मासूम सी माशूका- 1

लव इन बेड स्टोरी में पढ़ें कि मेरी माशूका सात समंदर पार से मुझे मिलने आई थी. पर मैं दिन भर ऑफिस में व्यस्त रहा. रात को उसके पास आया तो …

दो दिन की जेहनी और जिस्मानी मेहनत ने मुझे थका दिया था।
बिस्तर पर लेटा तो जल्द ही नींद के आगोश में चला गया।

रात को दो बजे मेरी आंखें खुलीं तो मैंने दाएं-बाएं नजर दौड़ाई।
कमरे की हल्की मद्धम लाईट में बिस्तर पर थोड़ी सी आड़ी-तिरछी नूर लेटी हुई थी।

स्याह बालों के बीच उसका गोरा चेहरा चमक रहा था।
बंद आंखों में चेहरे पर मासूमियत बिखरी हुई थी।
बाजू फैलाए हुए सीधी लेटी वो किसी दिलकश पेंटिंग जैसी लग रही थी।

उसके सीने का मद्धम उतार-चढ़ाव उसकी गहरी नींद को जाहिर कर रहा था।

मैंने झुक कर उसके चेहरे को चूम लिया और वापस लेट गया।
लव इन बेड … मेरा मन था पर मुझे अच्छा नहीं लगा कि उसकी नींद खराब करता।
कुछ देर उसे देखता रहा फिर आंखें बंद कर सोने की कोशिश करने लगा।

अचानक एक हाथ मेरे हाथों से टकराया।
मैंने झट से आंखें खोलीं।

नूर मेरे चूमने से जाग चुकी थी मगर अब भी आंखें उनींदा सी थी।

मैंने उसका बाजू पकड़ कर हल्का सा खींचा और खुद से लिपटा लिया।
नर्म मुलायम नाजुक सी नूर भी अब नजाकत के साथ मुझसे चिपक गई।

मैंने उसके सुर्ख हो रहे गोरे चेहरे को देखा।
शर्म और लाज ने उसके चेहरे को और ज्यादा दहका दिया था।
कुछ लम्हे पहले उनींदा हुई पलकें अब लरज रहीं थीं।

मैंने उसकी पलकों पर अपने होंठ रख दिये फिर उसके माथे पर होंठ रखे और फिर भरे-भरे गालों को चूमने लगा।
उसका पूरा बदन मुझसे लिपटा हुआ था।

चाहत और लज्जत की एक लहर ने हम दोनों को लपेट लिया।
कशिश की एक क़ुव्वत हमें घेरे हुए थी।
मैंने उसे और जोर से खुद से लिपटा लिया।
साथ ही पूरे चेहरे पर चुम्मियों की बौछार जारी थी जो नूर के चेहरे को गीला किए जा रही थी।

मैं उसके पूरे चेहरे को चूम लेने के बाद गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठों पर आ गया।
उसके पतले सुर्ख होंठों को अपने होंठों में दबाकर चूमने लगा जिससे उसके होंठ और ज्यादा सुर्ख होते जा रहे थे।

मैं उसे खुद में समाए हुए था और हाथ पीछे उसकी कमर पर चल रहे थे।

फिर मैंने पीछे से उसके नरम कूल्हों पर हाथ फिराया तो वो थोड़ी सी आगे को हुई।
मैंने हल्के हाथों से उसके कुल्हों को दबाना शुरू किया और साथ ही उसे अपनी तरफ खींचा।

मेरा लंड भी अंगड़ाई लेता उठने लगा जो आगे से नूर को टच होने लगा।

उसकी नर्म चूचियां मेरे सीने से कुछ ही दूरी पर थीं।

जब वो आगे को होती या मैं बढ़ता तो वो बड़े नर्म अंदाज में मुझे टच होतीं जैसे अपनी मौजूदगी का एहसास दिलवा रही हों।
और मैंने उनकी मौजूदगी महसूस कर ली थी।
उसकी मध्यम आकार की गोल-मटोल सी चूचियां।

और इस फिटिंग वाली कमीज में वो कयामत ढा रहीं थीं।
मैंने उसे बिठाया और उसके हाथ ऊपर करते हुए कमीज उतारने लगा तो वो खुद में सिमटने लगी।

कमीज उतरते ही बेहद सफेद नाजुक सा चमकता हुआ जिस्म मेरे सामने था।
लाल रंग की ब्रा में उसकी चूचियां छिपी हुईं थीं।
सिर्फ ऊपरी हिस्सा और गहरी सी क्लीवेज नजर आई।

मैंने उसकी ब्रा खोलते हुए उसे बैड पर लिटा दिया।

गोरी-चिट्टी चूचियां उठकर सामने आ गईं।
मेरी नजरें उसके चेहरे पर थीं और उसकी चूचियों पर हाथ रख दिए जो सफेद मैदे के पेड़े जैसी लग रहीं थीं।

गुलाबी निप्पल हल्के-हल्के से लरजने लगे और मैं उन्हें चूसने लगा।

चूची का कुछ हिस्सा मेरे मुंह में जा चुका था जिसे मैं बेसब्री से मुंह में लिए हुए चूस रहा था।
नूर मेरे सिर पर हाथ रखे मेरी प्यास मिटने के इंतजार में थी।

अब उसके निप्पल गीले होकर चमकने लगे।
मैं इन्साफ से दोनों चूचियों को बराबर समय दे रहा था।

कुछ देर बाद नजरें उठाकर नूर को देखा तो वो मुझे ही देखे जा रही थी।

उसकी स्याह आंखों में मोहब्बत का समंदर बढ़ता जा रहा था और चमक इससे भी ज्यादा थी।

एक हाथ से मैं बारी-बारी उसकी चूचियों को दबा और चूस रहा था और दूसरा हाथ नीचे ले जाकर उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी नाज़ुक जांघों को दबाने लगा।
नूर की बेचैनी बढ़ती जा रही थी और मेरे निचले हिस्से में भी मीठा सा दर्द हो रहा था।

लंड बाहर आना चाहता था मगर लोअर उसे निकलने नहीं दे रही थी।

नूर की साईड से मैं उसके ऊपर आया और उसके पेट को चूमते हुए नीचे बढ़ा नाजुक कमर के ऊपर एक सुडौल सा पेट जिसके नाभि का एक छोटा सा गड्ढा।
मैं उसके अंदर जीभ घुमाने लगा और साथ ही उसकी टांगें उठा दीं।
मेरे दोनों हाथ उसके दाएं-बाएं थे।

मैं नाभि से नीचे आया और सलवार को पकड़ कर नीचे खिसकाने लगा साथ ही मेरी जीभ भी सफर करती हुई नीचे आई।
जितनी सलवार नीचे हो रही थी उतने ही फासले से जीभ भी नीचे उतर रही थी।

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नूर बेचैन होने लगी तो मैं थोड़ा सा उठा और सलवार नीचे तक खींची और एक टांग उठाकर एक पांयचा निकाला और इसी तरह दूसरी साईड से भी।
उसकी नाज़ुक पिंडलियां और जांघें दमक रही थीं।
बिना बालों की चांदी जैसी रंगत वाली जांघें।

पैंटी भी उतार कर मैं एक हाथ उस की पिंडलीयों पर फेरता हुआ ऊपर आया और वहीं पोजीशन संभाल ली।
उसकी नाजुक सीप जैसी चूत मेरे सामने थी तो मैं अपने दोनों हाथों से उसकी जांघों और कूल्हों को बारी-बारी से दबाने लगा और होंठ उसकी चूत पर रख दिए।

नूर ने एक झटका सा खाया और अपनी दोनों टांगें सीधी करने की कोशिश की।
मैं कुछ देर उसकी चूत को चूमने के बाद फिर ऊपर हुआ और उसके होंठों को चूसते हुए अपनी जीभ उसके मुंह में डालने लगा तो नूर भी मेरी जीभ चूसने लगी।

उधर मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली तो नूर ने सुरीली आवाज में एक सिसकारी भरी और फिर मेरी जीभ को चूसने लगी।

लज्जत की एक लहर उसके नर्म होंठों से निकल कर मेरे बदन में जाने लगी।

मैंने भी अपनी उंगली को हरकत देनी शुरू कर दी।
उसकी चूत हद से ज्यादा टाइट थी।

यहां तक कि उंगली भी बड़ी मुश्किल से अंदर जा रही थी।
मैं उंगली आगे-पीछे करता और नूर की सिसकारियां मेरे कानों में पहुंचतीं।

बहुत ही नरमी से मैं अपनी उंगली को आगे-पीछे कर रहा था और साथ ही अंगूठे से उसकी चूत की क्लिट मसलने लगा।
नूर की टांगें कांपने लगीं और वो हल्के से कमर को भी हिलाने लगी।

मेरी उंगली अंदर एडजस्ट होने लगी तो मैंने दूसरी उंगली भी मिलाकर डाल दी।
नूर की एक तेज आवाज निकली- ऊई … इस्स्स श्स!

अब मैं दूसरी उंगली भी आहिस्ता से आगे-पीछे करते हुए ऊपर नूर की जीभ को चूसने लगा।
उसकी आंखें लाल सी होने लगीं थीं क्योंकि मेरी दोनों उंगलियां अपना काम बखूबी कर रही थीं।

नूर की टांगें लरजने लगी और सिसकारियां बढ़ गईं।
ये गर्म-गर्म सिसकियां मेरे चेहरे पर ही पड़ रही थीं और वक़्त के साथ-साथ बढ़ती भी जा रही थीं।

कुछ देर और हुई कि नूर की टांगों ने एक झटका सा खाया और गर्म-गर्म पानी मेरी उंगलियों को छूता हुआ गुज़रा।
मैं कुछ देर और उंगलियों को हरकत देकर रुक गया।

अब मैं ऊपर होते हुए नूर के बराबर में आया और उसे खुद से चिपका लिया।
मैंने एक हाथ से अपनी लोअर नीचे खिसकाई और दोनों हाथों से उसे नीचे किया।

आगे से उछलता हुआ लंड बाहर आया और नूर की जांघों से टकराया।
नूर ने एकदम मेरी तरफ देखा।
गर्म-गर्म लंड उसे बता चुका था कि अब वो उसके अन्दर जाने वाला है।

लंड बाहर आकर पहले से ज्यादा तनने लगा।
साईड टेबल से मैंने वैसलीन उठाई और एक हाथ से लंड पर मलने लगा।

नूर पलकें पीटती हुई मुझे देख रही थी।

मैंने वैसलीन साईड में रखी और उसकी तरफ ऐसे करवट लेकर लेटा कि मैं आधा उसके ऊपर और आधा बैड पर था।
लंड अपने गीलेपन के साथ उसे छू रहा था।

मैंने ऊपर नूर के चेहरे पर नजर डाली तो वो बेचैन सी नजर आई।
मैं लंड के टोपे को संभलकर उसकी चूत के ऊपर रगड़ रहा था।

उसके साईड में लेटे होने की वजह से लंड बस आधा इंच ही उसके अंदर दाखिल हो पाया।

मैं उसके चेहरे को चूमने लगा और नीचे से थोड़ा और खिसक कर आगे हुआ।

अब टोपे को चूत के ऊपर रखकर दबाव बढ़ाने लगा तो नूर ने टांगें थोड़ी सी फैलाईं और दोनों हाथ मेरे सिर पर रखकर दबाने लगी।
मैंने दबाव बनाए रखा और रगड़ खाता हुआ टोपा अंदर पहुंचा।

नूर की एक हल्की सी चीख निकली।
उसने टांगें नीचे को दबाकर ऊपर उठना चाहा।

मेरा एक हाथ उसकी कमर से नीचे फिरता हुआ कूल्हों तक जाता और फिर वापिस कमर तक आता।

मैं नर्म हाथों से उसके जिस्म को सहलाने लगा।
लंड वहीं रुका हुआ था.

नूर चीख के बाद अब उई, उफ्फ जैसी सुरीली आवाजें निकालने लगी।
मैंने लंड को कुछ देर ऐसे ही रखा और हाथ ऊपर ले जाकर उसकी चूचियां दबाने लगा।

अबकी बार मेरी पकड़ में दबाव ज्यादा था।
मैं उसके निप्पल्स को खींचता हुआ छेड़ने लगा।

नूर की दर्द भरी सिसकारी अब भी जारी थी।
उसकी आंखें पानी से भरी हुई थीं।

वो दर्द बर्दाश्त करने की पूरी कोशिश कर रही थी।

मैं नीचे से तो रुका हुआ था लेकिन ऊपर से छेड़ख़ानी जारी थी।
उसकी चूचियां खिंच-खिंच कर लाल होने लगीं थीं।

कुछ देर बाद मैंने थोड़ा और दबाव दिया तो नूर एक बार फिर पीछे को हटने के लिए हिली और उसके मुंह से फिर एक सुरीली चीख निकली।
उसके चेहरे की सुर्खी बर्दाश्त करते हुए बढ़ती जा रही थी।

उसकी आंखें लगातार मुझे रुकने का इशारा कर रहीं थीं और मैं रुक-रुक कर उसे बहला रहा था।

कुछ देर बाद मैंने हल्का सा दबाव और बढ़ाया तो उसकी आह निकली।
मैं खामोशी से उसके होंठों को चूमता रहा।

उसकी चूचियों को तेजी से मसलते हुए मुझे तीन-चार मिनट हो गए थे तो मैं करवट लिए हुए थोड़ा और आगे आया और अपना लंड नूर की चूत में फंसाता हुआ थोड़ा आगे बढ़ा.

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लेकिन नूर ने फिर मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे रोका- जान बस!
यह दर्द भरी आवाज आई।

नूर की आवाज में दर्द था तो मैंने भी वहीं रुकने का फैसला कर लिया।

कुछ देर रुके रहने के बाद आहिस्ता से लंड बाहर निकालने लगा।
लंड बाहर भी उतनी ही मुश्किल से घिसटता हुआ आया।

मैं टोपे तक बाहर लाकर दुबारा से घुसाने लगा तो वो फिर से इस्स … इस्स … ऊई ऊई! करती हुई हिली।

मैं फिर उतना ही अंदर डालकर वापस निकालने लगा।
मेरा लंड वैसलीन से सना हुआ था और वैसलीन उसकी चूत के ऊपर और नीचे के हिस्से पर भी लग गई थी।

मैंने थोड़ी वैसलीन और लगाई और पोजीशन बदलने लगा।

नूर की टांगों के बीच बैठते हुए मैंने उसकी टांगों को उठाकर उसके सीने पर लगा दिया।
उसके चेहरे पर अभी भी बेचारगी और दर्द दिख रहा था।
अब मैं उसके चेहरे पर झुका और चूमने लगा।

उसके चेहरे को चूमते हुए होंठों पर आया और चूमने लगा।

नूर मेरे सिर पर हाथ रखे सिसक रही थी।

मैंने ऐसे ही चूमते हुए नीचे से लंड को चूत पर टिकाया और आहिस्ता से अंदर की तरफ जोर दिया.
तो नूर थोड़ी सी हिली और मेरे सिर को पकड़कर अपने सीने पर जकड़ने लगी, खुद से लिपटाने लगी।

मैं थोड़ा सा लंड और डालकर हिलाने लगा।
नूर की सिसकारियां चल रहीं थीं और सीना हिल रहा था।

तीन से चार मिनट में ही उसकी बस होने लगी थी।
उसकी सिसकारियां तेज होने लगीं, कराहें बुलंद होने लगीं।

अब मैंने अपनी स्पीड कम कर दी तो नूर ने मुझे प्यार से देखा और चूमने लगी।
मुझे ऐसे ही रुके हुए पांच मिनट हो चुके थे तो मैं थोड़ा सा उठा।

नूर की टांगें उसके सीने से लगी हुई थीं।
मैंने उसे उसी हाल में करवट दे दी।
उसने मुड़ी हुई टांगों के साथ करवट ली तो पीछे से उसकी मुड़ी हुई गोरी गांड और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी।

मैं इसी तरह उसके पीछे से धक्के देने लगा।
नूर की सिसकारियां अब कुछ तेज हो गईं तो मैंने स्पीड बढ़ाने का सोचा और झटके देने की स्पीड थोड़ी और बढ़ा दी।

नूर फिर से कराही- ऊई … इस्स … उफ्फ … आह की सुरीली आवाजें निकालने लगी।
अबकी बार उसकी आवाज में दर्द बहुत ही कम था इसलिए में भी थोड़ा बेफिफ्र हो गया और अपनी स्पीड से झटके लगाता रहा।

अब मैंने हाथ बढ़ाकर नूर की नाजुक सी गोल-मटोल चूचियां पकड़ते हुए स्पीड थोड़ी और तेज कर दी तो नूर की सिसकारियां भी तेज हो गईं- आई … ओई!
सिसकारियों के साथ वो थोड़ी सी टांग उठाती और फिर वापस रख देती।

नूर की बेचैनी बढ़ रही थी … अब वो बस झड़ने ही वाली थी।

उसने हाथ पीछे बढ़ाकर अपने कूल्हों पर जमे मेरे हाथ पर रख दिया तो मैं स्पीड तेज करते हुए लंबे-लंबे झटके देने लगा।

अब नूर कराही और तेज सिसकीयों के साथ झड़ने लगी।
मैं कुछ देर और लंड को हिलाता रहा और फिर उसके बराबर में लेट गया।

नूर को पता था कि मैं अब तक झड़ा नहीं हूं मगर अब इससे ज्यादा करना उसके बस में नहीं था तो वो कुछ देर सांस बराबर करके उठी और मेरे लंड को थामकर अपने हाथ से हिलाने लगी।

वैसलीन के साथ-साथ अब उसकी चूत का पानी भी इस पर लगा हुआ था।
वो काफी देर तक हाथ हिलाती रही, फिर बेबसी से मुझे देखती।
आखिर काफी देर बाद मेरे लंड को रहम आ गया और उसने बारिश बरसाने का फैसला किया।

लंड सीधा ही था और बराबर में नूर बैठी थी कि मैं झड़ा।
पहली छींट काफी ऊपर तक उछल कर नीचे गिरी।

कुछ छींटें बैड पर, कुछ मुझ पर और कुछ नूर पर गिरीं।
नूर ने टिशू से साफ किया और मेरे बराबर में लेट गई।

अगली सुबह वैसे ही रोशन थी।

मेरी आंख खुली तो नूर जागी हुई मेरे जागने का इंतजार कर रही थी।

आंख खोलते ही नजर उसके मुस्कुराहट भरे चेहरे पर पड़ी तो दिल खुशी से झूम उठा।

उसे अपनी तरफ आने का इशारा किया, जिसे वो समझ गई और कुछ करीब आते हुए बोली- यहीं से कहिए क्या बात है।
मैंने कहा- पास तो आओ, कान में बात करनी है।

उसने वहीं खड़ी होकर मुझे उठने का इशारा किया।
मैं जल्दी से उठकर उसकी तरफ बढ़ा और उसे अपनी बांहों में भर लिया।
उसके गालों पर चूमा तो नूर का चेहरा शर्म से लाल हो गया।
वो खुद को छुड़वाने लगी तो मैं एक और चुम्मा देता हुआ बाथरूम की तरफ बढ़ गया।

आज उसने जाना था तो रो-रो कर अपनी आंखें लाल कर लीं।
मैंने किसी तरह उसे समझाया-बुझाया और एअरपोर्ट छोड़ आया।

इस हफ्ते फिर आ रही है वो … वो भी पूरे पन्द्रह दिन के लिए!

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इससे आगे की कहानी: मासूम सी माशूका- 2