मौसी और अकटारा को चोदा – देसी कहानी

हेलो फ्रेंड्स मई हू अस्साम से अमानूर. मई अस्साम की लखीमपुर मे रहता हू. मेरा घर गाओ मे है. मई एक मिड्ल क्लास फॅमिली से हू. मेरे फॅमिली मेंबर्ज़ 5 है, मा पापा मई मेरा घर का बड़ा बेटा हू. आगे 20 और मेरा छोटा भाई 17 और सबसे छोटा 13 साल का है.

मेरी हाइट ५.११ इंच लुंड ७ इंच. मई दिखने में गोरा हु. कोई भी लड़की देख के प्रोपोज़ करना चाहेगी. अब मई ग्रेजुएशन कम्पलीट कर के घर पे बैठा हु अब स्टोरी पे अत हु.मई बचपन से ही बहुत शरारती था और सबका लाडला था. मई बचपन से नाना का घर में था. तो वह मेरा मां मौसी सब मुझे बहुत प्यार करते थे.

मेरी बड़ी मौसी अक़ीदा २५ साल की है उनका फिगर ३४.३०.३६. और छोटी मौसी अफरोजा २२ साल की फिगर ३४.२८.३४. बचपन में क्या फिगर क्या कुछ पता नहीं था.ये कहानी करीब १० साल पहले की मेरी रियल लाइफ कहानी है नेम्स चेंज्ड है बस.

बचपन में खेल खेल में एक दिन छोटी मौसी ने खेलते टाइम बाथरूम में बुलाया. और मुझे बोलै तुम पेशाब करो मुझे देखना है. मैंने बोलै ठीक है और में पेशाब किया.फिर मौसी ने मेरा नुनु (लुंड) पे हाथ लगाया और कहने लगी तुम्हारा ऐसा क्यों है?मैंने बोलै ऐसा ही तो होता है.तो मौसी ने अपना कैसा निकला और मुझे दिखाया और बोलै ये देखो मेरा ऐसा है. और बोली हाथ लगा के देखो.

मैंने हाथ लगाया और मौसी भी मेरा नुनु (लुंड) पे हाथ रखा और बोलने लगी. ये ऐसा क्यों है?और इतने में एक्टर आ गयी और मौसी ने एक्टर को भी अंदर बुला लिया. फिर उसको भी नंगा होने के लिए बोलै और वो भी नंगी हो गयी.ओह ओह एक्टर की इंट्रोडक्शन देना ही भूल गायम एक्टर मुझसे १ साल बड़ी है.मौसी: एक्टर तू अपना कैसा निकल के दिखा अमन (अमानुर) को और देख उसका कैसा है.

एक्टर ने अपना कैसा उतारते ही उसकी भी छूट निकल आया फिर-मौसी: अमन देखो एक्टर को छूट काली है और मेरी लाल है और थोड़ा इधर उधर की बाते करने लगी.और हम लोग फिर से खेल में लग गए. अगले दिन हम लोग स्कूल से आके फिरसे खेलने के लिए रेडी होने लगे. और मौसी ने बोलै एक्टर को बुला के लाओ.

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उसका घर मौसी का घर से अलग था लेकिन पास मे ही था. तो मैने अकटारा को बुलाने के लिए गया. जाके देखा तो वो अकेली थी घर मे. उसके मा उसके नाना के यहा गयी थी. उसका नाना बीमार था तो अकटारा बोली-

अकटारा: अमन रूको हम यहा खेलते है और तुम्हारा मौसी आ जाएगी.

मे: ठीक है.

अकटारा : चोलो आज एक नया खेल खेलते है.

मे : कॉन्सा खेल?

अकटारा: तुम मेरी छूट पे हाथ से मसालते रहो और मे तुम्हारा नुणु मसालती हू.

मे : ये कैसा खेल है?

अकटारा : तुम्हे मज़ा आएगा और बाद मे आयेज का खेल शुरू होगा धीरे धीरे सब बटौगी.

मे: ठीक है मई मौसी को बुला लेता हू.

अकटारा : नही थोड़ी देर बाद वो आ जाएगी. तुम मेरी छूट हाथ से सहलाओ… और ये कह के मेरा कसा उतार दिया.

पहले तो वो मेरा नुणु सहलाती रही. फिर जब मेरा नुणु (लंड) खड़ा हो गया. तब वो मेरा लंड मूह मे ले लिया. मुझे जैसे करेंट लग गया और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

अकटारा : तुम भी मेरा करो मुझे भी मज़ा आएगा.

मे : च्िी गंदी हो तुम.

अकटारा: खेल का रूल है ये तुम एक बार मूह मे लो, तुम्हे भी मज़ा आएगा… और वो बेड पर जेया कर बैठ गयी.

फिर मैने एक बार उसकी छूट पर जीभ लगाई तो मुझे भी अछा लगा.

अकटारा : अछा लगा ना?

मई : हा अछा लगा लेकिन तुमने ये खेल सीखा कहा से?

मई बाद मे बतौँगी, अभी के लिए तुम बस कंटिन्यू करो और रूको मत.

हम एक दूसरे का साथ मे कर रहे थे. वो मेरा लंड सहला रही थी और मई उसकी छूट पर जीभ फेर रहा था. की इतने मे मौसी आ गयी और हमे चुप के से देखा और अचानक अंदर आ गयी और बोली तुम लोग ये क्या कर रहे हो? तो मैने कहा-

मई : मौसी अकटारा ने एक नया खेल लाया है, बहुत मज़ा आएगा.

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मौसी : च्िी तुम कितने गंदे हो, रूको मई मा को बतौँगी.

मैने मौसी को बहुत रिक्वेस्ट किया की वो नानी को ना बताए.

मौसी : ठीक है लेकिन आयेज से ऐसा गंदा खेल मत खेलना. तो अकटारा ने बोला-

अकटारा: अरे अफ़रजा तुम समझा करो ये ग़मे मे बहुत मज़ा आएगा और तुम एक बार ट्राइ तो करो.

मौसी: ठीक है तू रूल बता.

अकटारा : तुम पहले अपना कसा निकालो और बेड पे बैठो.

मौसी : क्यू?

अकटारा : तुम बैठो तो और ये कह कर उसका कसा निकाल दिया और बैठाया और खुद उसकी छूट चाटने लगी. और मुझे बोला तू अपनी मौसी को तेरा नुणु खिला और मई अपना लंड मौसी के आयेज ले गया और वो मेरा लंड मूह मे ले कर चूसने लगी.

मुझे अब बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था क्यूकी ये मेरे साथ पहली बार हो रहा था. मेरा लंड मौसी के मूह मे था और वो बहुत आचे से मेरे लंड को चूस रही थी.

नीचे बैठी अकटारा मौसी की चूत चाट रही थी और मेरा हाथ अकटारा की छूट पर था. मई उसकी छूट सहला रहा था. इश्स तरह हम तीनो एक दूसरे को मज़ा दे रहे थे.

कुछ देर बाद हम तीनो का पानी निकल गया, फिर-

मौसी : मज़ा तो आया लेकिन किसी को पता चल गया तो मा बहुत मारेगी हम को.

अकटारा : किसी को कहा से पता चलेगा, ये बात हम किसी को नही बताएँगे… फिर मई बोला-

मे : हन मौसी हम किसी को नही कहेंगे और हम ये खेल रोज खेलेंगे.

मौसी : हन ठीक है लेकिन इस ग़मे का और कुछ रूल नही है क्या?

अकटारा : है ना, बाकी का कल खेलते है मज़ा आएगा. कल भी मा नाना के वाहा जाएगी और हम ग़मे कंटिन्यू करेंगे.

फिर हम लोग अपने अपने घर चले गये. मुझे अगले दिन का बहुत ज़्यादा इंतेज़ार था क्यूकी अकटारा कुछ नया रूल बताने वाली थी. और मुझे पता था वो जो भी नया रूल्स बताएगी उसमे हम लोगो को और भी ज़्यादा मज़ा आएगा.

आगे की स्टोरी बाद में बताऊंगा ये कहानी कैसी लगी बताना जरूर कमैंट्स में. [email protected]