मौसी और उनकी जेठानी का लेस्बियन सेक्स- 2

देसी गन्दी चुदाई कहानी में पढ़ें कि मौसी और उनकी जेठानी को लेस्बियन सेक्स में लगाकर मैं भी सेक्स के खेल में घुस गया. मैंने दोनों को कैसे चोदा?

कहानी के पिछले भाग
मौसी और उनकी जेठानी का लेस्बियन सेक्स
में आपने पढ़ा कि मैंने अपनी मौसी रूपाली को उनकी जेठानी नीतू के साथ लेस्बीयन सेक्स करके के लिए मना लिया.
तभी नीतू हमें देखने आयी तो रूपाली ने मुझे छोड़ के नीतू को दबोच लिया और उसके साथ लेस्बियन सेक्स का मजा लूटने लगी।
मौसी ने अपनी जेठानी को नंगी करके उसकी चूत चाट ली थी.
अब जेठानी अपनी देवरानी की चूत चाटने में लगी हुई थी.

उन दोनों को देख मैं भी गर्म हो गया था तो मैं भी उनके साथ शामिल हो गया.

अब आगे देसी गन्दी चुदाई कहानी:

मैंने अपना लंड हाथ में पकड़ा और पीछे से नीतू चूत के मुहाने पर रख दिया।
चूत पर लंड का अहसास होते ही नीतू ने रूपाली की चूत चाटना बंद कर दिया और साँसें रोककर आगे मिलने वाले सुख़ का अनुभव पाने के लिए खुद को तैयार करने लगी।

मैंने उसकी चूत के होंठ दोनों हाथों के अंगूठे से खोल दिए और धीरे से अपना लंड उसकी पनियाई चूत में उतारने लगा।

मैं लंड पर दबाव बनाता जा रहा था और लंड उसकी चूत में अंदर जाता जा रहा था।
जितना मैं लंड अंदर करता, उतना ही प्रीकम उसकी चूत से बाहर आ रहा था।

जब मेरा समूचा लंड उसकी चूत में समा गया तो नीतू ने एक जोर की सांस ली जैसे वो कितनी देर से इस पल का इंतजार कर रही हो।

मैंने नीतू की कमर को प्यार से थाम लिया और धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करने लगा।
मैं नीतू को प्यार से चोद रहा था और उसके बदन को सहला रहा था।

जब मैं अपने लंड को बाहर निकाल के वापस घुसाता तो नीतू अपनी पीठ को धनुष की प्रत्यंचा के जैसे मोड़ लेती।

हम दोनों चुदाई में इस कदर डूब गये थे कि हम रूपाली को भूल गये।

रूपाली का ध्यान तब आया जब उसने नीतू का सर वापस से अपनी चूत की ओर खींचना शुरू किया।
नीतू ने भी एक बार फिर से अपनी जीभ उसकी चूत पर रख दी।

रूपाली अपने हाथ से अपनी चूत को रगड़ते हुए नीतू से अपनी चूत चटवाने में लगी हुई थी।
मैं चोद नीतू को रहा था लेकिन उम्म्म … आअह्ह … ओय्य्य … श्श्ह … स्स्स्स जैसी सिसकारियां रूपाली के मुंह से निकल रही थी।

जब मैं नीतू को चोदने में मग्न था तो रूपाली की बदन गर्मी ज्यादा बढ़ गई.
पर उसे जब अपनी बारी आती हुई नजर नहीं आई तो उसने नीतू हटाने का फैसला किया।

रूपाली धीरे से नीतू के नीचे सरक कर निकली और नीतू को एक कोने कर दिया।
नीतू बड़े बेमन से हट गई … शायद वो अपनी मंजिल के बीच तक आ गई थी।

रूपाली नीतू की जगह बेड पर पीठ के बल टांगें पसार के लेट गई।

इससे पहले मैं कुछ कह पाता, रूपाली ने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में खींचते हुए अपनी चूत से सटा दिया।
मैंने भी एक बार में लंड उसकी चूत में उतार दिया और उसे चोदने लगा।

रूपाली- सच में आपके लंड में जादू है. जब भी चूत में घुसता है तो पूरी तरह संतुष्टि करवा के ही बाहर आता है. हर वक़्त एक नयेपन का अहसास होता है जैसे आप से पहली बार चुदवा रही हूँ।
मैं- जान, पति का तो काम ही होता है कि अपनी पत्नी को पूर्ण रूप से संतुष्ट करवाए. फिर चाहे उसकी पत्नी एक बार लंड मांगे या अनेक!

रूपाली- दीदी, मुझे माफ़ कर दो. मैं अपनी वासना को और रोक न सकी. पिछले दो दिन आप इनके लंड का मजा ले रही थी. और मेरी वासना मेरे दिमाग पर प्रबल हावी हो रही थी. तभी आज आपको हटा कर आपकी जगह ले ली।

नीतू- कोई बात नहीं रूपाली, जितना मेरा हक़ है राहुल पर, उससे कहीं ज्यादा तुम्हारा है. आखिर पहली बीवी जो हो उसकी!

मैं रूपाली को उसकी टांगें हवा में उठा कर चोदने में लगा हुआ था।
रूपाली भी हर बार अपनी कमर को उठा कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी।

नीतू रूपाली के सिरहाने बैठकर हमें देख अपनी चूत रगड़ रही थी तो रूपाली ने नीतू को अपने ऊपर आने का न्योता दिया जिसे नीतू ने तुरंत स्वीकार कर लिया।

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रूपाली के ऊपर नीतू 69 की अवस्था में आ गई।
अब नीतू की चूत रूपाली के मुंह के ठीक ऊपर थी और उसका मुंह मेरे मुंह के बेहद करीब था।

मैं रूपाली को दनादन चोदने में लगा हुआ था।
मैंने नीतू का चेहरा दोनों हाथों में पकड़कर अपनी ओर खींचा लिया और उसके होंठ चूमने लगा।
उधर नीतू की चूत की तपिश रूपाली अपने चेहरे पर साफ़ महसूस कर पा रही थी.

इससे पहले नीतू रूपाली से अपनी चूत चाटने को कहती … रूपाली ने खुद ही उसकी कमर को अपने मुंह की ओर झुका लिया और उसकी चूत चाटने लगी।
मैं रूपाली को तेजी से चोदने में लगा हुआ था नीतू भी मेरे चुम्बन में मेरा साथ दे रही थी।

कुछ देर बाद उसने चुम्बन को तोड़ दिया और नीचे झुककर रूपाली की चूत में तेजी से अंदर बाहर होते मेरे लंड को बड़े ध्यान से देखने लगी।
फिर पता नहीं उसके दिमाग में ख्याल आया उसने बाहर आते जाते मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया।

रूपाली के योनिरस से सना हुआ लंड जब भी चूत से बाहर आता तो नीतू उसे चाट लेती।
नीतू लगातार मेरे लंड और रूपाली की चूत से खेल रही थी।

अब मेरे धक्के इतने तेज़ हो गये थे की पूरा बेड चरमराने लगा था।

तभी रूपाली ने नीतू की चूत से मुंह हटा कर चिल्लाते हुए कहा- हाँ, ऐसे ही चोदते रहिए मुझे … अब मैं झड़ने वाली हूँ आह्ह … मम्मीईई … अह्ह्ह … उफ्फ … और जोर से चोदो मुझे अब और देर रुक नहीं पाऊंगी मैं … आअह्ह मैं आई … मैं आई!
कहते हुए रूपाली ने झड़ना शुरू कर दिया।

मैं अभी भी रूपाली को जोर से चोदने में लगा हुआ था.
मुझे मेरे लंड पर रूपाली के रस की नदी महसूस हो रही थी.

तभी नीतू ने मेरे लंड को रूपाली के चूत से निकाल कर अपना मुंह उसकी झड़ती हुई चूत पर रख दिया और चाटने लगी।
रूपाली की कमर ने झटका खाया और ढेर सार रस नीतू के मुंह में उड़ेल दिया।

नीतू ने बहुत सारा रस हलक से नीचे गटक लिया और कुछ बचा हुआ रस उसकी चूत से बह कर बाहर आ गया।
फिर रूपाली की चूत एक के बाद एक कई झटके खाते हुए नीतू को अपना अमृत पिलाने में लगी हुई थी और नीतू भी किसी दासी की तरह रस पीने में व्यस्त थी।

थोड़ी देर बाद पूर्णरूप से संतुष्टि होने के बाद रूपाली एक तरफ लेट गई।

इस वक़्त मेरा लंड इतना ज्यादा तना हुआ था कि लगा अभी लंड फट जायेगा।
मुझे इस वक़्त चूत की सख्त जरूरत थी।

मैंने नीतू की दोनों टांगें पकड़ कर अपने पास खींचा और उसकी चूत को थूक से गीला किया।
फिर मैंने एक बार में ही उसकी चूत में लंड पेल दिया और चोदने लगा।

मैं उसकी चूत को पूरा जोश लगा कर चोदने लगा।
नीतू की चूत खुल तो गई थी लेकिन अभी मेरे लंड की इतनी अभ्यस्त नहीं हुई थी कि मेरे हाहाकारी धक्के झेल पाए।
इसलिये मेरे धक्कों से नीतू की आँखें नम हो गई थी।

इस बार मैं नीतू के दर्द की परवाह किये बगैर उसकी चूत मारने लगा।
सच में ऐसी कसी हुई, लगभग कुंवारी और रसीली चूत कहाँ रोज चोदने को मिलती हैं।
मैं सारा ध्यान उसकी चूत पर केन्द्रित करके उसे चोदने लगा।

नीतू अपनी दोनों टांगों को उठा कर चुदवाते हुए थक गई थी इसलिये मैंने दोनों हाथ उसके पेट पर धर दिए और नीतू को चोदने लगा।

जब भी मेरा लंड उसकी चूत में घुसता तो उसकी चूत बाहर की तरफ उभर आती और बाहर निकालने पर पुनः पहले जैसी हो जाती।

नीतू भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी, जैसा मैं उसे चोदना चाहता वैसा ही नीतू चुदवाने लगती।

थोड़ी देर में एक अवस्था मैं उसे चोदते हुए थक गया तो मैंने जगह बदलने की सोची।

मैंने नीतू को थोड़ा टेढ़ा किया और उसकी एक टांग को कंधे पर रखा तथा दूसरी को अपनी दोनों टांगों के बीच में ले लिया।

एक बार फिर से मैं नीतू को चोदने लगा.

देखते ही देखते हम दोनों पसीने से लथपथ हो गये। उसकी जांघों का पसीना मेरी जाँघों पर लगने लगा।

मैं नीतू को दम लगा कर चोदने में लगा हुआ था, नीतू के मुंह से हर बार हाआआ … उम्म्म … उफ्फ … आईई!’ जैसी आवाजें आने लगी थी।

कुछ देर बाद नीतू की सिसकारियों ने चीखों का रूप ले लिया- हाँ राहुल … और जोर से चोद भोसड़ी के … कचूमर बना दे मेरी चूत का, फाड़ डाल मेरी चूत को!

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मैं उसकी बातों को अनसुना कर बस नीतू को चोदने में लगा रहा.

तभी नीतू ने अपना चूतरस छोड़ना चालू कर दिया।
उसका चूतरस मेरे लंड के सहारे होते हुए मेरे आंडों से टपकने लगा।

नीतू झड़ती रही और मैं उसी तरह उसकी चूत चोदता रहा।
कुछ समय तक नीतू बिना रुके निरंतर झड़ती रही.

पूर्णरूप से झड़ने के बाद नीतू कुछ सुस्त सी बेड पर लेट गई लेकिन अभी मेरा झड़ना बाकी था और मेरा भी समय बहुत करीब आ गया था।

मैंने नीतू से बिना कोई अनुमति मांगे उसे पलट दिया और अपना लंड उसकी गांड में ठोक दिया।

गांड में लंड जाते ही नीतू कुछ कुनमुनाई लेकिन बदहवासी में चूर कुछ कर न सकी, बस लंड के लिए रास्ता ढीला छोड़ दिया।

मैंने उसकी जांधो को पकडकर थोड़ा सा अपने करीब कर लिया और उसकी गांड चोदने लगा।
गांड में लंड सरपट भागे जा रहा था। नीतू बस अपनी गांड में लंड को महसूस कर रही थी।

उधर रूपाली भी हमें देख कर पुनः गर्म होने लगी थी इसलिये रूपाली सरकते हुए नीतू के करीब आयी और उसके होंठ चूमने लगी।

मैं नीतू की गांड का कचूमर अपने लंड से बनाने में लगा हुआ था।
थोड़ी देर बाद रूपाली सरकती हुई नीतू की चूत के पास पहुँच गई।

दोनों लड़कियाँ एक दूसरी की चूत चाटने में लगी हुई थी. दोनों के बदन आपस में रगड़ कर वातावरण को और गर्म बना रहे थे।

जितना रूपाली नीतू की चूत चाटती, नीतू उतनी ही जोर से कामुक चीखें निकालती.
जिसके प्रतिउत्तर में नीतू भी रूपाली की चूत को अपने दांतों से कुतर देती।

दोनों ने एक दूसरे के बदन पर अपनी अपनी अमिट छाप छोड़ दी थी।

इस खेल को शुरू हुए बहुत समय हो गया था और मैं भी अब कभी भी झड़ने वाला था.
इसलिये मैंने नीतू की बालों की चोटी को किसी घोड़ी की लगाम की तरह पकड़ लिया और दनादन उसकी गांड चोदने लगा.

मेरे लंड के हर वार से केवल नीतू के मुंह से चीखें ही निकल रही थी।

मैं जितना जोर से हो सकता था, उतनी ताकत से नीतू की गांड को चौड़ी कर रहा था.
मेरे हर धक्के से नीतू के मुंह से आअह्ह … स्स्स … आआईई … उम्म्म जैसी आवाज आ रही थी।

थोड़ी देर तक मैं नीतू को उसी रफ़्तार से चोदता रहा, फिर मेरे लंड की नसें फूलने लगी।
जो आंड अभी तक तक लटक रहे थे और उसकी चूत से टकराकर पट्ट पट्ट जैसा शोर कर रहे थे वही अब वीर्य से भर कर भारी हो गये थे यानि अब मैं किसी भी पल अपने आनन्द बिंदु को छूने वाला था।

कुछ धक्कों के बाद जैसे ही मेरे लंड ने रस की बूँदें निकालनी शुरू की.
तभी मैंने अपने लंड को नीतू की गांड से निकाला।

रूपाली और नीतू दोनों मेरे लंड के पास बैठ गई.
मैं अपने हाथों से अपने लंड को हिलाने लगा.

अचानक से लंड से वीर्य की एक धार निकली जो रूपाली के चेहरे पर पड़ी.
फिर लंड से एक के बाद एक वीर्य की कई पिचकारियाँ निकली जो दोनों की चूचियों और पेट पर गिरती गई।

देसी गन्दी चुदाई में पूर्ण रूप से स्खलित होने के बाद मैं बेजान हो गया और बेड पर बैठ गया।

प्रथम रूपाली आगे बढ़ी और अपनी जीभ से नीतू के स्तन पर लगे मेरे वीर्य को उठा कर चाट लिया.
फिर अपनी जीभ से नीतू के बदन पर लगे मेरे वीर्य को साफ़ करने लगी।

नीतू ने रूपाली को बेड पर लिटाया और उसके बदन पर लगे वीर्य को साफ़ करने लगी.

दोनों ने एक दूसरे के शरीर पर मेरे वीर्य के एक एक कतरे को चाट चाट कर साफ़ कर दिया।

जिस तरह रसोई में रखा गर्म खाना वक्त के साथ ठण्डा हो गया था उसी तरह वासना से जल रहे तीन जिस्म भी ठण्डे हो गये थे.

इस लंबी चली चुदाई में हम तीनों इतना थक गये थे कि हमारे अंदर अब उठने की भी शक्ति भी नहीं बची थी.
इसलिये हम वहीं बेड पर सो गये।

दोस्तो, इस देसी गन्दी चुदाई कहानी में आपको जरूर आनन्द मिला होगा.
इस कहानी को कुछ दिन बाद मैं और आगे बढ़ाऊँगा.
तब तक आप अपने विचार मुझे भेजते रहें.
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