प्यासी भाभी को रफ सेक्स की चाहत

मित्रो नमस्कार … मैं ज्ञान, 25 वर्षीय हाज़िर हूँ इलाहाबाद यू पी, से अपनी दूसरी कहानी ‘प्यासी भाभी को रफ सेक्स की चाहत’ लेकर … मेरी पहली कहानी
दोस्त की भाभी ने चूत की पेशकश की
को आपने बहुत प्यार दिया,
आशा और विश्वास है कि आपका स्नेह एवं प्यार यूँ ही मुझे मिलता रहेगा.
तो चलिए शुरू करते हैं;

शुरू करने से पहले सभी लड़कियों और भाभियों से मेरा आग्रह है कि अपनी स्कर्ट, जीन्स, सलवार या पेटीकोट को खिसकाकर अपनी चूत में उंगली करने को तैयार रहे.. मेरे पुरुष मित्रों को मेरे किसी आग्रह की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि हम अपने लण्ड के साथ हमेशा तैयार रहते हैं … मित्रों, वाकया है ही कुछ ऐसा|

मेरी पहली कहानी प्रकाशित होने के बाद मुझे कई मेल्स आये जिनमे एक मेल मेरे ही शहर यानि इलाहाबाद से एक 32 वर्षीया महिला सुकन्या जायसवाल जी का था.
बहुत ही सधे अंदाज़ में उन्होंने मेरी कहानी की तारीफ़ की थी … मैंने भी उन्हें धन्यवाद दिया और इस प्रकार हमारी बातचीत शुरू हो गयी. तकरीबन हफ्ते-दस दिन तक हमारी यूँ ही सामान्य बातचीत होती रही.

एक दिन मैंने उनसे उनकी फोटो मांग ली तो सुकन्या जी बोलीं- फोटो की क्या जरुरत है, मैं तो आपसे मिलने का सोच रही हूँ.
मैं अंदर ही अंदर मुस्कुरा उठा क्योंकि हम दोनों ही इलाहाबाद से हैं इसलिए अगले ही दिन आज़ाद पार्क (कंपनी बाग़) में मिलने का प्लान बना लिया गया.

मैं पार्क के हनुमान मंदिर वाले गेट पर पहुंचकर उनका इंतज़ार करने लगा. कुछ देर बाद सुकन्या जी भी पहुँच गयी … मेरे दिल की घंटियां बज गयीं सुकन्या जी की सुंदरता और मदमस्त जवानी देखकर … अगर उनके मांग में सिंदूर न होता तो कोई कह नहीं सकता कि उनकी शादी हो चुकी है … ब्लैक लेग्गिंग्स और ब्लू लॉन्ग फ्रॉक में बिल्कुल हॉट माल लग रही थी … स्लिम शारीरिक बनावट लेकिन सभी अंग अपने-अपने जगह बिलकुल सही आकर लिए हुए … आंखें नशीली और होंठ गुलाबी, जैसे गुलाब की पंखुड़ियां …

खैर हम दोनों टिकट लेकर पार्क के अंदर आ गए और चलते चलते ही बात करने लगे.
मैं- आप बेहद खूबसूरत हैं!
सुकन्या हँसती हुई- थैंक्यू, आप सबसे पहले लड़की की तारीफ़ ही करते हैं क्या?
मैं मुस्कुराते हुए- रोक नहीं पाया खुद को!
सुकन्या- वैसे आप भी कुछ कम नहीं हैं.
मैं- शुक्रिया जी, मेहरबानी है आपकी.

कुछ देर तक ऐसे ही हमारी सामान्य सी बातचीत होने लगी और हम पार्क के एक किनारे पर रखी बेंच पर बैठ गए. बातों ही बातों में मैंने उनसे उनकी शादी के बाद की लाइफ के बारे में पूछा. सुकन्या जी नकली मुस्कराहट के साथ बोलीं- शादी के बाद की जिंदगी? मेरा बच्चा न होता तो शायद जीना मुश्किल होता.
मैं- ऐसा क्यों?
सुकन्या- कुछ नहीं … अपना बताइये, ये कहानियां आपकी सच्ची होती हैं?
मैं- क्यों कोई शक है?
सुकन्या- जी नहीं, बस यूँ ही पूछ लिया.

मैं- आपके पति क्या करते हैं?
सुकन्या थोड़ा सोचती हुई- बड़े व्यापारी हैं, चौंक में बड़ी सी दुकान है … सब कुछ है उनके पास सिवाय समय के!

मौके की नज़ाकत को समझते हुए मैं बोला- अगर आप बुरा न मानें तो आपकी सेक्स लाइफ के बारे में पूछ सकता हूँ?
सुकन्या जी एकटक वासना और दर्द भरी नज़रों से मुझे देखने लगीं और बोल पड़ी- मैंने बताया न … सब कुछ है उनके पास सिवाय समय के!
मैंने सुकन्या जी का हाथ अपने हाथों में लेकर उनसे पूछा- क्या हम दोनों अच्छे दोस्त बन सकते हैं?

सुकन्या जी कुछ देर सोचते हुए मुस्कुरा उठी और वहां लोगों की परवाह किये बगैर मेरे गालों पर अपने होंठों का स्पर्श करा दिया.
मैंने भी अपने हाथों का प्रयोग करते हुए बैठे बैठे ही उनको अपने आगोश में भर लिया. उनके होंठों का नाज़ुक स्पर्श और उनके बदन की गर्मी ने मेरे लण्ड में अकड़न ला दी लेकिन इससे ज्यादा वहां पर कुछ भी होने की सम्भावना नहीं थी.

कुछ देर बाद जब हमारी और उनकी नज़रें मिली तो उनकी आँखों में शर्म हया के साथ साथ कामवासना के डोरे साफ़ दिख रहे थे. आँखों ही आँखों में एक दूसरे से हमने अपनी इच्छा जाहिर कर दी थी. मेरे दिल में भी उनके लिए अगाध प्रेम सा उमड़ पड़ा और दिल में आया कि बस वहीं बेंच पर उनको नंगी करके पटक दूँ और इतना चोदूँ कि चीखते चीखते सुकन्या जी का गला बैठ जाये और वो चुदाई के परमसुख को महसूस कर लें.

एक पल के लिए मैं सोचने लगा कि इतनी कामोत्तेजक और वासना की देवी सरीखी स्त्री की चूत चोदे बिना कैसे कोई पति रह सकता है.

इतने में वो उठते हुए बोलीं- अब मुझे चलना चाहिए, काफी देर हो गयी है.
उसके बाद हम दोनों कंपनी बाग़ के बाहर आ गए.
हम अपने अपने घर आ गए.

रात में करीब एक बजे के बाद उनका कॉल आया- नींद नहीं आ रही है?
मैं- आपको देखकर नींद गायब हो गयी है, आपके पति कहाँ हैं?
सुकन्या- सो रहे हैं.
मैं- आपने कभी फ़ोन सेक्स किया है?
सुकन्या- नहीं, लेकिन थोड़ा बहुत सुना है.

माहौल थोड़ा गरम होने लगा तो मैं उनसे उनकी फेवरिट पोजीशन पूछी.
सुकन्या- देखो, मैंने ज्यादा ट्राई तो नहीं किया है लेकिन वीडियो देखती हूँ तो उसमें डॉगी स्टाइल पसंद है.
मैं-आप पोर्न भी देखती है?
सुकन्या- नहीं बस कभी कभार ऐसे ही!
मैं- किस तरह के वीडियो ज्यादा पसंद करती हैं?
सुकन्या- मैंने बताया न ज्यादा नहीं देखीं है लेकिन वो वाली जिनमें लड़की के साथ रफ़ तरीके से करते हैं, बाल खींचते हैं, मुंह में जबरदस्ती डालते हैं. मुझे तो उससे देखकर ही झुरझुरी सी आ जाती है.
मैं- मतलब आपको रफ़ सेक्स पसंद है?
सुकन्या- केवल पसंद होने से क्या होता है?
मैं- तो जल्दी समय निकालिये न, प्रैक्टिकल भी हो जायेगा.

सुकन्या ने होटल में जाने से मना कर दिया था कुछ व्यक्तिगत कारणों से, मैंने ज्यादा दबाव नहीं डाला इसलिए जगह का चुनाव थोड़ा मुश्किल हो रहा था.
इसी बीच गर्मियों की छुट्टियां आ गयीं और इनके सास-ससुर अपने पोते यानि कि सुकन्या जी के बेटे को लेकर गाँव चले गए.

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हमें भी चुदाई का सुनहरा मौका मिल गया. देर न लगाते हुए अगले ही दिन का प्लान बन गया. सुकन्या जी ने अपना पता वगैरह सेंड करके बता दिया और साथ ही साथ गाड़ी या बाइक लाने के लिए भी मना कर दिया था.

अगली सुबह मैंने ऑटो लिया और उनके घर के सामने पहुँच गया … काल किया तो उन्होंने कहा कि मेन गेट खुला है, उसे बंद करते हुए अंदर आ जाइये!
मैंने उनके आदेश का पालन करते हुए घर में प्रवेश किया तो सुकन्या रानी सज धज के तैयार बैठी थी … और आज तो साड़ी में और भी सेक्सी लग रही थी.

मैं उनके यौवन के दर्शन करते हुए सामने सोफे पर बैठ गया.
“आप बैठिये, मैं आती हूँ!” कहकर सुकन्या जी अंदर किचन में गयीं.
पानी और नाश्ता वगैरह लेकर दोबारा हाज़िर हुईं.

सब कुछ बहुत ही सामन्य रूप से घटित हो रहा था लेकिन यह केवल तूफ़ान आने के पहले वाली शांति थी. खेल शुरू ही होने वाला था … नाश्ता करते हुए मैंने उनसे पूछा- दोबारा सोच लो, चुदाई के प्लान में कोई बदलाव है या वैसा ही होगा?
मेरा इशारा सुकन्या रानी समझ गयीं और होंठ चबाते हुए बोली- क्यों? नहीं होगा क्या आपसे?

इतना सुनते ही मैं सुकन्या को एकटक देखने लगा और वो उसी तरह होंठ चबाते हुए मुस्कुरा रही थी. इतने में मैं अपनी जगह से उछल पड़ा और जूठे हाथों से ही सुकन्या के गालों को पकड़ कर उसकी आँखों में देखकर बोला- रानी, आज तुम्हारी वो चुदाई होगी जैसा तुम पहले कभी नहीं चुदी होगी.
सुकन्या रानी भी मूड में आकर बोली- बातें बहुत करते हैं आप!

इस बार मेरा एक हाथ सीधे उसके पल्लू पर गए और मैं उसकी स्लीवलेस ब्लाउज को उतारने लगा, उतारने क्या लगा, फाड़ने लगा.
साली ने ब्रा नहीं पहनी थी … मोटी मोटी चूचियाँ उछल पड़ी मेरी आँखों के सामने … मैंने दोनों चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ कर मरोड़ दिया, सुकन्या रानी आँखें बंद करके और मुंह खोल के सीसिया उठी- आअह उउउउम्म …

मैंने बैडरूम की तरफ चलने को बोला, बैडरूम में पहुँचते ही सुकन्या रानी की साड़ी उतार कर पूरी नंगी करके बेड पर पटक दिया. मैंने नीचे गिरी साड़ी उठाकर उसके दोनों हाथों और दोनों टांगों को फैलाकर बेड में बाँध दिए.
सुकन्या रानी की दिल की धड़कनें और मचलाहट बढ़ गयी थी. बेधड़क नंगी सुन्दर सुकन्या रानी साड़ी के बंधन से खुद को छुड़ाने का झूठा प्रयास करते हुए बहुत ही गर्म माल लग रही थी … एक एक अंग उभर के नुमाया हो रहा था … ऊपर तो उसके गुलाबी गाल और रसीले होंठ मुझे मानो कह रहे हों कि आओ और मेरे रसों को निचोड़ लो … उसकी बढ़ी हुई साँसों से बेधड़क ऊपर नीचे हिलती हुई छाती जैसे बुलावा दे रही हो कि इन उरोजों को अपने सख्त हाथों में लेकर मसल दो … इसकी घुंडियों को अपने नुकीले दांतों से काट खाओ … नीचे आते हैं तो सपाट पेट पर गहरी नाभि खुद में डूब जाने को कहती है.

और उसके नीचे सुकन्या की अत्यंत निजी, अति कोमल, परम उत्तेजना पूर्ण, हल्की झांटों से घिरी हुई और पाँव रोटी सी फूली हुई चूत, जिसकी मुहाने से बहकर निकलती हुई प्रीकम का गीलापन मेरी जीभ को आमंत्रित करते हुए कि अपने जीभ से चूत के पोर पोर को चाटकर उद्वेलित कर दो … बाहर और अंदर जितना जीभ घुस सकती हो घुसेड़कर इतना चाट खाओ कि सुकन्या उत्तेजना के बर्दाश्त न सकने की हद पर पहुँच जाए और तुम्हारे मोटे लण्ड को अपनी चूत में डलवाने को गिड़गिड़ाने लगे … और तब उस पर अपने मूसल सरीखे लण्ड से उसकी चूत पर इतना वार करो कि उसकी नस नस में चुदाई का परमानन्द पहुँच जाये और चूत कि हरेक कोशिकाएं चरमरा जाएं!

ख्यालों की दुनिया से बाहर आकर जब मैंने सुकन्या रानी को देखा तो वो उत्तेजना और उत्सुकता के मिले जुले भाव से मेरे अगले करतब के इंतज़ार में थी.

मैंने उसके सिराहने पहुँच कर उसके गालों को एक हाथ से दबाते हुए पूछा- रानी कैसा लग रहा है?
सुकन्या ने धीरे से बस एक ही शब्द कहा- अच्छा!
ग्रीन सिग्नल मिलते ही मेरे हाथ उसकी कुछ कड़क कुछ नाज़ुक चूचियों को पकड़कर मसलने लगे, मरोड़ने लगे.
सुकन्या- उउह उउउहा … निचोड़ दो इन्हें… आअह्ह्म्म …

मैं तो वही कर रहा था. फिर एक चूची की घुंडी को पकड़ के ऐंठने लगा और दूसरी पर चमाट मारने लगा ऐसा ही दूसरी चूची को भी चमाट पड़े. सुकन्या तो जैसे मस्त नागिन की तरह हिल डुल
रही रही थी.
फिर मेरा हाथ नीचे सरक कर नाभि के अंदर अठखेलियां करके नीचे कोमल चूत की तरफ बढ़ने लगे. मेरी अंगुलियां हल्की झांटों की चुभन को महसूस करते हुए पावरोटी सी चूत को सहलाने लगी. कुछ सहलाने पुचकारने के बाद अचानक मैंने अपने हाथों की पकड़ को मज़बूत करते हुए सुकन्या रानी की चूत को मुट्ठी में भर के दबा लिया.

रानी चीखती हुई छटपटा पड़ी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह्ह हमम महहआ … आराम से कर न …
लेकिन अब मैं किसी भी रियायत के मूड में नहीं था क्योंकि साफ़ दिख रहा था कि सुकन्या रानी के ये बोल दिखावा भर थे, असलियत में मज़ा तो उन्हें भी आ रहा था.

अब मैंने चूत पर अपनी पकड़ ढीली कर दी और बिना समय गवाएं सुकन्या की नाज़ुक सी चूत पर एक साथ थप्पड़ पर थप्पड़ लगाने लगा. हर एक थप्पड़ पर सुकन्या रानी कसमसाकर अपने हाथ पैर पटके जा रही थी.
थप्पड़ों के बाद मैंने एक अंगुली उसके चूत में हल्के से घुसेड़ दी. सुकन्या उचक सी गयी- ऊह्ह्ह ह्हुउ उआउच.
और मैं धीरे धीरे उंगली को अंदर बाहर करने लगा.
सच में बहुत टाइट चूत थी, पहले एक ही उंगली थी फिर मैंने अपनी तीनो उंगलियों को चूत-सेवा में समर्पित कर दिया.

धीरे धीरे वाली शुरुआत अब व्यग्र रूप ले चुकी थी… मैं अपनी तीनों उंगलियों को उसकी कसी हुई चूत में इतनी तेज़ी से अंदर बहार कर रहा था कि मेरी कलाई भर आयी.
कि तभी सुकन्या रानी अपनी गांड उछाल उछाल कर मेरी उंगलियों के ताल से ताल मिलाने लगीं और थोड़ी देर में सुकन्या चीखते हुए आंखें बंद करके चरमानंद का सुख महसूस करने लगी.

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सुकन्या की चूत से काम रस बह निकला और उसे चाटने को मेरी जीभ लालायित हो उठी … मैं उसकी चौड़ी हुई टांगों के बीच बैठ गया और अपनी जीभ चूत के मुहाने पर रख कर सड़प सड़प सड़प करके चूत चाटने लगा … चूत की मादक गंध ने मेरे अंग अंग को उत्तेजित कर दिया.

मेरी जिह्वा ने सुकन्या की चूत के साथ ऐसा उत्पात मचाया कि सुकन्या रानी अभद्र भाषा पर आ गयी- अब क्या जान लेगा क्या भोसड़ी के?
सुकन्या की गाली जैसे जाकर मेरे लण्ड को लगी … मेरा लण्ड जीन्स में अब घुटन सा महसूस करने लगा. बिल्कुल भी देरी न करते हुए मैंने जीन्स और शर्ट उतार फेंकी और बिल्कुल नंगा हो गया. सुकन्या की नज़र मेरे लण्ड पर गड़ गयी और मैं जानता था कि आगे करना क्या है. झट से मैंने पोजीशन बदली और मैं घुटनों के बल बैठकर सुकन्या के मुंह के ऊपर पहुँच गया.

सुकन्या ने देर न करते हुए अपने चेहरे को थोड़ा सा उठाकर लण्ड को गप से मुंह में भर लिया. मैं भी ऊपर से मुखचोदन करने लगा.
पूरी मस्ती से मेरे लण्ड को सुकन्या रानी खाये जा रही थी … मैं एकाध बार उसके मुंह पर ही कुछ देर के लिए बैठ जाता था जिसकी वजह से उससे सांस लेना भी दूभर हो जाता था … लेकिन इसी
में तो मज़ा है … उसकी मुंह की गर्मी और इस उत्तेजना भरे माहौल में मेरा लण्ड भी चरम पर पहुँचने लगा … मैंने उसके मुंह में झटके मारने की क्रिया को लगभग दोगुनी कर दी और आँखें बंद करके वीर्य को उसके मुंह में ही छोड़ दिया.
सुकन्या रानी स्वाद ले लेकर वीर्य को चाटने लगी और मेरे लण्ड को पूरा निचोड़ लिया.

मैं भी कुछ देर के लिए रिलैक्स होकर उसके ऊपर ही लुढ़क गया.
यहाँ एक बात मैं आप लेडीज को बता दूँ कि ज्यादातर मर्दों का लण्ड पहले डिस्चार्ज के बाद और भयानक हो जाता है मतलब चुदाई में लगने वाले समय में इजाफा हो जाता है.
थोड़ी सी चूमा चाटी के बाद मेरा लण्ड फिर से तैयार था.

मैं नीचे उसकी फैली हुई चूत के सामने घुटनों के बल बैठ गया और अपने लण्ड पर थूक लगाया और चूत को भी थोड़ा सा सहलाया. लण्ड को उसकी चूत पर सेट करके जोरदार झटके के साथ चूत में घुसेड़ दिया. चूत में लोढ़े(मूसल) से मोटे लण्ड का एहसास होते ही सुकन्या रानी चिहुंक सी गयी और चीख पड़ी- आउच ह्ह्हम्म्म …
और मेरा मोटा पिस्टन उसकी नाज़ुक सी टाइट चूत को फाड़ने लगा, फच फच फच बस यही सुर लगने लगे. यही सुर लगाते हुए बड़ी बेदर्दी के साथ मैं उसकी चूत मार रहा था.

सुकन्या रानी भी पूरी मस्ती में चीख चीख कर लण्ड का रसास्वादन अपनी चूत में कर रही थी. क्योंकि सुकन्या रानी के हाथ पाँव बेड से बंधे हुए थे इसलिए सुकन्या बस अपनी कमर को उचका उचका कर मेरा साथ दे पा रही थी.
कुछ देर में वो उत्तेजना में न जाने क्या क्या बड़बड़ाने लगी- चोद दे मेरी भोसड़ी को … जोर जोर से फाड़ दे मेरी चूत को!
और मेरी स्पीड उसके कहे अनुसार बढ़ती चली गयी.

थोड़ी देर में वो झटके देने लगी और आआअ ह्ह्ह्हम्म अअह आअह की आवाज़ के साथ वो छुट गयी. जब उसका माल छुट रहा था तो उसके हालत देखने लायक थी. बिल्कुल एक बलखाती हुई नागिन की तरह बल खा खा कर उसकी चूत से माल बह निकला.
लेकिन उसके बल खाने से मेरे लण्ड के ऊपर कोई असर नहीं था, उसके माल से गीली हुई चूत पर मेरा लण्ड सटासट वार किये जा रहा था.

क्योंकि सुकन्या का काम रस अभी अभी निकला था इसलिए वो थोड़ा ढीली हो रही थी लेकिन मैं अब रुकने वाला नहीं था बल्कि और हचक हचक कर चोदने लगा.
नीचे से वो चिल्लाने लगी- हरामी आराम से कर, मैं मर जाऊँगी.
अब मेरा भी निकलने को हो रहा था तो मैंने और भी स्पीड से चोदना चालू कर दिया और जब मेरा वीर्य निकलने को हुआ तो मैंने लण्ड को उसकी चूत से निकाल लिया और अपने हाथों में लेकर चरमसुख की प्राप्ति की आवाज़ आअह्हह्ह आआह्हा के साथ पूरा वीर्य उसके नंगे बदन पर फैला दिया.

हम दोनों ही तृप्त हो चुके थे.

“अब तो खोल दो मेरे हाथ पैर!” सुकन्या रानी मुस्कुराती हुई बोल पड़ी.
मैंने उसे उसी की साड़ी के बंधन से मुक्त कर दिया.

मुझे बहुत जोरों की मुतास लगी थी इसलिए बाथरूम में घुस कर मूतने लगा. पीछे से वो साली भी घुस आयी और घुटनों के बल बैठते हुए मेरे लण्ड को पकड़ लिया.
मैं अब भी मूत रहा था… वह मेरे लण्ड को पकड़कर अपने चेहरे को पेशाब से भिगोने लगी. मुझे इसकी आशा बिल्कुल भी नहीं थी कि सुकन्या जैसी लेडी को भी इतना डर्टी होना अच्छा लग रहा था. मैं भी मज़े से उसके चेहरे पर मूतता रहा.
जब मैंने पेशाब करना बंद कर दिया तो साली खड़ी हो गयी और मुझे बैठने को बोली. मैं भी उसकी इच्छा समझ चुका था. उसकी चूत की ओर मुंह करके बैठा ही था कि उसकी चूत के मूत्र छिद्र से पेशाब की गरम धार छूट पड़ी.

मैं भी पहली बार किसी लेडी का मूत अपने चेहरे पर महसूस कर रहा था … उत्तेजना के कारण सुकन्या का थोड़ा सा मूत मैंने टेस्ट भी कर लिया!

मैं और सुकन्या दोनों ही अपने भाग्य को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए एक दूसरे के नग्न बदन को सहलाते सहलाते शावर के नीचे नहाने लगे.

प्यासी भाभी की चूत चुदाई की कहानी कैसी लगी? मेल करियेगा, इंतज़ार रहेगा! धन्यवाद!