नई मकान मालकिन की भूखी चूत चोदने मिली

लैंड लेडी सेक्स कहानी मेरे नए रूम की तलाकशुदा मकानमालकिन के साथ सेक्स की है. मैं उनकी मदद करता रहता था तो उनसे दोस्ती हो गयी थी. एक दिन उन्होंने मुझे मुठ मारते देखा.

नमस्कार दोस्तो, मैं राज शर्मा अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूं. इसकी सेक्स कहानियां पढ़कर मैं कितनी ही औरतों लड़कियों और अपनी सगी चाची, मामी और बुआ को चोद चुका हूं.

आप सभी ने मेरी कहानियां पढ़ी भी हैं और अपने प्यार भरे मेल व कमेंट भी किए हैं.
मेरी पिछली कहानी थी: मेरी मौसी मेरे सामने नंगी हो गई

आज की सेक्स कहानी मेरी और मेरी नई मकान मालकिन की चुदाई पर आधारित है.

दोस्तो, मैं गुड़गांव में किराए से रहता था. लॉकडाउन के बाद मैंने वहां से कमरा बदल दिया.

अब मैंने जहां नया कमरा लिया, वहां की मालकिन एक तलाकशुदा औरत थी.
ये उसी लैंड लेडी सेक्स कहानी है.

अब मैं पहले मकान मालकिन से आपका परिचय करवा देता हूं.
मेरी नई मकान मालकिन एक 36 साल की महिला थीं. उनका नाम ललिता यादव था.
उनके पति से उनका तलाक हो चुका था और भाभी को अपने पति से एक बेटा बेटी थी.

बेटा पति के साथ … और बेटी ललिता भाभी के साथ रहती थी.
मुझे इस नई बिल्डिंग में रहते हुए दो महीने हो चुके थे और सब कुछ सामान्य चल रहा था.

एक दिन मैं अपने रूम में आराम कर रहा था, तभी मेरी मकान मालकिन कमरे में आ गईं.
वो बोलीं- राज जल्दी मेरे साथ चलो.
मैं उठा और उनके पीछे चल दिया.

उनकी बूढ़ी मम्मी की तबियत अचानक बिगड़ गई थी.
उन्होंने मुझसे अपने साथ हॉस्पिटल चलने को कहा.
मैं स्थिति देखकर उन्हें मना नहीं कर पाया.

हॉस्पिटल पहुंच कर भाभी की मम्मी को एडमिट किया.
फिर डॉक्टर ने चैक करके बताया कि उन्हें कुछ दिन भर्ती करना पड़ेगा.

ललिता भाभी मुझसे बोलने लगीं- मेरी बहन का लड़का परसों आ जाएगा, प्लीज़ तुम दो दिन अस्पताल में रात को रूक जाना.
मैंने कहा- ठीक है.

मैं रात को वहीं रुक गया और उन्हें घर भेज दिया.
दो दिन बाद उनकी मम्मी की तबीयत ठीक हो गई तो फिर उन्हें घर ले आए.

भाभी ने बहन के लड़के को आने के लिए मना कर दिया.
इससे भाभी मुझे बड़ा स्नेह देने लगीं और मेरा रोज ललिता भाभी के घर में आना जाना हो गया.

अब वो अक्सर मुझे खाने के लिए बोल देतीं.
धीरे धीरे उनकी बेटी दिव्या से भी मेरी दोस्ती हो गई.
अम्मा की तबीयत धीरे धीरे ठीक होने लगी थी.

एक दिन रात को मैं अपने कमरे में लेटा अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ रहा था और नंगा लेटा अपने लंड को सहला रहा था.

मैंने ध्यान ही नहीं दिया कि कब मेरी मकान मालकिन ललिता भाभी कमरे में आ गईं.
वो चुपचाप खड़ी खड़ी मेरे लंड को देख रही थीं.

मैं मोबाइल में सेक्स कहानी पढ़ते हुए अपना लंड सहला रहा था.

तभी एकदम से मेरी उन पर नजर पड़ी, तो मेरे चेहरे का रंग उतर गया.
मैंने जल्दी से अपने ऊपर चादर डाल ली.
अब मुझे बहुत शर्म आ रही थी.

तभी ललिता भाभी मेरे पास आकर बोलीं- राज, तुम ये सब क्यों करते हो?
मैं चुप था.

फिर ललिता भाभी हंस कर बोलीं- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैंने धीमे से कहा- नहीं है भाभी, तभी तो अपना हिलाकर ही काम चला रहा हूं.

वो हंस पड़ीं. मेरा साहस बढ़ गया.

मैंने भाभी से कहा- भाभी, आपका भी तो मन करता होगा, आप भी तो जवान हो और कितनी खूबसूरत हो.

ललिता भाभी मेरी बात सुनकर एकदम से उदास हो गईं और बोलीं- मेरी जिंदगी तो बेकार हो गई है.
ये कहते हुए वो मेरे बिस्तर पर बैठ गईं.

मैंने उनकी तरफ खिसकते हुए कहा- आप ऐसा क्यों बोलती हो? आप तो बहुत अच्छी हो, जिसने आपको छोड़ा, किस्मत तो उसकी खराब है.
उन्होंने बताया कि मेरा पति मुझ पर बहुत शक करता था और रात में शराब पीकर मुझे मारता पीटता भी था.

मैंने उनके कंधे पर अपना हाथ रखकर उनको तसल्ली देते हुए कहा- आपने बहुत अच्छा किया, जो उसे छोड़ दिया. आप जैसी बीवी तो किस्मत वालों को मिलती है.

ललिता भाभी रोने लगीं. उनका सर मेरे तरफ झुकने लगा था.

मैंने मौके की नजाकत को देखते हुए अपने कंधे में उनका सर रख लिया और उन्हें चुप कराते हुए उनकी पीठ पर हाथ फेरने लगा.
ललिता भाभी को ये सब बहुत अच्छा लग रहा था और वो मेरे सीने से चिपक कर रोने लगीं.

भाभी- राज तुम कितने अच्छे हो, तुमने मेरी कितनी मदद की है.
अब मैंने ललिता भाभी की पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा- अरे भाभी, यह तो मेरा फ़र्ज़ था.

वो मेरे पास लेटने सी लगी थीं.
मैंने भी ललिता भाभी को अपने बाजू में लिटा लिया और उन्हें किस करने लगा.

थोड़ी देर बाद अचानक से ललिता भाभी ने मुझे धक्का देकर अलग कर दिया और बोलीं- राज, ये तुम क्या कर रहे हो? ये सब ग़लत है. मैं शादीशुदा हूं और मेरे दो बच्चे हैं.
मैंने कहा- कुछ ग़लत नहीं है भाभी. आपकी भी तो जरूरतें हैं, क्या आपका मन नहीं करता.

मैं फिर से उन्हें किस करने लगा और ब्लाउज के ऊपर से ही ललिता भाभी की चूचियों को मसलने लगा.
वो अनचाहा विरोध करने लगीं और मैं धीरे धीरे उनके ऊपर आकर होंठों को चूसने लगा.

अब ललिता भाभी की सांसें गर्म होने लगीं और वो बोलने लगीं- राज नहीं नहीं, मैंने 7 साल से खुद को रोक कर रखा है.
मैंने उनकी बातों को अनसुना करते हुए उनके ब्लाउज के बटन खोल दिए और ब्लाउज के दोनों सामने अलग अलग कर दिए.

अब मेरे सामने भाभी की बिना ब्रा की बड़ी बड़ी चूचियां खुल गई थीं.
मैं एक दूध को मुँह में लेकर चूसने लगा.

कुछ ही पलों में ललिता भाभी गर्म हो चुकी थीं.
उन्होंने मेरे कान में कहा- राज दरवाजा खुला है.

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मैं उठकर दरवाजा बंद करके बिस्तर पर आ गया और मैंने भाभी की साड़ी पेटीकोट को उतार दिया.
उन्होंने पैंटी भी नहीं पहनी थी.

अब हम दोनों नंगे हो चुके थे.

ललिता भाभी की बड़ी बड़ी चूचियां गजब लग रही थीं.
चूत में बालों के गुच्छे थे, जिन्हें न जाने कब से साफ नहीं किया था.

ललिता भाभी मेरे लौड़े को सहलाने लगीं और बोलीं- राज आज पूरे 7 साल बाद मेरे हाथ में लंड आया है.
मैंने कहा- अब इसका स्वाद लेने को तैयार हो जाओ.

मैं अपना लंड भाभी के मुँह में घुसा कर धक्का लगाने लगा.
ललिता भाभी मेरे लंड को बड़े मजे से चूस रही थीं.

मैं भी धक्के मारकर अन्दर बाहर करने लगा था.
वो मेरे लंड को गपागप गपागप लॉलीपॉप के जैसे चूस रही थीं.

शायद वो सात साल की कसर एक बार में ही निकालने में लगी हुई थीं.

अब मैंने ललिता भाभी को बिस्तर पर लिटा दिया और उनके होंठों को चूसने लगा.
भाभी की चूचियों को मसलने लगा.

ललिता भाभी बोलने लगीं- राज अब और न तड़पा … जल्दी से अपना लौड़ा मेरी प्यासी चूत में घुसा दे.
मैंने लंड को चूत पर रखकर जोर से धक्का लगा दिया.

ललिता भाभी चिल्लाने लगीं- ऊईई मर गई … उईई आंह साले धीरे पेल न … आंह मर गई मम्मी बचाओ.
सात साल से लंड नहीं लेने से ललिता भाभी की चूत नई लड़की की जैसी टाइट हो चुकी थी.

मैंने अपने लौड़े को रोक दिया और भाभी की चूचियों को चूसने लगा.

कुछ देर में ललिता भाभी को थोड़ी राहत मिली तो वो मेरी पीठ में हाथ फेरने लगीं.

मैंने एक धक्का और लगाया, मेरा पूरा लंड सनसनाता हुआ भाभी की भूखी चूत के अन्दर तक चला गया.

ललिता भाभी फिर से चिल्ला दीं- ऊई साले … धीरे चोद न मेरी चूत सिकुड़ गई है.

मैंने कहा- थोड़ा सब्र करो भाभी, अभी चूत फ़ैल जाएगी.
मैं बिना भाभी के दर्द की परवाह किए उन्हें जल्दी जल्दी चोदने लगा और लंड अन्दर बाहर करने लगा.

मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैं किसी 20 साल की नई लड़की को चोद रहा हूं.
भाभी ‘आहह हह आ हहह …’ करती रहीं और मैं अपनी रफ़्तार बढ़ा कर चोदने लगा.

धीरे धीरे ललिता भाभी को भी मज़ा आने लगा और वो मस्ती ने बोलने लगीं- आह आह आहह राज … और चोदो मुझे … आहह आहह … कितना अच्छा लग रहा है.
उनकी टांगें फ़ैल गई थीं और चूत ने रसीला पदार्थ छोड़ दिया था जिससे मेरा लंड सटासट भाभी की चूत में चलने लगा था.

अब मैं और मस्ती से भाभी की चूत चोदने लगा.
ललिता भाभी भी नीचे से अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगीं.

फिर कुछ देर बाद मैंने ललिता भाभी को घोड़ी बनाया और पीछे से लंड पेल कर चूत चोदने लगा.
अब वो भी अपनी गांड आगे पीछे करके मस्ती से चुदाई में भरपूर साथ देने लगी थीं.

मैं उनकी चूचियों को मसलने लगा, किस करने लगा और धक्के लगाने लगा.

ललिता भाभी भी मेरे हर धक्के का जबाव देने लगी थीं.
भाभी की चूत ने जल्दी ही पानी छोड़ दिया.
चूत में गीलापन हो जाने मेरा लंड फच्च फच्च फच्च फच्च की आवाज करके जल्दी जल्दी अन्दर बाहर होने लगा था.

मैंने ललिता भाभी को बिस्तर पर लिटा दिया और अपना लंड उनके मुँह में घुसा दिया.
भाभी गपागप गपागप लंड चूसने लगी थीं.

वो बोलीं- राज, इतने साल बाद किसी लंड से चुदकर मेरी चूत ने पानी छोड़ा है.
मैंने इशारा किया कि अब लंड को भी पानी निकाल लेने दो.

ललिता भाभी तुरंत मेरे लौड़े पर बैठ गईं.
उनकी रसभरी चूत में मेरा लंड आराम से अन्दर चला गया और भाभी ‘आह … आहह …’ करके उछलने लगीं.
मैं भी नीचे से धक्के लगाने लगा.

कुछ ही देर में ललिता भाभी अपनी गांड को मस्ती से लौड़े पर पटकने लगीं और कहने लगीं- आहहह आहहह … राज कितना अन्दर तक जा रहा है, सच में मेरी प्यास बुझ गई है.
भाभी मेरी तरफ झुक कर अपनी चूचियां चूसने की कहने लगीं.

मैं भाभी की दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसने लगा.
उनकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और लंड पर चूत रगड़ कर मजा ले रही थीं.

अब हम दोनों ही एक दूसरे को मस्ती से चोदने लगे थे और चूमने लगे थे.

कुछ देर बाद भाभी थक गईं और मुझसे कहने लगीं- बस अब मुझसे नहीं होगा.
मैंने फिर से ललिता भाभी को बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी टांगों को फैला कर चोदने लगा.

इस बार मेरा लंड सीधा बच्चादानी तक जाने लगा था तो ललिता भाभी ऊईईई ऊईई आहहह आहहह करने लगी थीं.

मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और सटासट लंड अन्दर बाहर करने लगा.
हम दोनों चरम पर आने लगे थे, इससे हमारी वासना भरी सिसकारियां निकलने लगी थीं.

हम दोनों बड़ी बेताबी से एक-दूसरे को चूमने लगे और जमाने भर की सुधबुध खोकर संभोग में लीन हो गए.
तभी हम दोनों का सैलाब फूट पड़ा और हमने एक साथ पानी छोड़ दिया.

हम दोनों ऐसे ही कुछ मिनट तक चिपके रहे.

मैंने मोबाइल में देखा तो रात के एक बज चुके थे.

तभी ललिता भाभी रोने लगीं.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोलीं- कुछ नहीं राज, ये तो खुशी के आंसू हैं.
मैंने उन्हें सीने से लगा लिया.

ललिता भाभी बोलीं- राज अब मैं नीचे जा रही हूं.
मैंने उन्हें पकड़ लिया और बोला- बस अभी से मुझे छोड़कर जाने लगीं.

वो बोलीं- हां यार, अभी मुझे जाने दो, बहुत देर हो गई है.
मैंने कहा- दिव्या और अम्मा तो सो गई होंगी, तुम यहीं रूक जाओ न भाभी.

वो बोलीं- नहीं यार किसी ने देख लिया तो मेरी बदनामी हो जाएगी.
मैंने नकली गुस्से से कहा- ठीक है जाओ और अब आने की कोई जरूरत नहीं.

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ललिता भाभी मेरे पास आकर बोलीं- तुम गुस्सा क्यों हो गए यार.
मैंने कहा- मैं गुस्सा नहीं हूं. ठीक है तुम घर जाओ, रात हो गई है.

ललिता भाभी ने साड़ी पहनी और जाने लगीं.
फिर मेरा मायूस चेहरा देखकर मेरे पास आकर बोलीं- बोलो जाऊं?
मैंने कहा- मैं कौन होता हूं रोकने वाला?
ललिता भाभी हंसने लगीं और बोलीं- अच्छा जी.

फिर वो बोलीं- ठीक है, मैं सुबह 4 बजे चली जाऊंगी ओके.
इतना कहते ही मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और होंठों को चूसने लगा, उनकी दोनों चूचियों को मसलने लगा और ब्लाउज खोल दिया.

ललिता भाभी ने साड़ी पेटीकोट उतार दिया और मुझे किस करने लगीं.
वो मेरे लौड़े को माहिर खिलाड़ी की तरह चूसने लगीं.

अब ललिता भाभी फिर से अपने रंग में आ चुकी थीं.
जो ललिता भाभी कुछ देर पहले नई लड़की लग रही थीं, अब वो एक परिपक्व औरत के रूप में आ चुकी थीं. वो बड़े ही प्यार से लंड को चूस रही थीं.

मैंने ललिता भाभी को बिस्तर पर लिटा दिया और ऊपर आकर चोदने लगा.
वो ‘आहह आह हहह और जोर से और ज़ोर से …’ चिल्ला चिल्ला कर मस्ती में चुदवा रही थीं.

अब मुझे चुदाई में भरपूर मजा आ रहा था और ललिता भाभी पूरी तरह से साथ दे रही थी.
मैं अपनी पूरी रफ्तार से ललिता भाभी को चोदने लगा और लंड अन्दर बाहर करने लगा.

फिर मैंने ललिता भाभी को घोड़ी बनाया और चोदने लगा.
वो भी अपनी गांड आगे पीछे करके मस्ती से चुदाई करवाने लगीं.

मैं भाभी की चूचियों को दबाने लगा और गर्दन पर चुम्बन करने लगा.
वो आहह आहह करके तेजी से अपनी गांड आगे पीछे करके मस्ती से लंड ले रही थीं.

उनकी गांड पर मेरे अंडकोष लगने से थप थप की आवाज़ तेज हो गई थी और कमरे में चुदाई की आवाज गूंजने लगी थीं.
फिर मैंने भाभी को लंड पर बैठने को कहा.

वो लंड चूत में सैट करके बैठ गईं और मजे से अपनी गांड पटकने लगीं.
मैं भाभी की चूचियों को मसलने लगा और वो गांड रगड़ कर लंड को अन्दर तक लेने लगीं.

कुछ ही देर में हम दोनों जोश में आ चुके थे.
ललिता भाभी चिल्लाने लगीं- आंह राज … और तेज चोद … आंह और तेज पेलो … आह राज कितना मजा आ रहा है आह.

भाभी चिल्ला चिल्ला कर अपनी चूत में लंड लेने लगी थीं.
उस वक्त तो मुझे ऐसा लग रहा था कि ललिता भाभी मुझे चोद रही थीं.

तभी ललिता भाभी की सिसकारियां तेज़ होने लगीं और वो जल्दी जल्दी उछलने लगीं.
मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार तेज़ कर दी.

अगले कुछ धक्कों में ललिता भाभी की चूत ने रसधारा छोड़ दी और लंड गीला हो गया.
चूत का पानी धीरे-धीरे बहने लगा.

मैंने भाभी को उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी एक टांग उठा कर चोदना शुरू कर दिया.

मेरा लंड सटासट सटासट अन्दर बाहर होने लगा.
मैं भाभी के ऊपर झुक कर उन्हें चूमने लगा.
मेरे एक हाथ में ललिता भाभी का पैर था और दूसरे हाथ में चूची थी.

ललिता भाभी आंख बंद करके आहहह आहहह करके अपनी कमर हिला रही थीं और मैं तेजी तेज धक्के लगाने में लगा था.

फिर मैंने ललिता भाभी की टांग बिस्तर पर रख दिया और उनको सीधा लिटा दिया.
मैं भाभी के ऊपर चढ़कर चोदने लगा. मैं भाभी के होंठों को चूसने लगा, वो भी चूसने लगीं.

मेरा लंड फूल गया था और सनसनाता हुआ अन्दर बाहर चलने लगा था.
हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे.

मेरे हर धक्के का जबाव ललिता भाभी अपनी कमर उठा उठा कर दे रही थीं.
हम दोनों पूरी मस्ती में चुदाई का मज़ा ले रहे थे.

मैं चरम पर आता हुआ महसूस करने लगा था.
मैंने अपनी पूरी रफ्तार से ललिता भाभी की चुदाई शुरू कर दी और तेज़ी से सटासट अन्दर बाहर करके चोदने लगा.

वो भी पूरी मस्ती में आ गई थीं और कहने लगी थीं- आह राज और तेज चोदो मुझे … और तेज चोदो.

पूरे कमरे में थप थप थप थप थप की आवाज़ आ रही थी.
मैं भूल चुका था कि मैं अपनी मकान मालकिन को चोद रहा हूं.

पागलों के जैसे मैं भाभी की दोनों चूचियों को मसलने लगा और बोलने लगा- ले साली, आज तेरी चूत का भुर्ता बना दूंगा.

मैं भाभी के होंठों को काटने लगा और लंड को झटके से पूरा अन्दर तक पेलने लगा.

अब ललिता भाभी दर्द से कराहते हुए बोलने लगीं- उई राज … लगती है … थोड़ी धीरे मसलो.
लेकिन मैं अब कुछ नहीं सुनना चाहता था और लैंड लेडी सेक्स करने में लगा रहा.

तभी ललिता भाभी की चीख निकल पड़ी और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
मेरा लंड गीली चूत में फच्च फच्च करने लगा और बच्चादानी तक जाने लगा.

मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और फच्च फच्च फच्च करके चोदने लगा, उससे चूत का पानी बाहर आने लगा.
धीरे धीरे मेरा लंड भी अकड़ने लगा और लंड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी.

ललिता भाभी की चूत भर गई और मैं उनके ऊपर लेट गया.
कुछ देर एक दूसरे को चूमते रहे और फिर दोनों चिपक कर सो गए.

सुबह 4:30 बजे मेरी नींद खुली.
मैंने ललिता भाभी को जगाया और अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया.

ललिता भाभी ने जल्दी जल्दी कपड़े पहने और अपने घर चली गईं.
मैं वैसे ही नंगा सो गया.

सुबह 8 बजे मेरी नींद खुली तो उठकर तैयार हुआ.
तभी ललिता भाभी का फोन आया कि राज नाश्ता तैयार है.
मैंने नाश्ता किया और ड्यूटी चला गया.

इस तरह मैंने अपनी नई तलाकशुदा मकान मालकिन को रात भर चोदा..
उसके बाद भी मैंने उनको अपने रूम में, उनके रूम में कई बार चोदा.

आपको यह लैंड लेडी सेक्स कहानी पढ़ कर कैसी लगी?
धन्यवाद
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