मैं समझ गया कि भाभी शर्मा गई हैं.
अब अगर मैंने इनसे खुलकर बात नहीं की तो ये भी खुल नहीं पाएंगी.
बस मैंने चौका मार दिया- अच्छा वो ब्रा आपकी है?
तभी भाभी बोलीं- हां मेरी है.
मैं- मुझे पता नहीं था.
भाभी अब थोड़ा खुल गईं- तो फिर उस दिन क्यों नहीं बताया?
मैं- उस दिन बताता तो ये कैसे पता चलता कि वो ब्रा आपकी है.
भाभी- ऊपर से गिरी थी, तो मेरी नहीं तो और किसकी होगी?
मैं- नहीं, ऊपर तो आपके अलावा दो लेडीज और भी हैं न!
भाभी- अरे यार उसका साइज तो देखते … मम्मी की कितनी बड़ी हैं … और श्रुति तो ब्रा पहनती ही नहीं है.
भाभी ये बोल कर फिर से चारों तरफ देखने लगीं जैसे कोई और हमारी बात सुन ना ले.
मैं- भाभी, इतने दिन से मुझे आपका नाम तक पता नहीं चला, तो ये कैसे पता चलता कि कौन कौन पहनती है.
अब भाभी मुस्कुराने लगीं.
मैंने भी उनकी मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराकर दिया.
भाभी- चलो, अब तो वापस कर दो.
मैं- ओके भाभी, पर आप ये बात किसी को बोलना मत प्लीज.
भाभी- ओके नहीं बोलूंगी.
मैं अन्दर गया और बेड में से ब्रा निकाल कर बाहर आने लगा.
पर भाभी खुद ही कमरे तक आ गईं तो मैंने वहीं पर उनके हाथ में वो लाल चोली दे दी.
भाभी इस चोली को उलट पलट कर देखने लगीं.
मैं समझ गया कि वो वीर्य के निशान ढूंढ रही हैं.
भाभी- तो तुमने यूज भी की और साफ भी नहीं की.
मैं- अरे भाभी साफ करता तो आपके जिस्म की खुशबू कैसे महसूस करता.
भाभी हल्के से मुस्कराईं पर बोली कुछ नहीं.
मैं- भाभी एक बार दिखाओ ना प्लीज?
भाभी- अरे तुम्हारी मम्मी आ गईं तो!
मैं- वो मार्केट गई हैं.
भाभी- हां, मेरी मम्मी भी गईं. शायद दोनों साथ ही गई हैं.
अभी अंकल और रोहित भैया दोनों ड्यूटी गए हैं और श्रुति पढ़ती रहती है. नीचे मेरे पापा ड्यूटी गए हैं और मम्मी और आंटी दोनों मार्केट में थीं, तो मुझे ये अच्छा मौका मिला था.
मैं- भाभी प्लीज दिखाओ ना!
भाभी- ओके, गेट बंद कर दो.
मैं दौड़ कर गया और मैंने गेट लॉक करके वापस आ गया.
भाभी वहीं खड़ी कुछ सोच रही थीं.
मैं भाभी के नजदीक गया और उनके पीछे से भाभी की कमर पर हाथ रख दिया.
भाभी भी मेरी तरफ सरक आईं ओर मुझे बिना बोले ही हां का इशारा करने लगीं.
मैंने उन्हें गर्दन पर किस किया तो वो भी मस्ती में आ गईं और उन्होंने मेरी जींस की जिप पर हाथ रख दिया.
मैं पूरी तरह समझ गया कि ये रसीली भाभी आज चूत का पानी निकलवा कर ही ऊपर जाएंगी.
मैंने भाभी को गोद में उठा लिया और बेड पर बैठा दिया, भाभी को होंठों पर किस करने लगा.
वो भी मेरी कमर पर अपने हाथ बांधकर जोर से हग करने लगीं.
उनके होंठों को चूसने में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि वो भी अपने होंठों से मेरे होंठ चूस रही थीं.
कुछ ही देर में मैं पागल हो गया.
मैंने एक मिनट में ही अपनी जींस शर्ट बनियान निक्कर सब उतार दिया और बेड पर चढ़ गया.
मैंने भाभी की साड़ी उतारने के लिए उनका पल्लू पकड़ा तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया.
वो बोलीं- साड़ी पहनने में बहुत टाइम लगता है. तुम रुको, मैं एडजस्ट करती हूं.
उन्होंने अपना पल्लू हटाया और ब्लाउज के हुक खोल दिए.
मुझे अब भी याद है कि उनके ब्लाउज में चार हुक लगे थे क्योंकि हर एक हुक के साथ उनका जिस्म दिखता जा रहा था.
फिर भाभी खड़ी हुईं और साड़ी को घुटनों तक ऊपर करके उन्होंने अपनी पैंटी उतार दी.
अब भाभी फिर से बैठ गईं और अपनी ब्रा के हुक खोलने लगीं.
मैंने उनकी कमर के पीछे हाथ ले जाकर हुक खोल कर दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया.
मैं खड़े खड़े ही भाभी के चूचे को चूसने लगा और भाभी मेरा सिर दोनों हाथों से सहलाने लगीं.
बड़ा मज़ा आ रहा था, उनके दोनों आम चूस कर मन कर रहा था कि बस दबा दबा कर रस निकालता जाऊं.
भाभी धीरे से बोलीं- ज्यादा टाइम नहीं है … अब आगे करें!
मैंने भाभी के आम छोड़ दिए और वो साड़ी ऊपर खींच कर लेट गईं.
मैंने अपना लंड उनके चूत पर रखा और एक ही बार में घुसा दिया.
आह के साथ भाभी ने दोनों हाथों से मुझे अपने ऊपर आने का इशारा कर दिया.
मैं उनके ऊपर लेट गया और उनके कोमल बदन पर होंठ फिराने लगा, फिर से उनकी एक चूची पर मुँह रख कर चूसने लगा.
भाभी मेरी कमर पर हाथ फेरने लगीं और मैं धक्के लगाता रहा.
मैं भाभी की नाजुक चूची चूसते चूसते खो गया और पता ही नहीं चला कि कब मेरे धक्के लगाने की रफ्तार बढ़ गई.
मैं उनकी चूत में ही झड़ गया तो भाभी ने गहरी सांस ली और अपने हाथ मेरे कमर पर रख दिए जैसे वो अब रुकने को बोल रही हों.
मैं भी भाभी के लेफ्ट वाली चूची पर अपना चेहरा रख कर लेट गया.
हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे. मेरा मन फिर से भाभी को चूसने को हुआ.
मैंने भाभी के गर्दन को चूसना चालू किया और फिर से होंठ गाल चूची सब चूसने लगा.
तभी भाभी ने मेरा लंड पर हाथ रखा और उसे चूत में दबाने लगीं.
मैंने थोड़ा ऊपर उठ कर भाभी की मदद की … और लंड फिर से अन्दर डाल दिया.
मैं फिर से भाभी को चोदने लगा और और उनकी चूची को हाथ से मुँह से चूसता रहा, दबाता रहा.
अब भाभी को भी मजा आ रहा था, वो भी बेड के नर्म गद्दे पर अपनी गांड उठा कर धक्के लगाने लगी थीं.
मैंने भाभी को बोला- अब आप ऊपर आ जाओ.
भाभी ने भी हां में इशारा किया.
मैं नीचे लेट गया और वो मेरे दोनों पैरों के ऊपर खड़ी हुईं और झुक कर लंड हाथ में पकड़ लिया.
फिर भाभी मेरे लंड पर धीरे धीरे बैठने लगीं.
मैंने उनकी कमर पकड़ी और एक ही बार में पूरा लंड घुसा दिया.
भाभी एकदम से सिहर उठीं और वो झट से ऊपर उठ गईं.
इससे लंड फिर से बाहर निकल गया.
भाभी बोलीं- तुम रुको, मैं खुद डाल लूंगी.
तब भाभी ने धीरे धीरे करके लंड अन्दर डाल दिया और मेरे सीने पर हाथ रख कर अपनी कमर हिला हिला कर लंड को चूत में रगड़ने लगीं.
वो धक्के तो नहीं लगा रही थी पर मुझे उनकी चूत में लंड रगड़ कर अच्छा लग रहा था.
मैं दोनों हाथों से भाभी के चूचों को पकड़ कर उन्हें बुरी तरह रगड़ने लगा तो भाभी दर्द से सिसकारियां भरने लगीं- आंह धीरे धीरे करो … आंह दर्द होता है.
मैं चूची को धीरे से सहलाने लगा वो तो मस्ती से चुत लंड पर रगड़ रही थीं और उनकी आवाज भी अब बहुत कामुक हो गई थी.
फिर कुछ देर बाद वो तेजी से अपनी गांड वाला हिस्सा हिलाने लगीं.
उफ्फ … मस्त लग रही थीं भाभी.
उनकी चूत में से पानी निकल गया और भाभी मेरे ऊपर गिर गईं.
अब मैंने भाभी की कमर पर दोनों हाथ बांधे और करवट ले ली.
इससे भाभी लंड घुसवाए हुए ही नीचे आ गईं.
मैंने ऊपर से धक्के लगाने शुरू किए और वो मस्ती में डूबी रहीं.
मैं पानी निकलने तक उनके जिस्म को चूसता रहा. फिर झड़ कर उनके ऊपर ढेर हो गया.
रसीली पड़ोसन की चुदाई पूरी हो गई थी.
अब मुझे उनकी ननद की सपाट छाती को फुलाना था और उसे भी लंड का मजा देना था.
अगली गरम सेक्स कहानी में आपको वो सब बताऊँगा.
आप कमेंट्स जरूर करें कि यह रसीली पड़ोसन की चुदाई कथा कैसी लगी?