प्यासी जवानी के अकेलेपन का इलाज़-5

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इस डर्टी सेक्स स्टोरी में अब तक आपने पढ़ा कि दो बार चुदाई करवाने के बाद पूजा पेशाब के लिए टॉयलेट जाने लगी तो मैंने उससे पेशाब की धार का मजा लेने की इच्छा जाहिर की. पूजा ने मुझे टॉयलेट के फर्श पर लिटा दिया.
अब आगे…

तब पूजा मेरे मुँह के पास अपनी चूत रख कर मेरे सीने के ऊपर अपनी चूतड़ रख कर बैठ गयी. बैठने के बाद पूजा ने एक बार झुक कर मुझे चूमा और फिर मेरा सर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी चूत से पेशाब की धार छोड़ दी. पूजा की चूत से निकलती धार ठीक मेरे मुँह पर गिर रही थी और पूजा ने मेरे सर को पकड़ रखा था. इसलिए मैं अपना मुँह खोल कर पूजा की चूत से निकलते पेशाब की धार को पीने लगा.

कुछ 3-4 मिनट तक पेशाब की धार लगातार चल रही थी और फिर रुक रुक कर मेरे मुँह पर गिरने लगी. मैं समझ गया कि पूजा की पेशाब की थैली खाली हो गयी है. तब मैं अपना हाथ उठा कर पूजा की दोनों चूचियों को पकड़कर मसलने लगा.

पेशाब खत्म होते ही पूजा मुझसे बोली- कैसा लगा मेरी चूत से निकलती पेशाब की धार पीकर? मज़ा आया या नहीं?
मैं पूजा से बोला- यार मज़ा आ गया. मैंने तो कहीं एक किताब में पढ़ा था कि हसीन औरतों की पेशाब का टेस्ट भी बहुत अच्छा होता है. आज तुमने अपनी पेशाब पिला कर वो बात साबित कर दी. सही मैं तुम्हारी इतनी सुंदर चूत से निकलते पेशाब की धार देख कर आज मैं धन्य हो गया.
वो मुझे मुग्ध होकर देखने लगी.

मैंने पूजा से पूछा- अब क्या प्रोग्राम है?
तब पूजा बोली- अरे अभी तो रात बहुत बाकी है और इसका पूरा का पूरा फ़ायदा मुझे उठाना ही है.
मैं बोला- ठीक है.

तब पूजा मेरे ऊपर से उठ कर खड़ी हो गई और बोली- क्या तुम्हें पेशाब नहीं करना? चलो अभी तुम भी पेशाब कर लो, फिर हम लोग फिर से पलंग पर चलते हैं.

मैं तब उठ कर अपना लंड अपने हाथ से तान कर पेशाब करने की तैयारी करने लगा. तभी पूजा ने आगे बढ़ कर मेरे लंड को पकड़ लिया और बोली- अरे मैं हूँ ना? तुम खुद क्यों पकड़ते हो अपना लंड. लाओ मुझे पकड़ने दो तुम्हारा लंड.

इतना कह कर पूजा ने मेरे लंड को पकड़ लिया और बोली- चलो मेरे राजा, अब मुझे भी दिखलाओ तुम्हारे लंड से निकलते पेशाब की धार को.

मैं पूजा की चूचियों को पकड़ कर पेशाब करने लगा. मुझे पेशाब करते हुए अभी सिर्फ़ 10-15 सेकेंड्स ही हुए थे कि पूजा झुक कर मेरा लंड जिसमें से अभी भी पेशाब निकल रहा था, अपने मुँह में भर लिया और मेरी तरफ देख कर मुझे आंख मार दी.

पूजा मेरे लंड को अपने मुँह में भर कर मेरे पेशाब को गटगट पीने लगी और जब मेरा पेशाब निकालना बंद हो गया तो मेरे लंड को मुँह से निकाल कर जीभ से अपने होंठों को साफ करते हुए बोली- मज़ा आ गया. मुझे बहुत दिनों से इच्छा थी कि मैं किसी जवान मर्द के तगड़े लंड से निकलता हुआ पेशाब पी लूँ.. और आज मेरी इच्छा पूरी हुई. थैंक्स.

मैंने आगे बढ़ कर पूजा को चूम लिया और हम लोग वापस कमरे में आ कर पलंग पर बैठ गए. पूजा झट से लेट गयी और मेरे सीने में अपना एक हाथ फेरती रही.

थोड़ी देर के बाद मैं पूजा से बोला- यार, तू बहुत ही सेक्सी चीज़ है. मुझे तो लगता है कि तूने अब तक बहुत से लंड अपने चुत को खिलाए होंगे. बोल ना कितने लंड खाए अब तक?
पूजा मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा दी और बोली- मुझे तो अब याद भी नहीं कि मैं अब तक कितने लंड खा चुकी हूँ अपनी चूत से. छोड़ो ये सब बातें और चलो हम लोग फिर से अपनी चुदाई की गाथा शुरू करें.

मैं अपने एक हाथ से पूजा की गांड को सहलाता हुआ बोला- यार मेरी जान, तुम उस समय इतना बिदक गयी जिसका कोई इन्तेहा नहीं.. मुझे तो ऐसा लगा कि सचमुच मुझे अपने ऊपर से हटा कर तुम अपने कमरे में सोने के लिए चली जाओगी और मैं अपने लंड पर मुठ मारता सो जाउंगा.
पूजा बोली- और क्या.. मुझे बहुत गुस्सा आ गया था.. तुम बात ही ऐसी कर रहे थे. जब औरतों को मरवाने के लिए भगवान ने चूत दी है तो गांड क्यों मरवाई जाए?

तब मैंने पूजा से बोला- अच्छा छोड़ो और एक छोटी सी कहानी सुनो.
पूजा बोली- इरशाद, इरशाद.

हां तो एक शहर में तुम्हारे पति जैसे मेरा मतलब जिनको सिर्फ़ गांड मारने या मरवाने में ही मज़ा आता है, वैसे लोग बहुत हो गए और उनकी संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही थी. कुछ दिनों के बाद उस शहर की रंडियों ने जाकर अदालत का दरवाजा खटखटाया. जब मजिस्ट्रेट साहब अपनी कुर्सी पर बैठ गए और बोले कि क्या बात है? तब रंडियों ने अपनी फरियाद सुनाई और वो भी ऐसे:

ए हुज़ूरे जानेमन
चार चार महीने हो गए खोले इजारबंद*
लड़के मरवायें गांड
और अपनी दुकान बंद!

*नाड़ा
मजिस्ट्रेट साहब ने उनकी बात सुन ली और थोड़ी देर सोचने के बाद बोले:

ये गुलबदन जाने चमन
सुन फरियाद तुम्हारी हम
बात मानो मेरी
तुम भी मरवावो गांड और
अपनी चूत करो बंद!

मेरे कहानी सुन कर पूजा खिलखिला कर हंस दी और बोली- तुम बहुत शैतान हो, औरतों को कैसे काबू किया जाता है, वो तुम्हें सब मालूम है. अच्छा अब बहुत हो गया है और थोड़ी देर में सुबह भी हो जाएगी. लाओ तुम्हारा लंड मेरे मुँह के पास कर दो, मुझे तुम्हारा लंड का रस चूस चूस कर पीना है.
“अभी लो पूजा रानी, और मुझे एक बार फिर से तुम्हारी चूत को चाट चाट उसका रस पीना है.”

मैंने पूजा के मुँह के पास अपना लंड रख कर ये कहा. पूजा ने मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़कर अपने मुँह में भर लिया और मैं भी पूजा की चूत से अपना मुँह लगा दिया. मैं पूजा की चूत अपने उंगलियों से खोल कर जीभ डालने लगा. मेरी जीभ जितनी अन्दर जा सकती थी, उतनी अन्दर डाल कर उसके रस को चाट चाट कर पीने लगा. पूजा भी मेरे लंड को पकड़ कर चूसने लगी और कभी चाटने लगी. मैं पूजा की चूत चाटते हुए कभी कभी उसकी गांड में अपनी उंगली फेर रहा था और जब जब मैं गांड में उंगली फेर रहा था, तब तब पूजा अपनी गांड को भींच रही थी.

थोड़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा. फिर पूजा मेरे लंड को अपने मुँह से निकाल कर बोली- क्यों मेरी गांड के पीछे पड़े हो? तुम्हें चूत का मजा चाहिए था और तुम्हें चूत का मजा मिला. अब मेरी गांड पर से अपनी नज़रें हटा लो और चलो अब मुझे आगे से चोदो. मैं अब फिर से अपनी चूत से तुम्हारा मोटा लंड खाने के लिए तैयार हूँ.
तब मैंने पूजा की चूत से अपना मुँह हटाते हुए कहा- अरे पूजा रानी, क्यों नाराज़ हो रही हो. तुम्हें गांड नहीं मरवानी है, मत मरवाओ. लेकिन मुझे कम से कम अपनी गांड से खेलने तो दो?
तब पूजा बोली- ठीक है, लेकिन मेरी गांड में ना तो उंगली करना और ना ही अपना लंड पेलना.

इतना कह कर पूजा ने अपनी पीठ के बल लेट कर अपने पैरों को ऊपर उठा दिया और बोली- चलो पेलो अपना लंड मेरी चुत में.. और फाड़ दो मेरी चूत अपने लंड के धक्के से.
मैंने तब पूजा की चूची दबाते हुए बोला- पूजा रानी, मैं अब तुम्हें कुत्ते की तरह पीछे से चोदना चाहता हूँ. चलो अब तुम कुतिया बन जाओ.
पूजा मेरी बातों को सुन कर बोली- अरे मैं तो कुतिया पहले से ही बन गयी हूँ और तभी तो तुम्हारे मोटे लम्बे लंड से अपनी चूत चुदवा चुकी हूँ. चलो तुम कहते हो तो मैं तुम्हारे लिए कुतिया बन जाती हूँ और तुम मुझे एक कुत्ते की तरह से चोदो.

इतना कहकर पूजा अपने घुटनों के बल बिस्तर पर उल्टी हो गयी और उसने अपने हाथों को बिस्तर पर रख दिया. मैं झट से उठ कर पूजा के पीछे आ गया और जैसा कुत्ता कुतिया की चूत सूंघता है.. वैसे मैं भी पूजा की चूत सूंघने लगा. मेरी हरकतों को देख पूजा हंस पड़ी. मैं अपनी जीभ निकाल कर पूजा की चुत को पीछे से चाटने लगा और पूजा भी अपनी कमर को हिला हिला कर और घुमा घुमा कर अपनी चूत मुझसे चटवाती रही.

थोड़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा, फिर मैंने अपना मुँह उठा कर पूजा की गांड को चूम लिया और उसकी गांड के छेद पर अपनी जीभ लगा दी. पूजा चिहुंक उठी, लेकिन कुछ नहीं बोली. मैंने फिर पूजा की गांड के छेद से अपनी जीभ लगा दी और फिर उसकी गांड को चाटने लगा. पूजा तब भी चुप रही.
फिर मैंने अपनी एक उंगली पूजा की गांड से लगायी, तो पूजा उछल पड़ी और बोली- साले भड़वे, क्या तेरे को मेरी चूत पसंद नहीं है? कब से तू मेरी गांड के पीछे पड़ा हुआ है. मैं पहले भी बता चुकी हूँ और फिर बोल देती हूँ कि मुझे गांड नहीं मरवानी है. तुम मेरी चुत को चाहे जितना चोद लो, मुझे कोई इतराज़ नहीं, लेकिन गांड में मैं लंड नहीं लूँगी. लगता है तू भी मेरे पति जैसा गांड का शौकीन है.

तब मैंने पूजा की गांड को छोड़ दिया और उसकी चुत के मुहाने से अपने लंड का सुपारा लगा दिया. लंड का सुपारा लगते ही पूजा अपनी कमर आगे पीछे हिलाने लगी और बोली- हां, इधर पेलो मेरी चुत को.. राजा.. जोर से पेलो मेरी चुत में अपना लंड पेलो.. आह.. जोरदार धक्कों के साथ लंड पेलो और मेरी चुत को रगड़ कर चोदो.

मैं भी पूजा की कमर पकड़कर उसकी चुत में दनादन अपना लंड घुसेड़ने लगा और बाहर खींचने लगा. पूजा भी अपनी कमर हिला हिला कर मेरे लंड को अपनी चुत को खिलाने लगी.

वो बोली- आह.. मार लो आज, मार लो मेरी चुत को.. साले इसकी धज्जियां उड़ा दो.. अपने लंड की चोटों से.. साली को बहुत गुमान है कि मोटे से मोटा लंड भी इसकी झांट का बाल भी नहीं बांका कर सकती.. आह.. चोदो मेरी चुत को और और तेज चोदोओ.. और समझा दो मेरी चुत को कि मोटे लंड से चुदवाने का मतलब क्या होता है. हां चूत बहुत फैल गयी, हां मेरी चूत चरचरा रही है. अब मैं कल सुबह अपने पति के आते ही उसे अपनी पूरी की पूरी खुली चूत दिखलाऊँगी कि कैसे मैं बेरहमी से चुदी.

मैं पूजा की बात को सुनता जा रहा था और उसकी कमर पकड़ कर उसे चोदता जा रहा था.

थोड़ी देर के बाद मैं पूजा की पीठ पर झुक गया और उसकी चूचियों को अपने दोनों हाथों से मसलने लगा. पूजा और मस्त हो गयी और अपनी कमर को जोर जोर से हिलाने लगी.

तब मैंने अपने एक हाथ की उंगली पर थोड़ा थूक लगा कर पूजा की गांड के छेद से भर दिया और गोल गोल घुमाने लगा.
पूजा कुछ नहीं बोली.
फिर मैंने पूजा की पीठ पर जम कर फैलते हुए उसकी एक चूची जोर से पकड़ लिया और अपनी उंगली पूजा की गांड में घुसेड़ दी. पूजा छटपटाई लेकिन मैंने भी जोर से पकड़ रखा हुआ था और इसलिए वो कुछ नहीं कर पाई.

मैं अब अपनी उंगली को पूजा की गांड की अन्दर बाहर करने लगा. थोड़ी देर में पूजा शांत हो गयी और चुपचाप अपनी चूत चुदवाने लगी.

दोस्तो, मुझे इमेल करके बताएं कि आपको मेरी यह गर्म चुदाई कहानी कैसी लग रही है.
कहानी जारी है.
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