मैं अपने बेटों की दीवानी हूं

मम्मी की चुदाई दो बेटों से कैसे हुई. इस कहानी में पढ़ें कि माँ ने कैसे अपने दो जवान बेटो की वासना जगा कर अपनी हवस का इलाज किया.

सभी चूतधारी औरतों और लंडधारी मर्दों को आपकी कविता मां का नमस्कार!

यह मम्मी की चुदाई कहानी है मेरी इंस्टाग्राम की सहेली वर्षा त्रिवेदी की!
कहानी मैं वर्षा त्रिवेदी के ही शब्दों में बताऊंगी इसलिए अब आप कहानी का मजा वर्षा की जुबानी लें।

दोस्तो, मेरा नाम वर्षा त्रिवेदी है। मेरी उम्र 45 वर्ष, हाइट 5’9″ है और फिगर 38-32-40 का है। मैं रहने वाली जयपुर, राजस्थान की हूं।

मेरे परिवार में मेरे दो बेटे हैं; एक 24 वर्ष का है और दूसरा 22 वर्ष का।
मेरे पति की मौत 2 साल पहले एक्सिडेंट में हो गई थी।
तब से मैं अकेली हूँ।

पेशे से मेरे पति सरकारी इंजीनियर थे, अच्छा खासा पैसा छोड़ कर गए मेरे लिए।
एक साल तो उनकी याद में निकाल दिया मैंने!

कोरोना का लॉकडाउन लगने से पहले मैं अपने दोनों बेटों के साथ मुंबई घूमने गई और लॉकडाउन लग गया।
मैं वहां फंस गई।

होटल वालों ने होटल छोड़ने के लिए बोल दिया और रेंट पर फ्लैट लेना पड़ा और वहां शिफ्ट हुए हम!

हम तीनों की वहां किसी से कोई जान-पहचान नहीं थी।
लॉकडाउन की वजह से कोई बात भी नहीं करता था और किसी से संपर्क भी नहीं था।
बस दिनभर इंस्टाग्राम और फेसबुक में टाइमपास होता था।

उस वक्त इंस्टाग्राम पर मेरी मुलाकात कविता जी से हुई और फिर हम अच्छे दोस्त बन गए।
हमारी घंटों बातें होने लगी।
फिर हम पर्सनल बातें भी करने लगे।

मैंने अपनी सारी कहानी बतायी तो कविता ने भी अपनी कहानी बतायी।
उसे सुनकर मैं चौंक गई।

ऐसे ही होते होते हम दोनों में सेक्स की बातें भी होने लगीं।

कविता जी मेरे साथ रोल प्ले करने की कहने लगीं और उन्होंने मेरे साथ मेरे बेटे का रोल प्ले किया।

कुछ दिन के बाद मुझे ये अच्छा लगने लगा।
मैं सोचने लगी कि बाहर कहीं मुंह मारने से अच्छा है कि बेटों के साथ ही सेक्स इच्छा पूरी कर लूं।

फिर मैंने सोचा कि क्यूं ना यहीं शिफ्ट हो जाऊं मुंबई में … कोई जानता भी नहीं है हमें यहां!
मैंने दोनों बेटों से बात की तो वो भी तैयार हो गए।

मैं बेटों का नाम तो बताना ही भूल गई।
एक का रोहित और दूसरे का मोहित।
उनको प्यार से मैं चंटू-बंटू बोलती हूं।

जब मैं मुंबई गई थी तब सिम्पल साड़ी और सूट लेकर गई थी और वो भी थोड़े ही थे।
उस वक्त तो हमें वापस आना था मगर क्या पता था कि वहीं पर रहना पड़ेगा।

फिर मुंबई में गर्मी होती है तो हमने ऑनलाइन कपड़े मंगवा लिए।

मैंने जानबूझकर छोटे साइज़ की ब्रा पैंटी मंगवाई और साड़ी भी खराब क्वालिटी मंगवाई।

जब सामान आया तो मैंने खोला।
फिर बड़ा बेटा बंटू बोला- मॉम आप ट्राय कर लो और देख लो, पसंद ना हो तो वापस कर देना।
मैं अपने कमरे में गई।

फिर कपड़े पहन दोनों को आवाज दी।
वो रूम में आये तो मैं अपनी ब्रा का हुक पकड़े हुए खड़ी थी।

उनको मैंने हुक लगाने के लिए कहा तो दोनों ही एक दूसरे की तरफ देखने लगे।

बंटू मेरी ब्रा के हुक लगाने लगा।
मगर वो 34 की ब्रा और 38 के मेरे चूचे, उसमें कहां फिट होने वाले थे!
एकदम से हुक टूट गया और मेरी ब्रा नीचे गिर गई।

मैं एकदम पलटी तो मेरे मोटे बूब्स उन दोनों के सामने झूल रहे थे।

वो सोच नहीं पाए कि कैसे इन हालात का सामना करें।
मैं बोली- सारा बेकार सामान आया है … हुक ही टूट गए इसके तो!
इतने में मैंने अपने बूब्स पर हाथ रख लिया और अपनी पुरानी ब्रा पहन ली।

वो बोले- मॉम, आप ब्रांडेड सामान मंगवाओ।
मैं बोली- अब साड़ी और ब्लाउज में क्या ब्रांड देखूं?
वो बोले- तो थोड़ी मॉडर्न हो जाओ और मुंबई के हिसाब से कपड़े पहनो।

मैं बोली- अब बुढ़ापे में क्या मॉडर्न बनूंगी?
वो बोले- यहां हमें कौन जानता है, वैसे भी आपको देखकर कोई नहीं कहेगा कि आप दो बच्चों की मां हो।

फिर मैंने कहा- ठीक है, तो फिर तुम दोनों ही हेल्प करो कि क्या पहनना है, मुझे तो तुम दोनों के साथ ही रहना है तो तुम ही बता दो कि क्या पहनूं?
वो बोले- ठीक है, हम आपको बता देंगे।

हम तीनों लैपटॉप में देखने लगे।

मैंने मॉडर्न ब्रा पैंटी के लिए ढूंढा और फिर साइज डाला।
मुझे उनमें से कुछ ब्रा और पैंटी पोर्न फिल्मों में भी दिखी थीं तो मैंने उनको ही मंगवाने का सोचा।

मैंने चंटू-बंटू को दिखाया और कहा- ये कैसे हैं, मुझे थोड़े छोटे ही लग रहे हैं।
वो बोले- आपने चुने हैं तो ठीक ही होंगे, मंगवा लो।
फिर मैंने कई सेट मंगवा लिए।

वो दोनों बोले- जीन्स टॉप ले लो.
तो मैंने वो भी ले ली।

फिर घर में पहनने के लिए घुटने तक का वन पीस भी ले लिया।
उसमें डीप क्लीवेज थी और एक ही डोरी थी पीछे बांधने के लिए।

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मैंने दो-तीन सेट मिनी स्कर्ट, टॉप और शॉर्ट्स भी ऑर्डर किए और अपने रूम में आने के बाद वैक्स का समान भी ऑर्डर किया।
कुछ क्रीम मंगवाई जिससे निप्पल और चूत चमकदार हो जाए।

4-5 दिन में सारा समान आ गया।

अब भी मैं वहीं पुराने कपड़े पहनने लगी मगर सिर्फ अंदर ब्रा पैंटी नई वाली पहनती थी।
चंटू एक दिन बोला- आपने तो नए कपड़े मंगवाए थे, वो क्यों नहीं पहनती हो?

मैं बोली- कभी पहने ही नहीं, तुम लोगों के सामने कैसे पहनूं?
वो बोला- पहनोगी नहीं तो आदत कैसे डालोगी? हम दोनों तो यहीं रहेंगे, आप पहनने की आदत डाल लो।

मैं बोली- ठीक है, बताओ क्या पहनूं?
फिर बंटू भी आ गया और वो दोनों बोले- जो आपको पहनना हो वो पहन लो।

उसके बाद मैं गई अपने रूम में और मैंने रेड ब्रा-पैंटी और ब्लू टॉप, जिसमें आधे बूब्स बाहर दिख रहे थे, के साथ शॉर्ट्स पहन लिए।

जब मैं शीशे के सामने खुद को देख रही थी तो सच में रांड लग रही थी।
मेरा फिगर मलाइका अरोड़ा के जैसा लग रहा था।

फिर हॉल में आई तो दोनों बेटे मुझे ऐसे देखने लगे जैसे वो दोनों किसी हवस की प्यासी छिनाल को देख रहे हैं.
वे बोले- वाउ मॉम … आप तो बहुत सुंदर लग रही हो। आपको देखकर कोई नहीं कह सकता कि आप दो बच्चों की मां हो।

बंटू बोला- सच में मॉम … आप बहुत हॉट लग रही हो।
अब मैं आधी नंगी घर में घूम रही थी।

मैं दोनों जवान बेटों के सामने ऐसे ही रहने लगी और उनके लंड रोज मुझे सलामी देने लगे।

एक दिन मैंने कमर और पीठ दर्द का बहाना बनाया और दोनों से बोली कि मेरी मालिश कर दो।
मैंने पूरे बदन की मालिश करवाई।
मालिश के दौरान मैंने बस ब्रा और पैंटी ही पहनी हुई थी।

उसमें भी केवल मेरी गांड और चूत का छेद ही ढका हुआ था।
उन दोनों के लौड़े पूरे टाइट थे।
दोनों के लोवर गीले हो चुके थे मेरे बदन की मालिश करते हुए।

अब मुझे लगने लगा कि दोनों मेरे प्रति आकर्षित हो रहे हैं।

मैंने अपने जन्मदिन पर अपनी चुदाई करवाने की सोची। मैं चूत और गांड दोनों चुदवाने का प्लान बना रही थी।

फिर मेरा बर्थडे आया तो उस रात में मैंने वाइन कलर की वन पीस पहनी जो घुटने तक थी।
मैं वही पहनकर सोई हुई थी।

रात में दोनों बेटों ने मुझे सरप्राइज दिया और केक मंगवाया।

हम तीनों ने केक काटा और फिर मैं किचन में उनके लिए जूस बनाने गई।
मैंने जूस में वियाग्रा की गोली मिला दी; फिर उनको जूस पिला दिया।

हम केक खाने लगे और मस्ती में बातें करने लगे।
मेरी जांघें लगभग मेरी चूत तक ही नंगी थीं।

मैं बातों ही बातों में दोनों बेटों के हाथ अपनी जांघों पर छुआ रही थी।

धीरे धीरे गोली का असर भी होने लगा था।
उन दोनों का ही लंड खड़ा हुआ दिखने लगा था।

धीरे धीरे उनको सेक्स चढ़ने लगा और दोनों ने अपनी मम्मी की चुदाई के इरादे से मेरी नंगी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया था।

मैं उनके गालों को सहलाने लगी।
फिर दोनों से बोली- अब यहां आ गए हैं अपन लोग! तुम दोनों अपनी गर्लफ्रेंड्स से भी नहीं मिल पाओगे। यहीं बना लेना कोई गर्लफ्रेंड।

वो बोले- मॉम हमारी गर्लफ्रेंड नहीं है।
मैं बोली- तो फिर तुम लोग कैसे रह पाते हो इस उम्र में?
वो बोले- आपके और डैड जैसे कपल आजकल कहां मिलते हैं मॉम! ऐसा प्यार कोई नहीं करती।

ये कहते हुए उनके हाथ मेरी चूत तक पहुंचने लगे थे।
मैं बोली- हां, ये बात तो है।
इतने में ही बंटू का हाथ मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा था।

उन दोनों की आंखों में मैंने बारी बारी से नशीली नजरों से देखा और बोली- तुम्हें मैं इतनी पसंद आ गई हूं क्या?
उन दोनों ने हां में सिर हिला दिया और मैंने दोनों के ही सिर अपने बूब्स में दबा दिए।

वो मेरी क्लीवेज को चूमने लगे और मैं उनके बालों को सहलाने लगी।

मेरे बूब्स वैसे ही आधे बाहर थे और उनको भींचने से पूरे बाहर आ गए।
तब तक तो बंटू बूब्स चूसने लगा था।

चंटू भी पहले जीभ फेरता रहा और फिर चूसने लगा।

मैंने दोनों के लंड पकड़ लिए और चड्डी के अन्दर हाथ डाल दिया।

दोनों के लंड पूरे टाईट थे और मैं उनके लौड़े एक एक हाथ से सहलाने लगी।

फिर दोनों मुझे चूमने चाटने और चूसने लगे।

मैंने बोला- तुम दोनों की गर्लफ्रेंड बन सकती हूं मैं?
वो बोले- हां मॉम, आप बहुत हॉट हो।
मैं बोली- अगर मैं तुम दोनों की शादी न करवाऊं तो मुझसे काम चल जाएगा?

वो एक साथ बोले- हां, मॉम। हम आपके साथ ही खुश रहेंगे।
फिर मैंने उठकर अपना वन पीस निकाल दिया और मैं अब केवल पैंटी में अपने दोनों बेटों के सामने थी।

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मैं सोफे के नीचे आ गई और घुटने के बल हो गई।
मैंने दोनों के बॉक्सर और चड्डी एक बार में उतार दी और दोनों का लंड बारी बारी चूसने लगी।

वो दोनों आह्ह … आह्ह … करके मस्ती भरी आवाजें करने लगे और लंड चुसवाने लगे।

उन दोनों के लौड़ों को मैं किसी लॉलीपॉप जैसे चूस रही थी कि अचानक दोनों ने मुझे उठाया और बिस्तर में पटक दिया।
एक मेरे साइड में आ गया और दूसरा मेरी टांगों के बीच में आ गया।

चंटू मेरे लिप्स को किस करने लगा और बूब्स जोर जोर से मसलने लगा।
मैं आह … आह … करते हुए सिसकारने लगी।

उधर बंटू मेरी चूत में जीभ देकर चाटने लगा।

मेरी चूत की प्यास बहुत पुरानी थी और अब मेरे बेटे की गर्म जीभ से मेरी चूत जल्दी से भर आई।
अपनी चूत का रस मैंने अपने बेटे के मुंह में छोड़ दिया, वो मेरी चूत के रस को पी गया।

चंटू ने मेरे मुंह में लंड दे दिया और मेरे मुंह को चोदने लगा।

मुझे मजा आने लगा।

मैंने कुछ देर उसका लंड चूसा और फिर बाहर निकलवा दिया।
मैं बोली- पेशाब लगी है।
बंटू बोला- कोई बात नहीं डार्लिंग।

उसने मेरी चूत में मुंह लगा दिया और मैंने उसके मुंह में पेशाब कर दिया जिसे बंटू पी गया।
अब चंटू फिर से मुझे लंड चुसवाने लगा।

कुछ देर बाद उसने मेरे मुंह में अपना माल छोड़ दिया।

अब उसको भी पेशाब लगी तो उसने भी अपना पेशाब मेरे मुंह में किया और मुझे उसका गर्म गर्म पेशाब पीने में बहुत मजा आया।
फिर चंटू नीचे आया और बंटू ऊपर।

चंटू भी चूत चाटने लगा और उंगली डाल डाल कर मेरी चूत का रस चाटने लगा।

वो चूत के साथ साथ मेरी गांड भी चाट रहा था।

बंटू मेरे बूब्स पीने लगा। चंटू ने मेरी चूत में तेजी से उंगली करना शुरू कर दिया और फिर जीभ से चाट चाटकर मेरी चूत का रस एक बार फिर से निकलवा दिया।

फिर चंटू ने मुझे लंड पर बैठने को कहा।
मैं उसके लंड पर चूचे उसकी तरफ करके बैठ गई।

बंटू ने मुझे झुकाया और पीछे आकर मेरी गांड में लंड लगाने लगा।

चंटू का लंड मेरी चूत में अंदर बाहर होने लगा और मैं चुदने लगी।

उधर बंटू का लंड मेरी गांड में घुसने की कोशिश कर रहा था।
धीरे धीरे उसने मेरी गांड में लंड डाल ही दिया।

अब मेरी गांड में मेरे बेटे बंटू का लंड और मेरी चूत में मेरे बेटे चंटू का लंड था।
मेरे दोनों बेटे मुझे चोदने लगे। बहुत मज़ा आ रहा था।

हम तीनों के मुंह से आह्ह … उह्ह … ओह्ह … करके सिसकारियां निकल रही थीं।

रात के 1 बजे थे और पूरा रूम हमारी चुदाई की आवाजों से भर गया था।
मुझे अपने बेटों के लंड लेने में बहुत मजा आ रहा था।

मेरे मुंह से उन दोनों के लिए बार बार आई लव यू … आई लव यू … निकल रहा था।

मैं चुदाई में मस्त होकर बोल रही थी- आह्ह … जोर से चोदो … फाड़ दो गांड मेरी … और चूत को चोद चोदकर फैला दो चंटू … आह्ह … और चोदो बंटू।

हम तीनों बहुत मदहोश हो गए थे।

कभी चंटू मेरी चूचियों को भींचने लगता तो कभी वो मेरे निप्पलों को खाने लगता।

उधर बंटू भी मेरी चूत के दाने को रगड़ रहा था।

वो चंटू के लंड के साथ मुझे अपने हाथ का मजा भी दे रहा था।

मैं रंडियों की तरह उन दोनों के लौड़ों से चुद रही थी।

मेरी चूत इस चुदाई में तीन बार और झड़ गयी।

मैं इतनी बदहवास हो गई कि मेरे बाल बिखर गए।

मेरी चूत पूरी फैल गई थी और गांड भी चौड़ी हो गई थी।

अब दोनों के लंड पक … पक … की आवाज करने लगे थे क्योंकि चूत और लंड की चिकनाई बहुत ज्यादा हो गई थी।

आधे घंटे की चुदाई के बाद हम तीनों एक साथ ढेर हो गए।

तीनों हांफने लगे और एक दूसरे के ऊपर गिर पड़े।
फिर हमें ऐसे ही नींद आ गई।

मैं अपने दोनों बेटों के साथ पूरी रात नंगी सोती रही।

उस दिन के बाद से मेरी चुदाई मेरे बेटों के साथ शुरू हो गई।

अब हम तीनों एक साथ ही सेक्स करते हैं और साथ ही सोते हैं।
मैं अब ज्यादातर नंगी रहती हूं या ब्रा-पैंटी में रहती हूं।

अब मैं अपनी जिन्दगी में बहुत खुश हूं। मुझे मेरे घर में ही दो लंड मिल गए हैं।

मैं अपने बेटों की दीवानी हूं। वो मुझे बहुत प्यार करते हैं और जमकर चोदते हैं।

तो दोस्तो, मैं कविता आपके लिए लाई थी ये मम्मी की चुदाई कहानी जो मेरी सहेली वर्षा के शब्दों में मैंने आप तक पहुंचाई।

आपको मेरी सहेली की चुदाई की कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताएं।
मेरा ईमेल आईडी है- [email protected]