मेरी छोटी बहन की छोटी वर्जिन चूत

Meri choti bahan ki choti virgin chut ki kahani

Meri choti bahan ki choti virgin chut ki kahani आप सब का मेरी और मेरी बहन की सेक्स स्टोरी में स्वागत है। बात उन दिनों की है, जब मैं कॉलेज ख़त्म करके घर पर था। मेरी एक बुआ है, जो किसी वजह से हमारे पास वाले मकान में रहने आ गईं थीं, वो और उनकी एक बेटी जिसका नाम रुतिका था। वो कॉलेज में पढ़ती थी और फर्स्ट ईयर में थी, पर लगती एक दम सेक्सी थी। अभी-अभी जवानी का रंग चढने लगा था उसपर। कमाल लगती थी यार वो।पर मेरी कभी गलत नजर नहीं थी उसपर। वो सुबह कॉलेज जाती और एक बजे आती थी।
एक दिन मैं ऐसे ही घर पर कंप्यूटर पर मूवी देख रहा था। घर पर सब दूसरे कमरे में सो रहे थे और रुतिका की मम्मी यानी मेरी बुआ घर पर नहीं थी, तो वो सीधा हमारे यहाँ आ गई। उसने सामान रखा और मेरे साथ मूवी देखने बैठ गई। मैंने भी उसको जगह दे दी। हम मूवी देख रहे थे इसलिए अँधेरा किया था, सो वो मेरे बिलकुल बगल मैं बैठ गई।
उसके ड्रेस घुटनों तक थी, सो बैठने की वजह से और ऊपर हो गई थी। फिर भी मैं मूवी देखने में मस्त था।
अचानक एक कॉमेडी सीन में वो हस्ते-हस्ते मेरे और पास आ गयी और मेरे कन्धों पर हाथ रख दिया, उसकी वजह से उसके निम्बू जैसे दूध मुझ से टच हो गए और मेरी नियत बिगड़ने लगी।
मैंने धीरे से एक हाथ उसके पैर पर रख दिया। वो कुछ नहीं बोली।
मेरी हिम्मत बड़ी सो मैं धीरे-धीरे उसका पैर सहलाने लगा। वो तो अब मुझसे और चिपकने लगी तो मैंने एक हाथ उसकी कमर में डाला। फिर भी उसने कुछ नहीं कहा।
अब मुझे से सहन नहीं हुआ तो मैंने उसकी स्कर्ट को ऊपर किया और उसकी जांघों को सहलाने लगा।
वो आँख बंद किए हुई थी।
अब मैंने दूसरा हाथ उसकी चुचियों पर रख दिया। वो अबतक गरम हो चुकी थी।
उसने मुझे जोर से बाहों में भर लिया। उसकी सांसे तेज हो गई थी।
फिर वो अपने होंठ मेरे होंठों के पास ले आई और मुझे वसना भरी नज़रों से देखने लगी।
मैंने एक हाथ उसकी शर्ट के अन्दर डाला और उसकी चुचियों पर रख दिया और ब्रा के ऊपर से ही उनको दबाने लगा।
उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी और उसने मुझे कसकर पकड लिया।
अब मैंने हाथ उसकी ब्रा के अन्दर डाला।
पहली बार मैंने किसी लड़की के नंगे बदन को छुआ था। ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में हूँ।
वो भी मुझसे लिपट कर मेरे बालों में हाथ फेर रही थी। उसकी चुचियाँ बेहद नरम थी और छोटी थी।
मैंने जोर से दबाना चालू किया तो वो मुझे बड़े लगने लगे।
मैंने हम लोगों के ऊपर एक चादर डाल ली और दरवाजा लगाया।
फिर अँधेरा करके हम एक चादर पर लेट गए।
मैंने उसको अपनी बाहों में ले लिया।
उसका ड्रेस वैसे भी छोटा था सो अन्दर हाथ डालने में कुछ दिक्कत नहीं हुई।
मैंने उसका शर्ट और ब्रा उतार दी, अब उसकी नंगी चुचियाँ आराम से मेरे मुँह में आ रही थीं।
वो तो पागल हो गई थी और चोद मुझे, चोद मेरे भाई कहे जा रही थी।
मैंने उसके होंठ अपने होंठों से बंद कर रखे थे। हम दोनों पूरे पागल हो चुके थे। मैं भूल गया था कि वो मेरी बहन है। बस अब उसे चोदना ही मेरा लक्ष्य था।
मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा, वो एकदम गीली थी मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह पानी कैसा है?
अब मैंने उसकी चड्डी निकाल दी और पूरी ड्रेस भी और अपने कपडे भी निकाल फेंके।
हम लिपट कर चादर के अन्दर आ गए। दोनों बिलकुल नंगे थे। क्या सुखद अनुभव था वो।
हम एक-दूसरे को पागलों की तरह किस कर रहे थे। फिर मैंने उसकी चूत को किस किया तो उसको थोड़ा अजीब सा लगा, वो मना करने लगी।
मैंने एक नहीं सुनी और उसकी चूत चाटना शुरू कर किया। वो मेरे सिर को दबा रही थी और मैं जोर से उसका रस पी रहा था।
फिर उसने कहा – प्लीज, अब नहीं रहा जाता, दर्द हो रहा है। मैंने भी मौका गवाए बिना अपना लण्ड उसकी चूत पर रख दिया।
तभी वो ज़ोर से चिल्लाने लगी – निकालो प्लीज, दर्द हो रहा है।
वो रोने लगी और मुझे धक्का देने लगी। मैंने भी उसको पकड़ कर रखा था और अपने होंठ उसके होंठों पर लगा दिए। मैं अब उसकी चुचियाँ जोर से दबा रहा था और धीरे-धीरे धक्का मार रहा था।
उसको दर्द हो रहा था, मेरा आधा लण्ड अब तक उसकी चूत में घुस गया था और उसने मुझे जोर से पकड़ रखा था।
मैंने भी जोर नहीं लगाया, मुझे पता था अगर पूरा घुस जाता तो वो चिल्लाती और सब जाग जाते। सो मैं धीरे-धीरे धक्का मार रहा था।
अब थोडा और लण्ड अन्दर घुस गया था और उसका दर्द भी कम हो गया था। वो भी अब मस्ती में आ कर मेरे बालों में और पीठ पर जोर-जोर से हाथ फेर रही थी।
मुझे किस पर किस कर रही थी। मैंने भी अब थोडा जोर और लगाया और उसकी झिल्ली फट गई।
वो रोने लगी और मैं डर गया पर वैसे ही पड़ा रहा उसे बाहों में लेकर और उसके निप्पल चूसता रहा और धीरे-धीरे फिर से वापस आगे-पीछे करने लगा।
अब वो मेरा साथ दे रही थी और उसे मज़ा आ रहा था।
वो भी जोर से मेरी पीठ पर उंगलियाँ चला रही थी और अचानक उसने पानी छोड़ दिया।
मैं अब भी धक्के मार रहा था और पाचक-पाचक की आवाज आ रही थी।
मैंने भी अपना पानी अन्दर ही छोड़ दिया और हम शांत हो गए।
थोड़ी देर हम वैसेही पड़े रहे, एक-दूसरे से लिपटकर और दूसरे दिन मैंने उसे आइ-पील लाकर दी।

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