न्यू रण्डी सेक्स कहानी में मैंने एक कॉलेज गर्ल की कुंवारी बुर फाड़ने का मजा लिया. पहले मैंने उसके साथ ओरल सेक्स करके उसे गर्म किया, फिर उसकी सीलबंद बुर में लंड डाला.
दोस्तो, नमस्कार.
मैं रवि किशन सेक्स कहानी का अगला भाग लेकर आप सभी लोगों के सामने हाजिर हूं.
मैं कोमल मिश्रा जी को दिल से शुक्रिया कहना चाहता हूं, जिन्होंने मेरी कहानी को आप तक भेजने में मेरी मदद की.
मुझे ये सेक्स कहानी लिखने में बहुत ज्यादा समय लगा, क्योंकि मेरे पास इतना वक्त नहीं रहता.
फिर भी जितना समय मिलता था, थोड़ा थोड़ा करके ये कहानी लिखी.
कहानी के पिछले भाग
कुंवारी लड़की की चुदाई की लालसा
में आपने अब तक पढ़ा था कि मैंने अभी तक केवल रूपा को नंगी करके उससे थोड़ी मस्ती ही की थी और अपने लंड का पानी उसके मुँह में निकाला था.
अभी उसकी पहली चुदाई करनी बाकी थी.
रूपा को मैंने बाथरूम जाने के लिए बोला था. वो बाथरूम में अपने मुँह और चेहरे की सफाई कर रही थी.
मैं बिस्तर पर लेटा हुआ उसके आने का इंतजार कर रहा था और आहिस्ते आहिस्ते अपने लंड को सहला रहा था.
अब आगे न्यू रण्डी सेक्स कहानी:
काफी समय बीत गया और रूपा बाहर नहीं आई.
मेरी बेताबी बढ़ती जा रही थी.
मुझसे रहा नहीं गया और मैं बाथरूम की तरफ चल दिया.
बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था, तो मैं अन्दर चला गया.
उस वक्त रूपा बैठी हुई पेशाब कर रही थी और बाथरूम में सीईई सीईई की आवाज गूंज रही थी.
उसने मुझे नहीं देखा था क्योंकि मैं उसके पीछे खड़ा हुआ था.
उसकी मक्खन जैसी गोरी गोरी गांड मेरे सामने थी, जिसे देख मेरा लंड फिर से टाइट होने लगा.
जैसे ही वो खड़ी हुई और पीछे मुड़ी, मुझे देखकर चौंक गई.
उसके चेहरे पर शर्म की लाली साफ साफ नजर आ रही थी.
मैंने उसे अपनी ओर खींचा और उसे किसी गुड़िया की तरह अपनी गोद में उठा लिया.
वजन में वो बेहद हल्की सी थी, पता नहीं वो मेरे शरीर का वजन कैसे झेलने वाली थी.
मैंने उससे कहा- चलो मेरी जान, अब तुम्हारी नथ उतारने की बारी आ गई.
उसे ले जाकर मैंने बिस्तर पर लेटा दिया.
उसने अपने पैर मोड़ कर अपनी छोटी सी फुद्दी को छुपा लिया.
मैं उसके पैरों के पास जाकर अपने घुटनों पर बैठ गया.
वो मुझे देखे जा रही थी और उसके चेहरे पर एक सवालिया निशान था कि पता नहीं अब मैं उसके साथ क्या करने वाला हूं.
मैंने उसके दोनों घुटनों को अपने हाथों में थाम लिया और एक झटके में उसके पैरों को फैला दिया.
उसकी नन्ही सी फुद्दी मेरे सामने खुल गई थी.
मैंने एक तकिया लिया और उसके चूतड़ों के नीचे रख दिया, जिससे उसकी बुर और ऊपर की ओर उठ गई.
अब मैं उसकी बुर की तरफ बढ़ गया और अपना मुँह उसकी बुर के पास ले जाकर बुर की खुशबू लेने लगा.
उसकी छोटी सी बुर से बेहद मादक और उत्तेजक गंध आ रही थी जिससे मेरा रोम रोम खड़ा हो गया.
उसकी खुशबू लेने के बाद मैंने अपनी जीभ हल्के हल्के उसकी बुर पर चलाना शुरू कर दिया.
‘सीईई ईई ईईई …’ की आवाज के साथ उसका बदन कांप उठा.
मैं ऊपर नीचे करते हुए अपनी जीभ बुर पर फिरा रहा था और वो मछली की तरह तड़प रही थी.
मैंने अपने हाथ से उसके बुर की दरार को फैलाया और उसकी बुर का छोटा सा छेद सामने आ गया.
उसकी बुर का चीरा लगभग एक इंच का था, जबकि मेरे लंड की मोटाई ढाई इंच थी.
मैंने अपनी उंगलियों से उसकी बुर को फैलाए रखा और जिस छेद से लड़कियां पेशाब करती हैं, उस छेद को जीभ से चाटने लगा.
रूपा को जैसे करंट सा लगा ‘मम्मीई ईईई आह .. उह …’
मैंने उसकी आवाज को नजरअंदाज करते हुए उसकी पूरी बुर पर अपनी खुरदुरी जीभ चलाना शुरू कर दिया.
उसकी दोनों जांघें कांपने लगीं और सारे कमरे में उसकी सिसकारियां गूंज उठीं- आह्हह आआह्ह मम्मीईई आह्हह ओओह … बसस्स आंह्ह!
जल्द ही उसकी पूरी बुर पानी से लबालब भर गई और मैं उस पानी को बड़े प्यार से चाटता गया.
कुछ ही देर में रूपा बेकाबू हो गई और अपने हाथ पैर पटकने लगी.
मैं फिर भी उसकी बुर चाटने में लगा हुआ था.
जिंदगी में पहली बार मुझे इतनी प्यारी बुर मिली थी और वो भी इतने इंतजार के बाद.
वो भले ही मेरे पास एक रंडी के रूप में आई थी लेकिन अभी वो बिल्कुल अनछुई कली थी.
मैं लगातार उस न्यू रण्डी की बुर चाट रहा था.
और तभी अचानक से रूपा का बदन अकड़ने लगा और एक तेज धार सीधे मेरे चेहरे पर आकर पड़ी.
उसके गर्म गर्म पानी से मेरा चेहरा गीला हो चुका था और वो झड़ चुकी थी.
ऐसा अहसास और ऐसा नजारा मेरे साथ कभी नहीं हुआ था, मुझे बहुत ही मजा आया.
मैंने पास रखे कपड़े से उसकी बुर और अपने चेहरे को साफ किया और फिर से उसकी बुर चाटना शुरू कर दिया.
कुछ देर बुर चाटने के बाद मैंने अपनी एक उंगली उसकी बुर की दरार पर चलानी शुरू कर दी.
ऊपर नीचे करते हुए मैं उंगली को उस पर रगड़ रहा था.
अचानक से मैंने बुर में थोड़ी सी उंगली डाल दी, जिससे रूपा एकदम से उछल पड़ी.
उसकी बुर अन्दर से भी बेहद गर्म थी.
ऐसे करते हुए मैंने कई बार उसकी बुर में अपनी उंगली का थोड़ा सा भाग डाला और निकाला.
उसके उछलने से मुझे काफी मजा आ रहा था.
मेरी इस हरकत से अब वो भी मजा लेने लगी थी और अपनी गांड उठाने लगी थी.
जल्द ही उसकी बुर फिर से पानी से चिपचिपी हो गई.
अब मैं ऊपर की तरफ बढ़ते हुए उसकी नाभि पर, पेट पर चूमने लगा और जल्द ही उसके अमरूद जैसे छोटे छोटे दूध तक जा पहुंचा.
पहले मैंने उसके एक निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और दूसरे निप्पल को चुटकी से मसलने लगा.
मैं अपने मुँह से बुरी तरह उसके निप्पल को चूस रहा था. टमाटर जैसे लाल हो चुके निप्पलों को चूसने का मजा ही अलग आ रहा था.
जल्द ही मैंने उसके एक दूध को अपने मुँह में पूरा का पूरा भर लिया और दांतों से हल्के हल्के काटने लगा.
उसके मुलायम मुलायम दूध को दांतों से मसलने में अलग ही मजा मिल रहा था.
ऐसे ही मैंने बारी बारी से दोनों चूचों के साथ किया और उसके दोनों दूधों को पूरा निचोड़ डाला.
अब मुझसे बिल्कुल भी रुका नहीं जा रहा था और मैं जल्दी से उसे चोदना चाहता था.
मेरा लंड उसके पेट पर आकर उसे सहला रहा था.
मैंने उसके होंठों को, गालों को जीभर के चूमा और उसकी जीभ को अपने मुँह में भर कर चूसा.
वो भी मस्त हो गई थी और मेरे साथ खेलने लगी थी.
अब मैं बहुत बुरी तरह से गर्म हो चुका था और रुका नहीं जा रहा था.
मैं उससे बोला- चल मेरी जान अब तैयार हो जा अपनी पहली चुदाई के लिए.
रूपा- अंकल आराम से करिएगा.
मैं- तू चिंता क्यों कर रही है डार्लिंग … तुझे तो मैं बहुत प्यार से चोदूंगा. वैसे भी तुझे तो अभी बहुत चुदना है. तू चुदने के लिए ही तो आई है ना मेरे पास … फिर क्यों डर रही है.
वो हल्के से मुस्कुरा दी.
मैं- आज तेरी बुर ऐसी खुल जाएगी कि आज के बाद तू किसी का भी लंड ले लेगी. तू जिंदगी भर मुझे याद करेगी कि किसी ने बड़े प्यार से तेरी सील तोड़ी थी.
वो मेरी आंखों में देखती हुई बड़ी प्यारी सी मुस्कान दे रही थी.
शायद उसे मेरे प्यार करने का अब तक का तरीका इस बात का भरोसा दे रहा था कि मैं उसकी बुर को बड़े प्यार से चोदूंगा.
अभी ये अब चल ही रहा था कि तभी मैं एक झटके में रूपा के ऊपर लेट गया और जैसे ही मेरा वजन उसके ऊपर आया, उसकी आह की आवाज निकल गई.
मैंने उसके दोनों पैरों को फैला कर नीचे रखे हुए तकिया को अच्छे से सैट किया और अपने लंड को उसकी बुर पर रगड़ने लगा.
उसकी बुर से निकल रहे पानी को अपने लंड पर अच्छे से लगा लिया ताकि लंड उसकी बुर में आराम से जा सके.
मैं जानता था कि उसे काफी तकलीफ होगी इसलिए मैंने उसे पूरी तरह से जकड़ लिया था ताकि वो हिल ना सके.
अपनी जांघों से उसकी दोनों जांघों को दबा दिया.
अब मैंने अपना सुपाड़ा बुर के छेद पर लगाया और जोर देना शुरू किया.
मेरा मोटा सुपारा अन्दर ना जाकर उसके पेट की तरफ चला गया, फिर दुबारा भी मेरी कोशिश बेकार गई.
अब मैंने अपने हाथ में लंड को पकड़ा और छेद पर लगाकर जोर देना शुरू किया.
अब मेरा सुपाड़ा अन्दर जाने लगा.
जैसे ही लंड ने छेद को फैलाया, रूपा ने अपनी आंखें बंद कर लीं और होंठों को अपने मुँह में दबा लिया.
मेरा सुपारा जैसे ही अन्दर गया, रूपा का मुँह खुल गया. वो रोती हुई बोली- आआह अंकल अंकल … रुको रुको अंकल प्लीज … अंकल थोड़ा रुको.
लेकिन मैं उसकी एक बात सुनने को तैयार नहीं था. शराब के नशे में चूर मैंने जोर देना जारी रखा.
जैसे जैसे मेरा लंड अन्दर जा रहा था, उसकी बुर की चमड़ी फैलती जा रही थी.
बड़ी मुश्किल से मेरा लंड दो इंच ही अन्दर गया था कि मेरे लंड पर बेहद कसाव पड़ने लगा और अब लंड अन्दर नहीं जा रहा था.
मैं समझ गया कि ऐसे बात नहीं बनने वाली, मुझे ताकत लगानी ही पड़ेगी.
मैंने अपनी कमर थोड़ा पीछे की और एक ताकतवर धक्का लगा दिया.
मेरा लंड उसकी बुर की सील को फाड़ता हुआ आधा अन्दर चला गया.
वो जोर से चीखने लगी- मम्मीई ईईइ ईईई ईईईइ मर गई … आआह बचा लो आआह मैं मर जाऊंगी अंकल आह निकाल लोओ आह मेरी फट गई आंह!
तब मैंने देखा वो बिल्कुल पसीने पसीने हो गई थी और उसका पूरा जिस्म कांपने लगा था.
मैंने फिर से जोर दिया और इस बार पूरा लंड बुर की गहराई तक पेल दिया.
‘आआ आआ मम्मीई मम्मी मुझे नहीं करना … आआह मम्मी जाने दो मुझे नहीं करना … बाहर निकालो आआ …’
अब मैंने थोड़ी कड़क आवाज में कहा- चुप्प मादरचोद रंडी. साली रंडी बनने का शौक था ना तुझे … अब क्यों चिल्ला रही है भोसड़ी की. साली किसी से पहली बार चुदेगी तो बुर तो फटनी ही है. रंडी बन साली … अब बनी है तो चुद. मैं नहीं चोदता तो कोई और चोदता तुझे लेकिन चुदना तो पड़ता ही तुझे. चुपचाप लेटी रह और थोड़ा दर्द सहन कर, अभी सब ठीक हो जाएगा.
वो मेरी कड़क आवाज से एकदम से चुप हो गई.
मैंने उसे समझाने की कोशिश की- अभी जितना दर्द सहन करेगी आगे उतना ही मजा आएगा तुझे. आराम से ही चोद रहा हूं तुझे, मैं चाहता तो एक बार में ही पेल देता, चुपचाप लेटी रह रंडी. अभी तो दो दिन तुझे मेरे साथ रहना है.
वो रोती हुई लेटी रही और मैं बेहद ही आराम आराम से अपने लंड को आधा बाहर निकालता और फिर अन्दर करता.
उसकी बुर इतनी ज्यादा टाइट थी कि मेरा लंड भी दर्द करने लगा.
दस मिनट तक मैंने बेहद धीमी रफ्तार से उसकी बुर में अन्दर बाहर किया.
उसकी बुर बेहद ही गर्म थी और जब मेरा लंड अन्दर जाता तो बुर कांपने लगती थी.
करीब पांच मिनट बाद उसकी बुर पानी से लबालब भर गई और मेरा लंड आराम से अन्दर बाहर होने लगा.
उसका दर्द भी अब ना के बराबर हो गया था.
मैंने उसके गाल को चूमते हुए पूछा- अब कैसा लग रहा है?
रूपा- अंह अब थोड़ा आराम है अंकल.
मैं- दर्द तो नहीं हो रहा?
रूपा- कुछ कुछ.
मैं- मतलब अब चुद लेगी तू!
वो कुछ नहीं बोली.
अब मैंने रफ्तार तेज करनी शुरू की.
और पहला धक्का जोर से लगाया.
‘उऊऊई ईई.’
मैंने अब लगातार धक्के लगाना शुरू किए और वो ‘उउउई आ आह्हह मम्मीई ईई आआ आआ …’ चिल्लाती रही.
बुर के रसीली हो जाने से फच फच की आवाज के साथ मेरा लंड उसकी चुदाई करने लगा.
मैंने अपना हाथ बिस्तर पर टिकाया और फट फट फट करते हुए चोदता रहा.
वो कब झड़ गई, मुझे बिल्कुल भी पता नहीं चला, मैं बस बिना रुके उसे चोदता रहा.
पहले उसने अपने दोनों हाथ मेरे पेट पर लगाए थे ताकि मैं तेज धक्के ना लगा सकूं लेकिन जल्द ही उसके हाथ मेरी कमर पर आ गए और मुझे अपनी ओर खींचने लगे.
मैं समझ गया कि साली को अब मजा आ रहा है और मैं दनादन चोदने लगा.
बीच बीच में मैं एक हाथ से उसके चूचे दबा देता और निप्पल को चुटकी से मसल देता.
उसे अब मजा आ रहा था और आंख बंद करके वो चुदाई का मजा ले रही थी.
मैंने करीब बीस मिनट तक बिना रुके उसकी चुदाई की.
फिर मैं जैसे ही झड़ने लगा तो लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा.
मेरी पिचकारी छूट पड़ी और सीधा उसके गाल पर गिरी.
उसका गाल दूध और पेट सभी जगह मेरा माल गिरा और फिर मैं पलट कर उसके बगल में लेट गया.
जैसे ही मैं लेटा, तो मेरी नजर अपने लंड पर गई, जिसमें चारों तरफ खून लगा हुआ था, जो कि रूपा के कुंवारेपन का सबूत था.
फिर मैंने तकिए को उसकी गांड के नीचे से निकाला, जिस पर बहुत ज्यादा खून गिरा हुआ था.
हम दोनों पसीने से भीगे हुए चुपचाप लेटे रहे.
कुछ देर बाद रूपा उठी और बाथरूम जाकर उसने अपनी साफ सफाई की और आकर अपने कपड़े समेटने लगी.
जैसे ही उसने चड्डी पहनी चाही, मैं बोला- इतनी जल्दी क्या है जानेमन, अभी तो बहुत कुछ होना बाकी है.
मैंने उसे अपने पास बुलाया और अपने ऊपर लेटने को कहा.
वो न्यू रण्डी नंगी ही मेरे ऊपर लेट गई और मैंने उसे अपनी बांहों में कस लिया.
मेरा एक हाथ उसकी पीठ सहलाने लगा और दूसरा हाथ उसकी गांड को दबाने लगा.
मैं एक उंगली से उसकी गांड के छेद को रगड़ रहा था.
मैंने उसे और ऊपर खींचा और उसके दूध को मुँह में भरकर चूसने लगा.
जल्द ही हम दोनों फिर से गर्म हो गए और मैंने उसकी फिर से चुदाई करनी शुरू कर दी.
इस बार मैंने उसे सिखाया कि घोड़ी बनकर कैसे चुदना है. अपनी कमर कैसे मटकानी है और किसी मर्द को कैसे खुश करना है.
वो सर हिला कर मान गई.
मैंने एक तगड़ा पैग बनाया और उसे भी पिलाया. उसको भी शायद शराब से अपने दर्द निजात पानी थी.
उसके बाद मैंने तीन बार चुदाई की और उसे नंगी ही अपनी बांहों में लेकर सो गया.
सुबह 9 बजे मेरी नींद खुली तो देखा वो बिस्तर पर बैठी हुई थी और दर्द से कराह रही थी.
मैंने पूछा तो उसने कहा कि उसके नीचे और पेट में बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने उसके सर को सहलाया और कहा कि चिंता मत कर, सब ठीक हो जाएगा. जा तू बाथरूम में फ्रेश होकर आ.
वो बाथरूम चली गई और उसके आने के बाद मैं भी फ्रेश हो गया.
मैं रूम से निकला तो नौकर गोपू आ चुका था और उसने चाय नाश्ते का इंतजाम किया.
उसके बाद गोपू ने खाना बनाया और फिर अपने घर चला गया.
दोस्तो, उसके बाद आगे क्या हुआ … मैंने रूपा को बाथरूम में उछाल उछाल कर किस तरह से चोदा और फिर उसकी गांड का उद्घाटन कैसे किया.
ये सब आप न्यू रण्डी सेक्स कहानी के अगले भाग में पढ़िएगा. मेल जरूर करें.
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न्यू रण्डी सेक्स कहानी का अगला भाग: कुंवारी रंडी की चुत गांड चुदाई का मजा- 3