पड़ोसन ज्योति आंटी ने मुझे चोदना सिखाया

हेल्लो दोस्तों मेरा नाम संजय है और मैं नयी मुंबई का रहनेवाला हूँ. मेरी उम्र 23 साल की है और मेरा लंड 6 इंच लम्बा और साड़े 3 इंच मोटा है. इसके पहले मैंने अभी कोई कहानी नहीं लिखी है और आज ये मेरी पहली ही पेशकश है. मैं डेली सेक्स की कहानियाँ पढता था इस साईट पर और लंड हिलाता था. तब मैं वर्जिन था और मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी. ये कहानी मेरी पड़ोसन आंटी के साथ की है. और उस आंटी के साथ ही मेरे को अपनी लाइफ का पहला सेक्स अनुभव मिला था. अब मैं आंटी को चोद चोद के इतना अनुभव ले चूका हूँ की अब मैं किसी भी लेडी को खुश कर सकता हूँ.

तो ये कहानी मेरी पड़ोसन ज्योति आंटी की है. वो एक बच्चे की माँ है और उनकी एज 35 साल की है और वो अभी भी दिखने में एकदम टकाटक ही है, जैसे की उसकी नयी नयी शादी हुई हो और बदन थोडा खुला हो. आंटी की हाईट करीब 5 फिट 3 इंच की हे और आंटी का फिगर 32 30 34 है और वो दिखने में एकदम कातिल है. मैंने जब पहली बार उसको देखा तो मुझे लगा की कोई लड़की है वो. लेकिन बाद में पता चला की वो तो बच्चे की माँ है. पहले तो मैं उसके साथ कोई बात नहीं करता. और वो ऑलमोस्ट डेली हमारे घर आती थी जिस से मेरे को गुस्सा भी आता था की वो कभी भी घर पर आ जाती थी.

ये बात आज से कुछ 3 महीने पहले की है. आंटी के डेली आने से मेरा ध्यान उसके फिगर पर जाने लगा था. और मेरे मन में भी अब उसके लिए इंटरेस्ट आने लगा था. और फिर आंटी मेरे को अच्छी लगने लगी थी. तभी उन दिनों मैं इन्टरनेट के ऊपर आंटी को चोदने की कहानियाँ भी पढता था. इसलिए मेरा मन भी ज्योति आंटी को चोदने को करने लगा था. जब भी वो अब मेरे घर आती थी तो मैं उसे घूरता रहता था. कभी वो झुकती थी तो उसके मेक्सी के अंदर लटकने वाले बूब्स को देखता रहता था. और वो दिन में ऑलमोस्ट मेक्सी पहन के ही घुमती थी और हमारे घर भी मेक्सी में ही आती थी. धीरे धीरे मैं उस से बातें करने लगा था. और वो भी बहुत अछे से हँसते हुए बातें करती थी मेरे साथ. और वो जोक्स कह के हंसाती भी थी.

एक दिन जब जब वो हमारे घर आई तो वो दरवाजे में खड़ी थी जो हॉल और किचन को कनेक्ट करता था. तब मैं किचन से कुछ सामान ले के बहार आ रहा था. और मेरा मन उसको देख कर पागल हो रहा था. तो पता नहीं उस दिन मेरे अंदर उतनी हिम्मत भी कहा से आ गई. मैंने बहार आते समय जानबूझ के अपने हाथ को आंटी के बूब्स पर टच करवा दिए कोहनी के पास. हाथ में सामान था इसलिए बहाना तो था ही. और आंटी के बूब्स को टच करने के चक्कर में हाथ में जो सामान था वो निचे गिर गया. आंटी ने मेरे को देख के स्माइल दिया और फिर मेरे कंधे के ऊपर हलके से मार के बोला, जरा धीरे से. मैंने भी आंटी को एक स्माइल दे दी. और फिर वो दिन ऐसे ही निकल गया.

फिर दुसरे दिन जब आंटी हमारे घर आई तो उसने नयी साडी पहनी हुई थी. और साल्ली क्या गजब की माल लग रही थी. आंटी का ब्लाउज भी एकदम कसा हुआ था उस दिन जैसे अपने नाप से छोटा पहन के आई हो. और आज वो जानबूझ कर मेरे को अपने बूब्स काफी बार दिखा रही थी. और उसकी गांड भी क्या मस्त लग रही थी उस चमकती हुई साडी में. कुछ दिन पहले तक उसके घर आने से मुझे गुस्सा आता था और अब उसके आने से मेरा लंड खड़ा होने लगा था.

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मैं बार बार उसे ही देख रहा था और वो मेरे को. आँखों ही आँखों में इशारे होने लगे थे. मैंने आंटी को इशारे से बोला की वो बड़ी मस्त लग रही थी. और उसने स्माइल दे के मेरे को थेंक्स किया. फिर जब मेरी माँ कुछ काम से बाहर गई 2 मिनिट के लिए तो आंटी ने बोला, आज मैं खीर बना रही हूँ खाने आओगे?

मैंने कहा, कब बना रही हो?

वो बोली, जैसे ही तुम घर आओगे?

मैंने कहा, मुझे दूध वाली चीजें बहुत पसंद है.

वो बोली, आ जाओ फिर.

मैंने कहा, ओके.

फिर माँ आ गई और आंटी मेरे को स्माइल दे के चली गई. मैंने माँ को कहा मैं आता हूँ मार्केट जा के. और फिर मैं चुपके से घर से निकल के आंटी के घर गया. आंटी किचन में ही थी और उसने पतीली में दूध चढ़ा दिया था जिसे वो चम्मच से हिला रही थी. मैंने कहा आप अकेली ही हो?

वो बोली, हां तभी तो तेरे को बुलाया.

और ये कह के उसने हंस दिया.

मैंने पीछे से आंटी की गांड देखी और मेरे लंड में झुनझुनाहट सी होने लगी थी. मैं उसके पास गया और कहा आप क्या कर रही हो? वो बोली बोला तो तुम्हारें लिए खीर बना रही हो?

मैंने कहा, मेरे लिए?

वो बोली, हां सिर्फ तुम्हारें लिए!

और ये कह के उसने मेरी तरफ देखा. हम दोनों की आँखे मिली और ना उसने आँखे हटाई और ना मैंने. मैं उसके करीब गया आँखों में आँखे डाल के. आंटी की साँसे अब मेरे को सुनाई दे रही थी. उसके बूब्स के ऊपर का हिस्सा देखा तो पता चला की वो जोर जोर से साँसे ले रही थी इसलिए वो हिस्सा ऊपर निचे हो रहा था. मैंने आंटी की कमर में हाथ रखा और वो कुछ भी नहीं बोली. मैं उस से एक ही इंच दूर था! आंटी ने मुझे अपनी तरफ खिंच लिया और मेरा लंड उसके पेट कके ऊपर लग रहा था क्यूंकि वो हाईट में मेरे से ऑलमोस्ट एक फिट कम थी. उसने मेरे बाल पकडे और मेरे होंठो के ऊपर अपने होंठो को लगा दिया. मैंने हाथ से उसकी कमर को खिंच लिया और हम दोनों किस करने में ऐसे तल्लीन हो गए की दूध उभर के निचे गिर गया.

आंटी ने किस तोड़ी और बोली बाप रे खीर का दूध तो ढुल गया!

मैंने कहा, अब मैं सीधे दूध ही पी लूँगा खीर नहीं खानी है!

और ये कह के मैंने उसकी साडी के पल्लू को हटा दिया. आंटी का ब्लाउज एकदम टाईट था और उसके बूब्स जैसे कस के उसके अंदर बांधे गए थे. आंटी ने ब्लाउज का बटन खोला और उसके दोनों बूब्स को मैंने देखा उसने ब्रा नहीं पहनी थी अब ब्लाउज ही इतना टाईट हो फिर ब्रा पहनने की क्या जरूरत!

आंटी के बूब्स के ऊपर मैंने मुहं लगा दिया. लेकिन उसके अंदर से दूध नहीं आया. मैंने जोर जोर से निपल्स को चुसे लेकिन फिर भी दूध नहीं आया. मैं इतनी जोर जोर से चूसने लगा था की आंटी कराह के बोली, अरे इतने जोर से क्यूँ चूस रहे हो?

मैंने कहा, दूध निकालने के लिए!

वो हंस के बोली, धत अब दूध थोड़ी आएगा मेरा मुन्ना दो साल का हो गया है, तूने पहले कभी किसी के साथ किया नहीं क्या?

मैंने कहा नहीं!

वो बोली, पागल दूध बच्चा होने के डेढ़ साल तक आता हैं फिर धीरे धीरे बंद हो जाता है. मेरे मुन्ने ने दूध पीना जल्दी बंद कर दिया इसलिए मेरा तो बहुत पहले बंद हो गया. लेकिन रुक मैं थोड़ा निकाल दूँ तेरे को. और फिर उसने अपनी निपल को दो ऊँगली से पकड के जोर से दबाया. और अंदर से हल्का पीले रंग का प्रवाहि निकला जो दूध तो नहीं लग रहा था. लिक्विड बटर कह सकते है! आंटी ने मुझे खिंच के वो चटवा दिया. और कसम से वो काफी सवाद वाला था. आंटी ने अब मेरे को बोला, एक मुन्ना हो जाएगा फिर दूध पिलाऊंगी तेरे को!

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ये सुन के हम दोनों हंस पड़े. आंटी ने निचे हाथ कर के मेरे पेंट को खोला और मेरे लौड़े को बहार निकाल के उसे प्यार देने लगी अपनी उँगलियों से. मेरा लंड एकदम कडक हो चूका था और उसके अंदर से प्रीकम भी निकल रहा था. आंटी को ये पता था की मेरा ये पहली बार है इसलिए वो थोडा अहतियात भी रख रही थी.

फिर उसने मेरे लंड को धीरे से किस किया. मैंने कहा, मुहं में ले लो ना!

वो बोली, पहले ही ले लुंगी फिर पानी निकाल पड़ेगा, आज मैं दो घंटे तक अकेली ही हूँ, मैं कहूँ वैसे करते रहो बस!

फिर आंटी ने किचन में ही अपने सब कपडे निकाल दिए. और मेरे को भी पूरा नंगा कर दिया उसने. और फिर मेरे लंड को हिला के बोली, चाटना तो तुझे है मेरी चूत को राजा!

और फिर वो चढ़ के बैठ गई प्लेटफोर्म के ऊपर और अपनी टांगो को खोल दिया. शायद उसका सेक्स का पूरा प्लान था इसलिए ही उसने अपनी चूत को एकदम क्लीन कर के रखा हुआ था. आंटी ने मेरे को ऑलमोस्ट खिंच ही लिया अपनी चूत के ऊपर. और मैं मजे से आंटी की चूत को चाटने लगा. उसकी चूत भी रस से भरी हुई थी और आंटी के दाने को मैंने ऊँगली से हिला के चाटा तो वो भी एकदम पागल हो गई.

पांच मिनिट तक मैं उसकी चूत को चूसता रहा. और फिर उसने मेरे को कहा चल डाल दे अपने डंडे को मेरे अंदर.

उसने अपनी दोनों टांगो को थोडा ऊपर कर दिया. उसकी गांड प्लेटफोर्म के ऊपर रख के वो बैठी हुई थी. मेरे लंड को अपने हाथ में ले के उसने अपनी चूत के ऊपर लगा दिया. उसकी चूत एकदम चिकनी थी और उसके अंदर से जैसे पानी निकल रहा था. मैं हलके से धक्का दिया और मेरा लंड आंटी की चूत में ऑलमोस्ट आधा घुस गया. वो चूत उतनी टाईट नहीं थी ना ही ढीली. मैंने आंटी के बूब्स अपने मुहं में ले लिए और उन्हें चूसने लगा. और बाकी एक धक्का और दे के मैंने अपने लंड को पूरा आंटी की चूत में उतार दिया.

आंटी ने मुझे अपने बदन पर लपेट सा लिया और मैं धक्के देने लगा. मेरा लंड आंटी की चूत के अंदर बहार होने लगा था. और मैं और भी जोर जोर के धक्के लगा के उसे मजे दे रहा था. आंटी कह रही थी और जोर से अह्ह्ह आह और जोर से अ अह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह चोदो मेरे राजा! मैं करीब पांच मिनिट और चोद पाया और फिर मेरे लंड का पानी आंटी के बुर में ही निकल गया. आंटी ने मुझे कस के पकड लिया और मेरा सब पानी उसकी चूत में ही निकल गया. उसे भी बहुत मजा आ गया और उसने मेरे को कहा, देख आज तूने चोदना कैसे है वो सिख लिया. अब आगे आगे मैं तेरे को और भी बहुत कुछ सिखाउंगी!

और जैसे की मैंने कहानी की स्टार्टिंग में आप को बताया वैसे ही ये आंटी ने मेरे को बहुत कुछ सिखा दिया है. अलग अलग चोदना, गांड मारना. अब मैं उसे ऑलमोस्ट हर हफ्ते एक बार चोदता हूँ और उस से चुदाई की टिप्स भी लेता हूँ!