नई जगह, नये दोस्त-3

मेरी गांड चुदाई की सेक्स स्टोरी
नई जगह, नये दोस्त-2
में मैंने आपको बताया कि मैं एक कसबे में नौकरी पर गया तो मुझे वहां कैसे कैसे लौंडे, गांडू मिले.
अब आगे:

मेरे ही स्टाफ में एक फील्ड वर्कर था शशि… एक साल की नौकरी थी, कोई काम नहीं करता था, कई बार अनुपस्थित पाया गया. पर बहुत खूबसूरत था, माशूक, बाईस चौबीस साल का गोरा चिट्टा घुंघराले बाल, हीरो टाइप बन ठन कर रहता, फैशनेबल कपड़े पहनता, नौकरी गांव की, घर घर जाना… वह जाता ही नहीं था, नकली रिपोर्ट बना देता.
वह किसी बड़े शहर का था, सरकारी नौकरी लग गई, ज्वाइन कर ली तो छोड़ना नहीं चाहता था, काम भी नहीं करना चाहता था.

एक दिन अपनी अटेन्डेन्स लेकर आया, सुमेर के पास पहुँचा, बोला- मेरी अटेंडेस है, साइन करवा दो।
सुमेर ने कहा- तुम तो दस दिन से गायब थे, जिले के साहब दौरा कर गए! शिकायत है!

पहले तो वह चुप खड़ा रहा, फिर धीरे से बोला- पहले जो कुछ खर्च करता था, अब भी दे दूंगा।
सुमेर- हम जानते हैं, ये साहब पैसा लेते देते नहीं, काम चाहिए… नकली काम नहीं चलेगा।
वह खड़ा रहा, फिर बोला- क्या करें?
सुमेर- मैं सील लगा दूं तो साहब सील लगा देंगे।
शशि- तो आप सील लगा दें।

सुमेर- मेरी सील कागज पर नहीं, कहीं ओर लगेगी! तब कागज पर!
वह पास ही खड़ा था, बोला- कहां लगेगी?
सुमेर ने अपना हाथ बढ़ाया उसके चूतड़ पर रखा, अंदाज से बीच की उंगली से गांड की जगह टटोल कर जोर से छूकर बोला- यहां।

शशि घूर कर देखने लगा तो सुमेर बोला- सोच लो, तुम्हारी बहुत सी शिकायतें हैं, तुमने लखनपुर में लौंडिया चोद दी थी, उसकी भी शिकायत है, जांच पेडिंग है. बाहर बैठो, आराम से सोचो, दस दिन बाहर घूमे …हाजिरी तो मुश्किल है, नौकरी खतरे में है, रुपया पार्टी नहीं चाहिए, साहब पीते नहीं, पैसा नहीं लेते, सिफारिश चलेगी नहीं, डरते नहीं, मानते नहीं, मैं ही कुछ कर सकता हूं. बाहर बैठो, अस्पताल बंद हो तो आ जाना! वो तो तुम्हारी माशूकी ही कुछ कर सकती है।

शशि चला गया।

तब तक सुमेर के पास घूमते हुए देवेश आकर बैठ गया, दोनों बात कर रहे थे कि शशि आ गया चुपचाप खड़ा हो गया।
सुमेर ने उसे देखा बोले- तैयार?
शशि हल्का सा मुस्कुरा दिया.
सुमेर- हमारी बात केवल हाजिरी पर साइन की है।
शशि- हां ठीक है।

सुमेर ने अपनी पैन्ट की जेब से कमरे की चाबी निकाली और उसे दी- जाकर कमरे में बैठो, मैं आता हूं, हम दो लोग हैं।
शशि देवेश की ओर देख आंखें फाड़ने लगा. सुमेर देवेश की ओर इशारा कर बोला- एक ये भाई साहब… ये भी शेयर करेंगे!
फिर धीरे से बोला- इन्होंने तो मेरी भी मारी, इनके बिना नहीं होगा काम!
फिर देवेश से बोला- अरे तुम इनके साथ चले जाओ, बातें करना, मैं बाद में आता हूं।

देवेश शशि के सामने ही गर्म हो गया- अरे सुमेर भाई, कैसी बातें करते हो? यह कहने की क्या जरूरत थी?
सुमेर- अरे कहने में क्या शर्म? क्या मैं झूठ कह रहा हूं? क्या तुमने मेरी नहीं मारी, नहीं रगड़ी?
देवेश चुप हो गया, मुस्करा दिया।

शशि चाबी हाथ में लिए खड़ा था कि सुमेर ने फिर कहा- जाओ!
तब देवेश शशि के साथ चल दिया, दोनों कमरे पर पहुँचे, शशि तनाव में था तो देवेश उससे बात करके रिलैक्स करने लगा.

थोड़ी ही देर में सुमेर पहंच गया.
मैं जब कमरे के पास पहुँचा तो वे तीनों शशि, सुमेर व देवेश कमरे में थे, मुझे बाहर उनकी बातें सुनाई दे रहीं थीं.
सुमेर ने शशि से कहा- पैन्ट खोलो!
शशि ने अपने कपड़े उतार दिए, फिर सुमेर देवेश से बोला- पहले तुम!

देवेश रुका तो सुमेर उसके पैन्ट की चेन खोलने लगा- यार हर समय मजाक बहस नहीं, जल्दी करो।
और हाथ डाल कर देवेश का लंड निकाल लिया, तेल की शीशी से तेल लेकर उसके लंड पर मल दिया और बोला- अब तो शुरु हो जा।

देवेश ने थोड़ा से तेल अपने हाथ पर मांगा, सुमेर ने दे दिया. फिर देवेश ने तेल से भीगी अपनी उंगलियां शशि की गांड में डाल दीं।
मैं खिड़की के सुराख से देख रहा था.

अब देवेश ने अपना मशहूर लंड शशि की गांड पर टिकाया और धीरे धीरे अंदर करने लगा, दूसरे धक्के में पेल दिया, फिर शशि का एक चुम्बन लिया और उसकी परमीशन मांगी- शुरु करें?
उसने एक हाथ शशि की गर्दन से लपेटा दूसरी बांह कमर को घेरे था और शुरु हो गया, अंदर बाहर… अंदर बाहर… धक्कम पेल… धक्कमपेल…
मैं खिड़की से देख रहा था कि देवेश का लम्बा मोटा मस्त लंड शशि की गांड में घुसा था, शशि के गोल गोल मस्त गोरे गोरे चूतड़़ चमक रहे थे, लंड पूरा घुस गया था और अंदर बाहर हो रहा था.
मैं सोच रहा था कि शशि मुंह बनाएगा, चीखेगा, चिल्लाएगा!
परंतु मैं देख कर आश्चर्य चकित रह गया कि शशि का गोरा माशूक चिकना चेहरा शांत था, आंखें हल्के से बंद थीं, ओंठों पर हल्की मुस्कुराहट थी.

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देवेश ने पूछा भी- कोई परेशानी तो नहीं हो रही?
तो उसने धीरे से इन्कार में सिर हिला दिया और अपने चूतड़ हिला कर जवाब दिया. वह देवेश के लंड के धक्कों का जबाब अपनी गांड के धक्कों से दे रहा था.

देवेश ने चुनौती समझ अपने स्पीड बढ़ाई तो उसने अपने चूतड़ों की गति बढ़ा दी. देवेश के मुंह से निकला- आज बहुत दिनों बाद कोई टक्कर का मिला।
उसके कान के पास ले जाकर धीरे से बोले- कभी मेरी मारना!

अब देवेश उसकी कमर पकड़ चिपक कर रह गया, वो झड़ रहा था।

उसके बाद सुमेर ने कहा- अब मेरी बारी है.
और अपना लंड शशि की चुदी चुदाई गांड में पेल दिया. वह वैसे ही ढीली थी, सुमेर भी बड़ी देर तक पेले रहा, दो लोगों से मरवा कर भी शशि सामान्य था. गांड तो चिनमिना रही थी पर जाहिर नहीं होने दिया.

शशि अपनी गांड मरवा के चले गया।

एक दिन शाम को मैं सुमेर और देवेश तीनों कमरे में बैठे थे, यही कोई साढ़े सात आठ का समय होगा, तब मैंने कहा- यार, तुमने एक दूसरे की मारी?
वे दोनों बोले- हां सर!
मैं- और मरवाई?
वे दोनों बोले- जाहिर है!
“मजा आया?”
दोनों बोले- हाँ!

मैं- मुझे तुम दोनों माशूक लगते हो, मैंने तुम्हारी मारी। मुझे मजा आता है तुम्हारी गांड मारने में। पर जब मैं कहता हूं कि मेरी मार दो तो तुम दोनों बहाना बना देते हो. बोलो क्या बात है? यह सही है कि मैं तुम से साल दो साल बड़ा हूं पर बूढ़ा तो नहीं! तुम दोनों माशूक हैं पर मेरी इच्छा पूरी कर दो! क्या मैं बहुत बुरा हूं?
देवेश- अरे सर, मैं कई बार कह चुका कि आप माशूक हैं, आप हम दोनों से फेयर कलर के हैं, आप हम से हेन्डसम हैं, हम दोनों तो थोड़े चौड़े ज्यादा मस्कुलर हैं, आप स्लिम हैं, सही माशूकों जैसी बॉडी तो आपकी ही है।

मैं- यार सही बोलो, मक्खन नहीं।
सुमेर- अरे सर, आप स्लिम मस्कुलर हैं. गांड मराने को तो लोग ऐसे ही लौंडे ढूंढते हैं उन पर मरते हैं अब आप थोड़े बड़ी उमर के हो गए, अफसर हैं लोगों की आपको पटाने की हिम्मत नहीं होती, आपको अप्रोच नहीं कर पाते, आप पर मरते तो हैं।
मैं- तो देवेश तो मेरे से हट्टा कट्टा है उसे?
देवेश- सर, मेरी आपके बताए दो अफसर मार चुके हैं, एक ने मेरे से मरवाई, वे अफसर तो आपकी ही उमर के हैं आप जैसे ही गोरे स्लिम हेन्डसम माशूक… उनकी दो बार मार चुका हूं उन्होंने भी मेरी मारी! क्या करुं प्रोफेशन ही ऐसा है. आप कहें तो बात करुं, वे तैयार हो जाएंगे।

सुमेर आंखें फाड़ रहा था, देवेश हंसने लगा।
मैं- तो दोस्तो में कैसा हूं?
दोनों- आप अभी भी माशूक हैं।
मैं- तो मेरी मारोगे?
सुमेर- जरूर सर जी, हमारी तो लॉटरी खुल जाएगी।
मैं- तो आज अभी आप दोनों मेरी मारें… लेतलाली नहीं झूठा मक्खन नहीं मेरी मरवाने की इच्छा है।

वे दोनों एक दूसरे का चेहरा देखने लगे।
देवेश- सर दोनों से? आज एक से कल दूसरे से।
मैं- नहीं, दोनों से आज!
सुमेर- सर फिर हमारी भी मारना पड़ेगी, हमें आपसे मरवाने में बहुत मजा आता है।
मैं- यार पेंच मत लगाओ, आज एक की मार दूंगा कल दूसरे की।
देवेश- ठीक है, सर की इच्छा पूरी करें।

सुमेर- फिर भी सर आज एक से करवा लेते कल दूसरे से।
मैं- अरे यारो, अभी परसों उस लौंडे शशि की दोनों ने मिलकर मार दी तब तो कुछ नहीं सेाचा कि उसकी फट जाएगी? मेरी मारने में क्यों फट रही है?
देवेश- सर, आप थक जाएंगे और कोई बात नहीं।

मेरे मुंह से भी जोश में निकल गया- मैंने एक साथ तीन तीन लौंडों से मरवाई है, आप घबरायें नहीं!
तो देवेश बोल उठा- सर, मेरी भी तीन ग्राहकों ने एक साथ मारी कई बार… चलिए जैसी आपकी इच्छा!
सुमेर- सर जी, मेरी भी हॉस्टल में दो लौंडों ने एक साथ मारी पर तब मैं अन्डर ट्वन्टी था।

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अब मैंने अपने पैन्ट शर्ट उतार दिए, अंडरवियर बनियान में आ गया, देवेश ने नीचे कम्बल बिछा दिया- सर इस पर लेटें।
अब वे दोनों एक दूसरे को देखने लगे ‘पहले कौन?’
तब मैंने ही कहा- दोस्तो! पहले सुमेर।

कपड़े उतार सुमेर ने हड़बड़ाहट में अपना अंडरवियर भी उतार फेंका नंगा खड़ा था पर उसका मस्त लंड जो देवेश की मारने में और शशि की मारने में सतर्क था, आज कुछ ढीला लटका सा था, वह हाथ से बार बार सूंत रहा था. यह देख कर देवेश मुस्कुराने लगा, उसने झट से सुमेर का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगा चप चप चप लप लप लप!
दो मिनट देवेश के जोर से चूसने से लंड खड़ा हो गया।

मैं फर्श पर बिछे कम्बल पर औंधा लेट गया, देवेश ने सुमेर के लंड पर तेल मला व मेरी गांड पर भी तेल लगाने लगा, वह ऊपर ऊपर तेल लगा रहा था.
तब मैंने कहा- उंगली अंदर डाल कर तेल लगा!

देवेश ने अपनी तेल से भी उंगली मेरी गांड में डाली, पहले एक फिर दो उंगली… वह बड़े धीरे धीरे उंगली चला रहा था।
फिर सुमेर मेरे ऊपर चढ़ बैठा और उसने अपना लंड मेरी गांड पर टिकाया और अंदर कर दिया मुझे बहुत आनंद आया.

अब वह अपने मस्त मोटे सख्त लंड के धक्के दे रहा था, बड़ा चैन मिला. अंदर बाहर… अंदर बाहर… धक्कम पेल… धक्कम पेल…
अपनी पूरी ताकत से लगा था, उसकी सांस फूलने लगी पर लगा रहा.

फिर उसका पानी निकल गया, सुमेर वहीं कम्बल पर बैठ गया। फिर थोड़ी देर में पूछने लगा- सर! ठीक हैं? ज्यादा लगी तो नहीं?
मैं- नहीं दोस्त, मजा आया! कोई परेशानी नहीं।
अब मैंने कहा- देवेश तैयार हो जाओ।

देवेश मेरे आदेश के ही इन्तजार में था, उसने जल्दी अपने कपड़े उतार दिए, उसका लंड तना था, वह ज्यादा कॉन्फीडेन्ट था, जल्दी ही मेरे ऊपर बैठ गया. सुमेर से तेल मांगा, सुमेर ने तेल की शीशी से उसे तेल दिया, उसने लंड पर लगाया, थोड़ा तेल मेरी गांड पर चुपड़ा और लंड पेल दिया. गांड पहले से ही चिकनी थी, वह भी बड़ी धीरे धीरे डाल रहा था जैसे मैं कोई कम उम्र का नया लौंडा होऊं जिसकी पहली बार मारी जा रही हो… कहीं गांड फट न जाए, कोई तकलीफ न हो!

जबकि मैं पुराना गांडू कम उमर से गांड मरवाने लगा था, तभी से बड़े बड़े लंडों की टक्कर गांड पर झेली. किसी ने धीरे धीरे मारी, किसी ने जोर से बुरी तरह रगड़ दी. सब तरह के अनुभव थे. यह भी सही है कि उसका लंड बहुत मोटा लम्बा सख्त था, ऐसे लन्ड धारी कम होते हैं.

देवेश भी बहुत तगड़ा मस्कुलर था और अभी अभी एक मस्त जवान अपने लम्बे मोटे लन्ड से मेरी गांड रगड़ चुका था। देवेश ने अपना पूरा लन्ड मेरी गांड में धीरे धीरे पेल दिया. अब वह मेरे ऊपर औंधा लेट गया और अपनी दोनों बांहें मेरे कन्धों से नीचे से ले जाकर मेरी गर्दन के पीछे जकड़ ली और फिर मेरे से परमीशन ली- सर शुरु करूँ?
और चालू हो गया धक्कम पेल… धक्कमपेल… अंदर बाहर… अंदर बाहर… धच्च फच्च धच्च फच्च!

उसने गदर मचा दिया, वह सुमेर से ज्यादा जोरदार चुदाई कर रहा था. एक तो उसका लन्ड ही मोटा सख्त जबरदस्त था फिर उसके जोरदार झटके अपनी कमर का पूरा जोर लगा रहा था गांड का भुर्ता बना कर रख दिया, तबियत मस्त हो गई, बहुत दिनों बाद किसी ने ऐसी जबरदस्त चुदाई की… मजा आ गया!

फिर वह चिपक कर रह गया, अब झड़ रहा था.

मैंने भी उसकी चुदाई के समय अपनी गांड के बराबर से धक्के लगाए, बार बार गांड ढीली कसी की, चूतड़ उचकाए, कमर चलाई, पूरा मजा दिया, थका नहीं, उसके लंड को गांड से ऐसा चूसा जैसे कोई मुंह से चूस रहा हो!
वह ‘अरे सर सर! कहने लगा, मस्त हो गया, फिर अलग हुआ और बैठ गया।

हम सब ने कपड़े पहने हाथ मुंह धोए फ्रेश हुए।

कहानी का अगला भाग: नई जगह, नये दोस्त-4

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