इस कहानी में माँ बेटे का सेक्स है. मेरी विधवा माँ गाँव से मेरे पास रहने आयी. मेरे पास एक ही कमरा था. एक दिन मैंने मां का पेटीकोट ऊपर सरका हुआ देखा.
हैलो भाई लोगो और चुदक्कड़ भाभियो, मैं पंकज आपको आज अपनी माँ बेटे का सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ.
कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपनी मां और अपने बारे में बता देता हूँ.
मेरा नाम पंकज यादव है, उम्र 21 साल है और रंग गोरा है. लंड 7 इंच का काफी मोटा है जो किसी की चुत में भी हाहाकार मचा सकता है.
मेरी मां का नाम शांति है. वो विधवा हैं. मां की उम्र 43 साल है और रंग एकदम दूध सा गोरा है. मां का फिगर साइज 36बी-30-38 का है.
मेरी मां की शादी बहुत ही कम उम्र में हो गई थी. उनकी शादी अपनी उम्र से दुगनी उम्र के आदमी से यानि मेरे पिता से हुई थी.
जब मेरी मां की शादी हुई, मेरे पिता की उम्र उस समय 40 साल थी.
शादी के एक साल के अन्दर ही मेरी बड़ी बहन उमा का जन्म हो गया था.
मेरे पिता जी रोज रात को दारू पीकर आते थे और मेरी मां की चुदाई करते थे.
उसी समय मेरी मां को वापस गर्भाधान हुआ और मेरा जन्म हुआ.
अब पिताजी की तबियत ज्यादा खराब रहने की वजह से वो मां की चुदाई नहीं कर पाते थे.
समय ऐसे ही गुजरता गया और मेरी बहन की शादी भी हो गयी और मैं शहर में एक कारखाने में नौकरी करने लगा.
मैं शहर में किराए के मकान में रहता था. अपनी मेहनत से मैंने बहुत जल्द तरक्की भी कर ली और उसकी कारखाने में मैं सुपरवाइजर बन गया.
इसी बीच पिता जी का भी देहांत हो गया.
अब गांव में मां अकेली ही बची थीं.
गांव में जो हमारी थोड़ी सी जमीन थी, उसे बेच कर मैंने शहर में एक छोटा सा घर ले लिया और मां को भी अपने पास शहर ले आया.
मां पहली बार शहर आयी थीं और उन्हें यहां के रहन-सहन को देख कुछ समझ नहीं आया.
हमारा ये घर बहुत छोटा सा था. इसमें बस एक कमरा, रसोई और शौचालय ही था.
मां के देहाती कपड़े देख कर मैंने मां से कहा- मां आज से आप ये देहाती कपड़े नहीं पहनोगी. मैं आपको बाजार ले जाकर शहर के हिसाब के कुछ अच्छे कपड़े दिला लाऊंगा.
मेरी मां मान गईं और हम दोनों बाजार जाकर वहां से कुछ कपड़े ले आए.
घर में एक ही कमरा था तो वहीं नीचे बिस्तर लगा कर हम दोनों सो जाते थे.
मां मेरे पास ही सोती थीं क्योंकि उनके लिए अभी ये जगह नहीं थी और उन्हें यह सब समझने में समय चाहिए था.
उस रात को मां सिर्फ ब्लाउज़ और पेटीकोट में ही सो रही थीं, मैंने भी सिर्फ बनियान पहनी थी और लुंगी लपेटी हुई थी.
चूंकि मैं पहले से ही शहर में अकेला रहता था तो मुठ मारने की आदत पड़ चुकी थी.
जिस कारण मुझे बिना मुठ मारे नींद ही नहीं आती थी.
जैसे ही मां सो गईं, मैं बिस्तर पर से उठा और बाथरूम जो कि कमरे के सामने ही था, वहां गया.
मैंने मोबाइल में चुदाई की वीडियो चालू कर दी और लंड हिलाने लगा.
कुछ समय में ही मैं अपना माल गिरा कर वापस बिस्तर पर आकर सो गया.
अब तक मेरे मन मैं अपनी मां को लेकर कोई गलत ख्याल नहीं आया था.
दिन ऐसे ही कटते चले जा रहे थे और मां भी शहर में रहना सीख रही थीं.
तभी एक रात जब मुठ मार रहा था तो अचानक मेरी नजर मां पर चली गयी.
मां का पेटीकोट ऊपर को उठा हुआ था. मुझे उनकी नंगी जांघें दिख गईं और मेरा लंड ज्यादा ही कड़क हो गया.
मैंने अभी तक इस तरह की मां बेटे की सेक्स कहानियां और वीडियो को मोबाइल में ही देखी थीं.
मां की मखमली जांघें देख मेरा ईमान डगमगा गया और मां के बारे में गंदे ख्याल पैदा होने लगे.
उस रात से मुझे अपनी मां में एक कामुक औरत दिखने लगी. मां से बात करने का और उन्हें देखने का मेरा सलीका ही बदल गया.
ऐसा होते हुए काफी समय हो गया और मैंने अब तक अपनी मां को अनेक तरह से देख लिया था जो एक जवान लड़के की यौन उत्कंठा को बढ़ाने में काफी था.
फिर मैंने सोचा कि अब तो मां को चोदना ही पड़ेगा. बस मैंने अपनी मां को चोदने का प्लान बनाना चालू कर दिया.
अब मैं घर में बिना लुँगी के ही घूमने लगा, जिससे मां को मेरे लंड की लंबाई पता चल सके.
मेरी मां भी ये सब देख कुछ नहीं बोलती थीं तो मेरी हिम्मत और बढ़ने लगी.
अब तो मैं बाथरूम की जगह बिस्तर पर ही मुठ मारने लगा और सुबह जब मां उठ कर मेरा माल देखतीं, तो मुझसे नज़रें चुरा कर काम करती रहतीं.
मां की चुप्पी भी मुझे आगे बढ़ने की हिम्मत देने लगी.
एक रात जब हम सोये तो मां अपनी गांड को मेरी तरफ करके सो रही थीं.
मैंने भी मौका देख कर अपना मुठ मां की गांड पर ही गिरा दिया.
जब सुबह मां उठीं और उन्होंने ये देखा कि मेरा मुठ उनके पेटीकोट पर गांड की तरफ गिरा हुआ है, तो वो तुरंत बाथरूम में भाग कर चली गईं और बहुत देर बाद ही बाहर निकलीं.
मुझे समझ आने लगा कि मां भी चुदाई चाहती हैं मगर वो लोकलाज और सामाजिक बाध्यताओं की वजह से कह नहीं पा रही हैं.
मैंने उन्हें खोलने का सोच लिया.
रात में जब मां सोईं, तो मैंने अपनी चड्डी उतार अपना मुठ मां के दूध पर गिरा कर अपना लंड मां के हाथों में दे दिया और सो गया.
सुबह मां मेरी ये हरकत देख भी कुछ नहीं बोलीं.
उन्होंने मुझे बस एक मुस्कान दे दी और अपने आपको बाथरूम में जाकर साफ करने लगीं.
मुझे अब पक्का यकीन हो गया था कि मां भी वही चाहती हैं जो मैं चाहता हूँ.
फिर जब शाम को हम खाना खाने साथ में बैठे तो मैंने हिम्मत करके मां से पूछ ही लिया- मां, वो मैं आजकल बहुत थक जाता हूं … इसलिए ही शायद रात में यहीं बिस्तर पर ही मेरा माल निकल गया था, वरना तो मैं ये सब बाथरूम में ही करता हूँ. आपको कल रात का बुरा तो नहीं लगा ना?
मेरी मां शर्माती हुई बोलीं- अरे इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है बेटा, मैंने तो बचपन में तुझे पूरा नंगा देखा है और मैं समझती हूं कि तू अब जवान हो गया है. जवानी में तो ये सब आम बात है. तू चिंता मत कर, मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा.
मां की बातें सुन मुझे हिम्मत मिलने लगी और मैंने आज रात और ज्यादा आगे बढ़ने की सोच ली.
रात में करीब एक बजे मेरी नींद खुली, तो मैंने देखा मां का पेटीकोट ऊपर को उठा था.
ये देख मेरा लंड सलामी देने लगा.
अब तो मुझे आज ही मां को चोदने का मन हो गया था.
मैं मां के पास सरक गया और मां के दूध पर मैंने अपने हाथ रख अपनी आंखें बंद कर लीं.
कुछ देर बाद जब मां ने कोई हरकत नहीं की तो मैं अपने पैर को भी मां के पैरों पर रख उनका पेटीकोट और ऊपर सरकाने लगा.
धीरे धीरे करके मैंने मां का पूरा पेटीकोट ऊपर सरका दिया.
अब मां की चड्डी मुझे साफ़ दिखने लगी थी.
मैं थोड़ा रुका, फिर मैंने वापस अपने हाथों को मां के दूध से हटा कर उनकी जांघों पर रख दिया और उनकी जांघों को मसलने लगा.
मां ने अपनी करवट बदल ली.
ये देख मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं और कुछ देर यूं ही लेटा रहा.
फिर जब मैंने आंखें खोलीं, तो पाया मां अपनी गांड को मेरी तरफ सो रही हैं.
मैंने भी धीरे से मां की गांड पर हाथ फेरना चालू कर दिया और मां की चड्डी को धीरे से उतारने लगा.
अब मैं अपने लंड को मां की गांड कर रगड़ने लगा. तभी मेरी मां थोड़ी पीछे को सरक गईं. इससे मैं समझ गया कि मां सोयी नहीं हैं और ये सब मां को पंसद आ रहा है.
मैंने बिना देरी किए अपने लंड पर थूक लगाया और थोड़ा थूक अपनी उंगलियों पर लेकर मां की चूत पर लगाने लगा.
मां की चूत पर बहुत बाल थे, पर मुझे उस समय कोई फर्क नहीं पड़ रहा था.
मैंने धीरे से अपने लंड को पीछे से ही मां की चूत पर लगा दिया और उसे चूत पर रगड़ने लगा.
मां भी सिसकारियां भरने लगीं.
फिर मैंने अपने एक हाथ से मां के मुँह को पकड़ा ताकि लंड अन्दर जाए तो मां चीख नहीं पाएं.
साथ ही मैंने अपने दूसरे हाथ से लंड को पकड़ा और मां की चूत में डालने लगा.
मेरे लंड का सुपारा जैसे ही चूत के अन्दर गया, मां आगे को सरक गईं.
पर मैं मां को वापस पीछे खींच लंड को अन्दर डालने लगा.
लंड के अन्दर जाते ही मां भी एकदम से मदमस्त हो गईं और कामुक सिसकारियां भरने लगीं.
अब माँ बेटे का सेक्स चालू हो गया.
मां की चूत बहुत गर्म थी और क्योंकि ये मेरी पहली चुदाई थी, इसलिए मैं ज्यादा देर टिक नहीं पाया.
कुछ ही मिनट में मैंने अपने लंड का माल मां की चूत में ही गिरा दिया.
मैं झड़ने के बाद अपने लंड को ऐसे ही मां की चूत में डाले उनसे चिपक कर सो गया.
सुबह जब मैं उठा तो पाया मां बिस्तर पर नहीं थीं.
मैंने अपने लंड को देखा तो वो मुरझाया हुआ था.
तभी मां रसोई से निकलीं और मुझे देख मुस्कुरा दीं.
मैं भी मां को देख समझ गया कि मां को रात में मजा आया था.
मां ने मुझे चाय दी और मेरे पास बैठ गईं. पर हम दोनों में से किसी ने भी रात की कोई बात नहीं की.
मैं भी नहाया धोया और जब मैं काम पर जाने के लिए निकला तो मैंने मां के पास जाकर कहा- मां, मैं जा रहा हूँ.
मां ने मुस्कान दे दी.
ये मुस्कान कुछ अलग थी.
मैं मां से जाने की बोल कर कारखाने चला गया.
शाम को जब मैं घर आया तो मुझे मां आज थोड़ी अलग सी लगीं.
ये शायद मेरी हवस भरी नजरें थीं या वाकयी में मां थोड़ी अलग लग रही थीं, ये मुझे भी नहीं पता था.
मैंने हाथ मुँह धोये और टीवी देखने लगा.
मां भी अपना काम करने लगीं.
फिर जब हम खाना खाने बैठे तो मैंने देखा कि मां ने आज मटन बनाया था.
मैंने मां से पूछा- आज मटन, क्या बात है मां!
मां बोलीं- तू दिन भर इतनी मेहनत करता है तो थक जाता होगा न. इसलिए मैंने सोचा आज तेरे लिए मटन बना दूँ, ताकि तुझसे ताकत बनी रहे और तू जल्दी थके नहीं.
ये बोल मां थोड़ा मुस्कुरा दीं.
तो मैं समझ गया कि मां के कहने का क्या मतलब था.
मां कल रात की मेरी चुदाई की बात कर रही थीं क्योंकि कल मेरा माल जल्दी निकल गया था.
मैंने भी मां से और कुछ नहीं बोला और चुपचाप खाना खाकर, बाहर टहलने निकल गया.
टहलने तो क्या, ये मान लो कि रात की चुदाई के लिए कंडोम लेने चला गया था क्योंकि कल मैंने अपना माल चूत के अन्दर ही गिरा दिया था इसलिए मैं आज कोई खतरा नहीं उठाना चाहता था.
कंडोम लेकर मैं वापस घर आया तो मां ने बिस्तर लगा दिया था और वो टीवी देख रही थीं.
मैंने मां से पूछा- मां आज इतनी जल्दी आपने बिस्तर लगा दिया, आपको नींद आ रही है क्या?
मां बोलीं- नहीं बेटा, वो तो आज मैंने घर का सारा काम बहुत जल्दी ही कर लिया था … तो सोचा बिस्तर भी लगा ही देती हूं.
मैं भी मां के पास जाकर लेट गया और टीवी देखने लगा.
मां ने रात 10 बजे टीवी बंद की और बोलीं- बेटा, आज तो बहुत गर्मी लग रही है.
मैंने बोला- नहीं तो मां, आज का मौसम तो सही है.
मां बोलीं- ठीक है तू बोल रहा है तो मौसम ठीक ही होगा. वैसे मैं तो सोच रही थी कि मुझे इतनी गर्मी लग रही है, तो अपने पेटीकोट को उतार कर सो जाऊं. पर तुझे तो …
ये सुन कर मैं समझ गया और फट से बोल पड़ा- अरे हां मां, अगर आपको गर्मी लग रही है तो उतार दो न … और वैसे भी यहां मेरे और आपके सिवाय है ही कौन!
मां ने अपना पेटीकोट उतार कर वहीं बाजू में रख दिया और मेरी तरफ पीठ करके सो गईं.
आज मैंने अपनी मां को पूरी नंगी करके चोदने का तय कर लिया था.
अपनी सगी विधवा मां की चुत चुदाई की कहानी को अगले भाग में लिखूंगा, आप मेल कीजिएगा.
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माँ बेटे का सेक्स कहानी का अगला भाग: विधवा देहाती मां की चूत चुदाई- 2