पेंटर बाबू: आई लव यू-1

यह बात बहुत पुरानी नहीं है, तो आज भी जब वो सब याद आता है, तन बदन डर, रोमांच, और वासना के मिले जुले असर से थरथरा उठता है!

मैं करीब 40 साल का हूँ, लेकिन शौकिया तौर पर फिजिकल फिटनेस का ध्यान रख लेता हूँ (बिना जिम गए) तो कम उम्र का दिखता हूँ! चेहरे और रंग से ऐसा नहीं हूँ कि किसी लड़की या लड़के की पहली पसंद बनूँ, फिर भी अच्छा कद है, चौड़ा सीना है, कमर अभी भी 32 की है और रोज़ाना की लम्बी लम्बी सैर की वजह से मेरे कूल्हे और जांघें काफी आकर्षक हैं!
मेरे बहुत सारे दोस्त (जिनकी सेक्सुएलिटी के बारे में मुझे कोई शक नहीं है और अच्छे से जानता हूँ कि वो स्ट्रैट बन्दे हैं) गाहे बगाहे मेरी गांड के शेप को लेकर कमैंट्स कर ही देते हैं!

खैर… कहानी पर आते हैं!
उम्र हो चली है और परिवार से दूर मुंबई में रहता हूँ. इस उम्र में मुंबई में मेरे ऐसे कोई दोस्त भी नहीं है जो वीकेंड्स पर मेरे साथ क़्वालिटी टाइम बिता सके; सब या तो अपने परिवार के साथ व्यस्त हैं या गर्लफ्रेंड चोदने में… मतलब 2 दिन में से कुछ घंटे नहीं निकाल सकते मेरे लिए? इतना भी क्या चोदना? लंड थकता नहीं क्या? या गोली खा के 2-2 दिन तक लगातार चोदते रहते हो?
खैर… अब आदत पड़ चुकी है… शनिवार उठो, कपड़े धोओ, सफाई करो, बाहर से लंच मँगाओ और या तो मोबाइल पर पोर्न देखो या अन्तर्वासना पर कोई बढ़िया कहानी पढ़ो!

ऐसा ही उस दिन भी हुआ था… सब काम से फ्री हो कर, लंच करके मैं अपने बिस्तर में नंगा हो कर उल्टा पड़ा हुआ अन्तर्वासना पर कोई गर्मागर्म कहानी पढ़ रहा था. वो कहानी 4-5 पार्ट्स में थी तो एक के बाद एक पूरी सीरीज की कहानियाँ पढ़ डाली और कसम से बहुत ही अच्छे से एक एक सीन को गर्मा कर लिखी थी कहानी, तो कब मैं अपना लौड़ा बिस्तर पर रगड़ने लगा पता ही नहीं चला.

मैं मेरे अपार्टमेंट के दूसरे फ्लोर पर रहता हूँ और विंडो और बालकनी कुछ इस तरह से है कि मैं पूरा टाइम घर में नंगा रहता हूँ तो भी बाहर से कोई देख नहीं सकता, जब तक की दूसरी सोसाइटी वाली बिल्डिंग्स में से कोई दूरबीन लगा कर ना देखे, और मेरे सोसाइटी से सबसे नज़दीक की सोसाइटी, जिसकी बिल्डिंग को मेरी विंडो से मेरे बैडरूम का डायरेक्ट व्यू मिलता हो, कम से कम 200 मीटर दूर है!

तो जब मैं अपना लौड़ा बिस्तर पर रगड़ रहा था, तो एक सरसरी नज़र उठा कर देखा कि नजदीक वाली बिल्डिंग में छत पर या बालकनी में कोई घूम तो नहीं रहा है ना? फिर कहानी में इतना मशगूल हो गया कि कुछ होश ही नहीं रहां.

थोड़ी देर बाद ढप्प की सी एक आवाज़ आयी, जैसे कोई कूदा हो! मैंने सोचा कि दरवाज़े खिड़कियाँ तो सब बंद हैं, ओपन बालकनी का ग्लास डोर भी बंद है… कौन होगा? कोई नहीं होगा. अन्तर्वासना की कहानी की जगाई हुई ठरक को, बदन में लगी हुई आग को, अपने फ़ालतू के शक की वजह से ठंडा नहीं करना चाहता था! तो मेरे ठरकी दिमाग ने किसी के कूदने के शक को दरकिनार कर दिया और भतीज-बहू के साथ सुहागरात कहानी में चाचा ने अपने इकलौते भतीजे की नयी नवेली बीवी की बुर का भरता कैसे बनाया” वाले भाग पर कंसन्ट्रेट करते हुए गांड उचका उचका कर अपने मुलायम बिस्तर को ही हल्के हल्के चोदने लगा.

मैं ठरक की गर्मी में इतना जल रहा था कि भनक तक नहीं लगी कि अब मैं अपने बिस्तर पर अकेला नहीं था! बेड ज़रा सा कसमसाया तो मैंने पलट कर देखा और मेरे मुँह से जोर की चीख निकल गई! डर के मारे शरीर के अंदर जगी हवस कब छू मंतर हो गई, कब मेरा लौड़ा लोहे की रॉड से मुलायम ककड़ी बन गया पता ही नहीं चला!

डर के मारे निकली मेरी उस चीख का कारण था, मेरे रूम में 2 हट्टे कट्टे मर्दों की मौजूदगी, जिनको ना मैं जानता था और ना ही मैं उन्हें उस समय एक्सपेक्ट कर रहा था.
ऐसा नहीं था कि मुझे इस बात से कोई फर्क पड़ता है कि किसी ने मुझे नंगा देख लिया! मैं बहुत बार जंगलों में, समुद्र किनारे पूरा नंगा होकर घूमा हूँ, वो भी दिन दहाड़े! कई बार लोगों ने मुझे नंगा घूमते देखा भी है! मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई मुझे नंगा देख ले तो क्या होगा. पर वो डर वाली चीख जायज थी! अचानक, बिना उम्मीद के जब कोई आपके इतना नज़दीक खड़ा मिले तो डर जाना लाज़मी है! और वो तो एक नहीं दो – दो थे, वो भी मेरे घर में, जिनको मैं जानता भी नहीं!

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जब धड़कनें कण्ट्रोल में आयी, तो देखा कि दोनों ने अपनी पैन्ट्स नीचे सरका रखी थी, और दोनों ने अपने अपने अंडरवियर के इलास्टिक को आंडों के नीचे करके अपने अपने काले काले लंड बाहर निकाल रखे थे और हौले हौले एक हाथ से आंड और दूसरे से लौड़ा मसल रहे थे!

मेरा डर अभी भी मुझ पर हावी था; मैं उनसे पूछना चाह रहा था कि वो कौन हैं और मेरे घर में कैसे आये, पर हल्क इतना सूखा हुआ था कि शब्द ही नहीं निकल रहे थे! जैसे तैसे मैंने हकलाते हुए उनसे पूछा पर उधर से कोई जवाब नहीं आया!
उनकी हवस भरी नज़रें मेरे बदन को टटोल रही थी! एक की नज़रें तो साफ़ कह रही थी कि पलट और गांड दिखा!

थोड़े और सेकण्ड्स बीते तो उनके कपड़ों पर पड़े पेंट के धब्बों से सब समझ आ गया. याद आया कि सोसाइटी में पेंट का काम चल रहा है और उस दिन मेरे साइड की पूरी दीवार का पेंट होना था और वो लोग सुबह से टॉप फ्लोर से रस्सी के सहारे लटक कर पेंट कर रहे थे! दोपहर होते होते वो ऊपर के 10 फ्लोर्स की पेंटिंग करते करते मेरे फ्लोर तक आ गए और उनमें से एक ने मेरे बैडरूम की खिड़की से मुझे नंगा, पेट के बल लेटे, अपने चूतड़ उचका उचका कर, बिस्तर चोदते हुए देख लिया था और वो ढप्प की आवाज़ उसी के मेरी बालकनी में कूदने की वजह से आयी थी.

पहले वो कूदा फिर उसने अपने साथी को धीरे से बालकनी पर ले लिया और उनको कोई डर भी नहीं था क्योंकि बालकनी में भी पेंटिंग करने का बहाना था उनके पास! और शायद कपड़े सुखाने के लिए जब मैंने बालकनी का ग्लास डोर खोला था, तो ठीक से बंद नहीं किया होगा जिसकी वजह से उन्होंने कब ग्लास पैनल सरकाया और कब वो दोनों अंदर आये, और कब वो दोनों मेरी कसी हुई गांड को नज़रों नज़रों से चोदने लगे, मुझे पता ही नहीं चला!
मेरी चीख निकले को करीब 15-20 सेकण्ड्स हो चुके थे, मैं अपने आप पर कण्ट्रोल कर चुका था. मुझे उनके इरादों का अंदाजा भी हो चला था, तो मैंने उनको गुस्से में कहा कि वो जिस रास्ते आये हैं उसी रास्ते निकल जाएँ वरना मैं पहले सोसाइटी में, फिर पुलिस में कंप्लेंट करूँगा!

मेरी इस बात पर वो दोनों ऐसे वहशियाना तरीके से हँसे जैसे पुरानी मूवीज में विलेन अपने चुंगल में फँसी हुई एक अबला लड़की को देख कर हंसा करता था!
फिर उनमें से एक मेरे पास आया और मोबाइल दिखा कर बोला- जरूर कर लेना कंप्लेंट, पर पहले ये देख ले! कंप्लेंट से हमें तो ज्यादा से ज्यादा 1-2 साल की सज़ा होगी, हम तो वैसे भी जेल जाने के आदी हैं! पर सोसाइटी में, तेरे ऑफिस में, तेरे परिवार-रिश्तेदारों में जो तेरा मजाक बनेगा कि एक उम्र दराज़ आदमी नंगा होकर बिस्तर चोद रहा है, उसका सोच! 2 मिनट लगते हैं वीडियो वायरल होने में… नहीं नहीं करते हुए भी 15 20 व्हाट्सएप्प ग्रुप्स का मेंबर हूँ मैं, और हर ग्रुप में 200-250 मेंबर्स हैं. सोचो, अगर हर ग्रुप्स में से 10-10 लोगों ने भी इस वीडियो को आगे भेज दिया तो 1 दिन से ज्यादा नहीं लगेगा इस वीडियो को तेरे ऑफिस वालों, तेरे परिवार वालों तक पहुँचने में!

उसकी बात सुन कर मेरी फट गई… कमीने ने तरीके से कभी फेस पर कभी मेरे चूतड़ों पर ज़ूम करके वीडियो बनाई थी! वीडियो में मेरे क्लीन शेव चूतड़, मेरी वैक्स की हुई टांगें साफ़ दिख रही थी! क्या जवाब दूंगा किसी को, कि मैं क्यों चूतड़ शेव करता हूँ और क्यों टांगें वैक्स करवाता हूँ!
वो मेरा दिमाग भांप चुका था और अब उसके रफ़ हाथ मेरी ताज़ा ताज़ा वैक्स की हुई जाँघों पर घूम रहे थे! टच तो टच होता है… मेरे मुँह से अपने आप आह निकल गई, और उन दोनों के मुँह से हँसी…

मैं होश में आया और नकली गुस्सा दिखाते हुए बोला- कितना पैसा चाहिए इस वीडियो को डिलीट करने के बदले?
वो पहले वाला जोर से हँसा फिर सीरियस हो कर बोला- पैसा तू मेरे से ले ले… बोल कितना चाहिये… पर ये वीडियो सिर्फ एक ही शर्त पर डिलीट होगा.
मैंने तुरंत पूछा- क्या?
मैं खुद उस मुसीबत से जल्द से जल्द निकलना चाह रहा था!

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“गांड दे अपनी!” उसने बिना किसी संकोच के डील रख दी- और दोनों को देनी पड़ेगी… बोल है मंजूर?
“बावला हो गया है क्या? मैं चोदा करता हूँ… चुदवाता नहीं हूँ… और तुम जैसों से तो बिल्कुल नहीं…” मैंने, वास्तव में मेरे स्वाभिमान ने एकदम से कहा! हालाँकि आखिर वाली लाइन मुँह से निकल ही नहीं पायी थी!
“तो क्या हुआ, देख तो सही… कि चुद कर कैसा लगता है… कैसा लगता है, जब गर्म गर्म लौड़ा वर्जिन टाइट गांड को चीरता हुआ अंदर घुसता है… देख तो सही कि जब लंड, गांड की पूरी सुरंग को रगड़ता हुआ, अंदर की दीवार को चोट मारता है, तो कैसा लगता है…” वो बोले जा रहा था.

मुझे लग रहा था कि मेरा कोई पुराना बॉटम जिसे मैंने उसकी ना नुकुर के बावजूद बेरहमी की हद तक चोदा था, उसके शरीर में घुस कर ये सब मुझे बोल रहा था! उसकी ये बातें ही मेरा अंदर तक बलात्कार किये जा रही थी.

उम्र के साथ मैंने सीखा है कि प्रॉब्लम आये तो टाइम खर्च करने से प्रॉब्लम का सलूशन दिखने लगता है! उसी आईडिया के साथ मैंने उसे पटाते हुए कहा- ऐसे नहीं चुदूँगा, नहा कर आ पहले… बाथरूम में गर्म पानी आ रहा है, जल्दी से नहा के आ…
पर शायद उसे मेरी बातों पर भरोसा नहीं था, फिर भी उसने भी मेरी तरह चालाकी दिखाते हुए कहा- खुद ही नहला दे ना मेरी जान… तीनों एक साथ नहाएंगे और वहीं से तेरे छेद का स्वाद लेना शुरू करेंगे!

मेरा कोई तीर निशाने पर नहीं लग रहा था; मेरे पास उसकी बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था- ठीक है चलो…
मेरी बात सुन कर दोनों एक झटके में नंगे होकर मुझे खिलौने की तरह उठा कर मेरे बैडरूम के बाथरूम में ले गए! वो बाथरूम मास्टर बाथरूम था, तो काफी जगह थी उसमें!

अब हम तीनों शावर के नीचे थे और हमारे बदन करीब करीब एक दूसरे को रगड़ रहे थे. मैंने शावर चालू किया और उनको कहा कि वो अपने शरीर को रगड़ रगड़ कर पेंट और पसीना धोयें.
पर आज मेरा दिन नहीं था; वो बोला- तू वो कर जो तुझे चाहिए! हम वो करेंगे जो हमको चाहिए!
कह कर वो मेरे वैक्स किये हुए सीने को मसलने लगा और उसके देखे देख, उसका साथी जो अभी तक चुप था, पीछे से मेरे चूतड़ों को सहलाने लगा! शायद उसकी नज़र में उसे सहलाना बोलते होंगे, पर उसके सख्त हाथ मेरे चूतड़ों को मसल रहे थे.

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे मजा आ रहा था या दर्द हो रहा था या मैं दो मुस्टंडो के बीच सैंडविच बन रहा था.
खैर… मुझे लगा कि इनके साथ कोआपरेट करने में ही भलाई है; और मैंने अपने एक हाथ से सामने वाले के हाथ को पकड़ा और दूसरे से पीछे वाले के हाथ को… और उनके हाथों को अपने बदन पर गाइड करने लगा… इससे उनको समझ आ गया कि अगर हाथ की पकड़ हल्की रही तो मुझे मजा आएगा और मैं जल्दी तैयार हो जाऊँगा. वो मंझे हुए खिलाड़ी ना सही, लेकिन सीख जल्दी रहे थे.

जब उनके हाथ मेरे शरीर पर मेरे मन मुताबिक़ चलने लगे तो मैंने साबुन उठाया और बारी बारी से उनकी बगलों पर, उनके झांटों पर उनकी गांड के क्रैक पर लगाया! वही कुछ एरिया थे जहाँ की बदबू मुझे सहन नहीं होती है!
पर बोला था ना कि वो सीख बड़ी जल्दी रहे थे, जैसे ही मैंने साबुन लगा कर उनकी अंडर-आर्म्स, क्रोच एरिया और गांड के क्रैक को धोया, पहले वाले ने मुझे पलट कर झुका दिया और मेरे पहले से चिकने चूतड़ों की दरार में बहुत सारा साबुन लपेड़ दिया! मुझे समझ आ गया कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है.
मैं झट से पलटा और इसके पहले कि वो कुछ कह पाता, मैंने उसके मेरी गांड में घुसने को तैयार, लौड़े को मुँह में भर लिया. उसके शब्द उसके हलक में ही रुक गए और उसके मुँह से एक लम्बी आह निकल गयी.

कहानी जारी रहेगी.
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कहानी का अगला भाग: पेंटर बाबू: आई लव यू-2

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