यह मेरी पहली कहानी है अपनी चचेरी प्यासी भाभी की चुदाई की … मेरे जीवन में हुई यह एक सच्ची घटना है.
दोस्तो, मेरा नाम दिव्येश मिश्रा है और मैं जामनगर गुजरात का रहने वाला हूँ. मैं अपने मम्मी पापा के साथ रहता हूं. मेरे चाचा चाची और उनके बेटे, मतलब मेरा भाई और भाभी हमारे पुश्तैनी गांव में रहते हैं. वहां हमारा खेत है, जिसकी देखभाल वे ही करते हैं.
उन दिनों की बात है.. जब मैं 12वीं में पढ़ता था. मेरे चाचा के लड़के की शादी करीब 2 साल पहले हुई थी. भाभी का नाम रंजू है.. जो दिखने में गांव की देसी गर्ल लगती हैं, पर हैं बहुत सुंदर और सेक्सी. उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े हैं. भाभी की फिगर साइज़ 36-30-34 की होगी.
मैं छुट्टियों में अपने गांव चाचा के घर गया था. वहां खेत में काम करने चाचा चाची और भैया जाते थे और भाभी घर पर रहती थीं. मेरे मन में भाभी के लिए थोड़े खराब विचार आने लगे थे. तब मैं भाभी को तिरछी नजर से घूरता रहता था. वो जब काम करतीं तो मैं उनके सामने खड़ा हो जाता और वो झुकतीं, तब मैं उनके हिलते हुए मम्मों को देखता रहता था और उनके सामने ही अपने लौड़े को सहलाने लगता था. भाभी ये सब देख कर बस मुस्कुरा देती थीं.
एक दिन भैया और चाचा को किसी काम से बाहर जाना पड़ा. चाची की भी तबियत खराब हो गई थी, तो वो भी खेत में नहीं गईं और घर पर आराम करने के लिए लेट गईं. चाची ने भाभी को बोला- तुम और दिव्येश खेत में जाकर बैलों को पानी पिला कर चारा आदि डाल आओ.
मैं और भाभी खेत में चले गए. वहां पर कुएं से पानी खींचना था, तो भाभी पानी खींच रही थीं और मैं बैलों को पिला रहा था. तभी भाभी का पैर फिसला और वो गिर गईं. मैं दौड़ के भाभी के पास गया देखा तो भाभी पानी में गिरी हुई थीं और उनकी साड़ी का पल्लू नीचे आ गया था, जिससे उनके बड़े बड़े बूब्स बहुत अच्छे से दिख रहे थे.
मैंने भाभी को संभाला और हाथ से पकड़ के खड़ा किया. भाभी को कमर में मोच आ गई थी, जिससे उन्हें चलने में दिक्कत हो रही थी. मैंने देखा कि पास में एक झोपड़ी थी, वहां पर भाभी को ले जाकर खटिया पर भाभी को बैठा दिया. मैंने भाभी को पानी पिलाया और फिर उनको डॉक्टर के पास जाने को बोला, तो भाभी ने मना कर दिया.
भाभी ने बोला- पास में एक झाड़ है, उसके पत्ते ले आओ, उनके रस से मालिश करूँगी, तो ठीक हो जाएगा.
मैंने उस झाड़ के कुछ पत्ते तोड़े और उनका रस निकाल कर दिया, जिसे भाभी अपने हाथों से कमर पर मालिश करने लगीं.
पर दर्द के चलते भाभी से मालिश नहीं हो पा रही थी. इधर मैं भाभी के गोरे बदन को घूर रहा था.
तभी भाभी बोली- दिव्येश, तुम मेरी थोड़ी मदद कर दो.
मैंने बोला- हां भाभी बोलो.. क्या करूँ?
भाभी ने अपनी कमर पर मालिश करने को बोला और भाभी खटिया पर उल्टा लेट गईं. मैं धीरे धीरे भाभी की कमर पर मालिश करने लगा. भाभी को आराम हो रहा था और मुझसे रहा नहीं जाता था. मैं भाभी की कमर से ऊपर तक मालिश करते करते भाभी के मम्मों को टच कर लेता था. धीरे धीरे भाभी को मजा आने लगा और उनको नींद सी आ गई.. या उन्होंने यूं ही अपनी आंखें बंद कर लीं.
मैंने आवाज दी, तो उनका कोई उत्तर नहीं आया. मैंने देखा कि भाभी सो गई हैं. तो इस बात का फायदा उठाते हुए मैंने धीरे से भाभी की साड़ी को ऊपर करके उनके पैरों के बीच देखने की कोशिश की. मैंने हिम्मत की और भाभी की साड़ी ऊपर करके देखा तो भाभी ने अन्दर कुछ नहीं पहना था और उनकी चूत एकदम क्लीन शेव थी.
भाभी की गोरी और सफाचट चूत देखते ही मेरा तो लंड खड़ा हो गया.
तभी भाभी को कुछ महसूस हुआ और वो हिलने लगीं तो मैंने झट से उनकी साड़ी ठीक कर दी.
भाभी उठ गईं और मुझे देखकर बोलीं- दिव्येश मैं कुछ थक भी गई हूं, सो आराम कर लेती हूँ.. मुझे नींद आ रही है और थोड़ी देर सो जाती हूँ.
मैंने लंड सहलाया और उनकी चूचियों की तरफ देखते हुए बोला- हां सो जाओ भाभी.
भाभी भी अपने होंठों पर एक कातिलाना मुस्कान लाती हुई बोली- आओ तुम भी मेरे पास में सो जाओ, तुम भी थोड़ी देर आराम कर लो.
मैं कुछ कुछ समझ तो गया था, सो मैं जल्दी से उनके बगल में ही लेट गया. चूंकि खटिया सिर्फ एक ही थी और दो जनों के लेटने से हम दोनों चिपके हुए ही लेटे थे. भाभी के बदन की आग और मेरी वासना के चलते मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था. मेरा लंड तन के मोटा हो गया था. जो भाभी के पीछे घुसने की कोशिश कर रहा था. भाभी की गांड बहुत बड़ी थी.
थोड़ी देर बाद मैंने देखा भाभी सो रही हैं, तो मैंने धीरे से भाभी की साड़ी ऊपर करके उनकी गांड के ऊपर हाथ फेरने लगा और अपने खड़े लंड को बाहर निकाल कर उनकी गांड पर टच करने लगा. इससे भाभी हिलीं और थोड़ा और पीछे होकर मुझसे चिपक कर सो गईं.
अब मैं समझ गया कि भाभी सेक्स की प्यासी हैं, सोने का नाटक कर रही हैं और उन्हें मुझसे चुदवाना है.
मैंने देर ना करते हुए अपने हाथ को भाभी की चूत पर लगा दिया और हल्के से उनकी चूत को सहलाने लगा. मैंने महसूस किया कि भाभी की चूत गीली हो गई थी और उनकी सांसें तेज हो गई थीं. मैंने पीछे से भाभी के मम्मों को पकड़ा और जोर जोर से दबाने लगा. भाभी भी मजे ले रही थीं, पर सोने का नाटक भी कर रही थीं.
थोड़ी देर बाद ऐसे ही सोते हुए भाभी चित होकर अपने पैर फैलाकर सो गईं, जिससे समझ गया कि भाभी को अब चूत में खुजली हो रही है और चुदवाना है. मैंने अपने एक हाथ से भाभी की टांग को जरा और फैलाया और साड़ी ऊपर करके उनकी चूत को खोल दिया. जब भाभी की आंखें नहीं खुलीं तो मैं उन पर चढ़ गया और उनको चुम्मी करने लगा और धीरे से उनकी चुत को चाटने लगा. भाभी भी सोने का नाटक करते हुए अपनी चूत उठाकर मेरे मुँह पर हिलाने लगी और अपनी चूत से पानी छोड़ने लगीं.
अब मैं भाभी के पैरों के बीच में आ गया. उनके ऊपर चढ़कर उनकी चूत पर अपना लंड सैट किया और उनको कसके अपनी बांहों में जकड़ कर उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर उन्हें किस करने लगा. भाभी अभी भी सोने का नाटक कर रही थीं, लेकिन मुझे किस करने में पूरा सहयोग कर रही थीं. फिर मैंने भाभी की चूत की फांकों में अपने लंड का सुपारा ऊपर नीचे किया, तो भाभी ने अपनी चुत को मेरे लंड के लिए खोल दी. मैंने जोर से एक झटका मारा और मेरा 8 इंच का 3 इंच मोटा लंड उनकी चूत फाड़ते हुए अन्दर घुस गया, जिससे उनकी चीख़ निकलने को हुई. पर भाभी की चीख मेरे मुँह में ही दब कर रह गई, क्योंकि मेरे होंठों का ढक्कन उनके मुँह पर जमा हुआ था. मोटे लंड के एकदम से घुसने के कारण भाभी की आंखें खुल गई थीं और वे दर्द से तड़प रही थीं.
उनके दर्द से ऐसा लग रहा था कि पहली बार इतना मोटा लंड अन्दर गया था. भाभी खुद को मुझसे छुड़ाने के लिए उछल रही थीं. पर मैंने उनको कसके जकड़ रखा था. साथ ही भाभी की चूत में अपने लंड के लम्बे लम्बे धक्के मारता हुआ उन्हें चोदे जा रहा था.
थोड़ी देर बाद उनकी चुत में लंड की सैटिंग हो गई और भाभी को आराम मिलने लगा. अब मैंने होंठ हटा दिए.
भाभी गहरी सांस लेती हुई धीरे से बोली- मार ही डाला यार तूने तो … फाड़ दी मेरी चूत तूने … बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने भाभी को किस करते हुए अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर जोर से उन्हें चोदने लगा. अब भाभी को भी मजा आ रहा था और वो भी अपनी गांड उछाल उछाल कर चुदवा रही थीं. ऐसे ही भाभी को चोदते हुए मैंने अपना सारा माल भाभी की चूत में ही उतार दिया और ऐसे ही उनके ऊपर पड़ा रहा.
कुछ देर बाद भाभी ने किस करके मुझे साइड में किया और खुद खड़ी हो गईं. भाभी ने अपने कपड़े ठीक किए. मैं उनको देखे जा रहा था. भाभी मेरे सामने शरमा रही थीं. वे कुछ बोले बिना झोपड़ी के बाहर चली गईं.
मैंने बाहर जाकर देखा तो भाभी ठीक से चल नहीं पा रही थीं. फिर धीरे धीरे हम घर आ गए और खाना खाके सब सो गए. सुबह देखा तो भाभी को बुखार चढ़ गया था और भैया उनको डॉक्टर के पास ले जा रहे थे. भाभी अभी भी मुझे देख कर शरमा रही थीं.
फिर मैं अपने घर जामनगर आ गया.
थोड़े दिनों बाद मुझे भाभी का फोन आया और थोड़ी देर बात करने के बाद उन्होंने बताया कि खेत में अपने जो शरारत की थी, उसी के कारण अब मैं माँ बनने वाली हूँ.
मैंने भाभी को बधाई दी, तो शरमा कर उन्होंने फोन काट दिया. अभी भाभी को उस दिन की निशानी के रूप में एक लड़का है. अब जब भी मैं गांव जाता हूं तो भाभी बहुत चुदवाती हैं.
यह है मेरी प्यासी भाभी की सच्ची कहानी, आपको कैसी लगी.. आपकी राय मेरा ईमेल आईडी [email protected] पर जरूर भेजें.
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