सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार। मैं सुधीर हूं और यह मेरी पहली कहानी है. वैसे अन्तर्वासना पर इससे पहले भी मेरी एक कहानी
उतावली सोनम
प्रकाशित हुई थी जिसको एक लेखक जवाहर ने लिखा था.
यह कहानी दो भागों में थी. यदि आपने वह कहानी नहीं पढ़ी है तो पहले उस कहानी को पढ़ लें. सोनम मेरी पत्नी का नाम है.
अपनी बीवी की कहानी आज मैं खुद आपके सामने लेकर आया हूं. इस बार मैंने कहानी को पूरी करने में अपने एक दोस्त अरुण की मदद ली है. तो अब कहानी को शुरू करता हूं.
दोस्तो, जवाहर से मिलने के बाद मेरी बीवी बिल्कुल खुले विचारों वाली हो गयी थी. उसको किसी दूसरे गैर मर्द के साथ सम्बन्ध बनाने की बातें करने में मजा सा आने लगा था.
मैं अपनी बीवी की चुदाई करते समय यदि उससे मेरे दोस्त के साथ संबंध बनाने की बात करता तो वह तुरंत हां कह देती थी और बोल देती थी कि साथ में लेते आइयेगा. उसको भी शायद गैर मर्द से चुदने का मन करने लगा था.
जब मैं जवाहर से मिला था तो उसके कुछ महीने के बाद ही मैं अपने पैतृक शहर वापस आ गया था. मैं अपने मम्मी पापा के साथ रह रहा था. अब मेरी बीवी मेरे स्थानीय दोस्तों के साथ भी बातें करने की कोशिश करती थी.
जब भी मेरा कोई स्थानीय दोस्त मेरे घर पर आता तो वह उसके लिए चाय बना कर लाती और प्यार से उनको पिलाती थी. यदि मेरी मां और पापा घर पर नहीं होते थे तो वो खुद भी उनके साथ बैठ कर गप्पें मारने में व्यस्त हो जाती थी.
यह सब काफी दिनों से चल रहा था. ऐसे ही करते करते मेरी बीवी की दोस्ती मेरे एक दोस्त से हो गयी. सोनम ने मेरे दोस्त से बात करने के लिए मुझसे पूछा. मैंने भी उसको मना नहीं किया.
मेरी अनुमति मिलने के बाद वह रोज ही उसके साथ फोन पर बात करने लगी. उन दोनों की इस दोस्ती को प्यार में तब्दील होने में ज्यादा समय नहीं लगा. अब वो उसके साथ कई बार प्यार भरी बातें करते हुए पकड़ी जा चुकी थी लेकिन मैंने भी इस बात को लेकर कभी उससे शिकायत नहीं की.
एक दिन मेरे सामने ही मेरे एक दोस्त का फोन आ गया. वो मुझसे मिलने के लिए कहने लगा. उसने पूछा- मैं तुम्हारे घर चाय पीने आ जाऊं?
मैंने भी कह दिया- हां, इसमें पूछने की क्या बात है, वैसे भी घर पर कोई नहीं है. तुम आ सकते हो.
मेरे कहने पर वो हमारे घर आ गया. मेरी बीवी सोनम उसके लिये चाय बना कर ले आई. वह मेरे पास सोफे पर आकर बैठ गयी. मैंने उसको पकड़ कर अपने दोस्त मयंक की बगल में बिठा दिया.
मगर वो उठ कर एक तरफ हो गयी. मैंने उसे उसके पास बैठने का इशारा किया. थोड़ी सी ना-नुकर के बाद उसके साथ में बैठ गयी. हम तीनों साथ में बैठ कर चाय पीने लगे.
इसी बीच में मैंने सोनम का हाथ मेरे दोस्त के गले में डलवा दिया. मैंने सोनम को उससे लिपटने के लिए कहा. सोनम मयंक के करीब जाने लगी. तभी मैंने मयंक के हाथ को अपनी बीवी की चूचियों पर रखवा दिया और मयंक को दबाने का इशारा किया.
मयंक थोड़ा हिचक रहा था इसलिए उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. फिर मैंने खुद ही मयंक के हाथ को अपने हाथ के नीचे दबा लिया और अपने हाथ पर दबाव बनाते हुए मेरी बीवी के वक्षों को मयंक के हाथों से दबवाने लगा.
धीरे धीरे मयंक और सोनम खुलने लगे. सोनम भी थोड़ी शरमा रही थी. मयंक ने सोनम को हल्की सी किस दी और फिर उठ कर जाने लगा. उसके जाने के बाद सोनम भी थोड़ी सहज हो गयी.
उस दिन के बाद से उन दोनों की बातें और ज्यादा होने लगीं. फोन पर उन दोनों की बातों का सिलसिला लगातार चल रहा था. मगर इसी बीच एक अनहोनी हो गयी.
मेरी माता जी को हार्ट अटैक आ गया और उसमें उनकी मृत्यु हो गयी. घर में एकदम से गम का माहौल हो गया. मेरे कई दोस्त भी आ गये थे. कुछ दिन ऐसे ही गम में बीत गये. अब हम घर में तीन ही लोग रह गये थे. मैं, मेरे पापा और मेरी पत्नी सोनम.
मेरे पापा एक बैंक में मैनेजर हैं. वो सुबह साढ़े नौ बजे अपने काम पर निकल जाते थे. इस दौरान मेरी बीवी और मेरे दोस्त को काफी मिल जाता था. जिस दिन उन दोनों को मिलना होता था तो वो मेरे बेडरूम में एक दूसरे के साथ चिपक कर पड़े रहते थे और बातें करते रहते थे.
मैं जब दुकान से आता तो कई बार दोनों को एक ही रूम से निकलते हुए देख चुका था. इस तरह की घटना 7 से 8 बार हो चुकी थी. मगर मेरे दोस्त ने अपनी ओर से पहल नहीं की थी.
जब मैंने अपने दोस्त से बात की तो उसने कहा- अभी सोनम मेरे मामले में नयी है. मैं उसके साथ कोई भी जल्दबाजी नहीं करना चाहता हूं. जो भी होगा उसकी ही मर्जी से होगा. मैं उससे प्यार करता हूं. उसकी मर्जी से ही होगा जो कुछ होगा. उसकी मर्जी नहीं होगी तो मैं कुछ भी नहीं करूंगा.
दोस्तो, मैं आपको बता दूं कि मेरी बीवी सोनम का जन्म सन् 1995 का है. ये घटना जो मैं आपको बता रहा हूं वह 2016 की है. यानि कि उस वक्त मेरी बीवी 21 साल की थी.
एक दिन वो दोनों इसी तरह से साथ में एक ही बेड पर लेटे हुए बातें कर रहे थे. मैं भी उस समय घर में ही था.
मेरे दोस्त ने कहा- यार नन्दन (मेरा घर का नाम), इसकी ब्लाउज तो खोल.
मैंने कहा- अगर खोलनी है तो तू खुद ही खोल ले.
वो बोला- नहीं तू ही खोल यार.
उसकी बात मान कर मैंने सोनम की ब्लाउज को खोल दिया. उसकी साड़ी को भी उसके बदन से अलग कर दिया. ब्लाउज को उतारा तो उसके दोनों कबूतर आजाद हो गये. उसकी चूचियों के निप्पल एकदम तने हुए थे.
मैंने अपने हाथ से पकड़ कर अपने दोस्त के हाथ को अपनी बीवी के बूब्स पर रख दिया. मेरी बीवी केवल एक पेटीकोट में लिपटी हुई थी. मैं बगल में उन दोनों के पास में लेटा हुआ अपने लंड को सहला रहा था.
मेरे दोस्त ने एक दो बार उसकी चूचियों को हल्के से दबाया और उसके बाद वो रुक गया. फिर वो जाने के लिए कहने लगा. हमने भी उसको नहीं रोका.
उसके दो दिन के बाद सोनम और मयंक के मिलने का प्लान था. उस दिन उन दोनों ने रात के 10 बजे मिलने का प्लान किया था. उस वक्त मेरे पिता जी भी घर पर ही थे.
मैं भी घर में ही था. इसलिए मैंने मयंक को घर के पीछे वाले दरवाजे से अंदर कर लिया. मेरे पिताजी घर की बैठक में लेटे हुए थे. मयंक के अंदर आने के बाद सोनम और वो दोनों हमारे बेडरूम में आ गये.
इस बार मयंक ने मेरे पूछे बिना ही सोनम के कपड़े उतारने शुरू कर दिये. कुछ ही पल में उसने मेरी बीवी की ब्रा को उसकी चूचियों से अलग कर दिया था. वह मेरी बीवी के बूब्स के साथ खेलने लगा.
मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपनी पत्नी सोनम की चूचियों पर दबा दिया. मैंने उसके होंठों को सोनम के निप्पलों पर सटा दिया और वो उसकी चूचियों को पीने लगा.
उसका मुंह एक चूची पर लगा हुआ था और दूसरे हाथ से वो दूसरी चूची को दबा रहा था. मैंने उसके दूसरे हाथ को पकड़ कर पेटीकोट के ऊपर अपनी बीवी की चूत के ऊपर रखवा दिया. मयंक मेरी पत्नी की चूत को सहलाने लगा.
कुछ ही देर में उसने सोनम के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया. नाड़े को खोल कर उसने पेटीकोट को नीचे खिसका दिया और मेरी बीवी के बदन पर केवल एक पैंटी रह गयी थी.
मेरे दोस्त का हाथ मैंने सोनम की पैंटी में घुसा दिया और उसकी चूत की फांकों को वह अपनी उंगली से सहलाने लगा. उस समय मेरी बीवी की चूत पर बाल भी थे. उसकी चूत के बाल लगभग एक सेंटीमीटर तक लम्बे हो चुके थे.
मयंक ने सोनम से कहा- तुम्हारी चूत पर तो बाल हैं. मैं तुम्हारी पहली चुदाई क्लीन शेव चूत में करना चाहता हूं.
सोनम बोली- पहली चुदाई की क्या बात है, जब भी तुम चोदना चाहोगे तो तुम्हें ये क्लीन शेव ही मिलेगी.
सोनम की चूत पानी पानी हो रही थी. वह चुदने के लिए तैयार थी लेकिन उसकी चूत के बाल बीच में आ रहे थे. मयंक ने उसको गर्म कर दिया था. मगर अब घर वापस जाने को कह रहा था. समय भी 11.30 का हो चला था.
मयंक के जाने के बाद सोनम ने मुझसे भी चुदाई नहीं करवाई.
वो बोली- जिसने मेरी चूत में आग लगाई है, मैं अब उस आग को उसी के लंड से ही शांत करवाऊंगी.
ये सब होने के बाद अगले तीन दिन तक उन दोनों की बात फोन पर ही होती रही. चौथे दिन फिर उनका प्रोग्राम रात को फिक्स हो गया. उस दिन सोनम ने अपनी चूत की झांटें पहले से ही साफ कर ली थी.
मयंक ने उस दिन दोपहर के समय में ही मुझे एक पतली सी नाइटी दे दी थी. मैं उस नाइटी को घर ले आया था. उस नाइटी के साथ में एक ब्रा और पैंटी भी थी. मैंने सोनम को वह नाइटी और ब्रा-पैंटी दे दी.
उस दिन मेरे पिताजी घर पर नहीं थे. उधर मयंक भी कहीं बाहर जाने का बहाना देकर अपने घर से मेरे घर पर रुकने के लिए आ गया था. इसके लिए उसने अपने एक दोस्त की शादी का कार्ड भी प्रिंट करवा दिया. उसने वो कार्ड घर पर दिखा कर बता दिया था कि उसको शहर से बाहर जाना है और वह उसी दिन वापस नहीं लौट सकता है.
इस तरह से उस दिन शाम को 6 बजे के करीब मयंक मेरे घर पर आ पहुंचा. उस दिन मैं मयंक के आने के बाद अपनी दुकान पर चला गया. मुझे दुकान बंद करके आना था. मैं 8 बजे के करीब दुकान बंद करके आ गया.
घर पहुंच कर मैंने देखा कि मेरी बीवी के साथ में पड़ोस की ही दो महिलायें बठी हुई थीं. उनके बच्चे भी घर में खेल रहे थे. ये दोनों औरतें अक्सर शाम को मेरे घर पर आ जाया करती थीं.
मैंने उन बच्चों को चॉकलेट दी और फिर वहीं पर बैठ गया. तभी सोनम मेरे लिये पानी लेकर आ गयी.
मैंने पानी पीया और वहीं पर बैठा रहा. मेरे दोस्त को मेरी बीवी ने दूसरे फ्लोर पर भेज दिया था ताकि उन औरतों को किस तरह का शक न हो जाये.
कुछ देर के बाद मौहल्ले की वो चूतें यानि कि मेरे पड़ोस की महिलायें उठ कर अपने घर में लंड खाने के लिए चली गयीं.
उनके जाते ही मेरी पत्नी ने गेट बंद कर दिया और अन्दर से लॉक कर दिया.
सोनम बोली- आप ऊपर चल कर बैठिये, मैं आपके लिये चाय लेकर आती हूं.
उसके कहने पर मैं अपने दोस्त के पास ऊपर चला गया. उसके साथ बैठ कर बातें करने लगा.
मयंक बोला- यार, आज मेरी सुहागरात हो जायेगी क्या?
मैंने कहा- हां, होगी क्यों नहीं, मैं अपने हाथ से मनवाऊंगा अपने दोस्त की सुहागरात।
तभी सोनम चाय लेकर आ गयी. हम तीनों ने साथ में बैठ कर चाय पी. मैंने सोनम को अपने दोस्त की गोद में बैठा दिया. अब तक तीनों की चाय खत्म हो चुकी थी.
मयंक और सोनम दोनों बेड पर जाकर लेट गये. अब तक रात के 9.30 बजे का समय हो गया था. वो दोनों एक दूसरे के गले में बांहें डाल कर बातें करने लगे.
कुछ देर मैं भी बैठा रहा. फिर मैंने कहा- यदि तुम दोनों की आशिकी हो गयी हो तो अब डिनर कर लें?
सोनम बोली- हां, मैं जाकर खाना लगा देती हूं. आप दोनों फ्रेश हो जाइये. मैं भी पहले फ्रेश होकर आती हूं.
यह बोल कर सोनम उठी और तौलिया लेकर बाथरूम में चली गयी. थोड़ी देर के बाद वो तौलिया लपेट कर बाहर आई और फिर ड्रेसिंग रूम में चली गयी.
अंदर जाकर उसने मयंक के द्वारा भेजी गयी ब्रा और पैंटी पहनी और फिर खाना लगाने के लिए किचन में चली गयी.
हम दोनों भी तैयार होकर खाने की टेबल पर आ गये थे. कुछ देर के बाद सोनम खाना लेकर आ गयी.
मैंने सोनम से कहा- तुम भी हमारे साथ ही खा लो.
वो बोली- तो फिर हल्की हल्की बीयर भी हो जाये तो कैसा रहेगा?
मैंने कहा- बहुत अच्छा रहेगा. इसमें पूछने की क्या बात है, ले आओ.
मेरे कहने पर वो बीयर की बोतल ले आई और हम दोनों को सर्व करने लगी. खाने के साथ ही बीयर की दो बोतलें भी खत्म हो गयीं. हम तीनों ने पेट भर खाना खाया.
मयंक ने सारे बर्तन समेट कर किचन में रखवा दिये. तब तक सोनम ने टीवी पर एक ब्लू फिल्म चालू कर दी. फिर वो आकर बेड पर लेट गयी. मयंक भी पहले से ही बेड पर आकर लेट गया था. अब शायद मुझे उन दोनों को कुछ निर्देश देने की जरूरत नहीं थी.
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. इस कहानी के बारे में अपने विचार मुझ तक जरूर भेजें. आप मुझे नीचे दी गई ईमेल आईडी पर अपने संदेश भेज सकते हैं. नीचे दिये गये कमेंट बॉक्स में भी अपने कमेंट लिख सकते हैं.
जल्दी ही मैं कहानी का अगला भाग आप सभी पाठकों के लिए लेकर आऊंगा. थोड़ा सा इंतजार करें.
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कहानी का अगला भाग: बीवी की मेरे दोस्त से चुदने की चाहत-2
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