मैने अब उनके कपड़े भी उतार दिए और उनके बूब्स को अपने मूह मे भर कर चूसने लग गया. मुझे इसमे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रा था और उधर उसे भी बहोत ज़्यादा मज़ा आ रहा था. मैं इससे पहले की आगे कुछ कर पता की तभी घर की डोर बेल बज गयइ और टाइम देखा तो पता चल गया की ज़रूर मम्मी ही है.
इसलिए मैं अब उसके उपर से उठा और फिर मैने और उन्होने कपड़े ठीक किए और चुप चाप बैठ गये. पर मुझे तब मम्मी के आने पर बहोत ज़्यादा गुस्सा आ रहा था और फिर वो घर चली गयइ. रात भी मैने बस ऐसे ही बहोत मुश्किल से काटी क्योकि नींद तो मुझे आ नही रही थी.
फिर अगले दिन सुबह हुई तो मम्मी के जाते ही आंटी आ गयइ. और फिर तो बस मैने बिना कोई देर किए आंटी को बेड पर लेटया और फिर उनके उपर से सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया. मुझे ये सब बहोत अछा लग रहा था और फिर मैने अपने लंड को उनको चूसने को कहा तो उन्होने भी बिना. कोई रोक टोक किए लंड को मूह मे भर लिया और चूसने लग गई.
मुज्जे ये सब करने मे बहोत मज़ा आ रा था और फिर मैने देर ना करते हुए लंड को मूह से निकाला और उनकी चूत पर रख दिया. मैने पहले ही धक्का ज़ोर से ल्गया पर लंड अंदर जाने का नाम नही ले रा था तो मुझे गुस्सा आया और मे फिर गुस्से मे ही बोल पड़ा.
तब आंटी ने मुझे खा की ज़ोर से लगाओ क्योकि ये 2 साल से ऐसे ही बंद है. तो उनके कहने पर मैने ज़ोर का झटका ल्गया और फिर चूत को फड़ता हुआ अंदर चला गया.
बस अब तो मैने ज़ोर ज़ोर से पेलना शुरू कर दिया और ऐसे ही चोदने लग गया. फिर करीब 20 मिनिट तक चोदने के बाद मौने उनकी चूत मे ही अपना पानी निकल दिया. और फिर हमने कपड़े डाले क्योकि अब भी मम्मी के आने का टाइम हो रहा था.
दोस्तो ये थी मेरी कहानी आपको केसी लगी मुझे ज़रूर ब्ताना.