मौसी की चुदाई का मजा-1

हैलो अन्तर्वासना के सभी रीडर्स, मेरा नाम समीर चौधरी है, मैं चंडीगढ़ का रहने वाला हूँ. मैं पिछले 5 साल से अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ. यह सेक्स कहानी मेरे और मेरी सगी मौसी के सच्चे शारीरिक सम्बन्धों के बारे में है.

मेरी उम्र 23 साल है. घर में मॉम डैड और एक छोटा भाई है. मेरा रंग सांवला है, हाइट 5 फीट 7 इंच है. पिछले 3 साल से जिम जा रहा हूँ, इसलिए मेरी बॉडी बड़ी ही कसरती और आकर्षक है. मर्द का सबसे जरूरी हिस्सा, मतलब मेरे लंड का साइज़ 6 इंच है.. और ये औसत से ज्यादा मोटा है.

अब मेरी सगी मौसी के बारे में भी जान लीजिए. मेरी सगी मौसी का नाम शांति है, वो चंडीगढ़ के समीप ही एक शहर डेराबसी में रहती हैं. उनकी उम्र 37 साल है, रंग सांवला ही है, कद तकरीबन 5 फीट 2 इंच है. मौसी की फिगर 36-32-34 की है. उनके पति यानी मेरे मौसा जी का नाम राज है. उनकी उम्र आगे 42 साल है और राज मौसा कोई काम नहीं करते हैं. वो मौसा कहाने लायक ही नहीं है. सारा दिन शराब पीते रहते हैं.

मौसी की दो संतानें हैं, एक पुत्र जसवीर और एक पुत्री स्नेहा है. जसवीर 10वीं फेल है, इसलिए सारा दिन मोबाइल रीचार्ज & गिफ्ट शॉप पर बैठता है. ये उनकी अपनी खुद की शॉप है. स्नेहा पढ़ रही है.
मेरी मौसी के पास बहुत ज़मीन-जायदाद, प्रॉपर्टी और अपनी गिफ्ट शॉप है, इसलिए घर में रुपये-पैसे की कोई कमी नहीं है.

मैं ग्रेजुयेट हूँ और जॉब की तलाश में हूँ. मैं अक्सर अपनी मौसी के घर जाता रहता हूँ, क्योंकि मैं अपनी मौसी को बहुत पसंद करता हूँ.

ये बात पिछले साल अक्टूबर 2016 की है तब मैं अपनी ग्रेजुएशन के दूसरे साल में था. मैं कुछ दिनों के लिए अपनी मौसी के घर गया हुआ था. मैं अपनी मौसी की खूबसूरती का दीवाना हूँ. मैं वहां जाकर उन्हें किसी ना किसी बहाने से अक्सर टच करता रहता था.

रात को हम सब एक ही हॉल में सोते हैं. बेड पे दीवार की तरफ जसवीर, बीच में स्नेहा, फिर मैं सोता हूँ. मौसी मेरी तरफ चारपाई डालकर सोती हैं और मौसा जी शराब के नशे में कहीं भी सो जाते हैं.

मैं अक्सर रात को सबके सो जाने के बाद मौसी को टच करता रहता हूँ. कभी उनके बूब्स दबाता, कभी उनकी मोटी गांड सहलाता और फिर मुठ मारके सो जाता. मैं रोज़ वॉशरूम में जाकर मौसी की ब्रा और पैंटी को सूँघता, मुझे इसमें बहुत मजा आता था.

दोस्तो, मैं आपको बता दूँ कि मैं तब तक वर्जिन था और अपनी मौसी के साथ पहला सेक्स के लिए पगला रहा था.
अब मैं उनको चोदने के प्लान सोचने लगा.

एक दिन जब जसवीर शॉप पे था, स्नेहा स्कूल गई हुई थी और मौसा जी कहीं शराब पीने गए हुए थे, तब घर में सिर्फ़ मैं और मौसी ही थे. मौसी स्टोर रूम की सफाई कर रही थीं, मैं भी स्टोर रूम में जाकर उनकी हेल्प करने लगा और इसी बहाने उन्हें टच भी करता रहा.

अब सेक्स मेरे बस के बाहर होता जा रहा था. मैंने बहुत हिम्मत करके मौसी का हाथ पकड़ किया और बोला कि आपसे एक ज़रूरी बात करनी है. लेकिन मेरी इस हरकत से मौसी डर गईं और बाहर निकल गईं. मुझे लगा कि आज आर या पार हो ही जाने दो. मैंने बाहर आकर मौसी को हग कर लिया और बोला- आई लाइक यू मौसी.
मौसी गुस्से में बोलीं- तुम पागल हो गए हो क्या? मैं तुम्हारी सगी मौसी हूँ.
वो मुझे डांटने लगीं.

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उनकी डांट से मेरी डर से गांड फट गई और मैंने उन्हें यूं ही छोड़ दिया. मैं बहुत डर गया था कि कहीं मौसी किसी को बता ना दें या मेरे घर में ना बोल दें. उनके बाद मैं रिलॅक्स होने के लिए बियर पीने चला गया. वापिस आकर देखा तो मौसी किचन में काम कर रही थीं. मैंने किचन में जाकर मौसी को सॉरी बोला, तो वो चुप रहीं.

मैंने फिर से सॉरी बोला, तो वो बोलीं- अगर कोई और होता तो जान से मार देती, तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए, मैं तुम्हारी सगी मौसी हूँ, तुम्हारी माँ जैसी हूँ.

मैं फिर से सॉरी बोलकर बाहर चला गया और मैंने राहत की साँस ली कि शुक्र है, मौसी ने किसी को कुछ नहीं बताया.

इस घटना के बाद मैं थोड़ा डर गया था लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और मौसी को चोदने का कोई दूसरा प्लान सोचने लगा.

उस रात को सोते समय भी मैंने डर के मारे मौसी को टच नहीं किया, लेकिन तभी मेरा ध्यान स्नेहा की तरफ गया. सबके सो जाने के बाद मैंने धीरे धीरे स्नेहा को टच करना शुरू किया. उसके छोटे छोटे समोसे जैसे बूब्स बहुत मस्त थे.

मैंने उसकी मुलायम गांड को सहलाना शुरू कर दिया. सच्ची दोस्तो … मुझे इसमें बहुत मजा आ रहा था. अब मेरा डर गायब हो चुका था, मैंने मुठ मारना चालू कर दिया. थोड़ी देर बाद मैंने अपना सारा वीर्य स्नेहा के पेट पर निकाल दिया और चुपचाप रिलॅक्स होकर सो गया.

अगले दिन मैंने फिर से वॉशरूम में जाकर मौसी की ब्रा पैंटी स्मेल की और मुठ मारी. अब सारा दिन मैं मौसी के बड़े बड़े मम्मों को और मोटी गांड को ही देखता रहा और उन्हें चोदने के बारे में सोचता रहा.

अगले दिन जसवीर अपनी बुआ के घर किसी प्रोग्राम में चला गया. रात को मौसी बेड पे जसवीर की जगह सो गईं, स्नेहा बीच में, उसके बाद में लेट गया और मौसा शराब में टल्ली होकर मौसी की चारपाई पे सो गए.

मैं सबके सोने का इंतज़ार करने लगा. रात को 12 बजे मैंने देखा कि सब सो चुके थे.. तो मैंने स्नेहा को सहलाना शुरू किया. मैं उसके गाल पे धीरे धीरे किस करने लगा और उसके बूब्स, गांड दबाने लगा. उसके बूब्स और गांड मौसी से छोटे थे, लेकिन बहुत मुलायम थे. अब मेरी सेक्स की कामना बढ़ती ही जा रही थी. मैं स्नेहा को सहलाते हुए मौसी के बारे में सोचने लगा. कुछ ही पल बाद मैंने स्नेहा को थोड़ा अपनी तरफ खिसका लिया और जगह बना कर खुद उसकी जगह आ गया.

इसके बाद मैंने डरते डरते मौसी को टच करना शुरू किया और उनके मम्मों को दबाने लगा. जब मौसी ने कोई हरकत नहीं की, तो हिम्मत करके उनकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा. मौसी की सलवार का नाड़ा बहुत टाइट बंधा था. मैंने ज़्यादा जोर लगाया तो मौसी जाग गईं.

मेरी तो गांड फट गई, लेकिन ये क्या मौसी ने मेरा हाथ उठाकर अपने मम्मों पर रख दिया. शायद नींद में वो मुझे अपना पति राज समझ रही थीं, जो कि मुझे बाद में पता चला. मैं धीरे धीरे उनके मम्मों को दबाने लगा और चूसने लगा.

मौसी हल्के स्वर में सीत्कार करने लगीं. थोड़ी देर बाद मैं फिर से उनका नाड़ा खोलने लगा. तो वो बोलीं- राज रहने दो, स्नेहा और समीर उठ जाएँगे.
अब मुझे पता चला कि वो मुझे अपना हज़्बेंड राज समझ रही थीं. पहले तो मैं थोड़ा शॉक्ड हो गया. लेकिन मैंने नाड़ा खोलना जारी रखा.
वो मुझे रोकने लगीं और बोलीं- राज रहने दो.. वे लोग जाग जाएँगे.

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गुस्से से मेरे मुँह से निकल गया कि चुप रहो.. मुझे अपना काम करने दो.
लेकिन ये क्या मौसी ने मेरी आवाज़ पहचान ली और हैरान होकर बोलीं- समीर तुम?

मैंने मौसी को पकड़े रखा क्योंकि मेरे ऊपर सेक्स का भूत सवार हो चुका था. अब मैंने अपने एक हाथ से जोर लगाकर उनकी सलवार का नाड़ा खोल दिया, उन्होंने अन्दर पैंटी नहीं पहनी थी. उनकी चूत पे कुछ बाल थे. चूत को हाथ लगाते ही मैं पागल हो गया. मौसी की चूत बहुत ही गर्म थी. मैंने उनकी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया. मुझे बहुत ज़्यादा मजा आ रहा था और अब मौसी धीमे धीमे सीत्कार करने लगी थीं. लेकिन वो बोल रही थी- मुझे छोड़ दो समीर, मैं तुम्हारी सगी मौसी हूँ!

लेकिन मैंने मौसी की चूत में उंगली करना जारी रखा. थोड़ी देर बाद मौसी ने उनके हाथ पैर ढीले छोड़ दिए मैं चूत में उंगली करता रहा. अब मैं उनके बड़े बड़े मम्मों को भी सूट के बाहर निकाल कर दबाने और चूसने लगा. शायद इस सबसे मौसी को भी मजा आने लगा था और उनके मुँह से धीरे धीरे ‘ओआह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआहह..’ की आवाजें आने लगी थीं.

अगले दस मिनट में मौसी पूरे मजे में थीं और उन्होंने खुद ही मेरे लोवर में हाथ डाल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और उसे आगे पीछे करने लगीं.

दोस्तो, ये मेरी ज़िंदगी के सबसे हसीन लम्हे थे, मेरी सेक्सी मौसी मेरी बांहों में थीं, वो मेरा लंड सहला रही थीं और मैं उनकी गर्म चूत को सहला रहा था. थोड़ी देर बाद मैंने मौसी की चूत में उंगली चलाना तेज़ कर दिया और जोर जोर से अन्दर बाहर करते हुए मौसी की चुत को मजा देने लगा. मौसी ने मुझे जोर से हग कर लिया. बस अगले कुछ ही पलों में मौसी की चूत से गर्म गर्म वीर्य का सैलाब निकल गया और मौसी मेरे ऊपर ढेर होकर लेट गईं.

इसके बाद मैंने अपनी उंगलियों में लगा मौसी के चूतरस को चाटना शुरू कर दिया. मैंने जीवन में पहली बार किसी औरत का वीर्य (रज) चाटा था. इसका टेस्ट थोड़ा नमकीन था, लेकिन मुझे बहुत पसंद आया और मैंने उनका सारा वीर्य चाट लिया.

ये मेरी जिन्दगी का सबसे पहला कामवासना से लिप्त एक सुखद अनुभव और अहसास था.

उसके बाद मौसी बोलीं- समीर, तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था, मैं तुम्हारी सगी मौसी हूँ.
मैं बोला- मौसी मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ.. इसलिए ये सब किया.
मौसी बोलीं- क्या तुम सच में मुझे पसंद करते हो?
मेरे हां बोलते ही मौसी ने मुझे जोर से गले से लगा लिया और बोलीं कि हमारे बीच जो कुछ भी हुआ, वो किसी को बताना मत.
मैं बोला- मौसी जी आप बेफिक्र रहिए.. मेरी तरफ से किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.

मौसी बोली- अब बस … बहुत हो गया… अब तू अपनी जगह चला जा!
उसके बाद मैं मौसी को किस करके अपनी जगह पे आ गया और स्नेहा को बीच में कर दिया.

दोस्तो, मेरी कहानी आपको कैसी लग रही है? मुझे मेल करके बताएं, मेरी ईमेल आईडी है. [email protected]

कहानी का अगला भाग: मौसी की चुदाई का मजा-2

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