लैला ने पास रखा तौलिया उठाया और बाथरूम की ओर जाने लगी। थोड़ी देर बाद लैला तौलिया लपेटे फिर से कमरे में आ गई। उसने मुझे भी बाथरूम जाने का इशारा किया।
मैं चुपचाप फरमाबदार आशिक बना बाथरूम चला आया। मैंने अपने लंड को साबुन पानी से धोया और फिर थोड़ी क्रीम उस पर लगा ली। और मैं कमरे में वापस आ गया।
मेरा अंदाजा था लैला अपने कपड़े पहन चुकी होगी। पर मेरी सोच के विपरीत वह अभी भी तौलिया लपेटे बेड पर अधलेटी सी पड़ी थी।
मैं उसकी बगल में आकर बैठ गया। लैला ने थोड़ा सा उठते हुए झट से मेरा तौलिया खींच कर फेंक दिया और मेरे लंड को फिर से पकड़ लिया।
उसने 3-4 बार उसे हिलाया और ऊपर नीचे किया।
लगता है उसका मन अभी नहीं भरा था।
उसने पहले तो सुपारे के लाल छेद को ध्यान से देखा और फिर उस पर अपनी जीभ लगा दी।
हे भगवान्! यह लैला तो काम-कला में पूरी निपुण लगती है। और फिर उसने सुपारे को मुंह में भरकर चुस्की लगानी शुरू कर दी। थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से अंगड़ाई लेटे हुए कसमसाने लगा था। जिस प्रकार वह मेरा लंड चूस रही थी मेरा अंदाज़ा है उसने उस चिमगादड़ के साथ भी यह प्रयोग जरूर किया होगा पर अपनी-अपनी किस्मत होती है।
“जया एक काम करें?”
“हम्म …” उसने लंड को मुंह से बाहर नहीं निकाला बस … गले से हल्की सी आवाज निकाली।
“क्यों ना हम दोनों एक साथ करे?”
“की बोलचे?” (क्या मतलब?) अबकी बार उसने मेरे लंड को मुंह से बाहर निकाल कर पूछा।
“वो … मेरा मतलब है … 69 पोजीशन में हम दोनों को ही बहुत मज़ा आएगा?”
“हट!” लैला शर्मा सी गई।
“प्लीज आओ ना?” कहते हुए मैं लेट गया और पहले तो उसकी कमर से लिपटे तौलिये को खींच कर अलग किया. और फिर उसके नितम्बों और जाँघों को पकड़ते हुए अपने ऊपर खींच लिया।
फिर उसकी जाँघों को फैलाते हुए उसकी चूत को ठीक अपने मुंह के पास कर लिया। एक मादक गंध से मेरा सारा स्नायु तंत्र सराबोर हो गया।
मैंने अपना एक हाथ नीचे से उसकी लाकर उसकी चूत के पपोटों को थोड़ा चौड़ा किया तो एक पुट्ट की आवाज के साथ उसकी फांकें थोड़ी खुल गई।
आह … अन्दर से लाल रतनार जैसे कोमल मुलायम स्निग्ध मखमली चूत को देखकर मेरे से नाहीए रहा गया और मैंने अपनी जीभ उसपर लगा दी।
लैला तो जैसे उछल ही पड़ी।
अब मैंने उसकी चूत की दोनों पत्तियों को मुंह में भर लिया और चुस्की लगानी शुरू कर दी। बीच-बीच में उसके दाने पर भी अपनी जीभ लगाता और कभी-कभी उसके चीरे पर भी अपनी जीभ को नुकीला बनाकर फिराता।
लैला तो जैसे अपने होशो-हवास ही खोने लगी थी। वह जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगी थी “उईईइ … प्रेम आमी मर जाबे … ओह … आह …”
मुझे लगता है यह अनुभव उसके लिए नितांत नया था।
उसका सारा बदन जैसे हिचकोले खाने लगा था।
अचानक उसने मेरे लंड को पूरा अपने मुंह में भर लिया और जोर-जोर से चूसने लगी।
हे लिंग भगवान्! जिस प्रकार लैला मेरा लंड चूस रही थी मुझे लगा मैं तो इस बार जल्दी ही उसके मुंह में झड़ जाऊँगा।
वह अब तो जोर-जोर से अपनी चूत को मेरे मुंह पर घिसने भी लगी थी। मैं कभी उसकी चूत को चूसता और दाने को कभी अपनी जीभ से सहलाता कभी उसे दांतों के बीच लेकर काटता।
अब तो लैला की गूं … गूं … की आवाज साफ़ सुनाई देने लगी थी। वह रोमांच में डूबी अपने नितम्बों को जोर-जोर से हिलाने लगी और अपनी चूत को मेरे मुंह पर जोर-जोर से रगड़ने लगी।
जैसे ही मैंने उसकी चूत को मुंह में भरकर एक जोर की चुस्की लगाई, अचानक उसका शरीर कुछ अकड़ने सा लगा और फिर उसने अपनी जाँघों को जोर से भींच लिया।
अचानक मुझे लगा जैसे मेरे मुंह में एक मीठा गुनगुना शहद से भरता जा रहा है।
उसके शरीर ने हिचकोले से खाने शुरू कर दिए थे। थोड़ी देर ठुमकने के बाद लैला मेरा लंड मुंह से बाहर निकाल कर मेरे ऊपर हट गई और मेरी बगल में आ गई।
मैं तो थोड़ी देर और इसी तरह करना चाहता था. पर इससे पहले कि मैं कुछ बोलता लैला मेरे ऊपर आ गई और उसने फिर से अपनी गुलाबी फांकों को चौड़ा कर के मेरे लंड को अन्दर घोंट लिया।
अब मैं नीचे लेटा था और लैला मेरे ऊपर घुटनों के बल बैठी धक्के लगा रही थी। उसके खुले बाल कभी उसके उरोजों पर फ़ैल जाते कभी उसके चहरे पर। उसके गले में पड़ा मंगल सूत्र तो किसी पेंडुलम की भांति हिल रहा था। उरोजों की फुनगियाँ तो तन कर भाले की नोक की तरह नुकीले हो गई थी।
मैंने उसके दोनों उरोजों को अपने हाथों में पकड़ लिया और मसलने लगा।
लैला आंह … ऊंह … करती जा रही थी।
कमाल यह था कि साथ-साथ वह अपनी चूत का संकोचन भी कर रही थी।
पर मुझे लगा लैला अब थोड़ा सुस्त पड़ने लगी है। अब मैंने अपने एक हाथ उसके सके नितम्बों पर फिराते हुए उसकी कमर पकड़ कर थोड़ा नीचे होने का इशारा किया।
लैला जैसे ही थोड़ी नीचे हुई मैंने झट से उसके उरोज को मुंह में भर लिया और चूसने लगा।
लैला ने अब धक्के लगाने बंद कर दिए।
मैंने अपना एक हाथ फिर से उसके नितम्बों की खाई पर फिराया। गोल-मटोल कसे हुए नितम्ब … आह … मेरे लंड ने एक बार चूत के अन्दर ही ठुमका सा लगाया।
उसकी गांड के छेद पर मुझे कुछ चिकनाई सी महसूस हुई। मुझे लगता है लैला ने अपनी चूत के साथ-साथ अपनी गांड के छेद पर भी कोई खुशबूदार क्रीम या तेल जरूर लगाया है।
मैंने धीरे-धीरे अपनी अंगुली उसकी गांड के छेद पर फिरानी चालू कर दी।
“आह … प्रेम … आमी मरा गेलामा … तुमि पूरो म्याजिसियाना आह …” (आह … प … प्रेम मैं मर गई … तुम पूरे ज … जादूगर हो … आह …)
तीन तरफ से हुए हमले से लैला तो जैसे मदहोश ही हो गई थी।
एक तरफ मेरा लंड चूत में फंसा हुआ ठुमके लगा रहा था. दूसरी ओर मेरे मुंह में उसके उरोजों का चूचक और मेरी अंगुलियाँ उसकी गांड के छल्ले को सहला रही थी।
तीन तरफ से हुए हमले को वह अब कैसे सहन कर पाती?
उसने एक बार फिर से पानी छोड़ दिया।
और फिर वह अपने पैरों को सीधा कर के मेरे ऊपर जैसे पसर सी गई।
कुछ देर हम इसी अवस्था में पड़े रहे और फिर मैं उसकी कमर को पकड़कर एक कलाबाजी सी खाते हुए उसके ऊपर आ गया। फिर मैंने दनादन धक्के लगाने चालू कर दिए।
लैला मस्त हिरनी की तरह फिर से अपने नितम्ब हिलाने लगी थी।
“जया, तुम कहो तो इस बार एक नए अंदाज़ में करे क्या?”
“ओह … प्रेम … मैं तो आज ओह … आज मुझे सब कुछ मिल गया है … आह … बस ऐसे ही करते रहो …” लैला ने अपनी आँखें बंद किये हुए ही जवाब दिया।
“जया सच में तुम बहुत खूबसूरत हो …” कह कर मैंने पहले तो उसके होंठों को चूमा और फिर उसकी कांख पर अपनी जीभ फिराने लगा।
“ईईई ईईईई … आह … मेरे प्रेम …” लैला ने रोमांच भरी किलकारी मारी।
“जया! आओ प्लीज … एक नया प्रयोग करते हैं.” कहते हुए मैं लैला के ऊपर से हट गया।
“की होच्चे?” (क्या हुआ) लैला हैरानी से मेरी ओर देखने लगी।
मैंने उसकी कमर को पकड़ते हुए उसे थोड़ा घुमाया और फिर दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़ कर उसे डॉगी स्टाइल में कर दिया. और अब मैं अपने घुटनों के बल होकर उसके पीछे आ गया।
“ओह … की कोरचा? … (क्या कर रहे हो?) … ना अमी पिछाना थेके एती ना ओह़ा … प्लीज अपेक्षा करा.” (नो … मैं पीछे से नहीं करवाऊँगी … ओह … प्लीज … रुको … )
“अरे मेरी जान तुम रुको तो सही … मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जो तुम्हें पसंद नहीं हो … विश्वास रखो।”
शायद लैला को डर था कहीं मैं उसकी गांड मारने का उपक्रम तो नहीं करने लगा हूँ।
अब मैंने उसकी चूत के पपोटों को दोनों हाथों की अँगुलियों से चौड़ा किया।
हे लिंग देव!! लाल रंग का चीरा तो मुश्किल से 4 इंच का रहा होगा … रतनार … रस से भरा हुआ … और उसके एक डेढ़ इंच ऊपर की ओर उसकी गांड का चमकता हुआ हल्के सांवले रंग का छल्ला।
मैंने जितनी भी लड़कियों या औरतों को चोदा है लगभग सभी की गांड का मर्दन जरूर किया है. पर पता नहीं जिन्दगी में आज पहली बार लैला के इतने खूबसूरत नितम्बों को देख कर भी मेरा मन तो बस उसकी चुकंदर जैसी चूत को ही चोदने का मन कर रहा था।
मैंने अपनी जीभ उसके पेरिनियम (योनि और गुदा के छेद के बीच का स्थान) पर लगा दी।
लैला को तो जैसे करंट सा लगा और वह तो घोड़ी की तरह हिनहिनाने सी लगी थी।
“ओह … प्रेम! आमी मर … जाबे आह … (मैं … मर जाउंगी … ओह …)” कहते हुए उसने अपना सिर नीचा करके तकिये पर लगा दिया।
अब तो उसके नितम्ब पूरे खुल से गए थे।
मेरा लंड झटके से खाने लगा था। मैंने उसे हाथ में पकड़ कर उसकी चूत के चीरे पर फिराया।
लैला की चूत ने संकोचन करना चालू कर दिया। उसकी गांड का छल्ला भी साथ में संकोचन कर रहा था, जैसे मुझे ललचा रहा था।
अब मैंने अपने को उसकी चूत के मुहाने पर सेट किया और फिर उसकी कमर पकड़ कर एक धक्का लगाया। हालांकि मैंने धक्का जोर से तो नहीं लगाया था पर उसकी चूत की फिसलन इतनी जबरदस्त थी कि एक ही धक्के में मेरा पूरा लंड उसके गर्भाशय से जा टकराया।
लैला के मुंह से एक घुटी-घुटी चीख सी निकल गई। उसने छटपटाने की कोशिश की पर मैंने उसकी कमर को अपने हाथों में कस कर पकड़े रखा।
“आईईईई … प्लीज धीरे … ओह … मुझे ऐसी आदत नहीं है प्लीज … बाहर निकालो।”
“मेरी जान कुछ नहीं होगा बस … थोड़ी देर में उम्हें बहुत मज़ा आने लगेगा।”
अब मैंने उसके नितम्बों पर कमर पर हाथ फिराना चालू कर दिया। मैंने महसूस किया उसका पूरा बदन झनझना रहा है। अब यह भयवश था या रोमांच के उच्चतम शिखर पर पहुँचने के कारण था, यह तो लैला ही अच्छे से बता सकती थी।
मेरा लंड पूरी तरह उसकी चूत की गहराई में समा गया था और अब मैंने धक्के भी लगाने चालू कर दिए थे।
लैला भी अब तो मेरे धक्कों के साथ अपनी लय मिलाने लगी थी।
मैं कभी उसकी कमर पर हाथ फिराता … कभी उसके गोल सांवले नितम्बों पर। कभी हाथ नीचे करके उसकी चूत के दाने को मसल देता तो लैला सित्कार सी निकल जाती।
जैसे ही मैं धक्का लगाता एक फच्च के आवाज आती। फचफचाहट का मधुर संगीत जैसे पूरे कमरे में गूंजने लगा था।
दोस्तो! आपको इस समय मैं एक बात बताना लाजमी समझता हूँ।
कुछ औरतों को सेक्स के दौरान हल्का कटवाना, खरोंचना और नितम्बों पर थप्पड़ लगवाना बहुत पसंद होता है। मुझे एक बार गौरी ने बताया था कि उसके भैया भी सेक्स करते समय उसकी भाभी के नितम्बों पर जोर-जोर से थप्पड़ लगाते हैं और भाभी को उसमें बहुत मज़ा आता है।
मैंने भी इस लैला के जब उरोजों की फुनगियों को अपने दांतों से काटा था तो यह रोमांच के मारे उछलने ही लगी थी।
शायद यह लैला भी सडेक्टिव है।
ऐसी औरतों को अपने प्रेमी या पति से सेक्स के दौरान मार खाना बहुत पसंद आता है। मैंने उसके नितम्बों पर हल्के थप्पड़ लगाने चालू कर दिए। मेरे थप्पड़ों से उसके नितम्ब लाल हो चले थे। मुझे आश्चर्य हो रहा था लैला ने कोई प्रतिवाद या प्रतिरोध नहीं किया अलबत्ता वह तो अपने नितम्बों को जोर-जोर से हिलाने लगी थी।
कोई 20 मिनट के बाद मुझे लगने लगा था मेरा लंड अब शहीद होने वाला है। हालांकि मन नहीं भरा था पर हम दोनों ही अंतिम सांस तक हिम्मत हारने को तैयार नहीं थे। लैला इस दौरान 2-3 बार झड़ गई थी। उसकी चूत तो पानी छोड़-छोड़ कर जैसे नहर ही बन गई थी।
और फिर हम दोनों ने एक साथ उस आनंद को फिर से भोगा जिसे परम आनंद यानि ओर्गास्म कहा जाता है।
वीर्य स्खलन के बाद भी मैं और लैला उसी अंदाज़ में (डॉगीस्टाइल) में रहे।
सच कहता हूँ इस समय मुझे मधुर की बहुत याद आने लगी थी आप तो जानते ही हैं पिछले 6-8 महीने में हमने बहुत बार इसी आसन में सेक्स किया था।
मैं और लैला दोनों आँखें बंद किये प्रकृति के इस अनूठे और नैसर्गिक कर्म में लगे रहे। मेरा लंड अभी भी लैला की चूत की गहराई में डूबा हुआ था।
अब लैला ने धीरे-धीरे अपने पैर पसार दिए और मैं उसके ऊपर लेट कर उसके गुदाज़ नितम्बों का स्वाद लेने लगा। मैंने उसकी पीठ गले और कानों की लोब को कई बार चूम कर उसका धन्यवाद किया।
लैला तो मस्त मोरनी बनी लम्बी-लम्बी साँसें लेती बस रोमांच में डूबी रही।
और फिर उस रात हमने रात 3 बजे तक पता नहीं कितनी बार प्रेम मिलन की इस नैसर्गिक क्रिया को दोहराया होगा याद नहीं।
लैला की हालत तो यह हो गई थी कि उससे उठकर बाथरूम तक जाना भी मुश्किल सा लग रहा था। उसकी चूत तो ऐसे लग रही थी जैसे कोई बया (एक छोटी चिड़िया) अपनी चोंच को अपने दोनों परों के बीच समेटे चुपचाप बैठी हो। वह तो सूजकर पकोड़े जैसी हो गई थी। मुझे नहीं लगता अब वह 3-4 दिन ढंग से चल फिर भी पाएगी।
मेरी भी हालत कामोबेश ऐसी ही थी। मेरा लंड भी सूज सा गया था और सुपारा तो लाल टमाटर जैसा हो चला था।
लैला ने बताया कि सुबह सुहाना वापस आ जाएगी. लेकिन फिर कभी मौक़ा मिला तो वह इन पलों को एक बार फिर से जरूर दोहराना चाहेगी और पूरी रात मेरे आगोश में ही बिताएगी।
मैंने लैला का एक बार फिर से धन्यवाद किया।
हम दोनों का मन तो अभी भी नहीं भरा था। मेरा मन तो उसे बांहों में भर कर एक गहरी नींद लेने को कर रहा था पर अब घर वापस आने की मजबूरी थी। किसी ने अगर देख लिया तो मुसीबत खड़ी हो सकती थी।
आप तो जानते ही हैं साली यह किस्मत तो लौड़े लगाने के लिए हमेशा तैयार ही बैठी रहती है।
मैं लिंग देव का जयकारा लगाते हुए और उसका शुक्रिया अदा करते हुए घर लौट आया।
आपको मेरी नोनवेज स्टोरी इन हिंदी में मजा आया?
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नोनवेज स्टोरी इन हिंदी जारी रहेगी.