सुबह सवेरे पार्क में भाई से चुदी

दोस्तो नमस्कार, मैं मधु जायसवाल… आपकी पुरानी सहेली… आप सभी प्यारे पाठकों का एक बार फिर बहुत दिनों बाद अपनी आत्म कथा में स्वागत करती हूँ और आप लोगों से माफी चाहती हूँ कि कहानी आने में इतनी देरी हो गयी।
मैं भी क्या करूँ दोस्तो, आजकल समय नहीं मिल पाता है क्योंकि पहले मैं चुदती हूँ फिर उसे आप लोगों के लिए कहानी में लिखती हूँ।

आप लोगों के लिए एक खुशखबरी है और एक सवाल भी है। खुशखबरी यह है कि मेरा बेटा 3 साल का हो गया। और सवाल भी यही है कि मैं किसके बच्चे की माँ बनी हूँ। अब आप लोग सोच रहे होंगे कि यह कैसा सवाल है?
लेकिन यह सवाल सही सही है।
आपने मेरी कहानी
मेरे बेटे का बाप कौन है
पढी ही होगी, नहीं पढी तो पहले उसे ही पढ़ लें!

जब मैं पेट से हुई तो उस वक्त मेरी चुदाई 4 मर्द करते थे। अब मुझे यह पता नहीं चल रहा कि मेरे बेटे का असली बाप कौन है। वैसे तो कहने को अभी उसके 6 बाप हैं लेकिन दुनिया के नज़र में तो एक ही बाप है और असल में तो उसका कोई एक ही बाप होगा ना!

एक बात और… अब अगर मैं फिर से माँ बनी तो इस बार मैं चाहूंगी कि मेरे अगले बच्चे के कम से कम 20 बाप हों। इन 20 में आप भी हो सकते हैं क्योंकि मेरे इस बच्चे का एक बाप फेसबुक का है। अब पता नहीं मेरे अगले बच्चे का बाप बनने का सौभाग्य कितने फेसबुक दोस्तों को मिलता है।

खैर इन सब बातों को छोड़िये, अब सीधे कहानी पर आती हूँ।

यह कहानी भी मेरी शादी से पहले की ही है। जैसा कि मेरी पिछली कहानी
मेरी चोदन कथा: पांच लफंगों से पार्क में चुदी
में आपने पढा कि किस तरह से गली के लफंगों ने मेरी ज़बरदस्ती चुदाई करी… और न जाने कितनी बार करी! मैं तो चुदते चुदते बेहोश हो गई थी।
मुझे जब होश आया तो मैं बेसुध सोई थी। पार्क में बिल्कुल अंधेरा था। फिर जैसे तैसे हाथ पांव मारते मारते मोबाईल को खोजा। जब मैंने मोबाईल में समय देखा तो सुबह के तीन बज रहे थे। फिर मैं मोबाइल की रोशनी में अपने कपड़े ढूंढने लगी। जब मैंने अपने कपड़े देखे तो मुझे रोनी आ गई… सालों ने जैम कर मेरी चूत तो चोदी ही… और साथ ही साथ सारे कपड़े के चीथड़े चीथड़े कर दिए थे।

अब मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। अब क्या करूँ… सुबह होने वाली थी और मैं पब्लिक पार्क में नंगी थी। कुछ देर में लोग आने लगते! मेरे दिमाग ने भी काम करना बंद कर दिया था।
तभी मुझे शनि की याद आयी।
अब आप सोच रहे होंगे कि ये शनि कौन है।
तो मैं आपको बता दूँ कि शनि मेरी मौसी का बेटा है, वो इसी शहर में रह कर पढ़ाई करता है, वो मेरे से छह महीने छोटा है लेकिन एक नम्बर का चोदू है।

उसने मुझे कभी भी बहन समझा ही नहीं… हमेशा हवस भरी नजरों से मुझे घूरता रहता और जब भी मेरे घर आता तो हमेशा मुझे छूने की कोई न कोई बहाना ढूंढता रहता… जब अकेले मिल जाती तो मेरी गांड, चूची भी मसल देता कभी कभी तो चुम्मी भी ले लेता। मैंने कितनी बार उसे रोकने की कोशिश भी की कि ‘ऐसा मत करो, हम भाई बहन हैं’ लेकिन वो नहीं मानता उसने कई बार मेरी चुदाई करनी चाही। मैं भी चुद लेती… लेकिन भाई था और मुझे लंड की कमी नहीं थी इसलिए मैं उसे अनदेखा कर देती थी।

अब मेरे पास शनि को फोन के अलावा कोई चाड़ा नहीं था। मैंने तुरंत शनि को फोन किया, पहली बार में उसने नहीं उठाया, दूसरी बार में उठाते ही बोला- क्या हुआ? इतनी सुबह सुबह? सब ठीक है?
मैं बोली- नहीं, कुछ ठीक नहीं है। तू एक काम कर… जल्दी से *** पार्क में आ जा!
मैंने उसे पार्क का नाम बताया.
वो बोला- लेकिन बताओ तो कि क्या हुआ?
मैं बोली- इतना समय नहीं है, तू जल्दी आ… और मेरे लिए एक जीन्स और टी-शर्ट लेकर आ।
वो बोला- बताओ तो आखिर हुआ क्या है?
मैं बोली- तू जल्दी आ, सब बताती हूँ।

शनि बोला- आप कहाँ हो?
मैं बोली- पार्क में!
शनि बोला- ठीक है, आप पार्क के बाहर इंतज़ार करो, मैं 10 मिनट में पहुँच रहा हूँ।
मैं बोली- यार, पार्क बन्द है और मैं पार्क के अंदर नंगी हूँ।
तो वो बोला- बस मैं निकल रहा हूँ।
और फोन काट दिया।

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फिर मैं पार्क में मोबाइल की रोशनी में गेट की ओर जाने लगी तो रास्ते में एक नल दिखा। मैंने सोचा कि जब तक शनि आ रहा है, तब तक थोड़ी साफ हो जाऊं… मेरे पूरे शरीर पर मिट्टी लगी थी।
मैंने मोबाइल को साइड में रखा और पाइप के सहारे खुले पार्क में नहाने लगी और अपने आप को अच्छे से साफ चूत, गांड, चूची को रगड़-रगड़ के साफ किया और एकदम तरोताजा हो गयी।

तभी मुझे बाइक की आवाज सुनाई दी, मैं पानी बंद कर के गेट की तरफ चल दी। जब तक मैं पहुँचती शनि दीवार कूद कर अंदर आ गया।
मैंने तो सोचा था कि भाई को बोलूंगी कि कपड़े अंदर फेंक… लेकिन यह साला मुझे नंगी देखने अंदर आ गया।

भाई के आते ही मैं झाड़ी में छुप गयी और बोली- शनि कपड़े दे!
वो बोला- बाहर आओ दीदी!
मैं बोली- मैं कुछ नहीं पहने हूँ।
तो शनि बोला- तब तो और मज़ा आएगा दीदी, आज मेरी बरसों की तमन्ना पूरी होगी।

मैं कुछ बोलती कि वो मेरे पास आ गया और मेरे नंगे जिस्म को मोबाइल की रोशनी में ताड़ने लगा।
मैं शर्म से सिमट गई थी।
फिर उसने मुझे गले से लगा लिया और अपने हाथों से मेरी गांड मसलने लगा और जीभ से मेरी गर्दन पर से पानी की बूंदें चाटने लगा जिससे मेरे बदन में एकदम से सनसनी सी फैल गयी।

फिर वो अपने जीभ से कुत्ते की तरह मेरी गर्दन, गाल, होंठ चाटने लगा। मैं फिर से मदहोश होने लगी परन्तु अपने आप को काबू में करके मैं उसे अपने से दूर करके बोली- बेशर्म… छोड़ मुझे! बहन हूँ मैं तेरी।
फिर वो गुस्से में बोला- दीदी, ये गलत है, आप सारी दुनिया से चुदती हो और मुझे बेशर्म बोलती हो? ये गलत है। आज आप जो चाहे बोलो… आज मैं आपकी एक नहीं सुनूंगा! आज तो मैं तुझे चोद कर ही रहूँगा!
मैं बोली- शनि, पागल मत बन, चल घर चल!
वो बोला- आज तो तुझे चोदने के बाद ही जाँऊगा, चाहे जो हो जाये।
और वो फिर मेरे से लिपट गया।

मैं कुछ बोल पाती, उससे पहले वो लिपलॉक (स्मूच) किस करने लगा और मेरी चूची को बड़े ही बेदर्दी ढंग से मसलने लगा। मुझे आज तक यह बात समझ में नहीं आई कि सारे मर्द अपना जोश चुचियों पर ही क्यों निकालते हैं।

वो जोर जोर से अपनी नंगी बहन की चूची को ऐंठने लगा और फिर एक हाथ से मेरी चूत में उंगली करने लगा जिससे मैं कामुकता वश एकदम व्याकुल सी हो गयी। मुझे फिर से चुदास चढ़ने लगी। मुझे खुद पर यकीन नहीं हो रही थी कि अभी 5 लड़कों ने मेरी चूत हर संभव तरीके से चोदी और मैं फिर से चुदने को तैयार हो गयी।
मुझे लगा कि मैं चुदक्कड़ बनती जा रही हूँ।

फिर मैंने सोचा कि ये जवानी दुबारा मिलने वाली तो है नहीं… तो क्यों ना पूरे मजे लूं और सोचा कि चलो आज भाई के लन्ड का भी स्वाद चख ही लेती हूँ।
लेकिन पार्क में नहीं… क्योंकि पार्क खुलने का समय हो गयी थी।

फिर मैंने अपने ऊपर कंट्रोल किया और जैसे तैसे भाई को अपने नंगे जिस्म से अलग किया और बोली- देख शनि, मैं तुम से चुदूँगी लेकिन आज नहीं फिर कभी!
शनि बोला- नहीं दीदी, आज तो मैं चोद कर ही रहूँगा।
वो मानने के मूड में नहीं था।
फिर मैं बोली- ठीक है, आज ही चोद लेना… लेकिन घर तो चलो, यहाँ कोई आ जायेगा।
शनि बोला- कोई नहीं आएगा दीदी, पार्क 4:30 बजे खुलता है और अभी 3:50 ही हुए हैं। तब तक तो मैं आपकी चूत का भोसड़ा बना दूंगा।
उसे क्या पता कि उसकी बहन को पूरी रात 5 लड़कों ने चोद चोद कर उसकी चूत की हालत खराब कर दी है। और मैं बता भी नहीं सकती थी।

फिर वो नीचे अपने घुटनों पर बैठ गया और अंधेरे में ही मेरी चूत के ऊपर अपनी जीभ फेरने लगा और पानी की बूंदों को अपने जीभ से चाटने लगा.
धीरे-धीरे वो मेरी नंगी जांघों को भी चाट रहा था और एक हाथ से मेरी चूत में उंगली भी कर रहा था।

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अब मेरी कामवासना मेरे बर्दाश्त से बाहर थी, फिर मैं बोली- ठीक है, आज तू भी अपनी बहन की जवानी टेस्ट कर के बहनचोद बन जा!
इतना सुनते ही भाई ने मुझे गले से लगाया और मेरे गाल, होंठ, गर्दन को चूमने लगा।

मैं बहुत गर्म हो गयी और उसकी हर हरकत का जवाब देने लगी। मैं भी उसे चूमने लगी। यह देख शनि को और जोश आ गया और मेरी चूचियों को पीने लगा, काटने लगा।
फिर वो बोला- दीदी लेट जाओ, टाइम कम है।
मैं बोली- नीचे?
तो वो बोला- लेट जाओ यार, घास है। आज मैं आपको खुले आसमान में चुदाई का आनंद दूँगा।
मैं मन ही मन बोली ‘बेटे, पूरी रात मैं यही करवा रही हूँ।’

फिर भाई ने मुझे नीचे लेटा दिया और अपने कपड़े उतारने लगा। फिर उसने अपना लन्ड निकाल कर मेरे मुंह पे रख दिया। मैं भी अपने भाई का लंड चूसने लगी और वो मेरी चूत चाटने लगा।
शनि का लन्ड बिल्कुल अमित की तरह था और वो चूत भी अमित की तरह ही चूस रहा था। मैं उसके लन्ड को भी अमित का ही लन्ड समझ कर चूस रही थी।

करीब 10 मिनट बाद मेरी चूत पानी छोड़ दिया और उसने सारा पानी जीभ से चाट कर साफ किया और फिर लन्ड को मेरे चूत के द्वार पर टिकाया और जोरदार झटका मारा और एक बार में लन्ड को मेरी बच्चेदानी तक पहुंचा दिया. जैसे ही उसके लंड ने चोट की, मेरी तो जैसे दर्द के कारण एक बारगी आवाज़ ही बंद हो गयी। लेकिन अगले ही पल मैं जोर से चिल्लायी- हाय मेरी चूत साले भाई ने फाड़ दी।
और मैं बोलने लगी- ओह्हह हह आह हहह ओह माँ… मेरी चूत फट गई।

मेरी चीख से मेरा भाई बहुत खुश हुआ। मैं जोर से छटपटाई लेकिन वो लन्ड आगे पीछे करने लगा। करीब 5 मिनट बाद मुझे भी मजे आने लगे, मैं भी मूड में आ गयी थी और कमर उचका-उचका कर चुदवा रही थी और मदहोशी में बोलने लगी- फाड़ दो मेरे भाई अपनी बहन की चूत को!
वो भी पूरे जोश से गाली देने लगा- आज तो तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा साली।
मैं बोली- बहनचोद साले, अपनी बहन को रंडी बना दे।
फिर शनि बोला- आज तुझे रंडी की तरह ही चोदूंगा साली।

इसी तरह एक दूसरे को गालियां के साथ चुदती रही।

तकरीबन 10 मिनट बाद मैं झरने को आई, फिर मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगी- और तेजज्ज… उम्म्ह… अहह… हय… याह… फाड़ दे इस चूत को… साली में बहुत गर्मी है। भोसड़ा बना दे अपनी बहन की चूत को!
और मैं झर गयी।

करीब 5 मिनट बाद वो भी झरने को आया और बोला- दीदी मैं भी झड़ने वाला हूं। पानी कहाँ छोड़ूँ?
मैं बोली- भाई जहाँ तेरी मर्ज़ी हो!

फिर उसने चूत से लन्ड निकाला और मेरे मुँह में लन्ड डाल दिया और मेरे मुँह में आगे पीछे करने लगा। कुछ देर बाद तेज पिचकारी मेरे मुँह में निकली। मेरा मुँह उसके माल से भर गया था और भाई का वीर्य मेरे गले से नीचे उतरने लगा।
भाई के लंड से अभी भी वीर्य निकल रहथा… अब वीर्य मेरे मुँह से निकल कर मेरी चूचियों पर गिरने लगा था। फिर मैंने उसके लन्ड को अपने मुँह से निकाला और वीर्य को मुँह से निकालने लगी।
अब वीर्य मेरी पूरी चूचियों से होते हुए पेट और नाभि के रास्ते चूत तक जा पहुँचा।

अभी भी भाई के लन्ड से पानी निकल ही रहा था, वो लन्ड हाथ में लेकर मेरे चेहरे पर वीर्य निकालने लगा और अब मेरे पूरे शरीर पर मेरे भाई के लन्ड का वीर्य था।

फिर शनि ने मुझे गले लगाया और बोला- दीदी, आज मजा आ गया!
और मेरे वीर्य वाले गाल पर पप्पी कर दी।
मैं हँसती हुई बोली- बहनचोद बन कर खुश है ना?
तो वो बोला- तेरी जैसी बहन हो तो हर भाई ख़ुशी-ख़ुशी बहनचोद बन जायेगा।
और फिर हम दोनों हँसने लगे।

आपको यह कहानी कैसी लगी जरूर बताएगा। आप मुझे कमेंट्स कर के बता सकते हैं कि मेरी कहानी कैसी लगी।
आपकी बहुत प्यारी चुदक्कड़ दोस्त मधु जायसवाल एक बार फिर आपको नमस्कार करती है।

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