प्यासी मामी की चूत चुदाई कर प्यास बुझाई- 1

फॅमिली फक़ स्टोरी मेरी सगी मामी की कहानी है. मेरे मामा का चक्कर शहर में चल रहा था तो वे अपनी पत्नी का ख्याल नहीं रखते थे. मैं उनके घर गया तो …

नमस्कार दोस्तो, कैसे है आप लोग!

मैं अक्सर सेक्स स्टोरी पढ़ता रहता हूं और मेरी ज्यादातर रूचि शादीशुदा औरतों में ही रहती है.
इसलिए आज मैं अभी हाल ही में हुई एक लाजवाब सेक्स कहानी के बारे में सुनाता हूं.

यह मेरी पहली सेक्स कहानी है जो मैं आप सबसे शेयर करने जा रहा हूँ.

मेरा नाम अजय है, मैं कानपुर का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 21 साल है. मैं अभी ग्रेजुएशन कर रहा हूँ.
मेरा कद 6 फुट है और मैं जिम भी जाता हूँ.

जैसा कि मैंने आपको अपनी रूचि बताई कि मुझे शादीशुदा लड़कियां ज्यादा पसन्द आती हैं इसलिए ये फॅमिली फक़ स्टोरी भी मेरी सगी मामी की चुदाई की कहानी है.

मेरी मामी की उम्र करीब 30 साल की होगी. मामी गोरे रंग की हैं और न ज्यादा पतली, न ज्यादा मोटी, एकदम परफेक्ट फिगर की जवान औरत हैं.
उनका एक 4 साल का बेटा भी है.

बात उस टाइम की है जब मेरे नाना नानी के घर उनके बड़े की बेटी की यानि मेरे बड़े मामा की बेटी की शादी होने वाली थी.

मेरा ननिहाल थोड़ा सा गांव जैसे क्षेत्र में है. नाना किसानी करते हैं और बड़े मामा उनका साथ देते हैं. छोटे मामा बाहर शहर में रहकर जॉब करते हैं.

शादी की तैयारी के कारण में मेरी मम्मी ने मुझे नानी के घर जाने को कहा क्योंकि वहां कोई हेल्प के लिए चाहिए था.
इसलिए मैं अगले दिन ही चला गया और शाम तक पहुंच भी गया.

उधर की आबोहवा मुझे बहुत ही मस्त लग रही थी और काफी अच्छा लग रहा था.
वहां के खुले खेत और ठंडी हवा मुझे एक अलग ही मस्ती दे रही थी.

मैं वहां गया तो सबसे मिला.
मैंने छोटी मामी को देखा, वो साड़ी में थीं.
उन्होंने मेरा हालचाल पूछा.

उस वक़्त तक मेरे अन्दर उनके लिए सेक्स जैसी कोई भावना नहीं थी.
मैंने उनसे पूछा- छोटे मामा नजर नहीं रहे हैं मामी?

तो उन्होंने बताया- वो शहर में ही हैं, जल्द ही आ जाएंगे.
फिर मैं नहा धोकर खाना खाने आ गया और खाना खाने के बाद सोने चला गया.

अगले दिन से मैं शादी की तैयारी में लग गया.
ऐसे ही कुछ दिन बीत गए.
शादी का दिन नजदीक रहा था.

एक दिन ज्यादा काम न होने की वजह से मैं घर में ही था.
वो दोपहर का टाइम था.

नाना, नानी, बड़े मामा सब खेत पर गए थे.
बड़ी मामी खाना खा कर सो रही थीं.

जिन दीदी की शादी होने वाली थीं, वो अपने रूम में अपने होने वाले दूल्हे से प्यार मुहब्बत की बातें कर रही थीं.

मैं अकेले बोर हो रहा था, तो सोचा कि क्यों न टिंकू के साथ खेल लूँ.
टिंकू छोटी मामी का लड़का है.

उसके साथ खेलने के लिए मैं मामी के कमरे की ओर जाने लगा.
उनका कमरा ऊपर की मंज़िल पर था.

मैं दरवाजे के पास पंहुचा ही था कि मैंने मामी को फ़ोन पर रोते हुए सुना.
इससे मैं हैरान हो गया कि आखिर क्या बात है.

थोड़ी देर में मुझे पता चल गया वो मामा से बात कर रही हैं.
शायद मामा को आने में कुछ दिन और लग रहे थे.
मामी को ये बात पसंद नहीं आयी.

मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि मामा पिछले 4 महीने से शहर में ही थे. इन चार महीनों में वो दो बार ही घर आए थे.
खैर … मैं वहां रह कर घर के अन्दर की बात जानने लगा था.

मामी से मेरी अच्छी बनती थी, उनसे खूब बातें होती थीं.
उनके लिए कोई था तो मैं, जिससे वो एक दोस्त की तरह थोड़ा बात कर सकती थीं.

फिर दूसरे दिन सब लोग को बाजार कपड़े लेने जाने को हुए.
हम सब एक कार में जाने वाले थे.

सबने शॉपिंग की, उसमें काफी देर हो गयी थी.
खरीदारी से निपटते निपटते शाम हो गयी थी.

हम सब लौट रहे थे.
मामी मेरे बगल में बैठी थीं. कार के अन्दर अंधेरा था.

तभी ड्राइवर ने एक कट मारा, जिस वजह से मामी मेरी तरफ झुक गईं और उनके संतरे जैसा एक चूचा मेरी कोहनी से लग गया.
आह क्या ही बताऊं दोस्तो … मस्त फीलिंग थी.

उस वक़्त मैंने तो नज़रअंदाज़ कर दिया.
वो भी हंस कर बोलीं- ये ड्राइवर भी कैसे गाड़ी चला रहा है.

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फिर थोड़ी देर बाद बातें करते करते उनका हाथ मेरी जांघ पर आ पड़ा.
मैंने इस चीज़ को सामन्य रूप से लिया.

फिर कुछ देर बाद हम सब घर पहुंच गए.
घर आने के बाद मामी अपने रूम में चली गईं और मैं सामान उतरवाने लगा.

रात में सोते वक़्त मैं इस छोटी सी घटना को फिर से याद करने लगा.
मैंने बार बार सोचा.
फिर मैंने अपने कपड़े खोल कर लंड सहलाया और मामी को याद करके मुठ मार दी.

अब मेरा ध्यान मामी की तरफ देखने का नजरिया बदल गया था.
मैं उन्हें दिन दिन भर निहारने लगा था, हमेशा ही उन्हें ढूंढने लगा था और ख्याली पुलाव पकाने लगा था.

शादी का दिन आ गया.
मामा भी आ गए थे. मामी खुश थीं क्योंकि उनके वो आ गए थे.

उस दिन मामी ने बहुत ही सुन्दर लहंगा पहना था. एकदम बवाल लग रही थीं.
मगर ये सब मेरे मामा को कहां दिखता था. मामा ने मामी लिफ्ट नहीं दी तो मैंने ही अपनी आंखें सेंक लीं.

मामा मामी से कुछ भागे भागे से रह रहे थे, बार बार किसी का फ़ोन आता और वो फोन पर बात करने लगते.

शादी हो रही थी, सब कुछ सही चल रहा था.

मामी मेरे सामने आईं.
उन्होंने कहा- अरे अजय, आपने मेरे साथ एक भी फोटो नहीं खिंचवाई, चलो मेरे साथ खिंचवाओ.

मैं मामी के साथ उनके रूम में गया, वहां थोड़ी शांति थी.
वहां मैंने अपने फ़ोन से मामी और अपनी खूब सारी फोटो ले लीं.

मामी तो काफी मूड में थीं, बहुत चिपक कर फोटो खिंचवा रही थीं.
फ़ोटो लेते वक्त उनके भरे हुए चूचे मेरे हाथ से सीने से टच हो रहे थे और कभी हाथ मेरे ऊपर रख कर सेल्फी ले रही थीं.

ऐसे ही रात बीती, शादी हो गयी.
विदाई भी हो गई.

सारे मेहमान भी जाने लगे.

मैं सो गया और दोपहर में उठा.
उठ कर खाना खाया और मामी के रूम की तरफ जाने लगा.

मैंने देखा कि टिंकू एक तरफ खेल रहा था और मामी बेड पर बैठ कर सिसक सिसक कर रो रही थीं.
मैं जल्दी से उनके पास गया और उनसे पूछा- क्या हुआ मामी … आप क्यों रो रही हैं?

उन्होंने थोड़ी देर में बताया- तुम्हारे मामा चले गए. कल ही आए था और आज ही चले गए. ऐसा कौन सा जरूरी काम करते हैं. एक हफ्ता भी मेरे लिए नहीं रुके, मैं क्या करूं?
मैं उनको दिलासा दिलाते हुए चुप करा रहा था.

तभी उन्होंने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया और रोने लगीं.
मैंने उनसे कहा- जरूर कोई इमरजेंसी रही होगी.

फिर उन्होंने जो कहा, मैं सुन कर दंग रह गया.

मामी ने कहा- तुम्हारे मामा का चक्कर चल रहा है. वो जहां काम करते हैं, वहीं कोई लड़की है. उसी से चल रहा है.
मैं क्या बोलता, कुछ देर रुक कर मैं वहां से अपने कमरे में चला गया.

मुझे मामी के लिए बहुत बुरा लग रहा था.
उनके लाइफ में प्यार की बहुत कमी थी.
मैंने उनका दिल बहलाने का सोच लिया और उनसे खुल कर बातें करने लगा.

दोपहर में उनके रूम में टिंकू, वो और मैं सब साथ में थे.
मामी और मैं फ़ोन में लूडो खेल रहे थे.

मैं जीतने लगा, तभी वो मेरा फ़ोन लेकर भागने लगीं.
तो मैं बोला- मामी ये गलत बात है, मैं जीत रहा हूँ.

पर वो मस्ती में रूम में भागने लगीं और मैं उनके पीछे.
टिंकू हम दोनों को देख कर ताली बजा रहा था.

तभी मामी बेड पर चढ़ गईं और मैं भी उनके पीछे आ गया.
वो बेड पर लेट गयीं और फ़ोन को मेरी पहुंच से दूर करने लगीं.

मैं फोन को लेने के चककर में उनसे छीना झपटी करने लगा.
इस वजह से हम दोनों लगभग लिपट चुके थे और हमें कोई होश ही नहीं रह गया था.

तभी अचानक से सब सामान्य हुआ तो देखा कि हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए हैं.

हम दोनों जल्दी से उठे, फिर थोड़ा ड्रामा करते हुए मैंने कहा- ठीक है आप जीत गईं. अब कुछ खिलाओ, मुझे भूख लगी है.
उन्होंने खाना खाने की बात कही और बोलीं- तुम यहीं बैठो, मैं यहीं लाती हूँ.

ऐसा कह कर मामी अपनी साड़ी ठीक करती हुई बाहर चली गईं.

मैं और मामी बहुत ज्यादा घुल मिल गए थे. मैं उनके जाते ही उनके जिस्म के स्पर्श और खुशबू को याद करने लगा. मेरा लंड खड़ा होने लगा था.

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खाना खाकर मैं उधर ही लेट गया.
मामी अपना काम करने बाहर चली गईं.

जब मैं उठा तो शाम हो चुकी थी.
मैं उठ कर छत पर आ गया.

उधर देखा मामी वहीं थीं.

हम दोनों छत पर टहलने लगे थे, बात करने लगे थे.

शाम गहराई तो गांव की लाइट सब तरफ जलने लगी थी.
बड़ा ही खूबसूरत नज़ारा था, दूर आसमान में चाँद उगने लगा था.

हम दोनों बातें कर रहे थे.

मैंने कहा- सच में आज बड़ा बढ़िया मौसम लग रहा है. ऐसे में कॉफ़ी मिल जाती तो मजा आ जाता!
मामी बोलीं- मैं अभी बना लाती हूँ.

वे नीचे गईं और जल्दी से दो मग में कॉफ़ी बना लाईं.
हम दोनों कॉफी पीते हुए बातें कर रहे थे.

उन्होंने मुझे बताया कि अजय आज इतने महीनों में मैं पहली बार इतना खुश हुई हूँ. तुम्हारे मामा तो घर आते नहीं हैं और घर में ऐसा कोई दोस्त नहीं है, जिससे मैं अपने दिल की बात कर सकूँ.
मैंने कहा- अरे मामी, सब ठीक हो जाएगा.

उन्होंने बताया- एक पत्नी के लिए उसका पति सब कुछ होता है, लेकिन मेरी जिंदगी में ये सुख नहीं है. लेकिन तुम आए और तुमने मुझे थोड़ी खुशी दे दी.
ये सब सुन कर मैं भी खुश हुआ.

वो शाम एकदम टाइटैनिक मूवी की तरह थी. सुरीली हवा चल रही थी. हम दोनों नज़ारे देख रहे थे.
मामी बहुत खुश थीं.

तभी उन्होंने मेरी ओर देखा.
मेरी आंखों में मैंने उनकी आंखों में एक प्यास देखी, वो अधूरापन देखा.

उन्होंने मुझे उम्मीद की नज़र से देखा.
मैं उनकी आंखों में खोने लगा.

हम दोनों करीब होने लगे. हम दोनों एक दूसरे में खोने से लगे.

फिर न जाने क्या हुआ कि हम दोनों एक दूसरे की ओर खिंचते चले गए.
मुझे उनकी सांसें महसूस होने लगीं, मेरे शरीर में एक अजीब सी कंपकंपी सी होने लगी.

हम दोनों काफी करीब हो चुके थे. मैंने उनके प्यासे नर्म गुलाबी होंठों पर अपने होंठों को धीरे से रख दिया.
समय रुक सा गया था.

मेरे एक हाथ ने उन्हें कमर से पकड़ रखा था. वो मदहोशी में मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा रही थीं.
दोस्तो वो पल, वो लम्हा बहुत ही हसीन था.

मैं उस लम्हे को कभी हवस की नज़र से नहीं देखूंगा, वो लम्हा कुछ ऐसा था कि एक प्यासे को कुंआ मिल गया हो; एक उम्मीद मिल गयी हो.
मुझे उनसे प्यार होने लगा था.

थोड़ी देर बाद हम दोनों होश में आए.
उन्होंने मुझसे नज़रें नहीं मिलाईं और वहां से कप लेकर जल्दी से नीचे चली गईं.

मैंने भी दूसरी तरफ मुँह कर लिया.
वो चली गयी थीं, मैं उनकी कमी का अहसास करते हुए छत पर टहलता रहा.
काफी देर बाद मैं नीचे गया.

मामी मुझसे शर्मा रही थीं और दूर थीं.
उन्होंने मुझे खाना दिया और मेरी ओर देखा.

मैंने उनको पढ़ा, उनकी आंखें मुझसे कुछ चाह रही थीं.
पर मैंने सर नीचे किया और खाना खाने लगा.
मामी से बहुत देर से बात नहीं हुई थी.

फिर मैं सोने चला गया.
मुझे नींद नहीं आ रही थी.

बहुत टाइम हो गया. रात के एक बज गए थे.
मैं सिर्फ आज के दिन की हुई बातों को ही सोच रहा था और यही हाल शायद उनका भी था.

मैं करवट बदल रहा था मगर नींद नहीं आ रही थी.

थोड़ी देर बाद मेरे फोन की लाइट जली.
मैंने देखा कि मामी का मैसेज आया है.

उसमें लिखा था कि मुझे नींद नहीं आ रही है, अजीब सा लग रहा है. बिल्कुल भी ठीक नहीं लग रहा है. क्या तुम थोड़ी देर के लिए मेरे रूम में आ सकते हो.
मैंने ओके का रिप्लाई दिया और चला गया.

दरवाजा खुला ही था, मैं अन्दर गया.
अन्दर हल्की रोशनी थी. वो बेड पर लेटी थीं.

उन्होंने हल्की आवाज में दरवाजा बंद करने को कहा और मैंने कर दिया.

दोस्तो, मैं समझ तो गया था कि आज मामी की चूत का भोसड़ा बनाने का समय आ गया है.
लेकिन जब तक चूत में लंड नहीं घुस जाता, तब तक कुछ भी कहना ठीक नहीं था.

मैं फॅमिली फक़ स्टोरी के अगले भाग में आपको आगे की घटना बताऊँगा.
तब तक आप कमेंट्स करना न भूलें.

फॅमिली फक़ स्टोरी का अगला भाग: प्यासी मामी की चूत चुदाई कर प्यास बुझाई- 2