मेरा नाम पुष्कर है। मुजफ्फरनगर का रहने वाला हूँ। मेरी सरला मौसी की लड़की गुड़िया बहुत ही चिकनी और सेक्सी माल थी। वो अभी नर्स की तैयारी कर रही थी और पढ़ रही थी। मेरे घर हफ्ते में एक बार जरुर आती थी। मुझे पुष्कर भैया कहकर बुलाती थी। उसका फिगर 36, 30 32 था। जिस्म क्या मक्खन जैसा था। मेरा तो देखकर लंड ही खड़ा हो जाता था। गुड़िया के गाल भी टमाटर जैसे लाल लाल थे। बहुत ही मिलनसार लड़की थी। मेरा उसे चोदने का बड़ा दिल कर रहा था। पर कोई बहाना नही मिल रहा था।
कुछ दिनों बाद मैं उसके घर गया था। मेरी मौसी का घर छोटा है। मौसा ही बिजली की दूकान चलाते है। कुछ ख़ास कमा नही पाते है इसलिए छोटा मकान ही बनवा पाए। इसलिए मुझे मौसी ने गुड़िया के कमरे में ही रात में सोने को कहा। मैं भी जवान था। गुडिया भी जवान थी। रात में घर के सब लोग सो गये। चारो तरह इकदम से सन्नाटा हो गया। पर ना तो मुझे नींद आ रही थी और ना ही गुडिया को। हल्की सर्दी हो रही थी। उसने अपना बेबी नाईट सूट पहना था। गुड़िया अब 24 साल की हो चुकी थी। जिस्म बिलकुल भरा हुआ था। वो चोदने के लिए परफेक्ट लड़की थी। उसके नाईट सूट से उसके 36” के सुडौल और कसे कसे दूध दिख रहे थे। हम दोनों एक ही बिस्तर पर थे पर जरा दूर दूर। वो भी समझ नही पा रही थी कौन सी बात की जाए। मैंने सोचा की इसे पटाने का इससे अच्छा मौका नही मिलेगा। अगर गुडिया पट गयी तो आज इसे आज रात ही चोद लूँगा। किसी को पता भी नही चलेगा।
“क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है??” मैंने पूछा
वो अलग नजर से देखने लगी
“नही” कुछ देर बाद वो रुककर बोली
“मन तो करता होगा तुम्हारा भी…” मैंने शरारत के अंदाज में फिर से पूछा
“किस चीज का मन??” वो कहने लगी
फिर हम दोनों ही हँसने लगे। मैंने उसे बताया की मेरी भी कोई गर्लफ्रेंड अभी तक नही है। फिर हम दोनों सोने की कोशिश करने लगे। बडी अजीब रात थी। नींद ही नही आ रही थी।मैं और गुडिया चादर ओढकर एक दूसरे की तरह मुंह करके सो गये। वो मुझे गहरी नजर से देखने लगी। मैं भी उसे ताड़ने लगा। मुझे पता चल गया की अगर उसे हाथ लगाउंगा तो वो किसी को बोलेगी नही। वो भी मुझे प्यारी दिख रही थी। मैं उसके करीब आ गया और हिम्मत करके उसके पैर पर हाथ लगाने लगा। वो मुस्कुराने लगी। उसने कोई विरोध नही किया। मेरी जान में जान आई। धीरे धीरे मैं उसके करीब खिसक आया।
अब उसके जांघ को छूने लगा। फिर उसके पजामे के उपर से उसकी चूत को सहलाने लगा। वो कुछ नही बोली और बस मेरी ओर घूर घूर कर देखे जा रही थी। मैं चूत को उपर से गोल गोल ऊँगली घुमाकर सहलाता रहा। अब मौसी की लड़की गुड़िया भी गर्म हो गयी। अगले पल वो ही मेरे उपर आ गयी और मेरे मुंह पर अपना मुंह रख दिया। मुझे चूसने लगी। ये तो किसी करिश्मे से कम नही था दोस्तों। क्यूंकि मैं एक बहुत ही डरपोक लड़का था। धीरे धीरे किस शुरू हो गया। गुडिया ने मुझे दोनों हाथो से पकड़ लिया और मेरी उपर ही चढ़ गयी। मैंने भी उसे पकड़ लिया और उसके ओंठ चूसने लगा। आह!!! उसके होठ देखकर लंड चुसाने का दिल कर रहा था। कितने गुलाबी और चिकने ओंठ थे उसके। धीरे धीरे मेरे हाथ अपने आप उसके दूध पर आ गये और मैंने सहलाने लगा। अब मैं भी खुलकर उससे प्यार करने लगा। हम दोनों एक दूसरे को बाहों में जकड़ कर बिस्तर पर गोल गोल घूमने लगे। कभी गुडिया उपर आ जाती, तो कभी मैंने।
मैं उसके दूध खुलकर दबाने लगा। वो “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ….” करने लगी। उसे भी मजा आ रहा था। मैंने खुद को रोक न सका। उसकी मुसम्मी को हाथ में लेकर दबाने का सपना था। मैंने जल्दी से उसके सूट में हाथ डाल दिया और उपर उठा दिया। आज गुडिया ने कॉटन सफ़ेद कलर की समीज पहनी थी। उसकी 36” की बेताब उफनती चूचियां तो जैसे मेरा कजेला की निकाल रही थी। तेज तेज दबाने लगा। गुडिया “ओहह्ह्ह…ओह्ह्ह्ह…अह्हह्हह…अई..अई. .अई… उ उ उ उ उ…” करने लगी। मैं बिलकुल से पागल हो गया। अब उसकी मुसम्मी देखने की लालसा थी। मैं समीज को उपर उठाने लगा। जैसे जैसे उपर करता गया उसका गोरा चिकना पेट दिख गया। मैं तो घूरता ही रह गया। आज तो जजमेंट डे था जब मैं अपनी मौसी की लड़की को चोदने जा रहा था। आज मेरी जिन्दगी का निर्णायक दिन था। टर्निंग पॉइंट। मैं समीज को उपर की ओर उठाता चला गया और उसके सेक्सी चिकने पेट को हाथ से सहलाता चला गया।
फिर जल्दी जल्दी किस करने लगा। गुडिया को गुदगुदी होने लगी। मैं उसके पेट को दांत से काटने लगा जिससे उसे सेक्स का नशा चढ़ जाए। वो भी सिसकारी लेने लगी।
उसकी नाभि के मैं दर्शन कर रहा था। बड़ी ही सेक्सी और मनमोहक नाभि थी उसकी। गहरी चूत जैसी दिख रही थी। मैं जीभ लगाकर जल्दी जल्दी चूसने लगा। गुड़िया “आआआअह्हह्हह…..ईईईईईईई….ओह्ह्ह्….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….” करने लगी। मैं तो जल्दी जल्दी चूसता रहा। अब गुडिया गर्म होने लगी। उसे भी चुदाई वाली वासना चढ़ गयी। मैंने अंत में समीज को बिलकुल उपर उठा दिया। समीज दूध में फंस गयी। मैंने हाथ से उसे उपर किया और दोनों ताजे ताजे दूध को निकाल लिया। ओह्ह माय माय!! ऐसी सुंदर चूचियाँ तो आजतक न देखी थी। सफ़ेद चूचियों के उपर काले काले बड़े बड़े गोले तो मेरी जान ही लेने लगा। मैंने दोनों दूध को हाथ से पकड़ लिया और गोल गोल सहलाने लगा। बड़ा आनंद आया। मैं पूरी मुसम्मी का हाथ से सर्वे करने लगा। गोल गोल मेरे हाथ नाच रहे थे। दो जवान बदन जब आपस में टकराये तो अग्नि की ज्वाला भड़क उठी।
अब मैं सारे होश हावाश भूलकर उसके दूध दबाने लगा। गुडिया नाक से गर्म गर्म तेज साँसे छोड़ने लगी। उसकी हवा मेरे मुंह पर पहुच गयी थी। मैं भी आज उसे चोदकर बहनचोद बनने के मूड में था। हाथो से उसके तेज तेज दबाने लगा। गुड़िया “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ—भाई आराम से” कहने लगी। अन्तर्वासना में मैं पूरी तरह से पागल हो गया था। उसे दर्द हो रहा है मैंने गौर ही नही किया। कुछ देर बाद दोनों नंगे हो गये। उसके पैर मैंने खोल दिए।
गुड़िया की चूत में मैंने लंड डाल दिया। अब चोदना शुरू कर दिया। पहले तो हल्के हल्के धक्के दे रहा था। उसकी सील टूटी हुई थी। मैंने उससे नही पूछा की सील किसने तोड़ी। मैं नही चाहता था की वो नाराज हो जाए। मैंने उसे चोदने लगा। सिर्फ उसकी देख रहा था। गुड़िया की चूत का डिजायन किसी एयरपोर्ट जैसा था। फूली फूली ब्रेड की तरह फूली चूत थी। चूत का दाना मैं ऊँगली से घिसने लगा। जैसे जैसे घिस रहा था वो “…….उई. .उई..उई…….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ……अहह्ह्ह्हह…” कर रही थी। मैं कमर उठा उठाकर सम्भोग रत हो गया था। गुड़िया ने अपने चेहरे को हाथ से ढंक लिया जैसे लज्जा कर रही हो।
मैं उसे धकाधक पेल रहा था। अब उसकी भोसड़ी अपना सफ़ेद मक्खन छोड़ने लगी। मैं चूत की तरफ देखा तो जब जब लंड चूत से बाहर आता था सफ़ेद मक्खन उसपर लगा होता था। मुझे इस बात की खुसी हुई की मैं उसे परम और चरम सुख दे रहा था। वो बड़ी शांति से चुदवा रही थी। आज मैं उसे चोदकर बहनचोद बन गया था। 15 मिनट अब बीत चुके थे। चूत रवा हो गयी थी। उसका छेद अच्छे से खुल गया था। मैं जल्दी जल्दी पेल रहा था। मेरा लंड उसकी कसी चूत का भर्ता बना रहा था। उसके दूध को पकड़कर मैं दबा दबाकर सेक्स कर रहा था।
“पुष्कर भैया!! एक मिनट रुको!!” गुडिया बोली
मैं रुक गया और लंड उसकी भोसड़ी से निकाल लिया। गुडिया ने एक मोटा तकिया बगल से खींचा और अपनी गांड के नीचे लगा लिया। फिर आराम से लेट गयी।
“आओ भैया!! चोदो आकर” वो बोली
उसकी फटी चूत के दर्शन करके मुंह में पानी आ गया। मैंने उसके पैर खोल दिए और चूत को जल्दी जल्दी चाटने लगा। उसका सफ़ेद मक्खन मेरे मुंह में आ गया। उसे मैं प्रसाद समझकर पी गया। मैंने ऊँगली से गुडिया की खोल दी। बिलकुल गुलाबी और गजब की खूबसूरत। मैं भी कामुकता से भर गया और जल्दी जल्दी मुंह लगाकर चूसने लगा। गुड़िया “हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….भैया आराम से पियो” बोलने लगी
मैंने ऊँगली से उसकी गुलाबी चूत खोलकर और अंदर वाली असली चूत पीने लगा। मौसी की लड़की तो अब जैसे पागल हुई जा रही थी। अपना पेट और गांड आसमान में उठा रही थी। उसका भोसड़ा (चूत का मोटा सुराख) देखकर मैं कामुकता से भर गया था। जल्दी जल्दी छेद को पी रहा था। उसके साथ मुख मैथुन कर रहा था। इस तरह से गरमा गर्म बुर चुसाई से गुड़िया झड़ गयी और उसने पानी छोड़ दिया। 4 5 बार उसकी चूत ने पानी पिच्च पिच्च छोड़ दिया। दोस्तों मेरा तो मुंह ही भीग गया। गुड़िया अंगराई लेते हुए अपने पैर समेटने लगी।
“खोल छिनार!!! अपनी दिखा” मैंने कहा और उसके पैर पर एक चांटा मार दिया
गुड़िया ने फिर से अपने पैर किसी रंडी की तरह खोल दिए। उसके भोसड़े का दीदार फिर से करने लगा। जितना जादा दीदार करता था उतना ही सुख पाता था। फिर से मुंह चूत पर लगा दिया और चूसने लगा। जैसे आज मैं वासना से पागल हो गया था। फिर से लंड उसकी चूत में दे दिया और 10 मिनट चोदा। फिर मैं अंदर ही झड़ गया। मेरे हाथों और घुटनों में दर्द हो रहा था क्यूंकि बहुत साला वीर्य मैंने स्खलित कर दिया था। गुडिया के बगल की लेट गया।
“आई लव यू!! पुष्कर भैया!! आई लव यू!!” गुड़िया बोली और मेरे गालो पर किस करने लगी।
आज की रात मेरी जिन्दगी की यादगार रात थी। मैं भी चोदकर शांत हो गया था और सरला मौसी की लड़की गुड़िया भी चुदवाकर शांत हो गयी थी। हम दोनों को जल्दी ही नींद आ गयी। रात के 4 बजे हम दोनों की नींद टूटी।
“क्यों पुष्कर भैया!! रात में कितना मजा आया??” गुड़िया मुस्कान के साथ बोली
मैंने उसे फिर से पकड़ लिया। अब भी मेरी तरह से नंगी थी। हम दोनों ने कपड़े नही पहले थे। उसके दूध गोल गोल कितने खूबसूरत थे। भरे हुए मम्मे थे। मेरी वासना फिर से उसका गदराया जिस्म देखकर जाग गयी। मैं गुड़िया के उपर लेट गया और दूध मुंह में लगाकर जल्दी जल्दी चूसने लगा। फिर से उसे गर्म करने लगा। वो “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ—ऊँ…ऊँ….”करने लगी। मैं बारी बारी से उसकी रसीली चूचियां 10 10 मिनट चूसी।
“चल बहन!! घोड़ी बन जा” मैंने कहा
गुडिया घोड़ी बन गयी। मैं उसकी गांड को चाटने लगा। उसने अभी तक एक बार भी गांड नही मरवाई थी। उसकी गांड कुवारी थी। किसी ने अभी तक उसकी गांड नही चोदी थी। मैं जल्दी जल्दी गांड का छेद चाटने लगा। गुडिया कांपने लगी। चाट चाटकर मैंने गीला कर दिया। फिर अपने लंड पर तेल लगा दिया। अब उसकी गांड के छेद में डालने लगा पर कुवारी होने की वजह से अंदर ही नही जा रहा था। मैं भी चोदू टाइप भाई था। जबरन अंदर धक्का देने लगा और फिर सफलता मिल गयी। मेरा 5” लंड अंदर घुस गया। गुड़िया रोने लगी। मैं धीरे धीरे उसकी गांड मारने लगा। उसके दोनों पुट्ठे सहला सहलाकर उसकी गांड चोदने लगा। 20 मिनट बाद मैंने लंड बाहर निकाल लिया और जल्दी जल्दी मुठ मारकर उसकी गांड के छेद पर माल गिरा दिया। अब गुड़िया मुझसे पट गयी है और अक्सर ही चुदवा लेती है।