नए लड़कों से गांड मारने मराने की दोस्ती-1

हैलो.. मैं बारहवीं कक्षा में एडमीशन लेकर एक नए कॉलेज में भर्ती हुआ। नया शहर नए स्टूडेंट थे.. अधिकतर लड़के तो शहर के ही थे.. कुछ ही बाहर से आए थे जिनमें एक मैं भी था।
चार-पांच नए लड़के थे.. जो बाहर के थे। उन्हीं में से एक कैलाश भी था.. जो वैसे तो रहने वाला झांसी का था जोकि उत्तर प्रदेश का शहर है.. पर मध्यप्रदेश की सीमा से लगा हुआ है।

जिस नए शहर में कॉलेज था.. वह मध्य प्रदेश का शहर है.. पर उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा है और झांसी के बिल्कुल पास है। जल्दी ही सभी से जान-पहचान हो गई.. दोस्तों के ग्रुप बन गए।

मेरी भी कैलाश से दोस्ती हो गई। कैलाश झांसी का होने से एक स्मार्ट वेल ड्रेस्ड सुंदर लड़का था। एक दिन वह बन-ठन कर बढ़िया धुली हुई प्रेस की हुई ड्रेस पहन कर आया.. उसके गले में पावडर लगा दिख रहा था.. जो काफी महक रहा था।

मैं उसके पास ही खड़ा था, मैंने कहा- कैलाश भाई.. बहुत महक रहे हो.. सही में बहुत जम रहे हो।
कैलाश ने हँसते हुए कहा- यार तुम्हारी तो नियत खराब लगती है।
मैंने भी उसके गले में अपना हाथ डाल कर मुस्कराते हुए कहा- क्या मतलब?
कैलाश- डरो मत.. रुक क्यों गए?

उसके गालों की ओर मैंने अपने होंठ बढ़ाए और रुक गया।
कैलाश- मन की कर लो, वरना चैन नहीं पड़ेगा।

मैंने उसके गालों का चुम्बन ले लिया। वह मुस्कराया बोला- यह क्या लौंडियों की तरह डरते-डरते कर रहे हो.. मैं बताता हूँ कि मर्द कैसे माशूक लौंडे को चूमते हैं।

उसने मेरी छाती को अपनी दोनों बांहों से जकड़ लिया, उसके दोनों हाथ मेरी बगल से निकल कर मेरी पीठ पर जम गए थे, वो मुझसे बिल्कुल चिपक गया था, उसने मेरे दोनों गालों पर कई चुम्बन जड़ दिए, मेरे होंठ काट डाले, मुझे दीवाल से सटा कर अपनी कमर मेरी कमर से चिपका दी, उसका लंड मेरे लंड से टकरा रहा था, उसका लंड बुरी तरह खड़ा था और मेरे पेट में गड़ रहा था।

मैंने अपना हाथ उसकी पैन्ट के ऊपर से उसके लौड़े के ऊपर रखा, वह मुस्कराया तो मैं उसका लंड सहलाने लगा।
वह भी मेरा लंड सहलाने लगा और सहलाते हुए बोला- मेरा पसंद है?
मैंने कहा- तू बोल?
वह बोला- मैं तैयार हूँ.. चाहे जब।

हम क्लास के इन्तजार में बरामदे में खड़े थे.. सो अलग हो गए और क्लास में चले गए।

मैं कुर्सी पर बैठा था.. पर मेरा शरीर झनझना रहा था। मेरी गांड अब तक कुलबुला रही थी.. चूतड़ सनसना रहे थे। बहुत दिनों से कोई लंड नहीं मिला था। होंठों पर अब भी चुम्बन महसूस हो रहे थे.. मन मस्त था, बस ये ही सोच रहा था कि जल्दी से लंड मिल जाए।

एक दिन मैंने उसे फिर एकान्त में पकड़ लिया और उससे चिपक लिया, अब मैं खुल गया था, मैंने उसके गालों के झट से दो-तीन चुम्बन ले डाले.. होंठ चूस डाले.. और उससे चिपक गया।
मेरा लंड बुरी तरह फनफना रहा था और उसके पेट में गड़ रहा था।

वह बोला- तेरा बहुत बेचैन हो रहा है.. मेरे आगे छेद होता तो अभी मेरी फाड़ देता बस-बस रुक जा।
मैंने चिपके-चिपके ही दो-तीन धक्के दिए।
वह बोला- ठहर जा.. वरना तेरा पैन्ट गीला हो जाएगा।

More Sexy Stories  आए थे घूमने, चोद दी चूतें-2

मैंने उसे घुमाया और उसके पीछे की ओर चिपक कर रह गया।
वह बोला- यहाँ बस इतना ही.. आगे का काम किसी सही जगह पर करेंगे.. तू मेरे घर आना।
वो सही था.. क्योंकि यह कॉलेज का परिसर था।

इसी तरह हम एक-दूसरे को चूमते.. छूते.. और लिपटते रहते.. सबके सामने भी हँसी-मजाक करते रहते।
मेरे और भी कई दोस्त बन गए.. जो मेरी हरकतों का बुरा न मानते.. बल्कि कई तो मेरा साथ देते।

मैं उनके गाल चूमता.. तो वे हँस देते, कोई मेरे गाल चूम लेता, मैं किसी के चूतड़ मसक देता तो वे इसे लाइटली लेते।

उनमें से एक लड़का था, शशि वह भी माशूक था.. पर हम सबसे रिजर्व रहता था। सुंदर तो हम सभी थे.. अठारह-उन्नीस साल के लड़के थे, पर उसे अपने बारे में कुछ शायद गलतफहमी थी.. वो बात कम करता था और दूर-दूर ही रहता था।

एक दिन क्लास खत्म करके हम सब जा रहे थे, वह हमारे आगे था.. मेरे दोस्त कैलाश ने इशारा किया, मैंने आगे बढ़ कर उसके गले में हाथ डाल दिया।
वह गर्म होने लगा, मैंने उसका गाल चूम लिया तो वह भड़क गया।
सब लड़के हँस पड़े तो वह चुप हो गया।

एक दिन वह अकेला जा रहा था, मैंने कहा- अरे शशि भाई नाराज हो क्या?
वह बोला- तुमने उस दिन..
मैंने कहा- उस दिन क्या? दोस्ती की बात थी.. तुम तो नाराज हो गए।
वह बोला- दोस्ती..! सबके सामने ऐसा?
मैंने कहा- तो आज अकेले हैं.. आज सही।

आगे बढ़ कर मैंने उसका जोरदार चुम्बन ले लिया। इस बार वह नाराज नहीं हुआ बल्कि मुस्कराया.. और गाल पौंछते हुए बोला- बहुत बदमाश हो.. तुम नहीं मानोगे, मैं भी कुछ करूँगा।
मैंने कहा- कर लो यार.. बोलो क्या करना है?

मैंने अपना गाल उसके आगे कर दिया वह शरमा कर रह गया।

इस तरह मेरी उससे दोस्ती हो गई, कभी-कभी उसके गालों और होंठों का अमृत मुझे मिल जाता।

एक दिन बॉटनी के लेक्चरर पौराणिक सर जी को कॉलेज प्रदर्शनी में सहायता के लिए दो लड़कों की जरूरत थी। उन्होंने मुझे और शशि को चुना।
हम प्रदर्शनी के एक दिन पहले सवेरे से कॉलेज सर के पास पहुँच गए व शाम तक मेजों पर सामान सजाते रहे। शाम छह सात बजे के लगभग सर घर चले गए।

अब कमरा साफ करना था, मैंने झाड़ू उठाई उसके पहले अपने पैन्ट-शर्ट उतार कर टांग दिए।
मुझे देख कर शशि ने भी कपड़े उतार दिए।

मैंने झाड़ू लगाई उसके बाद हम गीले पोंछे से फर्श व सामान साफ कर रहे थे।
हम दोनों केवल अंडरवियर बनियान में थे।

तभी वह मेरे पास आया और मेरे चूतड़ पर हाथ मारते हुए बोला- थके नहीं?
फिर वो मुझसे सट कर खड़ा हो गया और मेरा चुम्बन ले लिया।
मैंने कहा- यार काम निबटा लेने दे।
तो वह बोला- निबट जाएगा।

उसने मेरे कन्धे पर हाथ रखा। मैं अपने कन्धे से उसका हाथ हटा ही रहा था कि वह मुस्कराने लगा मैंने उसे पकड़ लिया और दो चुम्बन जड़ दिए।
वह हँस दिया और बोला- बस..!

मैं एकदम से उससे चिपक गया, उसका अंडरवियर झटके से खोल दिया। वह नीचे फर्श पर गिर गया।
वह बोला- यह क्या.. मेरा मतलब यह नहीं था।

More Sexy Stories  स्कूल बस में छुप कर बुर चुदाई

पर अब मैंने उसकी एक न सुनी उसे पलट दिया। उसकी पीठ मेरी तरफ थी। मैंने उसे दीवार से टिका दिया। उसके गोरे-गोरे गोल चूतड़ मेरे आगे थे, जो कि मुझे ललचा रहे थे।

शशि मुस्कराता हुआ मुझे चुनौती दे रहा था, मेरा खड़ा लंड फनफना रहा था, मैंने सुपारे पर थूक लगाया.. एक उंगली से उसकी गांड टटोली और लंड उसकी गांड पर टिका दिया।

वह बहुत नखरे कर रहा था, दूसरा हाथ मैंने उसकी कमर पर लपेटा और धक्का लगा दिया।
वह लगातार ‘न.. न..’ कर रहा था, वो कह रहा था- अरे यार ये नहीं.. मेरा मतलब ये नहीं था।

मैं उसकी कमर में हाथ डाले रहा.. जब लंड अन्दर चला गया। तब मैंने उसका चुम्बन लेते हुए उससे कहा- यार अब बस दो-तीन झटकों की बात है.. काहे को हैरान कर रहा है.. थोड़ा रुक गांड ढीली कर ले.. तुझे भी मजा आएगा और मुझे भी आसानी होगी। टाइट रखने से तुझे भी दर्द होगा मुझे भी दिक्कत होगी। अब अन्दर तो चला ही गया है.. बिना झड़े तो निकलने से रहा। तू बस टांगें चौड़ी कर ले.. थोड़ी ढीली करले भैया मान जा.. दोनों मजा लेंगे।

उसके कान के पास मैंने ये सब धीरे से कहा और दो चुम्बन लिए.. उसके सर पर हाथ फेरा तो वह मान गया, उसने टांगें चौड़ा लीं, वो मुस्कुराया.. दीवार की ओर झुक कर खड़ा हो गया, उसने अपनी गांड मेरी ओर आगे को कर दी।

मुझे रिलैक्स मिला.. तो मैंने धक्के लगाना शुरू किए, पहले धक्के में लंड पूरा अन्दर डालने की सोची।
अभी आधा ही डाल पाया था क्योंकि बहुत सारा समय उसे मनाने में लग गया।

मेरा लंड मुरझा सा गया था, अब दुबारा जोश में आने से तन गया.. और कड़क हो गया।
मैंने उसकी कमर को पकड़ कर धक्का देकर पूरा लौड़ा पेल दिया।

मेरा लंड ख़ुशी से फूल कर ज्यादा मोटा भी हो गया था। गांड में पूरा घुसते ही वह चिल्लाया- ‘अहा..’
मैंने कहा- थोड़ा सबर कर.. अभी दर्द बन्द हो जाएगा और मजा आने लगेगा। दो-तीन झटकों में तेरी ढीली हो जाएगी.. तू बस मेरा साथ दे।

मैं उसके पीछे चिपक गया।

जब झड़ कर अलग हुआ.. तब ध्यान आया कि हम जोश में गलती कर गए थे। कमरे के किवाड़ खुले रह गए थे।

जब हमने अपने अंडरवियर पहने तो तुंरत ही सर जी आ गए। वे कक्ष को साफ व व्यवस्थित देख खुश हुए और उन्होंने हम दोनों को शाबाशी दी।

तब तक आठ के लगभग बज गए थे।
उन्होंने कहा- जरा दिखाओ, टेबल कैसी सजाई हैं?

मैं उन्हें एक टेबिल के पास ले गया, मैं टेबल के करीब खड़ा था, सर जी मेरे पीछे थे।
मैं उन्हें बताने लगा थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि सर मेरे पीछे कुछ ज्यादा ही सटकर खड़े हैं।

पहले तो मुझे डर लगा पर जब मेरी गांड कुलबुलाई और मुझे लगा कि इनको भी गांड मारने का शौक हो सकता है।

इस रसीली कहानी के अगले भाग को जरूर पढ़िएगा।

कहानी जारी है।

What did you think of this story??