पड़ोस की भाभी सेक्स की चाह-2

मेरी पड़ोसन भाभी की चुदाई कहानी के पहले भाग
पड़ोस की भाभी सेक्स की चाह-1
में अब तक आपने जाना कि मेरी और शशि भाभी की बातें होने लगी थीं. एक दिन मैं उनके किचन में उनके पीछे खड़ा हो गया था और उनके साथ मस्ती करने लगा था. जिसका भाभी ने कोई विरोध नहीं किया था. मुझे समझ आ गया था कि आज भाभी मूड में हैं. मैंने उन्हें गले से लगा लिया.

अब आगे:

मैंने उनको कमर से पकड़ा और अपने साथ चिपका लिया. मैं उनकी कमर पर हाथ फिराने लगा, फिर बिना कुछ बोले उनके कान के नीचे किस कर दिया. उन्होंने आंख बंद ली. मैंने उनके गालों को चूमा और दोनों हाथों में उनके गालों को लेकर, उनके होंठों पर किस कर दिया.

हम दोनों बिना कुछ बोले खड़े रहे और दोनों के शरीर उत्तेजना से कांपने लगे. ये गजब का एहसास था. एक तरीके से वो भी अनटच थीं, तो भाभी का कांपना जायज़ था.

हमें बात करते हुए अब तक करीब 6 महीने हो चुके थे. हम दोनों बहुत नज़दीक आ चुके थे. बस शुरुआत नहीं हो रही थी, जो आज हो गयी थी. अब पड़ोसन भाभी की चुदाई सुनिश्चित थी.

हम दोनों ऐसे ही गले लगे हुए खड़े थे. मैं भाभी की कमर पर हाथ फिरा रहा था. उन्होंने भी मुझे कमर पकड़ लिया था. मेरे 5’7″ कद के कारण उनका सर मेरे कंधे पर आ रहा था. मेरा 7 इंच का लंड खड़ा हो गया था, जो उनको अच्छे से फील हो रहा था. हम दोनों को मज़ा आ रहा था.

मैं- भाभी आज तो मेरी किस्मत खुल गयी … मैं सबसे लकी इंसान हूँ.
भाभी- प्लीज़ शशि कहो मुझे!

मैं- शशि, मैं एक बात पूछ सकता हूँ?
भाभी- हां, अब तुम कुछ भी पूछ सकते हो और अपने मन की कुछ भी बता सकते हो.
मैं- थैंक्स, मुझे लगा आप मेरी गर्लफ्रेंड नहीं बनोगी. उस दिन के बाद मैंने आस ही छोड़ दी थी … मगर मैं ग़लत था.

भाभी- संजय, तुम बहुत समझदार और केयरिंग हो. पिछले 6 महीनों में मैंने तुम्हें काफी करीब से देखा है. तुमने कभी कोई ग़लत हरकत नहीं की, जब कि तुम जानते थे कि मैं ज़्यादातर अकेली ही रहती हूँ. तुम्हारे मन में मेरे लिए कुछ भी आया, तो तुमने इज़्ज़त से मुझे बताया और मेरे विचारों का भी ध्यान रखा. आज एक महीना हो गया है, उस दिन मैंने बात को टाल दिया. तुमने आज तक कुछ नहीं कहा, ये मुझे बहुत अच्छा लगा.

मैं भाभी को सुने जा रहा था.

भाभी- तुम मेरा बहुत ध्यान रखते हो, रजत के ना होने के बावजूद मैंने 6 महीने से अपने आपको कभी अकेला नहीं पाया. दूसरे मुझे लगता है कि तुम्हारे साथ मैं सेफ रहूंगी, कभी भी मेरी फैमिली लाइफ डिस्टर्ब नहीं होगी. इसीलिए मुझे तुम अच्छे लगने लगे हो. प्लीज़ संजय, प्रॉमिस करो कि तुम हमेशा मुझे और मेरी फैमिली को सेफ रखोगे. चाहे कुछ भी हो जाए, हम दोनों की बात को राज रखोगे, वरना मेरी जिंदगी और घर दोनों बर्बाद हो जाएंगे. मैंने तुम पर यकीन किया है, प्लीज़ इस भरोसे को तोड़ना नहीं.

मैं- शशि, आई लव यू. मैं प्रॉमिस करता हूँ कि मैं हमेशा तुम्हारा ध्यान रखूंगा. तुम्हें कभी शिकायत नहीं होने दूँगा और जैसे मैंने कहा था कि रजत भैया के होने पर मैं ना ही मैसेज करूंगा, ना ही मिलूंगा. तुम्हें ठीक लगे, तो ही मुझे मैसेज करना या मिलना.

भाभी- ओ संजय … यू आर सो स्वीट. … जानते हो, रजत के अलावा तुम पहले आदमी हो, जिसके गले मैं लगी हूँ. आह … अच्छा अब हटो, मुझे कुछ काम करने दो.
मैं- प्लीज़ शशि, रहने दो ना ऐसे ही … काश टाइम रुक जाए.
भाभी- ओ महाराज … प्लीज़ हटो अभी, मुझे काम करना है.

मैं- शशि, आज साथ में डिनर करें?
भाभी- मैं बाहर नहीं जाने वाली.
मैं- घर पर ही कुछ बना लेते है, कल शनिवार है … मेरा ऑफ है, बहुत सारी बातें करेंगे.
भाभी- ठीक है … अभी तुम जाकर फ्रेश हो लो. तुम 7 बजे नीचे आ जाना.
मैं- जाने का मन तो नहीं है, पर आपका आदेश मानना हो पड़ेगा.

मैं ऊपर आ गया, मैं बहुत खुश था. नहाते हुए मैंने अपने लंड को देखा और उसे हिलाते हुए कहा- खुश हो जा भाई, तेरी किस्मत में साफ़ सुथरी, सुंदर और गजब की सिंगल हैंडड चूत लिखी है. आज नहीं तो कल मिल ही जाएगी.

मैं सोच कर खुश हो रहा था और अपनी किस्मत पर फख्र कर रहा था कि जिस पड़ोसन भाभी की चुदाई के मैं सपने देखता था, वो शशि भाभी बिस्तर में मेरे लंड के नीचे नंगी लेटेंगी और मैं उनकी मस्त करारी चूत में अपना लंड पेलूंगा.

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यही सब सोचते हुए बड़ी मुश्किल से 7 बजे. मैं नाइट ड्रेस पहनकर नीचे आ गया. शशि भाभी किचन में रोटी बना रही थीं. उन्होंने झीना सा गाउन पहना हुया था, जिसमें उनकी ब्रा और पेंटी साफ़ दिख रहे थे.
छह महीने में पहली बार मैंने भाभी को इन कपड़ों में देखा था. वरना आज तक सलवार सूट या साड़ी में हो देखा था.

मैं समझ गया कि आज कुछ होना पक्का है … क्योंकि शशि भाभी की आज की ड्रेसिंग सेंस में सेक्स का पुट था.

मैं जाकर भाभी के पीछे खड़ा हो गया और अपने हाथ उनके पेट पर ले गया. वो रोटी बेल रही थीं.

भाभी- अरे क्या हुआ है तुम्हें … जाकर आराम से बैठो ना … क्यों चिपके जा रहे हो!
मैं- मैं तो आपसे एक मिनट भी दूर ना रहूँ अब … किस्मत से मिली हो तो ऐसे कैसे दूर रहूँ … मैं तो ऐसे ही चिपका रहूँगा.
भाभी- अरे बाबा … रोटी तो बनाने दो … ऐसे चिपके रहोगे, तो काम ही नहीं हो पाएगा.

मैं हटा नहीं और धीरे से शशि भाभी के मम्मों पर हाथ लगा दिया. मेरा लंड उनके चूतड़ों की दरार पर लगा हुआ था, जिसे भाभी अच्छे से फील कर पा रही थीं.

जब मैंने शशि भाभी के चुचे पकड़े, तो उन्होंने रोटी बेलना रोक देना, गैस की लौ कम कर दी और आंखें बंद कर लीं. मैंने भाभी की गर्दन पर किस कर दिया.

भाभी- आहह … प्लीज़ संजय, मत करो ना … कुछ होता है यार मुझे.
मैं- शशि, प्लीज़ मत रोको ना … मैंने इस दिन के लिए बहुत इंतजार किया है.
भाभी- मैं जानती हूँ कि तुम मुझे पसंद करते हो. मगर थोड़ा टाइम तो रूको प्लीज़ … ऐसे मत बहकाओ यार. मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ. थोड़ा तो वेट करो.
मैं- ठीक है … प्लीज़ जल्दी फ्री हो जाओ.

मैंने भाभी को छोड़ दिया और सोफे पर बैठकर उनको देखने लगा. गजब का शरीर था भाभी का. उनका एक एक अंग खिल रहा था. हाय रे किस्मत … आज तो खुल ही गयी. भाभी भी खुश होकर काम कर रही थीं. वो जान बूझकर अपने चुचे और चूतड़ को हिला कर रिझा रही थीं … ऐसा लग रहा था, जैसे भाभी मुझे दीवाना बना रही हों.

मैं खुश था कि आज तो ऐसी चूत मिलने वाली है, जिसका सपना हर कोई देखता है.

आख़िरकार 9 बजे तक काम खत्म हुआ हम दोनों ने खाना खाया, साथ में बहुत सारी बातें की.

बर्तन साफ़ करके वो मेरे पास सोफे पर आकर बैठ गईं और मुस्कुराते हुए कहने लगीं- कैसा लगता है वेट करना? वैसे संजय तुम में बहुत धैर्य है यार. इसीलिए तुम मुझे पसंद हो … क्योंकि तुम मुझे और मेरी फीलिंग्स की इज्जत करते हो … उन्हें समझते हो.

मैंने बैठे हुए शशि भाभी को अपने गले लगा लिया और वो भी बड़े आराम से मेरी गोद में लेट सी गईं. मैं उनके बालों में हाथ फिराने लगा.

मैं- शशि, कहीं ये सपना तो नहीं है ना कि तुम मेरे पास, मेरी बांहों में हो और मैं तुम्हें प्यार कर रहा हूँ!
भाभी- सपना नहीं है संजय … बस मुझे ऐसे ही प्यार करना. बदल नहीं जाना, तुम्हारी शादी हो जाएगी, तो क्या तुम बदल जाओगे?
मैं- ना शशि … मैं कभी नहीं बदलूंगा … हमेशा साथ रहूँगा और प्यार करूंगा.

मैंने शशि भाभी के गालों पर किस किया. उन्होंने आंखें बंद कर लीं और मुझे फील करने लगीं. मैंने उनके मम्मों पर हाथ लगाया और धीरे से दबाने लगा. भाभी ने आह भरी और मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया, लेकिन हटाया नहीं. मैं धीरे धीरे भाभी के मम्मों को उनके गाउन के ऊपर से मसलने लगा और उनके गालों पर किस करने लगा. भाभी भी आंख बंद करके मज़ा लेने लगीं.

मैं- शशि, क्या आज की रात हम साथ रह सकते हैं?
भाभी- किसी की पता चल गया तो?
मैं- कैसे पता चलेगा … हम दोनों हो टॉप फ्लोर पर रहते हैं, कोई ऊपर आता ही नहीं है. वैसे भी अब रात को कौन आएगा. मैं सुबह 5 बजे ऊपर चला जाऊंगा.

भाभी- पर मुझे डर लग रहा है संजय!
मैं- डरो मत शशि … सब कुछ सेफ है. आज की रात हम दोनों की रात है … इसे अच्छे से बिताते हैं.
भाभी- ठीक है, पर तुम एक बार बाहर देखकर आओ.

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तभी बेबी जाग गया, भाभी उसको सुलाने के लिए बेडरूम में चली गईं और मैं बाहर देखने आ गया. सब कुछ सेफ था … कोई नहीं था. बस पहली बार रात में हम दोनों चुदाई करने वाले थे, तो भाभी डर रही थीं.

मैं पांच मिनट बाद दबे कदमों से वापस आ गया. बेबी सो चुका था. मैंने धीरे से दरवाजा बंद किया और भाभी को इशारे में कहा कि सब सेफ है.

भाभी ने दूसरे बेडरूम का टीवी ऑन कर दिया था. मैं समझ गया कि आज की रात मुझे उस बिस्तर पर शशि भाभी की जवानी का रस पीना है. पड़ोसन भाभी की चुदाई का सोच कर मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था.

भाभी- तुम उस रूम में चलो, मैं आती हूँ.

मैं उस बेडरूम में चला गया और भाभी टॉयलेट में घुस गईं. पांच मिनट बाद भाभी वापस आ गईं. मैंने अपनी बांहें फैला दीं और भाभी धीरे से मेरी बांहों में सिमट गईं.

मैं- ओह शशि … यू आर सो ब्यूटीफ़ुल … कितना मस्त शरीर है तुम्हारा … एक एक अंग मस्त है शशि.
भाभी- तुम भी बहुत अच्छे हो संजय … मुझे बहुत प्यारे लगने लगे हो तुम. देख लो मैं आज की रात तुम्हारे साथ हूँ, जब कि रजत को होना चाहिए.
मैं- ओ शशि!

मैं शशि भाभी के गालों को चूमने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगीं.
भाभी- संजय … तुम्हें मुझमें क्या पसंद है?
मैं- तुम्हारा नेचर, तुम बहुत सुंदर हो शशि, सच कहूँ तो मुझे तुम्हारे चूतड़ बहुत पसंद हैं और चुचे भी. जानती हो एक दिन जब तुम ऊपर आई थीं बेबी की मालिश करने … तब मैंने तुम्हारे चूतड़ों को बड़े ध्यान से देखा था … ये एकदम गोल गोल मस्त हैं. वैसे रजत तो बड़े मज़े से तुम्हारी लेते होंगे.

भाभी- रजत के पास आजकल टाइम ही नहीं रहता है. मैं भी कुछ कहूँ?
मैं- हां कहो ना प्लीज़!
भाभी- आज किचन में जब तुमने मुझे पीछे पकड़ा था, तो मुझे बड़ा अच्छा लगा था … मैंने तुम्हें फील किया था.
मैं- फील किया था मतलब?
भाभी- अरे बाबा … मैंने तुम्हारे इसको फील किया था.

ये कहते हुए भाभी ने खड़े खड़े ही धीरे से मेरे लंड को पकड़ लिया. मेरी तो जैसे सांस ही रुक गयी.

मैं- आअहह शशि … कितनी मस्त हो तुम … तुम्हें आज खा जाऊं क्या?
भाभी- खा जाओ यार, अच्छे से खा जाओ.
मैं- सोच लो शशि, मैं तुम्हारे चूतड़, चूत, चुचियां सब खा लूंगा.
भाभी- सब खा लो यार … और …

मैं- और!
भाभी ने मेरा लंड हाथ में लेकर कहा कि मैं तुम्हारा ये मैं भी खा लूंगी.
मैं- ये क्या है? इसका नाम तो बताओ.
भाभी- नहीं … मुझे शर्म आती है.
मैं- प्लीज़ बोलो ना.
भाभी- ओके … मैं तुम्हारा ये खा लूंगी … ये तुम्हारा मोटा सा लंड. … हाईईईई.

हम दोनों धीरे से बिस्तर पर लेट गए, मैंने भाभी को पैरों से चूमना शुरू कर दिया. भाभी का एकदम गोरा बदन था. वो आंख बंद करके लेटी रहीं. फिर भाभी ने बिस्तर के पास वाली बटन से लाइट कम कर दी.

मैंने भाभी का गाउन धीरे से ऊपर कर दिया. आह गजब की जांघें थीं उनकी … केले के तने सी मस्त चिकनी और गोरी.

भाभी की जांघों को चूमते हुए मैं ऊपर आ पहुंचा.

भाभी वासना से छटपटा रही थीं और अपने मुँह से कामुकता से ‘हाईईईईई … आह..’ कर रही थीं. भाभी अपने दोनों हाथों से चादर को पकड़े हुए थीं. मैंने उनके गाउन को पेट तक सरका दिया. मेरे सामने भाभी की पैंटी में छिपी हुई गजब की फूली हुई चूत थी. मैंने धीरे से किस किया तो भाभी उत्तेजना से कांपने लगीं. मैंने प्यार से धीरे से पैंटी को थोड़ा नीचे सरका दिया. आह एकदम साफ़ गुलाबी चूत लपलप कर रही थी. शायद आज ही भाभी ने चुत की झांटों को साफ़ किया था.

उनकी चुत को भोसड़ा बनाने के लिए मेरा लंड अकड़ा जा रहा था. सेक्स कहानी के अगले भाग में पड़ोसन भाभी की चुदाई का मजा लिखूंगा. आप मुझे मेल करना न भूलिएगा.
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पड़ोसन भाभी की चुदाई कहानी का अगला भाग: पड़ोस की भाभी सेक्स की चाह-3

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