पहला प्यार और कुंवारी बुर की चुदाई-1

अन्तर्वासना के प्रिय पाठकों आप सभी को मेरा नमस्कार.

मैं बहुत सालों से चुदाई की देसी कहानियां पढ़ता आया हूँ. आज जाकर अपनी चुदाई की देसी कहानी या कहिए अपनी आपबीती आपको बताने जा रहा हूँ.

मेरा नाम अभिलाष कुमार है, उम्र 26 साल है. मैं सासाराम बिहार का रहने वाला हूँ. मेरी कद-काठी भी अच्छी है. वैसे मुझे अपने लिंग पर थोड़ा घमंड है और हो भी क्यों नहीं.. ये अच्छा ख़ासा मोटा और लंबा जो है.

बात कुछ 4 साल पुरानी है. वो दिन मैं कभी नहीं भूल सकता कि कैसे मैंने अपनी गर्लफ़्रेंड को चुदाई के लिए मनाया था. बहुत मनाने के बाद वो राज़ी हुई थी.

स्कूल से 12 वीं पास करने के बाद मैंने ग्रेजुएशन के लिए कॉलेज में एड्मिशन लिया. उस वक़्त रैगिंग हुआ करती थी, अब तो पूरी तरह से बंद हो गई है.

हमें जब तक फ्रेशर नहीं मिल जाता था क्लास के लड़कियों से बात करना भी मना था. लड़कियों से बस लैब में रोल नंबर वाइज होने की वजह से बात हो जाती थी. उसी बीच मैं मिस सिया से मिला. सिया बहुत ही सीधी साधी लड़की थी, बहुत ज्यादा फैशन नहीं करती थी. वो थोड़ा पुराने ख्याल की भी थी. उससे मेरी दोस्ती हो गई. उसके बाद एक महीने में ही वो कब मेरी गर्लफ़्रेंड हो गई, पता भी नहीं चला. उसके साथ एक साल कैसे निकल गया, पता नहीं चला.

अब तक हम सिर्फ चुम्मा-चाटी ही कर पाए थे. वो आगे कुछ नहीं करना चाहती थी. एक साल के बाद उसे मैं दोस्तों के साथ ग्रुप में घूमने चलने के लिए मना पाया. फिर हम दोनों अकेले ही वाराणसी घूमने गए. हमने रूम साथ में बुक कराया और कमरे में घुसते ही मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया. उसने छुड़ाने की बहुत कोशिश की, पर मेरी पकड़ इतनी कमजोर नहीं थी. उसके बाद मैं उसके होंठों को अपने होंठों से लगा कर चूसने लगा… धीरे-धीरे वो भी मज़ा लेने लगी.

करीब दस मिनट तक इसी तरह हम एक दूसरे को चूमते रहे. फिर मैं उसके मम्मे दबाने लगा, वो मना करने लगी तो मुझे बुरा लग गया.
मैं गुस्से में बोला- मुझे तुम्हारे साथ आना ही नहीं चाहिए था.. पूरा मूड खराब कर दिया.
वो कहने लगी- नहीं बाबू गुस्सा नहीं करो.. मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं.
मैंने कहा- वो तो दिख ही रहा है कि कितना प्यार करती हो.

फिर मुझे उसे मनाने में आधा घंटा निकल गया कि मैं लंड अन्दर नहीं डालूंगा.. बस चूत के ऊपर ही रगडूँगा.
वो डरते-डरते मान गई, मैं दोबारा से उसे बांहों में ले कर चूमने लगा.

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अब वो पूरी तरह मेरा साथ देने लगी थी. मैंने उसका टॉप निकाल दिया. मेरे सामने अब वो काले रंग की ब्रा में थी, क्या गजब का माल लग रही थी. पहली बार मैंने उसे इस तरह से देखा था. मेरा मन करने लगा कि साली को कच्चा ही चबा जाऊं.

वो थोड़ा शर्मा रही थी यह उसका पहली बार था.. मेरा भी पहला मौक़ा था. उसे इस तरह देख कर मेरा लंड तो एकदम खड़ा हो चुका था और अंडरवियर फाड़ कर बाहर आने को बेताब था. लेकिन अभी वक़्त सही नहीं आया था. उसके बाद ब्रा के ऊपर से ही मैंने उसके चूचों को मसलना शुरू कर दिया. वो आहें भरने लगी थी. अब उसे भी थोड़ा मज़ा आने लगा था.

फिर कुछ देर बाद मैंने उसकी ब्रा का हुक खोलना चाहा, तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने उससे कहा- बेबी आई लव यू.. ये सब तो हर कोई करता है, तुम देखना तुम्हें कितना मज़ा आएगा. मैं तुझे हर सुख देना चाहता हूँ.

वो ढीली हुई तो मैंने उसकी ब्रा को निकाल फेंका.

वाह क्या जबरदस्त चूचियां थीं… एकदम मस्त… लाल और गोल… अभी तक किसी ने उसकी चूचियों पर हाथ तक नहीं लगाया था. उसकी चूचियों को देख कर तो मेरा लंड तो एक बार पेंट में ही छूट गया था. उसके निप्पल एकदम छोटे-छोटे गुलाबी रंग के थे. सिया बहुत ही गोरी थी.

मैंने बिना देर किए उसके एक निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथ से सहलाने लगा. वो जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगी.. अब वो किसी और ही दुनिया में थी. उसे ऐसा मज़ा शायद ही कभी मिला होगा, उसकी आंखें बंद थीं और वो जोर-जोर से मादक सिसकारियां भर रही थी. लगभग 15 मिनट तक मैंने उसके आम के रस चूसने को बाद एक हाथ से उसकी जीन्स के ऊपर से ही उसकी चूत को रगड़ने लगा.

इस बार उसने मुझे नहीं रोका. फिर धीरे से मैंने हाथ उसकी जीन्स के अन्दर डालना चाहा, पर जींस टाइट होने के वजह से हाथ अन्दर नहीं जा पाया. मैं लगातार उसके चूचों को चूस रहा था. उसकी आहें अब तेज़ होने लगी थीं.

मैं चाहता था कि जैसे ही वो झड़ने वाली हो, उससे पहले मैं उसे नंगी कर दूँ. मेरी सोच थी कि कहीं झड़ने के बाद वो मना न कर दे. मैंने तुरंत उसके जींस के बटन खोले और जींस नीचे सरका दी. वो रोकने लगी, पर मैंने जबरदस्ती निकाल दी. अब वो सिर्फ पेंटी में रह गई थी.

क्या बताऊँ दोस्तो, उसे इस हाल में देख कर मेरा तो मन हुआ कि तुरंत ही लिटा कर चोद दूँ, लेकिन उस चोदना इतना आसान नहीं था.

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अब मैं पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा. उसने अपनी दोनों टाँगों को एक साथ जकड़ लिया था. फिर जब उसे मज़ा आने लगा तो उसने दोनों टांगों को ढीला छोड़ दिया और मैं समझ गया कि अब बुर की चुदाई का सही वक्त आ गया है.

लोहा (चूत) गरम हो चुका था बस हथौड़ा (लंड) मारना था.

मैंने बिना देर किए उसकी पैंटी भी निकाल दी. अब वो मेरे सामने बिना कपड़ों के नंगी लेटी हुई थी. उसने शर्म से आँखें बंद कर ली थीं.
मैंने कहा- मुझसे क्यों शर्मा रही हो?

उसने आंख खोल कर मुझे देखा, उस वक़्त मैं कपड़ों में था. मैंने उसे ‘आई लव यू’ कहा.. और दूर से ही किस दे दिया. उसने शर्मा कर फिर से आंखें बंद कर लीं.

अब मैंने तुरंत अपने कपड़े निकाल फेकें और उसके ऊपर आ गया. वो कहने लगी कि अन्दर नहीं करना.. दर्द होगा.
मैंने कहा- नहीं करूँगा..

वैसे भी एक बार मैं झड़ चुका था और मेरा लंड दुबारा से एकदम लोहे की तरह कड़क हो चुका था. मुझे मालूम था कि इस बार लंड झड़ने की जल्दी नहीं करेगा.
मैंने उससे कहा- तुम्हें बिल्कुल दर्द नहीं होगा.. बस तुम मज़े लो.

उसने अपनी आंखें बंद कर लीं और मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया. मैं अपना लंड उसकी बुर के ऊपर रगड़ने लगा.. उसे मज़ा आने लगा और वो जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

अब तो जैसे वो इस दुनिया से दूर चली गई हो.. ऐसी मस्त हो गई थी. फिर मौका देखते ही मैंने अपना लंड उसकी बुर में घुसाना चाहा लेकिन उसकी सील पैक टाइट बुर में लंड नहीं गया और वो दर्द से चिल्ला उठी. वो मना करने लग गई और रोने भी लगी.

मैंने उसे बहुत मनाया.. पर वो नहीं मानी और बस मैं उसकी बुर के ऊपर रगड़ कर ही झड़ गया.

वैसे आज उसने मुझे कम मज़ा नहीं दिया था, जिस तरह से ये उसका पहली बार था.. मैं भी पहली बार कर रहा था और चुदाई का मुझे कोई तजुर्बा भी नहीं था.. उस हिसाब से हम दोनों ने पूरा मजा जैसा ही ले लिया था.

मैंने उसे कैसे चोदा, ये मैं इस बुर की चुदाई की कहानी के अगले भाग में बताऊंगा.

आप लोगों को मेरी ये अधूरी चुदाई की देसी कहानी कैसी लगी.. बताइएगा जरूर.
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पहला प्यार और कुंवारी बुर की चुदाई-2

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