मौसी की गरम चूत की कहानी में पढ़ें कि रात भर चुदाई के बाद अगले दिन मौसी को फिर से ठरक चढ़ गयी. वो कुछ जुगाड़ करके मुझे बेडरूम में ले गयी और साड़ी उठाकर चुद गयी.
दोस्तो, मैं हर्षद मोटे आपको सरिता भाभी की मौसी सास देविका की चूत चुदाई की कहानी सुना रहा था.
पिछले भाग
दोस्त की मौसी की चूत फाड़ दी
में अब तक आपने पढ़ा था कि देविका मौसी को मैंने सारी रात रगड़ कर चोदा था. मगर मेरा मन नहीं भरा था. सुबह नाश्ते करते समय वो भी गर्म दिख रही थी.
अब आगे मौसी की गरम चूत की कहानी:
सरिता भाभी सोहम को लेकर आ गयी.
वो नींद से जाग गया था.
मैंने भाभी से कहा- भाभी, सोहम को मेरे पास दे दो.
भाभी ने सोहम को मेरे पास दे दिया.
अब वो मुझे अच्छी तरह से घुल मिल गया था. वो मेरी गोदी में बैठकर खेलने लगा.
तभी देविका ने सोहम के गाल की पप्पी ली. उसी समय मैंने अपना एक हाथ देविका की जांघों पर रख दिया और उसकी मांसल जांघें सहलाने लगा.
उसका चेहरा शर्म के मारे लाल हो गया.
फिर हम दोनों ने अपनी चाय खत्म कर दी.
सरिता भाभी ने सबके चाय के कप बटोरने लगीं तो पिताजी बोले- सरिता बेटी, हम लोग जरा गांव में घूम कर आते हैं.
तो सरिता चहक कर बोली- हां ठीक है न पिताजी.
वो सब लोग निकल गए और सरिता भाभी किचन में चली गयी.
मैं और देविका सोहम के साथ में खेलने लग गए.
देविका इसी बहाने से मेरी जांघों पर हाथ रखकर सहलाने लगी.
वो साथ में मेरे लंड को भी छू रही थी.
मैंने भी ना रहते हुए एक हाथ से देविका की साड़ी जांघों तक ऊपर दी और उसकी गोरी, मांसल जांघों को सहलाने लगा.
वो सिहर उठी.
इतने में सरिता भाभी आ गयी और बोली- देवर जी सोहम को भूख लगी होगी और उसे नहलाना भी है. उसे मेरे पास दे दो.
मैंने सोहम को भाभी के पास सौंप दिया और भाभी से कहा- मैं ऊपर जाकर आराम करता हूँ.
भाभी मुस्कुराकर बोली- ठीक है देवर जी तुम दोनों ही आराम कर लो. सारी रात की थकान है.
इतना बोलकर भाभी सोहम को लेकर अन्दर चली गयी.
दस बज चुके थे.
मैं देविका के साथ ऊपर के कमरे में चला गया.
विलास के रूम में जाते ही मैंने अपनी टी-शर्ट और पैंट निकाल दी.
अब सिर्फ सफेद बाक्सर में ही था और बेड पर लेट गया.
देविका भी मेरे साथ लेट गयी उसने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया और अपना एक पैर मेरी कमर पर डाल दिया.
अपने हाथ से मेरे सीने को सहलाती हुई देविका बोली- हर्षद, तुम्हें जिंदगी भर नहीं भूल सकती मैं! तुमने ढेर सारी खुशियां मुझे दी हैं, जो मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी. पहली बार ऐसे मर्द से पाला पड़ा है, जिसने मेरी चूत की आग बुझा दी. ये तुम्हारा मूसल जैसा लंड तो मैं हर बार अपनी चूत में लेना चाहती हूँ. ना जाने … हमारी फिर कभी मुलाकात होगी भी या नहीं. लेकिन तुम्हारे साथ बिताए हर पल के साथ याद करके मैं जी लूंगी.
मैंने देविका की चूचियां सहलाते हुए कहा- ऐसा क्यों कहती हो देविका. जब मैं इधर आऊंगा तो तुमसे जरूर मिलूंगा. और वैसे भी याद आएगी तो फोन पर बातें कर लेना. मैं भी तुम्हें जिंदगी भर नहीं भूल सकता. देविका तुम्हारी जैसी सेक्सी और कसी हुई चूत वाली औरत को पहली बार चोदकर मेरा लंड तुम्हारी चूत का दीवाना हो गया है.
ऐसे ही बाते करते मैं देविका के ब्लाउज के हुक खोलने लगा. फिर उसकी चुचियों को आजाद कर दिया तो वो मेरे सीने पर रगड़ खाने लगीं. एक हाथ से मैं उसकी एक चूची मसलने लगा.
देविका सिहर उठी. उसने मेरे निपल्स को रगड़ना चालू कर दिया, तो मुझे गुदगुदी होने लगी. देविका अपने पैर से मेरे लंड को बाक्सर के ऊपर से सहला रही थी. मेरा लंड फड़फड़ाने लगा था.
ये जानकर देविका ने अपने हाथों से मेरे लंड को मसलना चालू कर दिया.
थोड़ी देर में मेरा लंड पूरे तनाव में आ गया तो ऐसा लगा कि बाक्सर फाड़कर बाहर आ जाएगा.
मैंने एक हाथ से देविका की साड़ी कमर तक उठा दी और उसकी गद्देदार जांघें सहलाने लगा.
देविका ने पैंटी नहीं पहनी थी तो मैंने एक हाथ उसकी चूत पर रख दिया.
देविका सीत्कारने लगी- ओह हर्षद, जल्दी से कुछ करो, अब नहीं सहा जाता.
मैंने देविका से कहा- हां देविका मैं तुम्हारी बैचेनी समझता हूँ. लेकिन थोड़ा सब्र करो.
देविका ने मेरे बाक्सर को नीचे खिसकाकर मेरे लंड को आजाद कर दिया. मेरा लंड आसमान को छू रहा था.
देविका ने पैर से मेरे बाक्सर को निकाल दिया. अब मैं पूरा नंगा था.
देविका मेरे लंड को अपने हाथ से रगड़ने लगी. इससे मैं भी जोश में आ रहा था. मैं देविका की गीली चूत को सहलाने लगा, तो वो जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी.
देविका अपने हाथ से चूत का चुतरस लेकर मेरे लंड पर मलने लगी. ऐसा करके उसने मेरे पूरे लंड को गीला कर दिया.
मैं अपनी उंगलियां देविका की चूत में डालकर रगड़ने लगा.
तो देविका चिल्ला दी- आंह हर्षद मत करो ऐसा … बहुत आग लग रही है चूत में … अब तुम पाना मूसल जल्दी से मेरी चूत में डाल दो … अब मैं नहीं रुक सकती हर्षद!
मैंने उठकर एक तकिया लेकर देविका की गांड के नीचे रख दिया. मैंने उससे कहा- साड़ी निकाल दूँ क्या?
तो उसने कहा- मत निकालो ऐसे ही करो. कोई आ जाएगा तो गड़बड़ हो जाएगी हर्षद.
मैं अपने घुटनों के बल उसकी जांघों के बीच में बैठ गया. मैंने अपने एक हाथ से देविका की चूत की फांकों को दोनों तरफ फैला दिया और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़ कर लंड का सुपारा उसकी फांकों में सैट कर दिया.
फिर एक जोरदार धक्का दिया तो लंड चूत की दीवारों को चीरकर आधे से अधिक अन्दर घुस गया.
देविका जोर से चिल्ला दी तो मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रखकर उसकी आवाज बंद कर दी.
देविका मुझे अपने बांहों में कसकर सिसकारियां लेने लगी- उई मां ऊउफ्फ हूँ हुं आह स् स् स्ह स्ह हर्षद बहुत शैतान हो तुम … इतने जोर से भी कोई पेलता है क्या? मेरी चूत में कितना दर्द हो रहा है.
वो मेरी पीठ को सहलाती हुई बड़बड़ा रही थी.
मैंने उसे चूमते हुए कहा- क्या करूं देविका … तुम्हारी चूत ही ऐसी मस्त है कि मैं अपने लंड को रोक ही नहीं सका. मेरा लंड तेरी कमसिन चूत का दीवाना हो गया है. वो भी चाहता है कि हमेशा तुम्हारी चूत में पड़ा रहे.
देविका बोली- हां हर्षद, मेरी चूत भी यही चाहती है.
ऐसे ही हम दोनों दस मिनट तक बातें करते हुए चुदाई का मजा ले रहे थे.
फिर देविका नीचे से अपनी गांड हिलाकर मेरे लंड को अन्दर लेने की कोशिश करने लगी.
मैं भी अपने घुटनों के बल आ गया और लंड बाहर निकालकर अन्दर डालने लगा.
मैं आहिस्ता आहिस्ता लंड अन्दर डाल रहा था, हर धक्के के साथ और थोड़ा लंड अन्दर डालता जा रहा था.
देविका लंड अन्दर बाहर होते हुए देख रही थी.
ऐसे ही कुछ मिनट चुदाई करते करते मैंने पूरा लंड देविका की चूत में उतार दिया था.
तकिया लगा होने की वजह से देविका की चूत ऊपर उठी हुई थी. इसी वजह से देविका पूरा नजारा अपनी आंखों से देखकर मदहोश हो रही थी.
फिर जैसे ही मेरे लंड का चिकना सुपारा उसके गर्भाशय के मुखपर रगड़ खाने लगा तो देविका कामवासना में पूरी डूब गयी और उसका शरीर अकड़ने लगा.
उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और झड़ गयी. झड़ते समय उसने मुझे कसकर पकड़ रखा था.
मैं अपना सर उसके कंधे पर रखकर उसकी गर्म सिसकारियां महसूस करने लगा, उसके होंठों को चूसने लगा.
ऐसे ही हम कुछ मिनट लेटे रहे.
देविका फिर से अपनी गांड हिलाकर मेरे लंड को अन्दर बाहर करने लगी.
मुझे भी जोश आ गया और मैंने फिर से घुटनों के बल बैठकर पोजीशन ले ली.
मैं पूरा लंड सुपारे तक बाहर निकालकर अन्दर डालने लगा.
इससे देविका की चूत से निकला चूत रस तकिए पर बह रहा था.
मेरा पूरा लंड चूत रस से लबालब हो गया था.
लंड अन्दर बाहर करने से रूम में पचा पच पचाक पचा पच की कामुक आवाजें गूंजने लगी थीं.
कमरे का पूरा माहौल कामवासना से भर गया था.
ऐसे ही मैं अपना लंड सुपारे तक बाहर निकालकर अन्दर डालता रहा.
अब मैंने अपनी गति बढ़ा दी, तो मदहोश कर देने वाली आवाजें भी तेजी से निकलने लगीं- पच पच पचाक पचक पच पच!
देविका सब अपनी आंखों से देख रही थी.
वो वासना में पूरी तरह से मदहोश हो गयी थी और उसके मुँह से गर्म सिसकारियां निकलने लगी थीं.
ऐसे ही कुछ मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मैं चरसीमा पर पहुंचने वाला था.
मैंने देविका से कहा- देविका अब मैं झड़ने वाला हूँ.
तो देविका बोली- हां हर्षद … मैं भी झड़ने वाली हूँ. अब हम दोनों साथ में ही झड़ेंगे.
मैं कुछ जोरदार धक्के मारकर अपनी चरमसीमा पर पहुंच गया और लंड से वीर्य की पिचकारियां देविका की चूत की गहराई में मार दीं.
मेरे गर्म वीर्य की पिचकारियों का अहसास पाते ही उसी समय देविका भी झड़ गयी.
उसने मुझे अपने ऊपर समेट कर अपनी बांहों में मुझे कस लिया और अपने दोनों पैरों को मेरी गांड पर डालकर कस लिया … ताकि लंड का पूरा दबाव चूत पर रहे.
मैं अपना सर उसके कंधे पर रखकर लेटा रहा.
हम दोनों के मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं. हम दोनों थक चुके थे, तो ऐसे ही कुछ मिनट लेटे रहे.
फिर मैं देविका के ऊपर से उठते हुए उसे चूमने लगा.
देविका ने आंखें खोलीं तो वो मुस्कुराकर कहने लगी- हर्षद, बहुत मजा आया. आज तुमने मेरी चूत की आग फिर से शांत कर दी.
ये कहती हुई वो मेरे होंठों को चूसने लगी और उसने अपने पैरों से मुझे जकड़ लिया था.
फिर जब उसने मुझे आजाद किया, तो मैं उठकर उसके बाजू में पीठ के बल लेट गया.
देविका उठकर बैठ गयी तो उसकी गांड के नीचे लगा पूरा तकिया दोनों के कामरस से गंदा हो गया था.
देविका ने तकिया का कवर निकालकर उससे अपनी चूत पौंछकर साफ कर दी और कवर बाथरूम में डालकर वापस आ गयी.
वापस आकर देविका वीर्य से लबालब मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
मैं पुन: सिहर उठा- ओह देविका, क्या मस्त चूस रही हो. बहुत मजा आ रहा है. आह पहली बार कोई मेरा लंड इस तरह मस्ती से चूस रहा है!
मेरी बातें सुनकर देविका और तेजी से लंड चूसने लगी थी, पूरा लंड उसने साफ कर दिया. वीर्य की एक बूंद भी उसने नहीं छोड़ी थी. उसने पूरा वीर्य चाट लिया था.
देविका बोली- सचमुच हर्षद, तुम्हारे वीर्य का स्वाद ही कुछ अलग सा है, जी भरके पीना चाहती हूँ मैं. तुम्हारा लंड भी इतना गोरा है कि मुँह से निकालने को भी दिल नहीं करता. मेरे पति का तो इतना काला लंड है कि चूसने की बात दूर … चूमने को भी दिल नहीं करता.
इतना कहकर देविका साड़ी ऊपर पकड़ कर बाथरूम में अपनी चूत धोने चली गयी.
मैंने उठकर अपना बाक्सर पहन लिया और टी-शर्ट भी पहन ली.
अब मैं सोफे पर बैठ गया था. सामने दीवार घड़ी पर निगाह डाली तो साढ़े ग्यारह बज चुके थे.
इतने में देविका वापस आयी और अपनी साड़ी ठीक करने लगी थी, अपने ब्लाउज के हुक भी लगा दिए.
देविका ने मुझे पानी दिया और खुद भी पीने लगी.
पानी पीकर मेरे साथ ही सोफे पर बैठ गयी.
देविका घड़ी देखकर बोली- बाप रे … इतना समय हो गया है हर्षद. क्या हम एक घंटे से भी ज्यादा समय तक कामक्रीड़ा कर रहे थे? मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है हर्षद. मेरे पति तो दस मिनट में ही झड़ जाकर सो जाते थे. अब अपघात होने के बाद वो भी बंद हो गया है.
देविका मेरी जांघों को सहलाती हुई ये सब बोल रही थी.
मैं मंद मंद मुस्कुरा रहा था.
“सचमुच हर्षद, तुम बहुत शातिर चोदू हो, बिल्कुल शादीशुदा अनुभवी मर्द के जैसे बहुत देर तक चुदाई करते हो. दिल करता है कि हमेशा तुम्हारे पास ही रहूँ हर्षद!”
मैंने अपना एक हाथ उसके गले में डालकर सीधा उसकी चूची पर रखा और सहलाते हुए कहा- देविका, इतनी भी तारीफ मत करो मेरी. तुम भी कुछ कम नहीं हो. बहुत ही सेक्सी फिगर वाली हो तुम. तुमने तो मुझे पहली नजर में ही घायल कर दिया था. मैं पूरा दीवाना हो गया हूँ तुम्हारा!
देविका ने मेरी बातें सुनकर अपना हाथ बाक्सर के ऊपर से ही मेरे लंड पर रख कर उसे सहला दिया.
मेरे लंड में गुदगुदी होने लगी. मैंने देविका को अपने और नजदीक खींचकर उसकी चुचियां ब्लाउज के ऊपर से ही रगड़ने लगा.
देविका भी सिहर उठी और बोली- हर्षद, अब मत सताओ मुझे … नहीं तो फिर से चूत में आग सुलग जाएगी.
ऐसा कहते कहते देविका मेरे लंड को सहलाने लगी तो मेरा लंड भी फड़फड़ाने लगा और तनाव में आने लगा.
मैंने देविका के ब्लाउज के ऊपर के दो हुक खोल दिए और एक चूची अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
देविका ने अपना एक हाथ मेरे सर पर रखकर अपनी चूची पर दबाने लगी.
मैं जोश में आ गया और जोर जोर से चूची चूसने लगा. मैं बारी बारी दोनों चूचियां चूस रहा था तो देविका सिसकारियां लेने लगी.
कामुकता की वजह से देविका के भूरे रंग के निपल्स कड़क हो गए थे. मैं उन्हें चूसते हुए साथ में अपने दांतों से हल्का सा काट भी देता था.
इससे देविका सीत्कारने लगती और मेरा लंड जोर से रगड़ने लगती.
अब तक मेरा लंड पूरा तनाव में आ चुका था.
देविका ने फिर से मेरा बाक्सर नीचे खिसका दिया और मेरे लंड को खुली हवा में आजाद कर दिया.
वो अपने दोनों हाथों से मेरे लंड को सहलाती हुई बोली- हर्षद एक बात कहूँ?
मैंने कहा- हां बोलो देविका.
तो देविका मेरे लंड को सहलाती हुई बोली- हर्षद, तुम्हारी शादी जिस लड़की से होगी, वो बहुत भाग्यशाली होगी. जिसे तुम्हारे जैसा हैंडसम पति मिलेगा … और साथ में इतना गोरा और मूसल जैसा लंड हमेशा हमेशा के लिए उसी का होगा. वो तुम्हारे साथ हमेशा खुश रहेगी.
मैंने देविका को चूमते हुए कहा- क्या देविका … तुम भाग्यशाली नहीं हो? कल पूरी रात हम दोनों नंगे साथ में कामक्रीड़ा कर रहे थे … और अब भी सुबह से साथ में हैं. क्या ये हमारे लिए कम है?
देविका बोली- हां हर्षद, सचमुच मैं भी बहुत भाग्यशाली हूँ, जो तुम्हारे साथ पूरी रात कामवासना में डूबकर अपनी बरसों से प्यासी चूत की प्यास तुमसे बुझायी है … और अभी भी वही कर रही हूँ. इतना मेरे लिए बहुत से भी ज्यादा है हर्षद. मैं पूरी जिंदगी इन्हीं पलों के सहारे जी लूंगी. मैं जिंदगीभर तुम्हें नहीं भूल सकती हर्षद. तुमने ढेर सारी खुशियां मुझे दे दी हैं. बस मेरी और एक तमन्ना पूरी कर दो हर्षद.
मैंने उसकी चुचियां रगड़ते हुए कहा- बोलो देविका, तुम्हारी तमन्ना क्या है? मैं पूरी कर देता हूँ.
दोस्तो, देविका मौसी की कौन सी तमन्ना बाकी थी, उसकी चर्चा मैं मौसी की गरम चूत की कहानी के अगले भाग में करूंगा. आप मुझे मेल करना न भूलें.
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मौसी की गरम चूत की कहानी का अगला भाग: मौसी की चूत में घुसा मेरा लंड- 4