अपने चोदू को माँ का पति बनवाया-3

कहानी के पिछले भाग
अपने चोदू को माँ का पति बनवाया-2
में आपने पढ़ा कि अमीषा 2-4 बार चुद कर अपनी चूत की कीमत जान गयी थी. उसने अपनी सहेली सुमन को कह दिया कि वो मुफ्त में चूत नहीं चुदवायेगी. तो सुमन ने उसके लिए किसी मालदार पुरुष को फोन लगाया.
अब आगे:

फिर सुमन किसी से फोन पर बात की जो स्पीकर पर ही हुई थी.
सुमन- हेलो!
उधर से- बोलो सुमन?
सुमन- कैसे मिज़ाज हैं आपके?
उधर से- क्या मिज़ाज … बहुत खराब हैं, सब घिसी पिटी मिल रही हैं.
सुमन- अगर नई मिल गई तो क्या दोगे?
उधर से- जो तुम कहोगी। मगर माल बढ़िया होना चाहिए!
सुमन- माल की चिंता ना करो, मेरे से बहुत बढ़िया है.
उधर से- तब ठीक है, कब लाओगी?
सुमन- मैं तो अभी ला सकती हूँ, बोलो?
उधर से- ठीक है, उसे मेरे आफिस में ले लाओ. मेरे पास अपना कमरा है, मैं वहीं सब कुछ कर सकता हूँ.
सुमन- देखो मुझे कुछ नहीं चाहिए, तुम खुद उसे देखकर दे देना। वो नई नई आज से ही हमारे साथ आई है।
उधर से- चिंता ना करो.
सुमन- ठीक है तुम अपनी कार भेज दो कॉलेज से अगले बस स्टॉप पर!

फोन बंद करके वो अमीषा बोली- चलो, आज तुम्हारी चूत की पूरी मालिश करवाती हूं।

जब वो दोनों बस स्टॉप पर पहुँची तो वहाँ पर एक कार उनका इंतजार कर रही थी। सुमन ने आगे बढ़कर कार का दरवाजा खोला और अमीषा को उसमें बैठने का इशारा किया।
10 मिनट में कार किसी आफिर के आगे पहुँच गई। वहाँ पर वो दोनों एक आफिस में पहुंची। अमीषा देखकर हैरान रह गई क्‍योंकि वहां वो ही आदमी था जिसने अमीषा की माँ लीना को चोदा था। जब वो छुप छुपकर चुदाई देखा करती थी।

खैर किसी से कुछ भी कहने का मतलब नहीं था। अमीषा वहाँ उसके लिए बिल्कुल अंजान थी।

सुमन ने उससे अमीषा को मिलवाकर बोला- सर, मैं इनकी बात कर रही थी आपके साथ।
वो अमीषा की तरफ एकटक देखता रहा क्योंकि उसकी शक्ल अपनी माँ से बहुत मिलती जुलती थी। वो कभी भी यह सोच नहीं सकता था कि ये उसी औरत लीना की बेटी है।

जब कुछ देर हो गई तो सुमन ने पूछा- क्या हुआ? कहाँ खो गये हो? हमें अभी वापिस भी जाना है।
“ओह … मैं कुछ सोचने लगा था।” वो आदमी बोला।

फिर उसने अमीषा से पूछा- आप कहाँ रहती हो?
तो उसने जानबूझ कर ग़लत पता बताया और बोली कि उसकी माँ अब इस दुनिया में नहीं है।
यह सुनकर उस आदमी को बहुत बड़ा दिल से बोझ उतर गया।

अब वो चूत और लंड की बात खुलकर करने लगा। अमीषा से बोला- पूरे मज़े दोगी ना मेरे लंड को?
अमीषा ने भी पक्‍की बनकर कहा- क्यों नहीं जी।
उनसे अमीषा को सामने बने कमरे में जाने का इशारा किया। वो भी सुमन को साथ लेकर उस कमरे में चली गई।

वहाँ पर एक बैड बिछा हुआ था और एक सोफा पड़ा था। पीछे पीछे वो आदमी भी कमरे में आ गया और अमीषा को पकड़कर बैड पर डाल लिया और अमीषा के कपड़े उतारने के साथ ही खुद भी नंगा हो गया फिर अमीषा की चूत चाटने लगा।
चिकनी साफ चूत देखकर उसको अंदर बाहर से चाटने में उसे बहुत मज़ा आ रहा था। उसके मटर को वो मुँह से दबा दबाकर चूस रहा था। फिर वो अमीषा के होंठों को दबा दबाकर चूमने लगा और मम्मों और उनके निप्पलों का तो बुरा हाल कर दिया।

अमीषा की आँखों में वो ही सीन आ रहा था जब इसने अपना मूसल लंड उसकी माँ लीना की चूत में पीछे से डाला था। वो जानती थी इसका लंड मोटा और लंबा है।

इस तरह से उसने अमीषा के जिस्म को अच्छी तरह से नोचने के बाद अपना अकड़ा हुआ लंड चूत पर रखकर अंदर कर दिया। वो अमीषा के ऊपर से धक्का मार रहा था और अमीषा भी उसका जवाब नीचे से हर ध्‍क्के पर ऊपर को उछालकर दे रही थी।
वो बोला- क्‍या बात है? तुम तो लगता है चूत की रानी हो। तुम मुझे पहले क्यों नहीं मिली। सुमन क्यों इसको छुपाकर रखा हुआ था? आज तुमने मुझे बहुत खुश कर दिया है। मैं तुम्‍हारा गुलाम बन गया हूँ।
अमीषा ने कहा- सर, किसी दिन पूरी रात के लिए अपने पास रखोगे तो आपको पूरी जन्नत मिल जायेगी।
उसने कहा- मगर पूरी रात नहीं हो सकता क्योंकि मैं उस समय पहले से ही कहीं बुक होता हूँ।
सुमन ने पूछा- वो कौन खुशनसीब है?
तब उसने जवाब दिया- उसका नाम नहीं बता सकता, वो मेरी बॉस है। अगर उसे पता लगा कि मैं किसी और चूत के चक्कर में हूँ तो मेरा बुरा हाल कर देगी।

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सुमन तो नहीं समझ पाई मगर अमीषा पूरी तरह से समझ चुकी कि उसकी माँ के अंडर यह आदमी काम करता है और माँ को खुश करने के लिए उसे रोज़ चोदता है।

जब उसने अमीषा को पूरी तरह से चोद लिया तो उससे पूछा- लंड का पानी अन्‍दर या बाहर कहाँ?
अमीषा ने कहा- जैसे आपको पसंद हो।
इतना सुनते ही उस आदमी ने अमीषा की चूत में पिचकारी छोड़ दी और सीधा बाथरूम चला गया।

तब अमीषा ने सुमन से कहा- यह अभी फिर से मुझे चोदेगा. तुम हमारी एक दो फोटो ले लेना जिसमें हम दोनों का फेस पूरी तरह से नज़र आए और चूत में लंड भी घुसा हुआ दिखता हो। मगर इस तरह से खींचना कि इसको पता ना लगे।
कुछ सोचकर सुमन ने भी अमीषा को सह‍मति दे दी।

जब वो कमरे में वापिस आया तो अमीषा से बोला- आप भी अपनी चूत को पूरी तरह से साफ कर आइए मैं एक बार फिर से इसको चूस चूस कर इसका अमृत पीना चाहता हूँ।
जैसे ही अमीषा अपनी चूत को साफ करके आई, वो अमीषा पर टूट पड़ा और उसकी चूत को चूसने लगा।

उधर अमीषा ने सुमन को इशारा किया तो उसने फोटो भी खींचने शुरू कर दिए। उसने अमीषा की चूत को तब तक मुँह से नहीं छोड़ा जब तक उसका रस नहीं निकल गया। जैसे ही चूत से फव्‍वारा निकलना शुरू हुआ, उसने मुँह को खोलकर सारा का सारा गटक लिया।
तब वो बोला -आज मिला है असली चूत का स्वाद … चूसा और पिया। जानती हो देवताओं और दैत्‍यों ने समुंद्र मंथन करके अमृत निकाला था वैसे ही मैंने भी आज चूत का मंथन करके इसका अमृत निकाला है फिर उसे कैसे वेस्ट कर देता।

अब वो बोला- एक बार अब इसका अपने लंड से और मंथन कर लूँ फिर तुमको मेरी कार जहाँ कहोगी वहाँ छोड़ आयेगी।

अमीषा तो जानती थी कि इसका लंड एक बार फिर से चूत में घुसेगा इसलिए वो तो पहले से ही तैयार थी और सुमन को बोल चुकी थी कि उसको क्या करना है।

दुबारा उसने अमीषा को चोदना शुरू किया तो वो बोली- अब मैं घुटनों के बल होती हूँ, तुम पीछे से मेरी चूत में अपना लंड डालो।
यह सुनकर वो बहुत खुश हुआ और उसने उसी तरह से अमीषा को चोदा जिस तरह से उसकी माँ को चोदा था।

पूरी तरह से चुदने के बाद अमीषा वापिस घर आ गई और अपने फोन पर सुमन द्वारा ली गई फोटो देखने लगी। उन फोटो को अमीषा ने अपने पीसी पर ले लिया और मोबाइल से डिलीट कर दी।
अब वो इस फिराक में थी कि इनको माँ लीना को कैसे दिखाए ताकि वो भी समझ ले कि अमीषा की भी चुत है जिसको लंड चाहिए।

अब नये नये लंडों से चुदना अमीषा का रोज़ का काम हो गया था। मगर जो मज़ा उसको माँ के दोस्त ने दिया था वो किसी और से नहीं मिला. इसलिए उसने सोचा कि अब माँ को अपना पार्ट्नर ही बनाना पड़ेगा।

एक दिन उसने माँ से पूछा- मम्मी अपने घर पर रोज़ यह अंकल किसलिए आते हैं?
तो उसको जवाब मिला- आफिस का काम होता है जो वहाँ पर पूरा नहीं हो पता तो उसी के लिए यहाँ आते हैं।

दो तीन दिन बाद अमीषा ने माँ से कहा- माँ, मुझे अच्छा नहीं लगता कि ये रोज़ रोज़ हमारे घर पर आते हैं. इनसे बोलो ना कि ये आफिस का काम आफिस में खत्‍म किया करें।
लीना ने कहा- ठीक है, कहूँगी।
मगर कैसे कहती उसकी चूत को लंड तो उसी का चाहिए था।

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कुछ दिनों बाद उसने माँ से कहा- आपको पता होना चाहिए कि आपको उसे अपने घर पर बुलाना ठीक नहीं है। आपकी बेटी अब बड़ी हो चुकी है और शादी के लायक है आपको अच्छा नहीं लगता। इस पर उसकी माँ लीना उसको धमकाती हुई बोली- अपनी औकात में रहा करो और बड़ों के बीच में ना बोला करो।
उसने कहा- ठीक है, अब मैं अब से कुछ नहीं कहूँगी मगर आप भी मुझे कुछ नहीं कहेंगी।
यह कहकर वो अपने कमरे में आ गई।

उसको माँ पर बहुत गुस्सा आ रहा था। गुस्से में अमीषा ने जो अपनी चुदाई की फोटो सुमन से खिंचवाई थी वो माँ को मेल कर दी और साथ में लिख दिया कि आप खुद को बहुत होशियार समझती हैं मगर हैं नहीं। आप जिसको घर पर बुलाकर खुल्लमखुला चुदवाती हो, उससे मैं भी चुदवा चुकी हूँ। इसलिए आपको यह फोटो भेज रही हूँ ताकि आपको पता लग जाए कि मैं आपकी सौतन बन चुकी हूँ। उसके लंड का खुमार आप पर कुछ ज़्यादा ही चढा हुआ है। आप को नहीं पता कि वो आपको अपनी ड्यूटी समझकर चोदता है. वरना वो कभी का किसी और चूत के पास जा चुका होता। आपके लिए सही होगा कि अब आप मुझे भी अपनी चुदाई में शामिल कर लो। मैं उसे आपसे दूर नहीं जाने दूँगी।

मेल तो गुस्से में भेजी गई थी। मगर मेल तो मेल ही थी वो उसे उसी वक़्त मिल गई।

जब उसको माँ ने देखा तो वो कुछ भी कहने लायक नहीं बची। उसे पता लग चुका था कि उसका भेद उसकी बेटी तो पता लग चुका है और वो भी उसी राह पर चल पड़ी है जिस पर वो खुद चल रही है।

बहुत सोचकर लीना ने अपनी बेटी को अपने पास बुलाया और कहा- देखो, मैंने तुम्‍हारी मेल देख ली है। मैं तुमसे कुछ नहीं कहूँगी। जो तुमने कहा है वो सब सही है। मगर तुम नहीं जानती कि मैं किन हलातों में इस तरह की बनी हूँ। तुम्हारा बाप जब तुम पेट में थी तभी मुझे छोड़कर किसी और लड़की के साथ चला गया था और फिर उसने कभी मेरी तरफ देखा भी नहीं। उसे तो यह भी नहीं पता कि वो किसी लड़की का बाप भी है। जब जिंदगी की असलियत सामने आती है तो वो झकझोर कर रख देती है। उस समय मेरा कोई भी सहारा नहीं था। मेरी उमर कोई बीस के आसपास थी। तब मुझे जिस आदमी ने सहारा दिया वो कोई 50 साल का था जिसका कोई नहीं था, उसकी बीवी भी उसको जवानी में छोड़कर किसी और के साथ चली गई थी। वो मुझसे बोला कि तुम मेरे साथ रहो और इस पेट में पलते हुए बच्चे को पिता का नाम भी मेरा ही लिखा दो हॉस्पिटल में। मगर यह ना समझना कि मैं तुमसे कोई किसी किस्‍म का फ़ायदा उठाना चाहता हूँ।
उसने मुझे अपना नाम दिया जिससे मैं तुमको भी उसका नाम देकर इज्‍जत से रह पाई। उसने मुझे कभी हाथ भी नहीं लगाया। मगर मैंने ही उसको कुछ दिनों बाद अपना पति मान लिया और उसके साथ पति पत्नी की तरह से रहने लग गई। उसकी जो भी प्रॉपर्टी और चलता हुआ काम था वो सब उसने मेरे नाम कर दिया। जब वो इस दुनिया से गया तो मेरी उमर 35 साल की थी। उस समय मुझे अपनी रात को नींद नहीं आती थी। क्योंकि मेरी जवानी का बुखार मुझ पर चढ़ा करता था। जिस उमर से मैं गुजर रही थी उसमें हर औरत को एक लंड की सख्‍त ज़रूरत होती है वरना वो इधर उधर भागती है। अगर मैं इधर उधर जाती तो मैं पूरी तरह से बदनाम हो जाती इसलिए मैंनें एक आदमी को चुन लिया जो शक्ल सूरत में भी ठीक था और मुझे अच्छी तरह से खुश कर सकता था। मगर मुझे ये नहीं पता था कि वो इतना नीचे भी जा सकता है कि वो इधर उधर भी मुँह मरेगा।

कहानी जारी रहेगी.
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कहानी का अगला भाग: अपने चोदू को माँ का पति बनवाया-4

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