न्यूड वाइफ सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं कई बार अपने पति के दोस्त से चुद चुकी थी लेकिन मन नहीं भरा था। मैंने अगली रात को फिर से ताश की बाजी लगवायी और …
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दोस्तो, मैं अपनी चुदाई की कहानी का पांचवां भाग आपके लिए लाई हूं।
न्यूड वाइफ सेक्स कहानी से पहले वाले भाग
पति के दोस्त से चुदाई का नशा
में आपने देखा कि कैसे मैंने संजीव को नींद की गोली देकर दिन में एक बार फिर से पीयूष से चुदाई करवा ली और मैं संजीव के साथ जाकर नंगी ही सो गई।
अब आगे न्यूड वाइफ सेक्स कहानी:
जब मेरी आँख खुली तो मैं संजीव के साथ नंगी ही लेटी हुई थी।
शाम के 6:30 बज चुके थे।
मैंने संजीव को उठाया और उन्हें गुड इवनिंग बोलते हुए उनके गालों पर एक किस किया।
मैंने संजीव से पूछा- अब तबियत ठीक है?
संजीव बोले- हाँ सब ठीक है, मुझे क्या हुआ था … हम दोनों लेटे नंगे लेटे हुए थे।
मैंने संजीव से बोला- आप फ्रेश हो जाइये मैं हम दोनों के लिए कुछ नाश्ता बनाती हूं।
संजीव बोले- ठीक है तुम बनाओ, मैं फ्रेश हो जाता हूं।
अलमारी से मैंने एक गाउन निकाला और उसे पहन कर नीचे आ गई।
मैंने हम दोनों के लिए नाश्ता बनाया और शेरू को भी खाना दे दिया और अपना खाना रूम में लेकर आ गई।
तब तक संजीव भी नहाकर निकल चुके थे।
हम दोनों ने नाश्ता किया।
उसके बाद मैं संजीव को बोलकर नहाने चली गई क्योंकि मैं जानती थी कि पीयूष जी अब आने ही वाले होंगे।
नहाकर मैं नंगी ही रूम में आई।
संजीव मुझे देखकर मुस्करा रहे थे।
मैंने भी उन्हें एक स्माइल दी और अलमारी से एक लाल ब्रा पैंटी का सेट निकाला और संजीव को छेड़ते हुए बोली- संजीव, मुझे ब्रा पहना दो।
संजीव भी मुस्करा रहे थे और मेरे पास आ गए और मेरे पीछे खड़े होकर मेरे बूब्स पर ब्रा चढ़ा कर मेरी ब्रा का हुक लगाने लगे।
मेरे पति संजीव मुझसे ही चिपके हुए थे।
संजीव ने अपना एक हाथ मेरी चूत पर रखा और उसे मसलने लगे।
मैंने बोला- यह क्या कर रहे हो आप? पीछे हटिये।
फिर मैंने अपनी पैंटी पहन ली और साथ ही एक रेड नाइट गाउन भी डाल लिया।
मैंने अपना मेकअप किया और रेडी होने लगी।
मैं मन ही मन दोबारा पीयूष जी से चुदने के लिए खुश हो रही थी। मैं रेडी हो चुकी थी।
शाम के 7 बज चुके थे।
घर के गेट की बेल बजी। मुझे पता था पीयूष जी होंगे।
मैंने संजीव से बोला कि मैं नीचे देखती हूं कौन है … और नीचे आकर गेट खोला।
पीयूष जी ही थे।
मैंने उन्हें देख कर स्माइल की।
वो बोले- बहुत खुश लग रही हो, चेहरा भी लाल है … क्या बात है?
मैंने कहा- हां सब कुछ आपसे चुदने का कमाल है।
हम दोनों लिविंग एरिया में आ गए।
इतने में संजीव भी ऊपर रूम से नीचे आ गए।
संजीव बोले- अरे पीयूष कैसे आना हुआ?
पीयूष बोले- अरे कुछ नहीं यार, बस तेरी तबियत पूछने चला आया।
संजीव अपने घमंड में बोले- मुझे क्या हुआ था, मैं ठीक हूं।
पीयूष बोले- कल ज्यादा पी ली थी न इसलिए!
संजीव बोले- वो ज्यादा नहीं थी।
फिर हम तीनों वहीं बैठकर बातें करने लगे।
पीयूष जी कुछ देर बाद बोले- चल कुछ पीते हैं।
संजीव बोला- हाँ हाँ जैसा तू बोले!
मैंने नाटक करते हुए पीयूष जी से बोला- पीयूष जी रहने दीजिये, संजीव की तबियत ख़राब हो जाएगी।
संजीव बोले- अरे मुझे कुछ नहीं होगा, मैं ठीक हूं।
सब कुछ प्लान के मुताबिक चल चल रहा था।
पीयूष जी भी बोले- हाँ भाभी, आप परेशान मत हो।
फिर संजीव खुद उठ कर गए और एक बोतल ले आये और दोनों पीने बैठ गए।
संजीव ने दोनों के लिए पैग बनाये और दोनों पीने लगे।
हम तीनो बातें कर रहे थे और बातों बातों में वो बोतल एक घंटे में खत्म हो गई।
संजीव उठ कर गए और एक और बोतल ले आये।
अब संजीव काफ़ी नशे में हो चुके थे और उन्हें होश भी नहीं था।
उन्होंने एक और पेग बनाया और पीने लगे।
इसी का फयदा उठाते हुए पीयूष जी बोले- संजीव चल, कल वाली गेम पूरी करते हैं।
संजीव बोला- हाँ हाँ … मैं हारने से डरता नहीं हूं।
पीयूष बोले- मैं कल वाली अपनी डील को दाँव पर लगाता हूं। तू भाभी को लगा अगर हारा तो भाभी अपना गाउन उतार देगी और तू जीता तो यह डील तेरी।
इस पर संजीव बोले- ठीक है, मंजूर है।
मैं नाटक करते हुए संजीव को रोकने लगी मगर मन ही मन में भी यही चाहती थी कि संजीव मुझे अब दाँव पर लगाए।
संजीव ने पेग पिया और गेम शुरू हो गई।
उनके इस पैग में मैंने नींद की गोली डाल रखी थी। दोनों के बीच गेम चलने लगी और मैं बहुत उत्सुक हो रही थी।
मगर मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं पीयूष हार ना जाये।
गेम 10 मिनट चली और पीयूष जी जीत गए और बोले- संजीव, मैं जीत गया।
संजीव को तो पहले ही होश नहीं था।
पीयूष जी बोले- भाभी आपके पति देव हार गए, चलो अब आप अपना गाउन उतार दो।
मैं शर्माने का नाटक करते हुए उठी और अपना गाउन उतार कर नीचे वहीं गिरा दिया।
मैं अब पीयूष जी के सामने लाल ब्रा पैंटी में थी।
कुछ देर बाद पीयूष बोले- एक गेम और खेलते हैं। अगर जीता तो डील तेरी और हारा तो भाभी को ब्रा पैंटी भी उतारनी पड़ेगी और मेरे सामने नंगी होना पड़ेगा।
संजीव ने नशे में ही हाँ बोल दिया।
मैं भी यही चाहती थी।
पीयूष जी ने दोबारा पत्ते बांटे और गेम शुरू हो गया। संजीव बीच गेम में ही बेहोश हो गए और सोफे पर गिर गए।
शायद दवा और दारू दोनों ने अपना कमाल दिखा दिया था।
मैंने उठ कर संजीव को हिलाया तो वो पूरी तरह बेहोश थे। पीयूष जी मेरे पास आये और संजीव को हिला के देखा तो वो बेहोश थे।
हम दोनों खड़े हो गए और संजीव से थोड़ी दूर आ गए।
पीयूष जी बोले- चलें ऊपर?
मैंने कहा- रुको पहले … ब्रा पैंटी यहीं उतार दो ताकि जब कल सुबह संजीव उठे और मेरी ब्रा पैंटी और नाइटी देखे तो उनको शॉक लगे और वो मुझसे सवाल जवाब करे और फिर मैं उन्हें सब बताऊं।
मैं वहीं पर उनके सामने पूरी नंगी हो गई।
पीयूष जी ने मुझे नंगी ही अपनी बांहों में भर लिया और मुझे हमारे बैडरूम में ले आये और मुझे अपनी बांहों में से उतार कर बेड पर पटक दिया।
वो खुद भी मेरे ऊपर आ गए।
मैंने पीयूष जी पर हमला करते हुए उनके होंठों पर अपने होंठ रखे और उन्हें चूमने लगी।
पीयूष जी भी इसमें मेरा बार-बार साथ दे रहे थे।
हम दोनों की लार एक दूसरे के मुँह में थी।
पीयूष जी का हाथ नीचे मेरी चूत को सहलाने में लगा था। हम दोनों की सांसें गर्म होना शुरू हो चुकी थीं और हम दोनों एक दूसरे को चूमे जा रहे थे।
मैं पीयूष जी के प्यार में एकदम खो चुकी थी और अपनी आँखें बंद कर के उनके होंठों से होंठ मिला कर युद्ध कर रही थी।
ये चूमा चाटी 15 मिनट तक चली।
उसके बाद जिस्मों की चूमा चाटी शुरू हो गई।
मैंने उनके कपड़े उतार दिये दोनों एक दूसरे के जिस्मों के साथ खेलने लगे।
हमारा फोरप्ले कुछ देर तक ऐसे ही चलता रहा। उसके बाद मैंने पीयूष जी को बेड पर लेटा दिया और खुद उनके ऊपर आ गई।
मैं उनकी चौड़ी छाती को अपने रसीले होंठों से चूमने लगी।
मैंने उनकी पूरी छाती पर मेरे लिपस्टिक के निशान बना दिए थे जो कि हम दोनों के प्यार को बयां कर रहे थे।
उनके गले को चूमते हुए मैं उनके सीने तक आयी और फिर धीरे धीरे नीचे आते हुए उनके अंडरवियर को उनकी मोटी जांघों से उतार दिया।
मैं उस अंडरवियर की महक लेने लगी जिसमें से मुझे सूखे हुए मेरे यार के वीर्य की खुशबू आ रही थी।
मैं पीयूष जी के लंड को मुँह में लेना चाहा रही थी मगर कल की तरह ही उन्होंने मुझे रोक दिया और नीचे से शहद लाने को कहा।
तो मैं जल्दी से शहद लेकर आई और उनके लंड के टोपे पर शहद लगा दिया।
उनका टोपा एकदम से चिकना हो गया।
मेरे मुंह में तो पहले से ही पानी आ रहा था। फिर मैं उनके लंड के टोपे को चूसने लगी और फिर धीरे धीरे कुछ मिनट में उनके लंड को पूरा मुँह में ले लिया।
उनका लंड मैंने 20 मिनट तक चूसा। उसके बाद पीयूष जी खड़े हुए और मुझे बेड पर लेटा दिया।
उन्होंने शहद का डब्बा लिया और मेरे चेहरे से गिराते हुए नीचे मेरे गले पर, फिर नीचे मेरे सीने पर और फिर नीचे मेरे बूब्स से लेकर मेरे पेट पर से होते हुए मेरी चूत और जांघों को शहद से भिगो दिया।
फिर उन्होंने मेरे पूरे बदन पर पहले अच्छे से शहद को मला।
मेरा पूरा बदन शहद की चिकनाहट की वजह से शीशे की तरह चमक रहा था।
पीयूष जी ने मेरे बूब्स को भी शहद से चमका दिया था।
शहद की वजह से पूरी बेडशीट चिकनी हो चुकी थी।
अब उन्होंने मेरे एक पैर के अंगूठे को अपने मुँह में डाल लिया और उसे बड़ी कला से चूसने लगे।
मैं इस हरकत से बहुत ही मादक हो चुकी थी और आहें भरने लगी।
मैं बिस्तर पर मचलने लगी।
पीयूष जी ने मेरी चिकनी टांगों को अपने लबों को अहसास करवाया और उन्हें चूमते हुए मेरी जाँघ पर आ गए।
अपने होंठों से पीयूष जी ने मेरी जाँघ पर चूमा और मैं उनके बालों को खींचकर इस पल का मजा लेने लगी।
फिर उन्होंने मेरी शहद से भरी नाभि को चूसा।
उसके बाद मेरे बूब्स पर हाथों से शहद को काफी देर रगड़ा जिससे मेरे बूब्स एकदम चिकने और मीठे हो गए।
अब मेरे बूब्स पर हमला करते हुए उन्हें चूसने लगे।
मेरा बूब उनके मुँह में नहीं समा रहा था। पीयूष जी मेरी एक बूब की निप्पल को अपने हाथ से खींचते और दूसरे बूब की निप्पल को अपने होंठों से खींचते जिसकी वजह से मेरे दोनों गुलाबी निप्पल सख्त हो चुकी थी।
15-20 मिनट तक वो खेलते रहे।
उसके बाद वो मेरे बूब्स को छोड़ कर नीचे मेरी चूत के पास आकर घुटनों के बल बैठ गए।
पीयूष जी ने मेरी चूत पर से बाली को खोला और उतार कर मेज पर रख दिया।
पीयूष जी चूत के पास आपने होंठ लाये और मेरी चूत पर अपने होंठ रख कर उसे चूसने लगे।
मैंने तुरंत उनके सिर को मेरी चूत में दबा लिया।
वो अपनी बीच की उंगली मेरी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगे और मेरी चूत को चाट कर मजा लेने लगे।
उसके बाद पीयूष ने मुझे उठाया और खुद बेड पर सीधे लेट गए और मुझे लंड पर बैठने को बोला।
मैं भी झट से खड़ी हुई और अपनी दोनों टांगें खोल कर उनके लंड पर बैठने के लिए तैयार हो गई।
मेरी चूत बिल्कुल उनके लंड के ऊपर ही थी।
मैंने पीयूष जी के लंड को अपने हाथ में लिया और धीरे से अपनी गांड टिका कर उनके लंड पर बैठने लगी।
जब मैं उनके लंड पर बैठ रही थी तब मेरी आँखें दर्द की वजह से खुद बंद हो गईं और मेरा मुँह पूरा खुल गया।
धीरे धीरे मैं उनके लंड पर बैठ गई और फिर उनका लंड पूरा मेरी चूत में आ चुका था।
मैंने एक लम्बी सांस लेते हुए उनके लंड पर उछलना शुरू कर दिया और आहें भरने लगी- आह … आह … आह … आह्ह … आह्ह।
मेरी चूत में मीठा मीठा दर्द हो रहा था जो कि मैं सहन कर पा रही थी।
मेरे बूब्स हवा में जोरों से गोते खा रहे थे इसलिए मैंने अपने दोनों हाथ मेरे बूब्स पर रख दिए।
अब मैं किसी चुदक्कड़ की तरह अपनी गांड उठा उठा कर उछलने लगी मेरी जवानी पीयूष जी के सामने उछल रही थी जिसे देख कर मैं बहुत खुश थी।
उनके लंड पर मैं लगातर काफी देर तक उछलती रही थी और मादक सिसकारियाँ ले रही थी और चुदे जा रही थी।
पीयूष जी भी अब जोश में आकर नीचे से धक्के मार रहे थे।
10 मिनट और चुदने के बाद हम दोनों अपनी चरम सीमा पर थे और हम दोनों एक साथ झड़ने लगे।
मैं उछलते उछलते पीयूष जी के लंड पर ही बैठ गई।
अंदर जो मेरी चूत में पीयूष जी का प्यार भरा हुआ था वो टपकता हुआ मेरी चूत से बाहर आ रहा था।
मैं लंड पर वैसे ही बैठी हुई थी और हम दोनों जोरों से हांफ रहे थे।
कुछ देर बाद मैं पीयूष जी के लंड से नीचे उतरी और बेड पर उनके साथ ही लेट गई।
हम दोनों नंगे ही बेड पर लेटे रहे।
हमको लेटे हुए आधा घंटा हो चुका था। पीयूष जी का लंड पूरी तरह बैठ चुका था।
उन्होंने मुझे दोबारा घुटनों के बल बैठाया और खुद अपना लंड लेकर मेरे मुँह के सामने आ गए।
मैं दोबारा से उनका लंड चूसने को तैयार थी मगर उन्होंने अपना लंड मेरे मुँह में नहीं डाला।
उन्होंने टोपे की त्वचा को पीछे खींचा और बोले- ये लो नहाओ इस अमृत में।
इतने में ही उनके लंड से पेशाब की धार निकलने लगी। उनका पेशाब मेरे मुंह पर गिरने लगा।
वो मेरे मुंह पर मूतने लगे।
उनका पेशाब मेरे होंठों पर गिरकर कुछ अंदर और बाकी नीचे गिर रहा था। वो मेरी गर्दन से बहता हुए मेरे बूब्स और पेट पर होते हुए मेरे पूरे जिस्म को नहला रहा था।
मैं पीयूष जी के पेशाब से पूरी तरह भीग चुकी थी और बेडशीट भी पूरी तरह गीली हो चुकी थी। उन्होंने मेरा मुँह पकड़ कर खोला और मेरे मुँह में अपने लंड से निकलते हुए मूत की पिचकारी मारते हुए अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया।
मेरा मुँह पीयूष जी के पेशाब से भर चुका था।
पीयूष जी बोले- बेबी … इस अमृत को पी जाओ।
मैं पीयूष जी का कहा मानते हुए उनके पेशाब की एक एक बून्द को अमृत की तरह अपने गले से नीचे उतार गई।
मानो मेरे बदन मे एक अलग ऊर्जा का उपचार हुआ हो। मानो जैसे मैं सच में किसी अमृत से नहा ली।
मेरे बदन से अब एक अलग ही मादक महक आ रही थी जिसकी वजह से कमरा महक गया था।
पीयूष जी ने लंड अपना लंड मेरे मुँह में डाल रखा था और मुझसे उसे चूसने को कहा।
मैं उनके लंड को पकड़ कर जोर जोर से चूसने लगी।
मैंने पीयूष जी के लंड को अपनी लार से चिकना कर दिया था।
उनका लंड खड़ा हो चुका था।
मैं घुटनों के बल बैठी थी। वो बेड से नीचे उतरे और अपनी बेल्ट ले आये। पीयूष जी ने बेल्ट मेरे गले में डाली और मुझे घसीटते हुए बेड से नीचे उतारा मानो जैसे मैं उनकी कुतिया हूं।
मेरे गले में मंगलसूत्र की जगह बेल्ट का पट्टा था।
पीयूष जी ने मुझसे कहा- बेबी, अब तुम मेरी कुतिया बन जाओ।
मैं भी झट से दोनों घुटनों और मेरी दोनों हथेलियों के बल कुतिया बन गई।
पीयूष जी मुझे रूम से कुतिया की तरह घसीटते हुए नीचे ले जाने लगे।
मैं बोली- मगर नीचे संजीव है।
वो बोले- कुछ नहीं होगा, वो बेहोश है।
वो मुझे सीढ़ियों से किसी कुतिया की तरह घसीटते हुए नीचे लिविंग एरिया में ले आये जहाँ संजीव बेहोश पड़े थे।
पीयूष जी सोफे पर बैठे और मुझे अपनी गोद में भर लिया और मेरे मुँह में बहुत सारे टिश्यू पेपर डाल दिए ताकि मैं चीख ना सकूँ।
मेरे पति संजीव मुझसे बस 7-8 फीट की दूरी पर थे और मैं उनके ही यार के साथ नंगी उसकी बांहों में पड़ी थी।
मैंने अपनी सारी शर्म और डर इस चुदाई में उतार फेंकी थी।
पीयूष जी ने मुझे अपनी गोद में लिया और मुझे अपने खड़े लंड पर बैठा लिया।
उनका लंड धीरे धीरे पूरा अंदर उतर चुका था।
उन्होंने मेरी गांड पर हाथ रख कर मेरी गांड को उठाकर चोदना शुरू कर दिया।
मैं मुँह ही मुँह में आहें भर रही थी- हम्म्म … हम्म्म … हम्म हम्म हम्म हम्म… करते हुए मैं चुद रही थी।
पीयूष जी अपने यार के सामने ही अपने यार की बीवी की इज़्ज़त लूटने में लगे थे, उसे चोदने में लीन थे।
कुछ ही देर बाद मैं जोर जोर से हांफने लगी क्योंकि मुंह में टिश्यू भरे थे और पूरी हवा नहीं ले पा रही थी।
इसलिए पीयूष जी ने टिश्यू पेपर मेरे मुँह से निकाल लिए।
पीयूष जी मुझे दमदार चोद रहे थे। मैं अब चीख नहीं सकती थी क्योंकि मैं अपने पति के सामने ही चुद रही थी।
इसी का फायदा उठाते हुए पीयूष जी जोरदार झटके मेरी चूत में लगाने लगे।
मेरी आँखों से आंसू आ रहे थे। मैंने धीरे से पीयूष जी से बोला- पीयूष जी धीरे कीजिये, मुझे दर्द हो रहा है।
वो बोले- बेबी, मुझे तुम्हें यही दर्द तो देना है।
ये बोल वो मेरी चूत में जोरदार धक्के लगाने लगे।
मेरी आँखों से आंसू रुक नहीं रहे थे।
मुझे चुदते हुए आधा घंटा हो चुका था। मेरे बूब्स पीयूष जी की छाती में दबे हुए थे और धीरे धीरे उछल रहे थे।
उनके लंड से मैं बस चुदे जा रही थी।
वो भी मेरी गांड उठा कर मेरी चूत पेले जा रहे थे।
मेरे मुँह से लगातार एक ही शब्द निकल रहे थे- पीयूष जी धीरे कीजिये … पीयूष जी धीरे कीजिये ना … पीयूष जी धीरे कीजिये!
मगर वो पूरे जोश में मेरी चूत की बैंड बजाने में लगे हुए थे।
मेरा बदन अब अकड़ने लगा और मैं पिचकारी मारती हुई पीयूष जी के लंड पर झड़ने लगी।
वो अभी भी लगातार धक्के मार रहे थे।
मेरे गले में अभी भी बेल्ट का पट्टा था, मैं आहें भर रही थी।
पीयूष जी ने अपने लंड की स्पीड और बढ़ा दी और मेरे होंठों से अपने होंठ मिला लिए।
मुझे पता चल गया कि अब उनका निकलने करीब है इसलिए मैंने कह दिया कि मुझे वो पीना है।
ये सुनकर वो और जोश में आ गए और मुझे उठा उठाकर चोदने लगे।
मैं साथ में रो भी रही थी।
बहुत देर हो गयी थी मुझे चुदते हुए … 2-3 मिनट और मुझे चोदने के बाद पीयूष जी ने मुझे अपने लंड से नीचे उतार दिया और घुटनों के बल बैठा दिया।
वो सोफे पर बैठे थे, मैंने झट से उनका लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
उनका पूरा लंड मेरे मुँह में था।
कुछ मिनट चूसने के बाद पीयूष जी मेरे मुँह में ही झड़ने लगे।
मैंने उनकी अमृत की बूंदों को गट गट पी लिया।
मैं निढाल होकर नीचे फर्श पर ही लेट गई, मेरी सांसें फूल रही थीं।
उधर पीयूष जी भी सोफे पर ही लेट गए, वो भी हांफ रहे थे।
हम दोनों की हालत एक जैसी हो गई थी।
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न्यूड वाइफ सेक्स कहानी का अंतिम भाग: मेरे पति मुझे जुए में हार गए- 6