लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-22

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मैं बोली- रितेश, आओ छत पर चलें।

रितेश तो पहले पहल नंगा छत पर घूमने से कतराने लगा लेकिन मेरे फोर्स करने पर वो तैयार हो गया।
मैं और रितेश एक-दूसरे के कमर में हाथ डाले अपने कमरे से निकल पड़े।

रितेश का सारा ध्यान मैंने अपने ऊपर लगा दिया और टहलते हुए नमिता के कमरे के पास पहुँचे तो दोनों की बातों की आवाज आ रही थी।
रितेश मुझसे वापस चलने के लिये इशारा कर रहा था जबकि मैंने रितेश को चुपचाप उन दोनों की बातों को सुनने का इशारा किया और नमिता के कमरे की खिड़की के और पास जाकर खड़ी हो गई, उन दोनों की बातें सुनने लगी।

एक बात तो थी रितेश में वो मेरी कोई बात नहीं टालता था, इसलिये वो मेरे पीछे आकर चिपक गया।
मैंने जो जगह बनाई थी नमिता के कमरे के अन्दर देखने की, वहां खड़ी हो गई और अन्दर का नजारा करने लगी।

अन्दर अमित की गोद में नमिता बैठी हुई थी और अमित की उंगलियाँ उसकी चूचियों पर चल रही थी और साथ में अमित मेरी ही तारीफ कर रहा था।

दोस्तो, यहां से अमित और नमिता की बातचीत सुनिये।

अमित- यार, रितेश सही ही कह रहा था कि भाभी की चूत है बहुत मस्त… चूत ही क्या उनके जिस्म का एक एक अंग बहुत मस्त है।
नमिता थोड़ा चिढ़ते हुए- हाँ हाँ, अब तुम्हें भाभी की चूत अच्छी लगने लगी।
अमित- लो, मैं क्या गलत कह रहा हूँ। उनके होंठ देखो, ऐसा लगता है कि गुलाब की दो पखुंडियाँ। उनके जब मैंने होंठ क्या रसीले आम की तरह है, मन करता है कि चूसता रहूँ।

नमिता- तो जाओ ना, फिर भाभी के होंठ को चूसो, मुझे छोड़ो। आज मैंने भाई का भी लंड देखा है। क्या लंबा मोटा है। इसलिये तो भाभी भाई से खुश है। काश भाई जैसा लंड मुझे भी मिलता!
अमित- मेरा भी लंड तो तेरे भाई जैसा है।
नमिता- तो मेरी चूत कौन सी बीमार है? जो एक बार मेरी चूत देख ले वो मेरी चूत में ही खो जाये।

रितेश पीछे से मेरी पीठ पर लगातार अपने चुम्बन की झड़ी लगाये हुए थे और मेरा हाथ उनके लंड को मसल रहा था।

नमिता की इतनी बात सुनते ही अमित रास्ते पर आ गया- लेकिन नमिता तेरी चूची, क्या गोल गोल है बहुत मस्त है।
कहते हुए अमित नमिता की चूची को उसके कपड़े के ऊपर से ही मसल रहा था और उसकी गर्दन, गालों पर अपने चुम्बन की बौछार लगा रहा था।

इधर रितेश का हाथ भी मेरी चूचियों से खेल रहा था।

नमिता की चूचियाँ मसलते मसलते अमित नमिता के ऊपर के कपड़े को उतार दिया और उसकी चूची को मुंह में ले लिया था और अब उसके हाथ नमिता की चूत को सहलाने में व्यस्त थे।

इस बार नमिता ने खुद ही अपने नीचे के कपड़े उतार लिये और अपनी चूत को सहलाने में अमित की मदद कर रही थी।

फिर अमित ने नमिता को अपने ऊपर से उतारा और कुर्सी पर बैठा कर उसके दोनों पैरों को खोल दिया और अपनी जीभ को उसकी चूत पर लगा कर चाटने लगा।
नमिता उसके बालो को सहलाते हुए बोली- आज भाई ने भाभी को किस तरह उल्टा लटका कर अपना लंड चुसवाया। देख कर मजा आ गया।

नमिता की बात खत्म होती, इससे पहले मेरे पिछवाड़े एक चपत पड़ी, मैंने पलट कर देखा तो इशारे में उसने नमिता की कही हुई बात का मतलब पूछा।
मैंने उसे चुप रहने का एक बार फिर संकेत किया।

तभी अमित ने अपना सर ऊपर उठाया और बोला- यार तुम्हारे भाई और भाभी सेक्स में बिल्कुल परफेक्ट है। एक से एक नई स्टाईल लाते हैं।
कहकर एक बार फिर वो नमिता की चूत को चाटते हुए बोला- अगर तुम कहो तो तुम भी इस तरह मेरे लंड को चूस सकती हो।
‘नहीं बाबा!’ नमिता बोली- चलो बेड पर… मुझे भी तुम्हारे लंड को मजा देना है।

फिर दोनों उठ कर बिस्तर पर चले गये और 69 की पोजिशन में आकर एक दूसरे का रसास्वादन करने लगे।

थोड़ी देर तक ऐसा करते रहने के बाद नमिता उठी और घोड़ी बन गई और अमित घुटने के बल बैठ कर अपने लंड को नमिता की चूत में सेट कर एक धक्का मारा, गप्प से अमित का लंड नमिता की चूत के अन्दर समा गया और फिर धक्के की आवाज से साथ साथ दोनों की आहें भी सुनाई देने लगी।

तभी मैं बोल पड़ी- अकेले अकेले मजा ले रहे हो?
दोनों चौंक कर हम लोगों की तरफ देख रहे थे, जबकि नमिता इतना शर्मा गई कि वो आँखें फाड़े हमारी ही ओर देख रही थी, उसको अहसास नहीं था कि मेरे साथ रितेश भी खड़ा है।

अचानक जैसे उसे याद आया तो चादर खींचकर नमिता ने अपने आपको ढका।

फिर मैं बोल पड़ी- अगर तुम दोनों को ऐतराज न हो तो क्या हम दोनों अन्दर आ सकते हैं?
नमिता और अमित दोनों एक दूसरे को देख रहे थे।

तभी रितेश बोल पड़ा- आकांक्षा, तुम इन लोगों को परेशान मत करो।

रितेश की बात सुनकर दोनों ने एक दूसरे को इशारा किया और फिर अमित ही बोला- नहीं साले साहब, आओ अन्दर आओ।
कहकर अमित ने दरवाजा खोला।

रितेश भी थोड़ा बहुत शर्मा रहा था। हालाँकि नमिता की जगह कोई और दूसरा होता तो शायद रितेश इतना न शर्माता।

मैं रितेश को पीछे से धकेल कर अन्दर ले गई। दोनों भाई बहन की नजर एक दूसरे से नहीं मिल रही थी। हालाँकि नमिता की नजर बार बार अपने भाई के लंड पर ही थी, वो बार बार कोशिश कर रही थी कि उसकी नजर लंड से हट जाये, लेकिन चाह कर भी नमिता की नजर हट नहीं रह थी।

तभी अमित ने मेरी तरफ देखा और मैंने अमित को आँख मारी, अमित मेरे इशारे को समझ चुका था, वो मुझे कुछ कह नहीं सकता था।

मैं रितेश को लेते हुए नमिता के पास गई और नमिता के जिस्म पर पड़े हुए चादर को एक झटके से हटाते हुए बोली- तीन नंगे हैं और तुम चादर ओढ़े हुई हो? वैसे भी कल से दो तीन दिन तक किसी को कुछ मिलने वाला नहीं है। तो आज पूरी रात एन्जॉय करें।

जैसे ही नमिता के ऊपर से चादर हटी उसने अपने दोनों पैरो को सिकोड़ लिया और दोनों हाथों से अपनी चूचियों को ढक लिया।
आखिर रितेश था एक मर्द ही, सामने नंगी लड़की देखी तो उसकी भी शर्म चली गई, अमित की तरफ देखते हुए बोला- अमित, तुमने आज तक नमिता को ठीक से देखा नहीं, नहीं तो आकांक्षा की तारीफ नहीं करते।

कहते हुए रितेश नमिता के पास बैठ गया और उसके चेहरे से बालों को हटाते हुए बोला- इसका भी पूरा जिस्म किसी काम देवी से कम नहीं है। अच्छा सा अच्छा मर्द इसके सामने नहीं टिक सकता।

जब रितेश नमिता की तारीफ कर रहा था तो मेरी नजर अमित पर पड़ी, जो थोड़ा बहुत असहज सा लग रहा था।
मैं अमित की तरफ गई और उसके जिस्म से चिपकते हुए बोली- कैसा लगा मेरा सरप्राईज?
अमित बोला- भाभी मैंने ऐसा कभी नहीं सोचा था।

‘अब बताओ कि मैं कैसी लग रही हूँ?’
अमित थोड़ा सहज होने की कोशिश में उसने अपनी बांहों को मेरी कमर में डाल दिया और बोला- हो तो भाभी तुम मादरचोद, लेकिन तुम्हारे जैसा कोई दूसरा नहीं। तुम इस खेल को बहुत खुल कर खेलती हो। तुम्हारी यही अदा मुझे पसंद है।
कहते हुए उसने मेरी गर्दन पर अपने चुम्बन की झड़ी लगा दी, जबकि उसका लंड मेरे गांड में रह रह कर चुभ रहा था।

उधर रितेश अभी भी बड़े ही प्यार से नमिता के गालों को सहला रहा था और नमिता से खुलने का प्रयास कर रहा था। गालों को सहलाते हुए रितेश ने धीरे से नमिता के दोनों कैद चूचियों को उसके बेदर्द हाथों से आजाद कराया और फिर उसकी चूचियों को सहलाने लगा।

अमित की तरफ देखते हुए बोला- तुम सही कह रहे थे, इसकी जैसी चूची तो मेरी आकांक्षा की भी नहीं है।
यह रितेश का स्टाइल था कि कैसे किसी लड़की या औरत की तारीफ की जाती है।

इधर अमित के दोनों हाथों की दो-दो उंगलियाँ मेरे चूचुकों को मसल रही थी।

उधर रितेश नमिता की चूचियों को सहलाते सहलाते उसके टांगों को सीधा कर चुका था और नीचे जमीन पर बैठते हुए रितेश का अंगूठा नमिता की चूत की सैर करने लगा।

रितेश अपने अंगूठे से नमिता की चूत से खेल रहा था, वो बार-बार अपने अंगूठे को नमिता की चूत के अन्दर डालता और फिर बाहर निकालता और फिर उसको सहलाता।

इधर अपनी बीवी के साथ ये सब होता देखकर अमित को भी जोश चढ़ गया तो वह भी मेरी चूत की सेवा करने लगा।

कमरे में शान्ति थी, लेकिन खेल मस्त चल रहा था।
मेरा हाथ अमित के लंड के सुपारे के साथ खेल रहा था।

उधर रितेश कभी नमिता की चूत में अपनी जीभ चलाता तो कभी अंगूठे से उसकी चूत का निरीक्षण करता।

नमिता को भी सरूर चढ़ने लगा था, वो अपने हाथ से अपनी चूची मसल रही थी, अपने गले को ऐसे सहला रही थी कि वो बहुत प्यासी हो और पानी पीने की बहुत इच्छा हो… उसकी कमर अपने आप उठ रही थी, ऐसा लग रहा था कि जब रितेश की उंगली उसकी चूत के मुहाने पर जाती तो वो कमर उचका कर उसकी पूरे अंगूठे को अपनी चूत में लेने की कोशिश करती।

मैं ये सब देख कर मस्त हो रही थी कि मुझे लगा कि मेरे हाथ से लंड छिटक गया है, लगा कि अमित को हाथ मेरी गांड की फांकों को फैला कर उसको चाट रहा था।
मैं भी हल्की झुक गई ताकि अमित को मेरी गांड और चूत दोनों छेद का मजा आसानी से और भरपूर मिल सके।

उधर नमिता की हालत बहुत ही खराब थी क्योंकि मेरा प्यारा रितेश उसको बड़े प्यार से मजे दे रहा था।
अचानक नमिता अपनी चूचियों को बहुत तेजी से मसलने लगी और अपनी कमर को उठाने लगी, फिर वो ढीली पड़ गई।
रितेश ने उसकी चूत का पानी निकाल दिया।

नमिता की चूत का पानी रितेश के अंगूठे पर था, रितेश ने उस अंगूठे को अपने मुंह के अन्दर लिया और चूसने लगा, फिर नमिता की दोनों टांगों को फैलाते हुए अपना मुंह उसकी चूत पर रख दिया और उसे सूंघने लगा।

चूत को सूंघने के बाद रितेश ने एक लम्बी सी सांस छोड़ी और बोला- मुझे पता नहीं था कि नमिता की चूत की सुंगध इतनी सेक्सी होगी। मन कर रहा है कि इसकी चूत को मैं चबा जाऊँ, कहते हुए रितेश ने नमिता की चूत को चाटना शुरू कर दिया।

इधर अमित को अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो उठा और अपने लंड को मेरी चूत पर सेट कर दिया और धक्के लगाने लगा।

इतनी देर के बाद नमिता की आंखें खुली और वो अमित को मेरी चुदाई करते हुए देखने लगी, उसने रितेश को भी अपनी चूत खुजला कर उसका लंड उसकी चूत के अन्दर डालने के लिये इशारा किया।

रितेश इशारा समझ कर बिस्तर पर आ गया और अपने लंड को नमिता की चूत में डालकर धक्के लगाने लगा।

अब उस कमरे का नजारा बदल गया था, दोनों औरतें कुतिया की पोजिशन में थी और दोनों मर्द कुत्ते की तरह चोद रहे थे।
कभी चूत के अन्दर तो कभी गांड के अन्दर उनका लंड होता।

मैंने भी अमित को मेरी गांड चोदने से नहीं रोका।

अब हम सब बदल बदल कर चुदने और चुदवाने का मजा ले रहे थे। अन्त में मेरे कहने पर अमित ने मेरे मुंह को अपने रस से भर दिया और रितेश ने नमिता के मुंह को अपने रस से भर दिया।

हम दोनों ही उस रस की एक एक बूंद को गटक गई और उसके बाद दोनों मर्दों ने हमारी चूत से बहते हुए पानी को अपनी जुबान से साफ किया।

रात दो बजे तक चुदाई का प्रोग्राम चलता रहा और उसके बाद हम सभी नमिता के रूम में सो गये।

कहानी जारी रहेगी।
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