यह प्रिंसेस सेक्स कहानी काल्पनिक है. एक देश की तीन राजकुमारियों से मैंने एक साथ शादी की. फिर तीनों मेरे साथ सुहागरात मनाने के लिए आतुर थी.
हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम नीरज है और अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली सेक्स कहानी है.
इस सेक्स कहानी में मैंने एक कल्पना को लिखा है. जिसमें एक राजकुमार ने तीन कुंवारी राजकुमारियों की चुदाई के लिए क्या क्या पापड़ बेले और अंततः उन तीनों की चुदाई भी की.
मैं आशा करता हूं कि आप सभी को मेरी यह काल्पनिक सेक्स कहानी पसंद आएगी.
प्रिंसेस सेक्स कहानी में आगे बढ़ने से पहले मैं कहानी के पात्रों का परिचय दे देता हूँ.
आल्फा यानि मैं पहाड़पुर का राजकुमार हूँ. मेरी उंचाई साढ़े छह फिट है. कद्दावर शरीर है. लंड साढ़े 7 इंच लम्बा और काफी मोटा है. मेरी आयु 20 साल की है.
सितमगढ़ रियासत के राजा की कई रानियाँ थी. कहानी की तीन राजकुमारियां अलग अलग रानियों से थी.
कृति सितमगढ़ की महारानी की बड़ी बेटी है. इसकी आयु 20 साल है. ऊंचाई काफी ज्यादा है, यही कोई 5 फुट 11 इंच का कद है. राजकुमारी का मादक फिगर 34-28-36 का है.
पूजा दूसरी राजकुमारी का नाम है, ये उस वंश की दूसरी रानी की बेटी है. इसकी आयु साढ़े उन्नीस साल है. ऊंचाई 5 फुट 10 दस इंच की है और मस्ताना फिगर 32-26-34 का है.
मीना सबसे छोटी राजकुमारी का नाम है. ये करबंडा वंश से आई महारानी की बेटी है. इसकी आयु 19 साल है. जबकि कद सामान्य लड़कियों जैसा 5 फुट 3 इंच का है. लेकिन फिगर किसी पोर्न एक्ट्रेस के जैसा है. इसकी फिगर 34-28-36 की है.
सूर्यभान, राजकुमारी कृति का हमउम्र कजिन है.
मैं भूतकाल की चर्चा करते हुए इस सेक्स कहानी को लिख रहा हूँ.
दस साल पहले पहाड़पुर और सितमगढ़ के राजघरानों के काफी अच्छे संबंध थे. मैं और राजकुमारियां साथ में ही खेला करते थे. मैं और राजकुमारी कृति एक दूसरे को पसंद करते थे. हमारी शादी बहुत पहले ही तय हो चुकी थी.
राजकुमारी पूजा बड़ी शरारती थी, वो सबको बहुत परेशान करती थी. पता नहीं क्यों राजकुमारी पूजा मुझसे किस बात से गुस्सा रहती थी.
जबकि मीना छोटी सी सबकी लाड़ली राजकुमारी, मेरा बहुत सम्मान करती थी … मेरी हर बात मानती थी.
सब कुशल-मंगल चल रहा था.
मगर एक दिन सूर्यभान के पिता और मेरे चाचा ने चूत के चक्कर में एक दूसरे की जान ले ली और हमारे परिवारों के बीच दुश्मनी हो गई.
ये भूतकाल का संक्षिप्त सा वृतांत था. अब वर्तमान में क्या चल रहा था, वो सुनाता हूँ.
अब मैं बड़ा हो चुका था, देश के श्रेष्ठ योद्धाओं में मेरी गणना होती थी. राज्य में सब कुशल-मंगल था.
एक दिन सूर्यभान आया, उसने बताया कि महाराजा ने तीनों राजकुमारियों के लिए दो सप्ताह बाद स्वयंवर का आयोजन किया है, जिसमें आल्फा यानि मुझे आमंत्रित नहीं किया गया था.
मेरे सामने मेरी कृति किसी और की होने वाली थी.
सूर्यभान ने प्रस्ताव रखा कि वो मेरी मदद कर सकता है, मगर मुझे बदले में उसे सितमगढ़ की राजगद्दी दिलानी होगी.
ये उसने प्रस्ताव रखा जरूर था, लेकिन मैं समझ गया था कि इसके दिमाग में राज्य पाने की लालसा है और अपनी लालसा के चलते ये मेरे लिए भी कुछ और ही षडयंत्र सोच रहा है.
मुझे भी कृति चाहिए थी, तो मैं सूर्यभान से सहमत हो गया और हम दोनों रणनीति बनाने लगे.
हमारी योजना के अनुसार ही हमने अगले ही दिन सितमगढ़ पर हमला बोल दिया.
मेरी सूझबूझ, सूर्यभान की मदद और सेना की ताकत से सिर्फ दो दिन में ही हम विजयी हो गए.
राजा और उसके परिवार को हमने बंदी बना लिया.
राज्य में हमने ये अफवाह फैला दी थी कि अगले दिन हमारी सेना सबका कत्लेआम करने वाली है.
सब बहुत डरे हुए थे लेकिन कृति को मेरे इरादों की भांप गई थी इसलिए वो निश्चिंत थी.
अगले दिन राजा और उसके परिवार को दरबार में बुलाया गया.
राजकुमारी कृति जैसे अप्सरा सी लग रही थी. वो कद से तो लंबी थी ही और उसका मादक फिगर … इस समय मेरे सीने में उसकी मादक निगाहों की बरछियां चल रही थीं.
उसके सीने पर एकदम नब्बे डिग्री में तने हुए दो बड़े संतरों से शानदार मम्मे, मेरे लंड को उठक बैठक लगवा रहे थे.
पूजा और मीना भी काफी सुंदर लग रही थीं. उन दोनों के प्रति भी मेरी नीयत बदल रही थी.
मैंने राजा से प्रस्ताव रखा कि हम राज्य के किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार का नुक़सान नहीं करेंगे अगर आप अपनी तीनों बेटियों की शादी मुझसे करवा दें.
मेरी शर्तों में ये भी शामिल था कि बड़ी राजकुमारी के बड़े बेटे को राज्य का उत्तराधिकारी बनाया जाएगा.
लाचार राजा ने हामी भर दी.
कृति को इस बात की बहुत खुशी थी कि उसका विवाह बलशाली आल्फा यानि मेरे साथ हो रहा था.
पूजा और मीना को भी कोई दिक्कत नहीं थी.
उधर मेरी योजना के अनुसार सेना ने सूर्यभान को भी राजद्रोह के चलते बंदी बना लिया.
अगले ही सुबह तीनों राजकुमारियों के साथ मेरा विवाह हुआ. बाद में मेरी और कृति की ताजपोशी की गई.
अब वह मेरी रानी थी.
तीनों ही इस शादी से खुश थीं.
मैं आगे चुदाई के कार्यक्रम के लिए उतावला हो रहा था. तीनों रानियों की सहमति लेकर दोपहर में ही प्रोग्राम तय कर दिया गया कि आज ही सुहागरात होगी.
सुहागरात का समय हो गया था.
सितमगढ़ के शाही तालाब के अन्दर बने एक टापू पर छोटा सा महल है, जो एकांत के लिए ही बनाया गया था. इसे आनन्द महल का नाम दिया गया था.
सुहागरात की सब तैयारियां हो चुकी थीं. नाविक मुझे महल के किनारे छोड़ कर वापिस चला गया था.
मेरे कदमों की आवाज सुनते ही कमरे में उन तीनों की गुप-चुप बंद हो गई.
तीनों राजकुमारियां दुल्हन के जोड़े में गहनों से सजी एक बड़े से आलीशान पलंग पर शरमाई हुई बैठी थीं.
आज वो कुंवारी कली से फूल बनने जा रही थीं.
राजकुमारी कृति खड़ी होकर मेरे पास दूध का गिलास लेकर आई.
मैंने आधा दूध पिया और उसे वापस दे दिया.
उसने एक घूंट पी कर गिलास मीना को दे दिया. मीना ने भी थोड़ा सा दूध पीकर पूजा को गिलास थमा दिया.
अब उन तीनों के साथ रमण का समय आ गया था. मैंने पहले कृति को चुना.
मेरे उसे छूते ही कृति की चूत चुदाई का कार्यक्रम शुरू हो गया.
हम दोनों एक दूसरे से पहले ही विवाहित हो चुके थे. आज बहुत सालों के बाद हम दोनों ऐसे मिल रहे थे.
कृति और मैं एक दूसरे को ऐसे देखने लगे वक्त मानो थम सा गया था.
फिर मैंने उसे बांहों में लेकर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और चुम्बन करना शुरू कर दिया.
हम दोनों धीरे धीरे गर्म हो रहे थे. मेरा दाहिना हाथ सरकते हुए उसके लहंगे के अन्दर चला गया और मैं उसकी मखमली सी गांड दबाने लगा.
मेरा दूसरा हाथ ऊपर से उसके संतरों को सहला रहा था.
मेरा नीचे से घुसा हाथ, उसके चूतड़ों के बीच से होकर आगे को आ गया और कृति की चूत को सहलाने लगा.
वो सिहरने लगी.
उसकी चूत ऐसी थी मानो धागे से सिली हुई हो. उसने शायद अपनी चूत में अब तक उंगली भी नहीं चलाई थी.
मैंने अपने एक उंगली बड़ी मुश्किल से उसकी सील पैक चूत में घुसाई.
मेरी उंगली के जाते ही वो हल्के दर्द से कराह उठी.
एक अनजाने सुख की चाह में उसकी चूत गीली हो चुकी थी.
मैंने कुछ देर में ही एक उंगली को अच्छे से अन्दर बाहर करनी शुरू कर दी.
इससे कृति को मजा आने लगा.
इसके बाद मैंने एक और उंगली उसकी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा.
मेरे इस कृत्य से कृति की सांसें और धड़कनें तेज हो गईं.
उसने मेरे बालों को जोर से पकड़ लिया.
कृति दर्द के कारण सिसकारियां भी नहीं ले पा रही थी क्योंकि मैंने उसके होंठों को जकड़ लिया था.
थोड़ी देर बाद मैंने उसका ब्लाउज खोल कर निकाल दिया और उसने मेरी शेरवानी हटा दी.
मैं उसके अनावृत हो चुके मम्मों को बारी बारी से चूसने लगा और वो मेरे पजामे के अन्दर हाथ डालकर लंड को सहलाए जा रही थी.
हम एक दूसरे को पूरे शरीर पर चूम-चाट रहे थे. कुछ ही देर में हम दोनों ने एक दूसरे को पूरा नंगा कर दिया.
कृति अपने हाथों में सजी मेंहदी और कुछ गहनों के साथ एकदम क़यामत लग रही थी.
मैंने नंगी कृति को गोद में उठाया और पलंग के मखमल से मुलायम गद्दे पर सीधा लिटा दिया. फिर कृति की टांगों पकड़ कर उसे पलंग के किनारे खींचकर अपने नजदीक कर किया.
उसकी दोनों टांगों को अपने दोनों कंधों पर रख कर मैं उसके मादक जिस्म को निहारने लगा.
उसकी शर्म से आंखें बंद हो गई थीं.
मैंने उसकी मुलायम जांघों को अन्दर तक चूमना शुरू कर दिया और जाघों के जोड़ तक चूमते हुए आकर आखिर में उसकी कमसिन चूत में मैंने अपनी जीभ पेल दी.
वो सिसिया उठी और उसकी कमर मचलने लगी.
मैंने उसके दोनों चूतड़ों को थाम कर उसकी चूत को अपने मुँह से सटा ली और जीभ को चूत के अन्दर बाहर करने लगा.
राजकुमारी कृति की चूत में मेरी जीभ चल रही थी और मेरे दोनों हाथ उसके मम्मों के उभार नाप रहे थे.
थोड़ी देर बाद वो मस्ती से कराहने लगी और अकड़ने लगी. इस दौरान वो अपने दोनों हाथ और पांव से मेरा सिर अपनी चूत पर दबाए जा रही थी.
कृति- आह … मेरे सरताज … अब मत तड़पाओ … उम्मह … मेरी चूत चोद दो … आह … मेरी कुंवारी चूत की सील तोड़ दो … आह.
उसकी मादक कराहें सुनकर और अपने सामने मेरी और कृति की संभोग लीला देख कर राजकुमारी पूजा और मीना भी उत्तेजित हो चुकी थीं.
करीब पांच मिनट बाद राजकुमारी कृति कांपने लगी और वो अपने चूतड़ों को मेरे मुँह पर दबाते हुए मेरे मुँह में ही झड़ गई.
कृति की चुद झड़ कर निढाल हो गई थी लेकिन मैं उसकी कच्ची चूत का पहला रस पीकर मस्त हो गया था.
मैंने उसकी चूत का नमकीन पानी चाट कर साफ़ कर दिया.
उसकी चूत झड़ जाने के बाद भी मैं कृति की चूत चूसता रहा. इससे हुआ ये कि वो फिर से चुदने को तैयार हो गई थी.
अब मैं कृति की टांगों के बीच खड़ा हुआ और उसके पैर नीचे करके फैला दिए.
उसकी टांगें कुछ इस तरह से चौड़ी कर दीं कि उसकी चूत लंड के लिए खुल सी गई थी.
कृति की चूत पहले से ही इतनी गीली थी कि उसमें तेल लगाने की जरूरत न थी.
मैंने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और झुक कर उसकी चूत पर सैट करके धीरे धीरे फांकों में रगड़ने लगा.
कृति कराहते हुए मचलने लगी- उम्मह … चोद दो मेरे राजा … आह अब और मत तड़पाओ.
मैंने झुक कर कृति का दाहिना हाथ जकड़ लिया और अपने होंठों से उसके होंठ लगा दिए. फिर बाएं हाथ से लंड को उसकी चूत पर सैट करके जोर का झटका दे दिया.
मेरे पहले झटके में ही करीब 3 इंच लंड उसकी चूत में घुस गया.
वो दर्द से तड़फ उठी और उसकी चीख होंठों में ही दबी रह गई.
उसने दर्द की अधिकता में अपने एक हाथ से मेरी पीठ में नाखून गड़ा दिए … और वो करती भी क्या!
उसकी चीख सुनने वाला यहां हम तीनों के सिवाए कोई न था.
उधर गर्म हो रही पूजा और मीना अपने पांवों के बीच अपनी चूत दबोचे एक कामुक तमाशा देख रही थीं.
अचानक कृति के मुँह से मेरे होंठ हट गए और उसकी दर्द भरी आवाज़ से वे दोनों सिहर गईं.
मैंने उन दोनों की तरफ देखा, तो पूजा मेरे पीछे से आकर मुझे चूमने चाटने लगी. मैं कृति की चूत में अपना लंड फंसाए पूजा के चुम्बनों का मजा लेने लगा.
कुछ देर बाद कृति के सामान्य होते ही मैंने फिर से लंड चूत में पेल दिया. इस बार करीब 6 इंच लंड उसकी चूत में समा गया था.
कृति फिर से चिल्ला पड़ी और रो ही पड़ी.
मैंने देखा तो मेरे लंड पर थोड़ा सा खून लगा हुआ था.
थोड़ी देर बाद मैं फिर से धक्के देने लगा. धीरे धीरे उसकी आह आह की कराहें मज़े की आवाजों में बदलने लगीं.
अब वो भी अपने चूतड़ों को लंड की लय ताल से मिलाते हुए हिलाए जा रही थी.
मैंने उसे मस्त होते देखा तो लंड बाहर खींच कर फिर से एक जोर का झटका दे दिया और इस बार मैंने अपना पूरा लंड राजकुमारी कृति की बच्चेदानी तक पेल दिया.
कृति चिल्लाते हुए तड़फ उठी- आह … उम्मह … चोद दे मुझे मेरे राजा … आह … चोद दे अपनी इस रंडी रानी को … अहह … याह.
मैं कृति की इन बातों से अतिउन्मादित हो गया और ज्यादा ज़ोर से धक्के देने लगा.
वो मेरे लंड की चोटों से अपनी कुंवारी चूत को फड़वाती रही.
करीब दस मिनट के धक्कों बाद कृति अपने दोनों पैरों से मुझे चूत में दबोचने लगी और कांपने लगी.
मैंने अपने लंड पर दबाव महसूस किया और तभी कृति एक जोर की चीख के साथ फिर से झड़ गई.
मगर मैंने अपने धक्के लगाने जारी रखे.
एक मिनट बाद कृति निढाल हो चुकी थी, मगर मेरे लंड के झटकों से वो बार बार हुमच सी रही थी.
फिर मैंने कृति को पलंग से उठाया और खुद लेट कर कृति को ऊपर आने का इशारा किया.
वह काफी थक चुकी थी लेकिन लंड की प्यास ने उसे फिर से मजबूत कर दिया.
वो मेरे ऊपर आई और मेरे लंड को अपनी चूत पर सैट करके एक हल्की सी सिसकारी के साथ लंड पर बैठ गई.
अब धक्के लगाने की बारी कृति की थी. थोड़ी देर लंड को चूत में लिए बैठी रही और कमर हिलाते हुए संभलने की कोशिश करती रही.
जैसे ही लंड ने चूत में स्थान बना लिया तो उसने ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया.
वो अपने मम्मे हिलाते हुए मुझे चोदने लगी.
मैं भी नीचे से अपने हाथों से उसकी गांड को सहारा देते हुए अपनी गांड हिला हिला कर कृति का साथ देने लगा.
इधर राजकुमारी पूजा मेरे निप्पल चूसे जा रही थी और मीना मुझे किस किए जा रही थी.
ये जन्नत सा सुख शायद ही किसी खुशनसीब को मिला होगा. एक कुंवारी चूत मेरे लंड पर कूद रही थी और दो कुंवारी चूतें लंड से चुदने के इंतजार में बैठी थीं.
दो मिनट बाद मैंने मीना को इशारा किया.
उसने मेरी चाहत को समझते हुए कृति को रानी का ताज पहना दिया. अब एक नंगी महारानी सी बनी कृति मेरे लौड़े पर बैठकर सवारी कर रही थी.
मैं अपने दोनों हाथों से कृति के मम्मे दबा रहा था.
वो भी मेरी मंशा को समझ गई थी और मादक आवाजें लेते हुए लंड पर गांड पटकने लगी.
राजकुमारी से रानी बन चुकी कृति की आवाजें मुझे और भी ज्यादा मदांध कर रही थीं- आह … चोदो मुझे मेरे राजा जी … उम्मह मेरे स्वामी … आह चोदो अपनी इस रंडी रानी को … मैं आपके लंड की दासी हूं … आह फाड़ डालो इस रानी की चूत को … आह.
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद महारानी कृति फिर से कांपने लगी.
अब मेरा शरीर भी धीरे धीरे अकड़ने लगा था.
इतने में ही इधर राजकुमारी पूजा ने मेरे निप्पल पर हल्का सा काट दिया.
मैं कामोत्तेजना से चीख उठा और इसी के साथ मैंने कृति की चूत में अपने प्रेम की धारा को खोल दिया.
कृति भी निढाल होकर मेरे सीने पर गिर पड़ी.
हम दोनों ही काफी थक चुके थे.
अभी की प्रिंसेस सेक्स कहानी में इतना ही. अगले भाग में पढ़िए कि कैसे मैंने बाकी दोनों राजकुमारियों की जम कर चुदाई की.
मेरी इस सेक्स कहानी पर आपके मेल मुझे प्रोत्साहित करेंगे.
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प्रिंसेस सेक्स कहानी का अगला भाग: तीन राजकुमारियों के साथ सुहागरात- 2