मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग
मकान मालिक ने चुत की प्यास बुझाई-1
में अब तक आपने पढ़ा कि मेरे मकान मालिक ने मुझसे कुछ कहने के लिए कहा और मैं उनकी बात सुनने के लिए उनकी तरफ देखने लगी.
अब आगे:
उन्होंने कहा- देखो मल्लिका मेरी बात का बुरा मत मानना … क्योंकि जो मेरे दिल में है … मैं बस वही कहना चाहता हूं.
मैंने अपने सर को हां में हिला दिया. उन्होंने मेरा हाथ अपने हाथ में लेते हुए बोलना शुरू किया- मैं तुमको पसंद करता हूं.
मैं एकदम से घबरा गई- ये आप कैसी बात कर रहे हैं?
वो- वही … जो मेरे दिल में है … मैं बहुत दिनों से कहना चाहता था … मगर कुछ तो डर था कि तुम क्या कहोगी … और मौका भी नहीं मिल पा रहा था.
मैं- नहीं नहीं ये सब ठीक नहीं है.
वो- क्यों?
मैं- हम दोनों शादीशुदा हैं. हम दोनों का परिवार है … किसी को पता लगा तो जानते हैं न क्या होगा … मैं आपकी बहुत इज़्ज़त करती हूं. मैं आपके बारे में ऐसा नहीं सोच सकती.
वो- क्यों … मुझमें कुछ कमी है क्या?
मैं- नहीं नहीं … ऐसी बात नहीं … पर आप समझो, मैं जो बोल रही हूं.
वो- तुम डरो मत … हम दोनों का रिश्ता बिल्कुल ही किसी के सामने नहीं आएगा … केवल हम दोनों तक ही रहेगा.
उनके इस तरह से बोलने से मैं बिल्कुल हैरान थी. मगर कहीं न कहीं मेरे अन्दर की छिपी हुई मेरी वासना अपना असर दिखा रही थी. उनका इस तरह मेरा हाथ पकड़ना मुझे अन्दर से अच्छा लग रहा था.
उन्होंने एक बार फिर कहा- कुछ तो बोलो?
मैं एकदम शान्त थी. मेरे अन्दर ही अन्दर मेरी वासना ने उनको अपनी सहमति दे दी थी. इस बात को उन्होंने भी अच्छी तरह भांप लिया था.
उन्होंने मेरे हाथों को अपने होंठों से चूम लिया. मैंने अपनी आंख बंद कर लीं और इस तरह वो मेरी पूरी सहमति पा चुके थे.
यह मेरी सहमति थी या मेरी वासना … ये मेरे लिए समझ से परे था.
उन्होंने मेरे चेहरे को ऊपर उठाया और कहा- तुम बहुत सुन्दर हो मल्लिका. तुम्हारे बारे में मुझे काफी कुछ पता है.
मैंने हैरान होकर पूछा- क्या पता है?
वो- तुमने मेरी बीवी से कभी अपनी सेक्स लाइफ के बारे में बताया था?
मैं- हां.
वो- उसी ने मुझे एक दिन बताया था. मैं जानता हूं कि तुमको जो चाहिए, वो मिलता नहीं है और कुछ यही हाल मेरा भी है. मेरी बीवी भी इस चीज़ में मेरा ख्याल नहीं रख पाती. क्या हम दोनों एक दूसरे की जरूरत को पूरा कर सकते हैं.
मेरे पूरे जिस्म में जैसे करंट लग रहा था. मैं कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थी. इसमें शायद मेरी सहमति साफ़ थी.
उन्होंने मेरे दोनों गालों को हाथों में लेकर अपने होंठों को मेरी ओर बढ़ाना शुरू किया. मैंने उनको रोक दिया.
वो- क्या हुआ?
मैं- कुछ नहीं … पर मेरा फ़ोन घर पर ही है … उनका फ़ोन आ सकता है.
वो- ओके … कोई बात नहीं जाओ ले आओ. मैं तुमको तुम्हारी सहमति से ही पाना चाहता हूँ … किसी तरह की जोर जबरदस्ती से मुझे भी बुरा लगेगा.
उनके मुँह से ये बात सुनकर मुझे न जाने क्यों बड़ा अच्छा लगा. तब भी मैं उधर से तुरन्त उठ कर अपने कमरे में आ गई. मैंने फ़ोन लिया और जाने लगी. फिर थोड़ा रुक कर सोचने लगी कि क्या मैं सही कर रही हूं.
फिर मुझे लगा कि अगर मेरी जरूरत पूरी हो रही है, तो इसमें बुराई नहीं और वैसे भी उन्होंने मुझसे मेरी सहमति से सेक्स करना चाहा है. उनकी बस इसी बात से मुझे मेरे दिल में कुछ कुछ होने लगा … और बस मेरे पैर उनकी तरफ चल दिए.
आज मैं पहली बार किसी दूसरे मर्द से चुदने वाली थी. ये मेरी जिंदगी का अलग अनुभव होने वाला था.
मैं उनके घर जैसे ही पहुंची, उन्होंने मुझे अन्दर खींच लिया और दरवाजा बंद करके मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे अपनी ओर खींच लिया. मैंने आंख बंद करके अपने आपको उनको सौंप दिया. उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बेडरूम में चले गए.
बिस्तर के पास ले जाकर मुझे खड़ा कर दिया और मेरे कांपते होंठों पर अपने होंठों को रख दिया.
मेरे जिस्म में कामुक लहर दौड़ गई. मैं अपने आप उनसे लिपट गई. मेरे होंठ अपने आप चलने लगे और उनका साथ देने लगे. उनका एक हाथ मेरी गोरी कमर को सहला रहा था.
अब वो एक हाथ से मेरी साड़ी उतार रहे थे. मैं मदहोश हुए जा रही थी. किसी गैर मर्द के हाथों से इस तरह कपड़े उतरवाने का मजा ही अलग होता है. मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे पहली बार कोई मुझे नंगा करने वाला है. उस वक्त मेरे जिस्म में एक अलग ही मस्ती थी.
कुछ ही देर में मैं केवल चड्डी और ब्रा में उनके सामने थी. उन्होंने भी अपने कपड़े उतारे और मुझे अपने आगोश में ले कर बिस्तर पर लेटा दिया. वो खुद भी मेरे बगल में आ कर लेट गए.
वो मुझे अपनी ओर खींचते हुए मेरे होंठों में किस करने लगे और एक हाथ से मेरी मोटी चिकनी जांघों को सहलाने लगे. उनके ऐसा करने से मेरा रोम रोम खड़ा हो चुका था. वो मेरी जांघों को सहलाते हुए मेरी चड्डी के ऊपर से मेरी गांड को दबाते हुए सहलाने लगे.
अब उनका हाथ मेरी कमर से होता हुआ मेरी पीठ को सहलाने लगा और वो धीरे धीरे मेरी ब्रा का हुक खोलने लगे. कुछ ही पल में मेरी ब्रा मेरे जिस्म से अलग हो गई और मेरे बड़े बड़े गोरे दूध उछल कर उनके सीने से लग गए.
उनके जिस्म की गर्मी पा कर अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था. मैं भी उनसे लिपट गई. हम दोनों का आलिंगन पूरे शवाब में आ चुका था. एक दूसरे को किस करते हुए हम दोनों प्यार की गहराई में उतरते जा रहे थे.
मेरी शर्म अब हवा हो चुकी थी. वासना की अति भूखी, मैं अब अपनी प्यास बुझाने को आतुर हो चुकी थी.
तभी वो झट से मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरे चिकने जिस्म पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी. मेरे गुलाबी निप्पलों को बारी बारी से अपने मुँह में डाल कर मस्ती से चूसने लगे. मेरी तो हालत ख़राब होने लगी. मुँह से मादक सीत्कार अपने आप बाहर निकलने लगी “आआ आअह्ह्ह् ओओह्ह ऊह …”
मैं अपना सर जोर जोर से अलट पलट रही थी.
वो मेरे दोनों दूध बेतहाशा दबाए जा रहे थे. अब उनके दबाने से मुझे दूध में जलन सी होने लगी थी. मेरे दोनों गोरे गोरे दूध लाल पड़ चुके थे. मैं बहुत वासना भरी आवाज में बोली- बस्स करो … जलता है अब.
उन्होंने मेरे मम्मों से अपने हाथ हटा लिए और अपने होंठों को मेरे चेहरे पर लाकर मेरे पूरे चेहरे को जोर जोर से चूमने लगे.
उनकी दाढ़ी की चुभन मेरे गालों में हो रही थी. फिर कुछ ही पल में वो उठकर मेरे पैरों के पास बैठ गए और अपने हाथों से धीरे धीरे मेरी चड्डी नीचे सरकाने लगे.
कुछ ही पल में मेरी फूली हुई चूत उनके सामने थी. मैं शर्मा कर अपने हाथों से चूत को छुपाने लगी.
वो झुक कर अपना चेहरा मेरी चूत के पास ले गए और अपने हाथों से मेरे हाथों को हटाकर चूत को देखने लगे. मेरी फूली हुई चूत उनकी आंखों से चुदने लगी. मेरी चुत पर थोड़े थोड़े बाल थे.
मेरी रस बहाती चुत देख कर वो बोले- अरे जान, तुम्हारी जवानी की कद्र तुम्हारा पति ने की ही नहीं. ऐसी मस्त चूत तो किस्मत वालों को मिलती है. आज से तुम्हारा मैं अच्छी तरह से ध्यान रखूँगा.
ऐसा कहते हुए अपनी जीभ निकाल कर मेरी चूत पर फिराने लगे. चुत पर जीभ का अहसास पाते ही मुझमें तो जैसे तेज़ लहर दौड़ गई. मैंने दोनों हाथों से चादर को जकड़ लिया और अपने आप मेरी गांड हवा में उठ गई. मेरी दोनों जांघें अपने आप खुल कर फैल गईं.
वो भी अपने हाथ से चूत की लाइन को फैला कर जीभ से अन्दर तक चाटने लगे. मेरे दोनों पैर मस्ती में आगे पीछे होने लगे.
इतना मजा मुझे सहन नहीं हुआ और मैं तुरंत ही झड़ गई. मेरी चूत से तेज़ धार पानी का निकल आया. रुक रुक कर चूत से पानी निकलता रहा और उस पानी को बिना किसी शर्म के वो अपनी जीभ से चाटते चले गए.
मेरी चूत अब बहुत चिपचिपी हो चुकी थी. उन्होंने मेरी चड्डी से चुत को साफ़ किया और फिर अपनी चड्डी भी उतार फेंकी. उनका नाग जैसा काला लंड फनफ़ना कर मेरे सामने आ गया. मुझे इस टाइप के लंड की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी.
आज तक तो मैंने बस अपने पति का ही देखा था. पति का लंड मुश्किल से 4-5 इंच का था. मगर ये तो 7 से 8 इंच लम्बा और काफी मोटा था. उसका सुपारा ही इतना मोटा और बड़ा दिख रहा था कि मैंने मन में सोचा … बाप रे ये क्या है … कोई लंड इतना बड़ा भी होता है.
उन्होंने मेरी जांघों को और फैला दिया और लंड के सुपारे को मेरी चूत पर रख दिया. लंड का गर्म अहसास पाकर तो मेरे अन्दर एक अजब सी सनसनी फैल गई.
वो सुपारे को चूत की लकीर पर ऊपर नीचे रगड़ने लगे. मैं बता नहीं सकती, उनका ऐसा करना मेरे लिए कितना सुखद था. वो अहसास बयां नहीं किया जा सकता.
किसी गर्म सरिए के जैसा वो लंड मेरी चूत पर ऊपर नीचे हो रहा था और मैं आंख मूँद कर उसका मजा ले रही थी. मैं चुदाई के लिए अब आतुर हुए जा रही थी. मेरी कमर अब अपने आप ऊपर नीचे होकर लंड को सलाम कर रही थी.
इतना इशारा उनके लिए काफी था. वो तुरन्त मेरे ऊपर आ गए और लंड को चूत में लगा कर मेरे होंठों पर एक जोरदार चुम्मा लेते हुए बोले- डाल दूँ?
मैं वासना भरी आवाज से बोली- हां … हहाहा.
बस उन्होंने अपने लंड को चूत पर लगाना शुरू कर दिया और धीरे धीरे जोर लगाते हुए लंड को मेरी चुत के अन्दर करने लगे. पर उनको ऐसा करने में थोड़ी मुश्किल आ रही थी. मेरी चूत का छेद थोड़ा छोटा था … तो उन्होंने अपनी कमर थोड़ी पीछे की ओर जोर से एक धक्का दे मारा.
इस अचानक धक्के से मैं सहम गई. लंड छेद को चौड़ा करते हुए आधा अन्दर घुस चुका था. मेरे मुँह से चीख निकल गई- ऊऊईईई माँम्म्म … उम्म्ह… अहह… हय… याह…
उन्होंने पूछा- क्या हुआ?
मैं- बहुत दर्द हो रहा है..
वो बोले- थोड़ा सह लो जान … बस हो ही गया.
ऐसा कह कर दूसरे धक्का दे दिया. इस बार उनका पूरा लंड चूत में सैट हो गया. अब उनके चुम्बन मेरे गालों पर शुरू हो गए.
मेरे मुँह से ‘आआअह आआअह आह्ह..’ निकल रहा था.
एक मीठा सा दर्द और इसके साथ जो आनन्द मिल रहा था, शायद दुनिया में वो आनन्द मुझे कहीं और नहीं मिल सकता था.
धीरे धीरे वो लंड को आगे पीछे करने लगे और मेरी चुदाई शुरू हो गई. चुदाई का वो मजा आज से पहले मुझे नहीं मिला था.
मैं भी अपनी कमर हिलाते हुए उनका साथ देने लगी. उनकी स्पीड भी बढ़ती चली गई. चूत से निकल रही एक मदभरी सी आवाज कमरे में फैल रही थी ‘फच फच …’
उनका पूरा लंड मेरी चूत की गहराइयों में उतर रहा था. अब वो चोदते हुए मुझसे बातें भी करने लगे- मजा आ रहा है?
मैं- हां आ रहा है.
वो- कितना?
मैं- बहुत.
वो- और जोर से करूं?
मैं- हां करो नानन..
वो- दर्द तो नहीं होगा?
मैं- नहीं तुम करो और जोर से..
वो- चूत फट जाएगी.
मैं- फट जाने दो.
वो- तुम तो लंड की बड़ी प्यासी लग रही हो?
मैं- हां मैं बहुत प्यासी हूं.
उन्होंने मुझे अपनी दमदार बांहों में जकड़ लिया और पूरी ताकत से मुझे चोदना शुरू कर दिया.
‘आआईई ईईई ऊऊऊ आआअह्ह आआह … मम्मीईई … नहींईई … बसस्स …’
वो- तुम्हारी चूत इतनी टाईट है जान … लगता है … पहली बार चुदाई कर रही हो.
मैं- तुम्हारा भी तो इतना मोटा है.
वो- आज फाड़ ही दूंगा.
मैं- फाड़ दो ना.
वो- पहले क्यों नहीं मिली.
मैं- तुम बोले क्यों नहीं.
वो- अब तो बोल दिया न.
मैं- हां तो चोद लो ना … अब जी भर के पेल लो.
वो- अब तेरी प्यास मैं ही हमेशा बुझाऊंगा.
मैं- हां क्यों नहीं … मैं तैयार हूं.
बस इसी तरह ताबड़तोड़ चुदाई चलती रही और दस मिनट के बाद मेरी चूत ने झड़ना शुरू कर दिया. मेरा गर्म गर्म पानी उनके लंड को नहलाने लगा. इससे उनको और ज्यादा मजा आने लगा और उन्होंने मेरे गालों को दांत से काटना शुरू कर दिया. फिर मेरे अन्दर ही अपना वीर्य भर दिया.
जिंदगी में पहली बार मेरी जवानी ने ऐसी चुदाई का सुख पाया था. मेरा दिल बहुत खुश था. आज मेरे गदराये जिस्म की प्यास बुझी थी.
हम दोनों ऐसे ही नंगे बिस्तर पर लेटे रहे. वो भी मेरी चुदाई से काफी खुश थे. उनको मेरा साथ काफी पसंद आया. मेरे चिकने बदन के तो वो दीवाने हो चुके थे.
कुछ ही देर में उनका लंड एक बार फिर फड़फड़ाने लगा और हम दोनों का आलिंगन फिर शुरू हो गया. इस बार उन्होंने मेरे मुँह की तरफ लंड किया तो मुझे उनके लंड पर प्यार आ गया और मैंने मकान मालिक का लंड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
उनके मुँह से कराह निकलने लगी- आह मल्लिका … यही सुख तो मुझे अपनी बीवी से नहीं मिल पा रहा था.
मैं मदमस्त हो गई और जल्द ही हम दोनों 69 में आ गए. वो मेरी चुत चूस रहे थे और मैं उनका लंड चूस रही थी.
बस कुछ देर के बाद … एक बार फिर से मेरी चुदाई हुई. इस बार भी मैं पूर्ण रूप से सन्तुष्ट हो गई. इसी तरह पूरी रात हम दोनों खुल कर चुदाई का मजा लेते रहे.
दो दिन हम दोनों अकेले रहे और अपनी चुदाई की हर ख्वाइश पूरी कर ली.
उसके बाद आज भी जहां मौका मिल जाता है … हम दोनों एक दूसरे को दिल से खुश करने लगते हैं.
आपको मेरी चुत चुदाई की कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मेरी सेक्स कहानी की लेखिका को मेल करके जरूर लिखिएगा.
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