भाभी की प्यासी चूत और बच्चे की ख्वाहिश- 4

नई भाभी की चुदाई बार बार की मैंने उसी के घर में! भाभी को लगा कि मेरा दोस्त उसे बच्चा नहीं दे पायेगा तो उसने मुझसे गर्भधारण में मदद मांगी.

दोस्तो, मैं हर्षद एक बार पुन: अपने दोस्त और उसकी बीवी के साथ हुई चुदाई से भरपूर इस सेक्स कहानी में आपका स्वागत करता हूँ.
नई भाभी की चुदाई कहानी के पिछले भाग
दोस्त की बीवी ने मुझसे बच्चा माँगा
में अब तक आपने पढ़ा था कि सरिता मेरे लंड से चुदने के लिए एकदम गर्म हो गई थी.

अब आगे नई भाभी की चुदाई बार बार:

मेरे लंड का सुपारा गीला हो गया था और सरिता की चूत भी गीली थी. हम दोनों भी मदहोश हो गए थे.
सरिता ने अपनी गांड उठाकर मेरा सुपारा चूत में ले लिया था.

अब उसने हाथ निकाल दिया तो मैंने लंड थोड़ा आगे पीछे आगे पीछे करके एक जबरदस्त धक्का दे मारा.

बेखबर सरिता मेरे इस धक्के से चिल्लाती, इससे पहले ही मैंने उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया था.
तो सरिता की आवाज बाहर नहीं निकली.

मेरा पूरा लम्बा मोटा लंड सरिता की चूत की गहराई तक पहुंच चुका था.

पूरा लंड अन्दर पेल देने के कुछ पल बाद मैंने अपना हाथ उसके मुँह से हटा दिया तो सरिता कामुक सिसकारियां लेने लगी.
सरिता मुँह लटकाती हुई बोली- बहुत जालिम हो तुम हर्षद. इतनी जोर से डालता है क्या कोई? एक तो तुम्हारा लंड इतना मोटा और लंबा भी है.

मैंने कहा- सरिता माफ कर दो मुझे … लेकिन मैं भी क्या करूं .. तुम्हारी इतनी कसी और टाईट चूत का मेरे लंड को स्पर्श मिलते ही मेरा लंड बेकाबू हो जाता है. मैं चाह कर भी उसे नहीं रोक सकता सरिता.
सरिता हंसती हुई बोली- ठीक है हर्षद. मुझे तुम्हारे चोदने का स्टाईल ये अच्छा लगा है. जो कभी मैंने आज तक अनुभव नहीं किया, वो तुम दे रहे हो.

इतना कहकर वो अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी, साथ में अपने दोनों हाथों से मेरी गांड सहला रही थी.

मैं भी जोश में आकर लंड अन्दर बाहर करने लगा.
लगातार दस मिनट तक आहिस्ता आहिस्ता चोदता रहा.

हम दोनों कामवासना से मदहोश हो गए थे; दोनों के मुँह से वासना से लबरेज सिसकारियां निकल रही थीं.

अब मैं जोर जोर से धक्के देने लगा था. मैं पूरा लंड बाहर निकालकर चूत में जोर से धक्के मारता रहा.

पूरा रूम हमारी मादक सिसकारियां और मादक सीत्कारों से गूंजने लगा था जिसे हम दोनों के सिवाए ना कोई सुनने वाला या न ही हमें देखने वाला था.
हम दोनों धुंआधार चुदाई में डूब गए थे.

इस बीस मिनट चुदाई के बाद आखिर वो पल आ ही गया जब हम दोनों अपनी चरम सीमा पर पहुंचने वाले थे.

सरिता नीचे से लगातार गांड उठाकर लंड को अन्दर ले रही थी, उसका शरीर अकड़ने लगा था.

सरिता बोली- हर्षद अब मैं झड़ने वाली हूँ.
मैं भी सरिता से बोला- हां जान, मैं भी झड़ने वाला हूँ.

दस बारह जोरदार धक्के मारकर मेरे लंड ने वीर्य का फव्वारा सरिता के गर्भाशय के मुँह पर छोड़ दिया.

सरिता भी मेरे साथ ही झड़ गयी थी.
मेरे लंड पर वो अपना गर्म चूतरस छोड़ रही थी.

सरिता ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया.
मैंने उसकी टांगें नीचे की … और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर किस किया, उसके नीचे हाथ डालकर उसे अपनी बांहों में कस लिया.

मैंने अपना सर सरिता के कंधे पर रख दिया था.
सरिता ने भी मुझे अपनी बांहों में कस लिया था.

नीचे सरिता की चूत मेरे लंड को चूस चूस कर पूरा वीर्य निचोड़ रही थी.
हम दोनों की सांसें तेज चल रही थीं. हम दोनों थक चुके थे.

हमारी चुदाई का खेल करीब काफी देर से ज्यादा चल रहा था. हम दोनों ही थककर ऐसे ही सो गए.

पता नहीं, हम दोनों कितनी देर ऐसे ही सोते रहे थे.
मेरी नींद तब खुली जब सरिता नीचे से अपना बदन हिलाने लगी.

मैंने घड़ी देखी तो रात के दो बजे थे.
मैं उठ गया तो मेरा मुरझाया हुआ लंड सरिता की चूत से बाहर आ गया.

लंड बाहर आते ही हम दोनों का कामरस बाहर बहकर बेडशीट गीली करने लगा था.

मैं उठकर सरिता के बाजू में लेट गया सरिता उठकर बैठ गयी और वो अपनी चूत की तरफ देखकर बोली- हर्षद, देखो ना कितना सारा रस बह गया है.

मैंने उठकर सरिता की चूत देखी तो अभी भी कामरस टपक रहा था.
सरिता की कमर पकड़कर मैंने उसे थोड़ा बाजू में बिठाया और एक कपड़े से उसकी चूत पौंछकर साफ कर दी.
फिर मैं अपना लंड भी साफ करने लगा और उसी कपड़े से बेडशीट भी साफ कर दी.

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मैंने सरिता को पानी की बोतल दी.
सरिता प्यासी थी, उसने पानी पिया और मुझे बोतल दे दी.

मैंने भी पानी पीकर बोतल साइड में टेबल रख दी और मैं पीठ के बल लेट गया.

सरिता भी मेरी तरफ मुँह करके चिपककर लेट गयी.
उसकी जांघें मेरी जांघों से सट गयी थीं. एक चुची बगल में दब गयी थी और दूसरी हवा में झूल रही थी.
सरिता ने अपना एक हाथ मेरी गर्दन के नीचे से डालकर बाहर निकाला और दूसरे हाथ से मेरा सीना और पेट को सहलाने लगी.

मैंने आंखें बंद कर लीं.

सरिता अब मेरे निपल्स को सहलाने लगी थी.
मेरे लिए ये नया अनुभव मिल रहा था.

सरिता बारी बारी से मेरे दोनों निपल्स सहला रही थी, बीच बीच में वो अपनी दोनों उंगलियों में पकड़कर निप्पल को दबा देती तो मेरे पूरे शरीर में बिजली के करंट जैसी लहर उठ जाती थी.

अब मेरा भी दिल मचलने लगा था.
सरिता मुझे उकसा रही थी.

मैं अपना एक हाथ सरिता की चुची पर रखकर उसे मसलने लगा … तो सरिता ने अपना एक पांव सीधा मेरी टांग पर चढ़ा दिया.
उसकी मांसल जांघें मेरे लंड पर दबाव डालने लगीं.

सरिता मुझसे और सट गयी.
वो अपनी गीली और गर्म खुली हुई चूत मेरे जांघों पर घिसने लगी और अपनी जांघों से लंड को सहलाने लगी.

मेरा जोश बढ़ गया था, मैं सरिता की चुची जोर से मसलने लगा तो सरिता कसमसाने लगी.
नीचे मेरा लंड तनाव में आने लगा था. सरिता को महसूस हो रहा था.

अब सरिता ने सीधा मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी.

वो मेरे गाल को किस करती हुई बोली- हर्षद, तुम्हारे इस लंड ने मुझे और मेरी चूत को बहुत खुश किया है. आज मैं तुम्हें पूरी रात सोने नहीं दूंगी.
तो मैंने करवट बदलकर उसे अपनी बांहों में कसकर कहा- क्या सच बोलती हो सरिता?
‘हां हर्षद सच में.’

मैंने कहा- और मजे लेने है क्या?
तो सरिता बोली- हां जरूर. ना जाने तुम फिर कब मिलोगे.
मैंने उसे उठाकर कहा- तुम्हें अपने घुटने के बल बैठकर सर तकिए पर रखना है.

सरिता उस पोजीशन में आने को तैयार हो गयी.

मैंने सरिता के घुटनों को दोनों बाजू फैलाकर गांड और चूत की दरार बढ़ा दी और अपनी जीभ से चूत को सहलाया.
फिर चूत के आजू-बाजू जीभ फिराने लगा तो सरिता सिहर उठी.

मैं अपने दोनों हाथों से उसकी गांड सहला रहा था. मैं उसकी मांसल गांड को बुरी तरह से रगड़ने लगा था.

दोनों हाथों से गांड खींचकर मैंने सरिता की चूत में अपनी पूरी जीभ डाल दी तो सरिता कसमसाने लगी.

मैं वैसे ही अपनी जीभ चूत में अन्दर ही घुमाने लगा तो सरिता सिसकारियां लेने लगी.

अब मैंने अपने दोनों हाथों से सरिता के कसे हुए चूचे पकड़ लिए और सहलाने लगा.
चूचियां सहलाते सहलाते उसकी पीठ पर सभी जगह अपने होंठों से चूमने लगा.

सरिता सिहरने लगी थी.
मेरा जोश बढ़ रहा था.
मेरा तना हुआ लंड सरिता की चूत पर ठोकर मार रहा था.

अब मैं सरिता की चूचियां और जोर से मसलने लगा और उसके निपल्स भी उंगलियों में पकड़कर मरोड़ने लगा.

इस तरह पन्द्रह से बीस मिनट तक मैंने सरिता को गर्म करके बहुत तड़पाया.

अब सरिता बेहद गर्म सिसकारियां लेने लगी थी.
वो अपने आपको रोक नहीं सकी तो अपने एक हाथ से मेरा तना हुआ पकड़ कर अपनी चूत पर नीचे से ऊपर तक रगड़ने लगी और अपनी गांड आगे पीछे हिलाने लगी.

सरिता जब मेरे लंड का सुपारा अपनी चूत के छेद पर रखकर अपनी गांड हिलाने लगी तो मैं समझ गया कि अब सरिता लंड अन्दर लेना चाहती है.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़कर एक जोरका धक्का मारा तो आधे से ज्यादा लंड चूत में घुस चुका था.

सरिता मदहोश होकर सीत्कारने लगी.
अब तक उसकी चूत मेरा लंड लेने के काबिल हो गयी थी इसलिए लंड अपनी जगह बनाता हुआ अन्दर घुस गया था.
सरिता भी कामुक होकर मजे लेने लगी थी.

वो अपनी गांड आहिस्ता आहिस्ता आगे पीछे करने लगी थी.
मैं एक बार फिर से सरिता की दोनों चूचियां अपने दोनों हाथों से रगड़ने लगा.

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चूचियां रगड़ने से सरिता कामवासना बढ़ने लगी और उसकी गांड आगे पीछे हिलाने की गति स्वत: बढ़ने लगी.
चूत के गीलेपन से लंड भी गीला हो रहा था जिस वजह से सरिता आराम से लंड चूत में अन्दर बाहर कर रही थी और मजे ले रही थी.

मेरा लंड भी जोश में आकर गर्म हो गया था.
मैं भी अपने आपको रोक नहीं पा रहा था तो मैंने सरिता की चूचियां दोनों हाथों में पकड़कर जोर का धक्का मारकर पूरा लंड सरिता की चूत में जड़ तक ठांस दिया और उसकी पीठ पर अपना सर रख दिया.

सरिता के मुँह से सीत्कारने की कामुक आवाजें तेज स्वर में निकलने लगी थीं, वो लंड अन्दर तक घुस जाने के कारण एकदम से सिहर उठी थी और उसकी गांड ने हिलना बंद कर दिया था.

हम दोनों की जांघें आपस में सट गयी थीं. दोनों एक दूसरे के बदन की गर्माहट महसूस कर रहे थे.
मैं सरिता की गर्दन पर हर जगह चूमने लगा तो सरिता सिहर उठी.

नीचे मैं सरिता की दोनों चूचियां रगड़ रहा था.

ये सब सरिता के बर्दाश्त से बाहर होने लगा था तो सरिता फिर से अपनी गांड आगे पीछे करने लगी.

थोड़ी देर बाद मैं सरिता की चूचियां छोड़कर सीधा होकर अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया और लंड अन्दर बाहर करने लगा.
सरिता भी अपनी गांड पीछे करके लंड पर दबाव दे रही थी.

अब मैं अपना आधे से अधिक लंड बाहर निकाल कर जोर से पूरा अन्दर ठोकने लगा था.
सरिता सीत्कारने लगती थी.

मैंने अपनी गति बढ़ाकर लगातार लंड बाहर निकालकर सरिता की चूत में ठोकता रहा.
इससे सरिता की चूत अन्दर से बहुत गर्म हो गयी थी.

करीब बीस मिनट तक मैं सरिता की चूत चोदता रहा और सरिता मादक आवाजों के साथ सीत्कारती रही थी.
मेरे जोरदार धक्कों से सरिता पूरी तरह से मदहोश हो गयी थी.

फिर मेरे एक जोरदार धक्के से सरिता झड़ गयी, उसने अपनी चूत के रस से मेरे लंड को नहला दिया.

उसके गर्म चूतरस से मेरा लंड भी मदहोश हो गया था. तब भी मैं लगातार अपना लंड सरिता की चूत में पेलता रहा.
घचाघच लंड अन्दर बाहर जाने के कारण उसका चूतरस हम दोनों की जांघें गीली करने लगा था.

पचा पच फच फच की आवाजें गूंजने लगी थीं. साथ में सरिता की सीत्कारने की आवाजें भी आने लगी थीं.

मैं भी अब झड़ने वाला था, मैंने पूरी ताकत से दस बारह धक्के मारे और इसी के साथ ही मेरे लंड ने अपना वीर्य का फव्वारा सरिता की गर्भाशय की मुख पर छोड़ दिया.
मैं सरिता की पीठ पर झुक गया और अपना सर उसकी गर्दन पर टिका दिया.

सरिता भी अपने पैर लंबे करके पेट के बल ऐसे ही लेट गयी.

मैं भी सरिता के ऊपर लेट गया.
हम दोनों ही थक गए थे.

अभी भी मेरा तना हुआ लंड सरिता की चूत में ही था.
सरिता की चूत मेरा लंड चूसकर पूरा वीर्य निचोड़ रही थी.
मेरा लंड उसकी चूत की फैलने और सिकुड़ने की हरकत महसूस कर रहा था.
हम दोनों की सांसें जोर जोर से चल रही थीं.

दस मिनट ऐसे ही लेटे रहे.
बाद में जब मेरा लंड सिकुड़ने लगा तो मैं सरिता के ऊपर से उठकर उसकी बाजू में लेट गया.

मैं पीठ के बल लेटकर अपनी आंखें बंद करके आराम करने लगा.

बाद में सरिता उठकर बैठ गयी.
उसकी चूत से हम दोनों का कामरस बहकर बाहर आ रहा था और बेडशीट को गीली करने लगा था.
सरिता ने कपड़े से अपनी चूत और बेडशीट साफ कर दी.

फिर उसने मेरे पास आकर मेरे लंड को भी साफ कर दिया था.
सरिता अपना सर मेरे सीने पर रखा और मुझे चिपककर सो गयी.

मैंने घड़ी देखी तो चार बज गए थे.

सरिता का एक हाथ मेरी कमर पर था. उसने अपना एक पैर मेरे दोनों पैरों पर रखा था. उसकी मांसल जांघ मेरे मुरझाये लंड को स्पर्श कर रही थी.

मैंने सरिता को अपनी बांहों में भर लिया. मुझे नींद आ रही थी. हम दोनों ही सो गए.

दोस्तो, अपने दोस्त की बीवी सरिता के साथ हुई इस नई भाभी की चुदाई की कहानी के अगले भाग में मुझे आप सभी का इंतजार रहेगा. ईमेल जरूर कीजिएगा.
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नई भाभी की चुदाई कहानी का अगला भाग: भाभी की प्यासी चूत और बच्चे की ख्वाहिश- 5