लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-17

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बॉस के फ़्लैट में अपने देवर से चूत चुदवाने के बाद मैंने उससे कहा- देवर जी, अपनी पहली चुदाई की कहानी सुनाओ।
सूरज बोला- मेरी पहली चुदाई कोई खास नहीं थी लेकिन उसको भूल भी नहीं सकता। आप सुनो भाभी!

जब मैं एडमिशन के बाद पहले दिन कॉलेज गया तो क्लास की सभी सीटें भरी हुई थी।

मेरे साथ रागिनी नाम की एक लड़की थी जो देखने में ठीक ठाक ही थी, वो बहुत ज्यादा हाई-फाई नहीं दिख रही थी। हम दोनों को ही क्लास में बैठने की जगह नहीं मिल रही थी कि तभी प्रोफेसर आ गये और जब उन्होंने हमें इस तरह देखा तो चपरासी से कह कर एक बेंच सबसे पीछे लगा दी।

बेंच की लम्बाई बहुत ज्यादा नहीं थी, हम दोनों ही उस बेंच पर बैठ गये लेकिन मेरा मन अपनी स्टडी में नहीं लग रहा था, कारण मेरा जिस्म और रागिनी का जिस्म एक दूसरे से सट रहा था।

शायद उसका भी मन नहीं लग रहा था क्योंकि बार-बार वो मेरी तरफ बड़े ही नर्वस होकर देख रही थी।
नर्वस तो मैं भी था लेकिन मैंने अपनी नर्वसनेस को शो नहीं किया।
किसी तरह मेरा पहला दिन बीता।

दूसरे दिन मैं कॉलेज जल्दी इस उम्मीद से पहुँच गया कि मैं अपनी कोई दूसरी जगह को अरेंज कर लूंगा लेकिन दूसरे लड़के लड़कियों ने न तो मुझे और न ही रागिनी को किसी दूसरी सीट पर नहीं बैठने दिया।

क्लास में जितने भी प्रोफसर आये, सभी से हम दोनों ने रिक्वेस्ट की पर हम दोनों के मजाक उड़ने के सिवा कुछ नहीं हुआ, विवश होकर हम दोनों को फिर उसी सीट पर बैठना ही पड़ा।
अब धीरे-धीरे हम दोनों के लिये वही सीट फिक्स हो गई। क्लास के शेष लड़के और लड़कियाँ हम दोनों का मजाक उड़ाते और भद्दे कमेन्टस पास करते।

मैं बीच में ही बोल पड़ी- कमेन्टस, कैसे कमेन्टस?

‘यही कि अबे लड़की मिली है तो पटा कर मजा ले!’

खैर अब हम दोनों ही झिझक छोड़ कर पढ़ाई पर ध्यान देने लगे और अच्छे दोस्त हो गये। हम लोग एक दूसरे से हंसी मजाक भी करने लगे।
मजाक करते-करते या बात करते-करते कभी मेरा हाथ उसकी जांघ पर चला जाता तो कभी उसका हाथ मेरी जांघ पर होता।

रागिनी भी मुझे कभी चूतिया तो कभी गांडू कहकर बुलाने लगी।

एक दिन वो मुझे किसी बात पर पता नहीं क्या हुआ था, शायद रागिनी मुझसे कई दिन से नोटस मांग रही थी, लेकिन मैं उसे वो नोटस नहीं दे पा रहा था कि एक दिन रागिनी मुझे बोली- अबे साले गांडू, कभी तो कोई काम कर लिया कर, इतने दिन से मैं तुझसे नोटस मांग रही हूँ और तू गांडू कि दे नहीं रहा है।

इस बार मैं बोल उठा- बोल ले तू साली मुझे जितना गांडू… पर एक दिन तेरी गांड मैं ही मारूँगा।
मेरी इस बात को सुनकर उसने थोड़ा सा मुंह बनाया और चली गई।

कहानी बताते बताते सूरज मेरे जिस्म को सहलाता जा रहा था। खास तौर पर उसके दोनों हाथ मेरे चूचियों को ऐसे दबा रहे थे मानो ये आम हों और इनमें से रस निकल रहा हो!
और तो और सूरज के नाखून मेरे निप्पल को मसल रहे थे।

मैंने फिर पूछा- फिर क्या हुआ?
तो सूरज बोला- भाभी, दो-तीन दिन तक रागिनी कॉलेज नहीं आई तो मुझे भी लगा कि कही वो मेरी बात का बुरा नहीं मान गई।
पर चौथे दिन जब वो कॉलेज आई तो पहले की अपेक्षा वो काफी सेक्सी लग रही थी। हालाँकि कपड़े उसने वही सलवार सूट पहना हुआ था पर कायदे से मेकअप करके आई थी।
सीट पर आकर मेरे पास खड़ी हो गई और थोड़ा झुकती हुई बोली- और गांडू, क्या हाल है?

मैं बीच में बोली- रागिनी ने तुम्हारा निक नेम गांडू तो नहीं रख दिया था?
‘भाभी आप भी?’
‘अच्छा ठीक है, अब आगे बताओ?’

‘हाँ तो मैंने उसके इस बात का रिसपॉन्स नहीं दिया तो वो थोड़ा और पास आई और बोली- है न तू गांडू का गांडू… उस दिन गांड मारने की बोल रहा था और आज मुझसे बात भी नहीं कर रहा है।

मैंने उसकी गांड में उंगली कर दी तो आउच करके पीछे हट गई और फिर बगल में मेरे पास बैठ गई।

थोड़ी देर तक तो हम दोनों की बात नहीं हुई, फिर हार कर मैंने ही पूछा तो बोली- यार, वास्तव में उस दिन मैं बुरा मान गई थी, इसलिये मैं घर चली गई। इसी दौरान मुझे मेरी एक दूर की रिश्तेदार की शादी में जाना पड़ा।
काफी भीड़ थी। चूंकि मैं पहली बार अपनी उस बहन के पास गई थी तो वो हर वक्त मुझे अपने साथ ही रखती थी। यहां तक कि रात में मैं उसके साथ उसके कमरे में सोती थी। परसो आधी रात को अचानक कुछ फुसफुसाहट से मेरी नींद खुली तो मेरी वो बहन फोन पर बातें कर रही थी और बोल रही थी ‘मत परेशान हो मेरे राजा, शादी के बाद तेरे ही पास आ रही हूँ, तेरे लौड़े की जम के सेवा करूँगी। अभी अपने लंड को शान्त रख।’
इसी तरह गन्दे शब्दों का वो बोल रही थी कि बीच में वो बोल पड़ी ‘अबे गांडू, मार लेना मेरी गांड… अब फोन रखो। मुझे नींद आ रही है।’
फिर दोनों की बाते खतम हो गई और वो मेरे ऊपर अपनी टांग चढ़ा कर सो गई लेकिन उसकी बात ‘अबे गांडू, मार लेना मेरी गांड’ ही मेरे कानों में सुनाई पड़ रही थी।
मुझे लगा कि जब ये इस तरह खुल के बात कर सकती है तो मैं तो तुमको अक्सर कहती रहती हूँ।

मैं जोर से हँसा।उसके साथ साथ सभी मुझे देखने लगे।

मैंने धीरे से रागिनी से कहा- लगता है कि तुम्हारे पूरे घर में गांडू बोलने की आदत है?
पता नहीं मुझे क्या हो गया था कि मैं उसे छेड़ना चाह रहा था इसलिये मैंने उसकी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया।
एक-दो मिनट उसको अहसास नहीं हुआ।

फिर मैं और सूरज दोनों बिस्तर पर पहुँच गये। सूरज बिस्तर पर लेट गया और बोला- भाभी, मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर लेकर मेरे ऊपर लेट जाओ।
मैंने उसके कहे अनुसार उसके लंड को अपनी चूत के अन्दर कर लिया और उसके ऊपर लेट गई।

सूरज एक बार फिर मेरी पीठ सहलाते सहलाते अपनी आगे की कहानी बताने लगा:
रागिनी होंठों के चबाये जा रही थी और अपने दोनों पैरों को जितना सिकोड़ सकती थी, सिकोड़ने की कोशिश कर रही थी।

उस दिन पहली बार मुझे पीछे की सीट पर बैठने का फायदा मिला, कुछ देर मैं उसकी जांघ को सहलाता रहा, फिर धीरे से उसकी चूत के ऊपर हाथ ले जाने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- सूरज, यह तुमने क्या किया?
‘क्या हुआ?’
वो बोली- पता नहीं मेरे अन्दर से क्या निकल रहा है कि मेरी पैन्टी गीली हो गई है।

‘भाभी, आप तो जानती हो कि लड़कों की आदत शुरू से ही खराब होती है, मैंने उसके हाथ को पकड़ा और जल्दी से उसकी चूत के ऊपर अपनी उंगली लगा दी। वास्तव में उसकी सलवार भी गीली थी।’
मैंने अपनी उंगली का दवाब उसकी चूत पर और दिया इससे उसका पानी मेरी उंगली पर आ गया और उसके रस से गीली हुई मेरी उंगली को मैंने अपनी जीभ से लगा लिया।

रागिनी ने जब मुझे ऐसा करते हुए देखा तो बोली- छीः छीः, यह क्या कर रहे हो? यह गन्दा है।मैंने उसकी तरफ देखा और बोला- मुझे तो इसका स्वाद बड़ा ही अच्छा लग रहा है।
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फिर उससे बोला- देखो, मेरी वजह से तुम्हारी पैन्टी गीली हुई है। तो ऐसा करो कि अपनी पैन्टी मुझे दे दो तो मैं उसे कल धोकर ला दूंगा।
‘नहीं दूंगी, मैं खुद धो लूंगी।’

मैं उससे मजे लेने के लिये बोला- अगर नहीं दोगी तो मैं खड़ा होकर चिल्ला दूंगा कि रागिनी ने पेशाब कर दिया है। अब देख लो?

उसने मुझे एक तेज चुटकी काटी और बोली- ठीक है, थोड़ी देर बाद।

लेकिन तो मुझे तुरन्त ही चाहिये थी ताकि मैं उसके रस को सूंघ सकूँ और मजा ले सकूँ।
फिर मैं रागिनी को धौंस देते हुए बोला कि मुझे अभी तुरन्त ही चाहिये।

दाँत पीसते हुये वो अपना बैग लेकर गई और थोड़ी देर बाद वापस आई और बैग से अपनी पैन्टी निकाल कर मुझे देती हुई बोली- लो। मैंने उसकी पैन्टी ली और जहां पर उसका रस लगा था उसको अपने नाक के पास ले गया, सूंघने लगा।

वो मेरा हाथ दबाते हुए धीरे से बोली- सूरज, यह क्या कर रहे हो।
मैंने कहा- मैं अपनी दोस्त के रस की महक ले रहा हूँ।
कहकर उस हिस्से को मैंने अपने मुंह के अन्दर भर लिया।

मैं बोली- यार सूरज तुम तो शुरू से ही बहुत ही चोदू किस्म के इंसान थे।
‘हाँ भाभी, लेकिन तुम्हारे जैसी चुददक्ड़ नहीं देखी। क्योंकि तुम जान जाती हो कि कब और कैसे मजा दिया जाये।’
‘अच्छा फिर क्या हुआ?

बस मैंने उसकी चड्डी को खूब अच्छे से चाट कर साफ किया और फिर उसके बाद मैं अपना लंड बाहर निकालने लगा तो रागिनी बोली- सूरज तुम बहुत बेशर्म होते जा रहे हो।
मैं बिना कुछ बोले लंड को मुठ मारने लगा और कुछ ही देर में मैंने अपना पूरा माल उसकी पैन्टी में गिरा दिया, जबकि इतनी देर में रागिनी इस बात को लेकर डर रही थी कि कहीं कोई आकर मेरी यह हरकत न देख ले।

मेरा जितना वीर्य उसकी पैन्टी में गिर सकता था उतना गिरा बाकी का मैंने उसकी ही पैन्टी से साफ किया और उसकी और पैन्टी बढ़ाते हुए कहा- अब तुम्हारी बारी!
वो बोली- छीः मैं ये नहीं करूँगी।

मैं समझ गया कि यह सीधे से मानने वाली नहीं है तो एक बार उसको फिर ब्लैक मेल किया कि अगर नहीं करोगी तो मैं खड़े होकर तुम्हारी पैन्टी सबको दिखा दूंगा।

विवश होकर उसने अपनी पैन्टी ली और इस तरह झुक गई कि वो क्या कर रही है किसी को पता नहीं चले और फिर वो पैन्टी को मुंह के पास ले गई और हल्के से अपनी जीभ को टच किया और फिर मुंह बनाते हुए बोली- मुझे नहीं करना है।

मैंने उसे समझाया कि जब मैं तुमसे तुम्हारी पैन्टी मांग कर मैं चाट सकता हूँ तो तुम क्यों नहीं।
रागिनी बोली- तुमने अपनी मर्ज़ी से किया।
मैं बोला- हाँ ठीक है, लेकिन सोचो कि जब तुम्हारी शादी होगी और तुम्हारा आदमी अपना लंड जबरदस्ती तुम्हारे मुंह में डालेगा तो तो तुमको वही करना पड़ेगा, चाहे तुम्हारी मर्जी हो या न हो। फिर अभी कर के मजा लो।

मैं इसी तरह की बाते करके उसे फुसलाता रहा और अन्त में हारकर रागिनी ने अपनी पैन्टी को चाट कर साफ किया।

उसके बाद रागिनी ने मेरे वीर्य को अपने थूक के साथ एकत्र करके मेरे मुंह को खोलते हुए उसने वो थूक मेरे अन्दर थूक दिया जिसको मैं गटक गया था।
मैंने रागिनी से बोला- अब हमारी दोस्ती पक्की हो गई है, कहते हुए उसके होंठों को चूम लिया।

रागिनी अपनी पैन्टी को अपने बैग में रखते हुए बोली- अब तुम केवल मेरे ही गांडू हो।

उसके बाद जब कॉलेज ओवर होने तक हम लोग एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए पढ़ाई कर रहे थे।

सूरज और मुझे काफी जोश चढ़ चुका था और मैं उसके ऊपर तेज तेज उछलने लगी और सूरज मेरी हिलती-डुलती हुई चूचियों को पकड़ पकड़ कर मसल रहा था।

अब मैं खलास हो चुकी थी और दो तीन धक्के मारने के बाद मैं सूरज के ऊपर ही लेट गई, सूरज का टाईट लंड अभी भी मेरी चूत के अन्दर हरकत कर रहा था।
सूरज ने मुझे उठाया और घोड़ी के पोजिशन में खड़ा होने के लिये बोला।
मैं घोड़ी बन गई।

सूरज की जीभ मेरे गांड को चाट रही थी। थोड़ी ही देर मैं मेरी गांड सूरज के थूक से काफी गीली हो चुकी थी कि सहसा सूरज अपने लंड को मेरी गांड से रगड़ने लगा, तो मुझे समझते देर नहीं लगी कि सूरज मेरे गांड भी चोदना चाहता है।

मैंने तुरन्त ही सूरज को ऐसा करने से मना किया तो सूरज भी बिना कोई सवाल किये हुए अपने लंड को मेरी चूत पर सेट करके एक तेज झटका मारा और उसका समूचा लंड मेरी चूत के अन्दर था।

अब सूरज धक्के पे धक्का दिये जा रहा था।

काफी धक्के लगाने के बाद सूरज ने मुझे सीधा किया और मेरे ऊपर अपने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी, उसका वीर्य मेरी चूचियों पर गिरा।
सूरज अपनी उंगली में वीर्य लेता और फिर वही उंगली मेरे मुंह के अन्दर करता।
इस तरह करके उसने मुझे अपना पूरा वीर्य चटा दिया और उसके बाद अपने लंड को साफ करने के लिये कहा जो मेरा सबसे पसन्दीदा काम था, मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लेकर साफ किया।

इतना करने के बाद सूरज ने भी मेरी चूत को साफ किया।

एक बार फिर बेड पर मैं सूरज की बांहो में लेटी हुई थी।

कहानी जारी रहेगी।
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