अचानक मिली लड़की की सहेली को भी पेला- 3

मैरिड गर्ल हॉट फक़ स्टोरी में पढ़ें कि मेरी चुदाई बडी मुझे अपनी सहेली के घर ले गयी. वहां उसकी सेक्सी सहेली मुझे देख मेरे से चुदाई के लिए तैयार हो गयी.

पाठको, मैं आपका साथ हर्षद आपको नीता की सहेली गीता की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
पिछले भाग
चुदाई की प्यासी लड़की संग सेक्स की शुरुआत
में आपने पढ़ा कि हम दोनों बाल्कनी में रमण कर रहे थे. मैंने गीता की चूत को बिना चोदे झड़ा दिया था और उसकी चूत का रस चाट कर उसकी चूत साफ़ कर दी थी.

अब आगे मैरिड गर्ल हॉट फक़ स्टोरी:

मैंने खड़े होकर गीता की तरफ मुँह किया तो गीता मेरी जांघों को सहलाती हुई बोली- ओह हर्षद बहुत मजा आया. आज पहली बार मेरी चूत को मर्द के हाथ और मुँह का स्पर्श हुआ है. तुम कितने अच्छा चूसते हो हर्षद. मैं बहुत खुश हूँ.

मैंने कहा- गीता अभी तुम्हें और ढेर सारी खुशियां देनी हैं.
गीता बोली- हां हर्षद, मेरी सारी आशाएं अब तुम पर ही लगी हैं.

मैंने झुककर गीता के होंठों चूमा और उसके दोनों गालों को बारी बारी से अपने दांतों से हल्का सा काट लिया.
वो हंस दी.

मैंने अपने एक हाथ में लंड पकड़कर गीता के एक दूध के निप्पल पर गोल गोल घुमाने लगा.
गीता सिहर उठी और मादक सिसकारियां लेकर बोली- हर्षद, अब नहीं सहा जा सकता मुझसे … प्लीज अब अपना ये मोटा लंड डाल दो ना मेरी चूत में … बहुत आग लगी है. अब मत तड़पाओ मुझे.

मैं गीता की तड़प नहीं देख सकता था. साथ ही मुझे भी अपने लंड की आवाज सुनना जरूरी लगने लगा था.

मैंने गीता से कहा- ओके गीता, लेकिन तुम्हें दर्द सहना पड़ेगा. तुम मेरा पहली बार ले रही हो ना!
गीता बोली- मैं सब कुछ सह लूंगी हर्षद!

उसकी बात सुनकर मैंने नीचे से हाथ ले जाकर गीता की गांड के नीचे एक तकिया रख दिया ताकि मैं उसे आसानी से चोद सकूं और गीता को भी सब कुछ साफ़ दिखे.

गीता की चूत उभरकर मेरे सामने मेरे लंड को उकसा रही थी.
मैंने अपने मुँह से ढेर सारा थूक मेरे लंड और गीता की चूत पर टपका दिया, हाथ से मलकर लंड को पूरा लबालब कर दिया.

फिर मैंने अपने एक हाथ में लंड पकड़कर लंड का चिकना सुपारा गीता की गीली चूत पर टिका दिया और ऊपर से नीचे रगड़ने लगा.

गीता ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत की दरार को दोनों तरफ खींच कर चौड़ा कर दिया.

मैंने अपने लंड का सुपारा चूत की दरार में रख दिया और उसकी कमर को दोनों हाथों से कसकर पकड़ रखा था.

मैं अपना लंड आगे पीछे करके चूत में दबाए जा रहा था.
गीता की चूत छोटी सी थी तो उसको दर्द होने लगा था.
वो ‘आह आ हूँ हू आ …’ कर रही थी.

तभी मैंने पूरी ताकत से एक जोर का धक्का मार दिया.
मेरा आधा लंड गीता की चूत की दीवारों को चीरता हुआ चूत में प्रवेश कर चुका था.

गीता जोर से चिल्लाने लगी- उई माँ मर गई रे … आह उन्ह ऊ हाय ओह फाड़ दिया रे … मेरी चूत को … उई माँ मुझे नहीं लेना तुम्हारा लंड हर्षद.
ये सब बोलते हुए गीता हाथ पैर पटकने लगी थी.

मैंने उसकी कमर कसके पकड़ी हुई थी इसलिए वो लंड बाहर नहीं निकाल सकती थी.
इधर इस खींचातानी में लंड अन्दर ही घुसता जा रहा था.

मैंने गीता से कहा- शांत रहो गीता, अब और दर्द नहीं होगा.
गीता ने तेज आवाज करना बंद कर दी मगर उसकी दबी आवाज में ‘उन्ह आंह …’ निकलता रहा.

कुछ पल बाद उसने अपना हाथ नीचे ले जाकर चूत को टटोल कर देखा तो उसके हाथ में खून लगा था.
वो दर्द और ख़ुशी से मिश्रित आवाज में मुझे अपना हाथ दिखाकर बोली- देखो खून निकला है हर्षद.

मैंने कहा- पहली बार इतना बड़ा लंड लेने से ऐसा ही होता है. अब सब ठीक हो जाएगा.

गीता ने ख़ुशी से मुस्कान बिखेर कर अपनी आंखें बंद कर लीं.
मैं उसे चूमते हुए उसके दोनों स्तनों को सहलाने लगा.

मेरे लंड ने चूत में झटके देने शुरू कर दिए थे.
गीता आहें भरने लगी थी.

थोड़ी देर बाद गीता सामान्य हो गयी और आहिस्ता आहिस्ता अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगी.
मैं अब उसके दोनों स्तनों को बारी बारी से चूसने लगा था और साथ में अपना लंड आगे-पीछे कर रहा था.

गीता फिर से गर्म हो गयी थी.
वो अब अपनी आंखें खोलकर चूत में घुसे लंड को देख रही थी.

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साथ ही अपनी गांड ऊपर नीचे करती हुई कहने लगी- हर्षद, तुम्हारा लंड कितना फिट बैठा है मेरी चूत में … बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन मजा भी आ रहा है.

मैंने अपनी पोजीशन में आकर लंड को सुपारे तक बाहर निकाला और मुँह से थूक छोड़ कर फिर से आहिस्ता से अन्दर पेलने लगा.
गीता भी नीचे से अपनी गांड उठाकर लंड अन्दर लेने लगी थी.

अब बचा हुआ लंड मैंने और एक धक्का देकर गीता की चूत की गहाराई में डाल दिया था.

मेरे लंड का मुलायम सुपारा गीता के गर्भाशय के मुख पर रगड़ खा रहा था.

गीता इस अनोखे हॉट फक़ के अहसास को ना सहकर झड़ने लगी.
उसकी चूत ने अपना गर्म लावा मेरे लंड पर छोड़ कर लंड को नहला दिया था.

गीता ने मुझे अपने ऊपर खींचकर अपनी बांहों में कस लिया.
मैं उसके कंधे पर अपना सर रखकर लेटा रहा.

गीता ने मादक सिसकारियां लेते हुए अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को जकड़ लिया था.

थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे.

कुछ देर बाद गीता अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ और गांड को सहलाने लगी और उसने अपनी टांगें मेरी कमर से हटाकर फैला दीं.

वो अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगी.
मैं भी हल्के हल्के से अपना लंड चूत में चलाने लगा.

मैंने अपना सर उठाया और उसके होंठों को चूसने लगा.

गीता भी मेरे होंठ चूसकर बोली- सच में बहुत मजा आ रहा है हर्षद. तुम्हारा लंड अपनी चूत में पाकर, मेरा बरसों पुराना सपना आज पूरा हुआ है. तुम्हारा लंड काफी मोटा और कितना दमदार है. मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी चूत तुम्हारा मूसल जैसा लंड अन्दर ले लेगी. दर्द तो हुआ लेकिन आज पहली बार तुम्हारे लंड ने मेरी चूत को बुरी तरह से रगड़ कर चोदा है. अब तक दो बार मेरी चूत का पानी निकल गया है. लेकिन तुम्हारा लंड अभी तक झड़ा ही नहीं है.

ये सब कहते हुए उसने मेरी गांड की दरार में उंगलियां घुमाना शुरू कर दीं.
वो मेरी गांड के छेद में उंगली से कुरेद कर मुझे उकसा रही थी. वो बोली- अब अपने लंड का अमृत जल्दी से मेरी चूत को पिलाकर उसकी प्यास बुझा दो हर्षद.

मैं अपनी घोड़े जैसी पोजीशन में आ गया और आहिस्ता से अपना लंड सुपारे तक बाहर निकाल कर तेजी से अन्दर डाल दिया.

इससे गीता की चूत में जमा हुआ चुतरस बाहर आने लगा था.
मैंने गीता की चूत पर लंड टिका कर बैठक जमाई और उसके दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में पकड़कर लंड तेज गति से अन्दर बाहर करने लगा.

वह भी अपनी गांड उठा उठाकर लंड चूत में ले रही थी. गीता की चूत भट्टी जैसे गर्म हो गयी थी.

गीता की चूत के रस की वजह से मेरा लंड लबालब हो गया था.
इस वजह से लंड और चूत का मस्त रगड़ युद्ध होने लगा था.

उसकी चूत से ‘फच पच पचक पचा फच …’ की मदभरी आवाजें निकलने लगी थीं.
ये सुमधुर आवाजें बाल्कनी का पूरा माहौल रोमांटिक बना रही थीं.

हम दोनों भी पूरी तरह से कामावासना में डूब कर प्रणयक्रीड़ा करने में जुट गए थे.
मैं जोर जोर से गीता के स्तन दबाते हुए अपना मूसल लंड तेज गति से गीता की चूत में पेल रहा था.

मेरे हर धक्के के साथ मेरी अंडगोटियां गीता की गांड के गीले छेद पर ठोकरें दे रही थीं.
हर धक्के के साथ मेरी जांघें गीता की गोरी जांघों को लाल कर रही थीं.

गीता ये हॉट फक़ पहली बार अनुभव कर रही थी.
उसकी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी.
उसके मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं.

गीता बोली- आंह हर्षद … और जोर से चोदो मेरी चूत को आंह और जोर से … आज पूरी तरह से रगड़ रगड़कर चोदो.

उसकी बातें सुनकर मैं मदहोश हो गया और पूरी ताकत लगाकर जोर जोर से धक्के मारकर चूत चोदने लगा.
बीस मिनट की धुंआधार चुदाई के बाद काम तमाम होने की कगार पर आ गया था.

गीता कसमसा कर बोली- हर्षद, अब मैं झड़ने वाली हूँ.
मैंने कहा- हां गीता, अब मैं भी झड़ने वाला हूँ.

बस इसी तीव्रता में मैंने आठ दस जोर जोर के धक्के मारे और गीता झड़ने लगी.
मैं भी अपनी आंखों को बंद करके पिला पड़ा था.

अपने चरम का सुख लेते हुए दीन दुनिया से बेखबर मैंने लंड से जोर जोर से कुछ धक्के मारे और अपने स्खलन पर आ गया.

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मेरा लंड अपनी वीर्य की ज़बरदस्त तेज पिचकारियां गीता की चूत के अन्दर उसकी बच्चेदानी के मुँह पर मारने लगा.
गीता ने इस सुख को जज्ब करने के लिए अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को जकड़ लिया.
साथ में उसने अपने हाथों से मुझे अपने ऊपर खींचकर कस लिया.

वो अपने मुँह से गर्म गर्म सिसकारियां छोड़ने लगी.
मैं अपना सर उसके कंधे पर रखकर हांफने लगा था.

गीता भी आंखें बंद करके मेरे नीचे लेट कर लम्बी लम्बी सांसें भर रही थी.
उसकी चूत मेरे लंड को निचोड़कर वीर्य की एक एक बूंद पी रही थी.

मेरा लंड उसका अहसास कर रहा था.

हम दोनों थककर ऐसे ही एक दूसरो की बांहों में लेटे रहे.

हमें समय का पता ही नहीं चला था. हमें तब होश आया, जब नीता हमें पुकारती हुई ऊपर आयी.
हम दोनों को इस हाल में देखकर वो मुस्कुराती हुई बोली- तुम दोनों तो छुपे रुस्तम निकले. मुझे छोड़कर अकेले में मजे ले रहे हो.

मैं उठकर खड़ा हो गया.

गीता की चूत से लंड बाहर निकल गया था तो गीता भी उठकर बैठ गयी.
उसकी चूत से ढेर सारा हम दोनों का कामरस तकिए से होकर बेड पर बहने लगा था.

इस बीच नीता ने अपनी नाईटी निकाल कर फैंक दी और नंगी होकर मेरे लंड को बार बार देखकर अपनी चूत को सहला रही थी.

वो मेरे पास आकर नीचे बैठ गयी और मेरा आधा खड़ा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

उधर गीता हमें देखकर नीचे उतरकर बोली- नीता, क्या तुम अकेली ही रस पियोगी? मुझे भी तो इस अमृत का थोड़ा स्वाद ले लेने दो.
नीता बोली- तो आ जाओ ना, किसने मना किया है.

गीता भी कराहते हुए नीचे बैठकर मेरे लंड को अपने जीभ से चाटने लगी- वाह बहुत ही स्वाद भरा, मीठा और गाढ़ा अमृत है हर्षद.

उन दोनों ने मेरे लंड को चाटकर पूरा चिकना बना दिया था.
अब दोनों ही खड़ी हो गईं.

गीता कराहने लगी तो नीता बोली- क्या हुआ गीता?
गीता मुस्कुराती हुई बोली- यार, बहुत दर्द हो रहा है नीता.

नीता ने नीचे बैठकर उसकी चूत को देखा तो बोली- बाप रे ये तो फट गयी है. सूज भी गयी है. और अब पहले से ज्यादा खुल गयी है गीता. मैं तकिए पर लगे खून से ही पहचान गयी थी.
गीता घबरा कर तकिए की तरफ देखने लगी.

नीता बोली- अरे घबराओ मत गीता, थोड़ी देर में ठीक हो जाओगी.
ये कहते हुए उसने तकिया का कवर और बेडशीट निकाल दिया और बोली- अब चलो दोनों बाथरूम में मेरे साथ आओ.

हम तीनों साथ में बाथरूम आ गए.

उधर नीता ने गर्म पानी बाल्टी में छोड़ दिया और गीता को कमोड पर बिठा दिया.

नीता गर्म पानी से गीता की चूत को सेंक देने लगी.
गीता बोली- आह नीता, मुझे बड़ा सुकून मिल रहा है और सेंको नीता.

थोड़ी देर गीता की चूत सेंकने के बाद, नीता मेरे लंड को भी गर्म पानी से सेंकने लगी, तो मेरे लंड को भी सुकून मिलने लगा था.

कुछ देर बाद नीता बोली- अब चलो हम नीचे चलते हैं. खाना तैयार है. मैं तो तुम दोनों को खाने के लिए बुलाने आई थी.

मैंने नीता से कहा- क्या करें मौसम ही ऐसा बन गया था कि हम दोनों भी मजबूर हो गए थे. फिर अंजाने में ये सब हो गया नीता. तुम साथ में होतीं तो और मजा आता.

इस बात पर हम तीनों मुस्कुराने लगे.

नीता बोली- अब चलो, हम तीनों ऐसे ही नंगे रहेंगे और खाना खाएंगे.
हम सब नीचे चले आए.

नीता ने तीनों को खाना परोसा और हम बातें करते करते खाना खाने लगे.

थोड़ी ही देर में हम लोगों का खाना हो गया.
मैं जाकर सोफे पर बैठ गया.
अब रात के दस बजे थे.

गीता और नीता किचन में बर्तन मांज रही थीं. वो दोनों आपस में हल्की आवाज में बातें कर रही थीं.

मुझे नींद आ रही थी तो मैं ऊपर जाकर बेड पर लेट गया.
यह बड़ा सा बेड था, चार लोग आराम से सो सकते थे.

इसके आगे क्या हुआ, ये मैं अगले भाग में लिखूंगा.
जल्द ही आगे की सेक्स कहानी आपके मनोरंजन के लिए लेकर हाजिर हो जाऊंगा.

अब तक की सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, जरूर बताना दोस्तो.
मेल और कमेंट्स करना मत भूलना.
तब तक के लिए नमस्कार.
[email protected]

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