लेडी डॉक्टर ने मेरे लंड की खुजली का इलाज किया- 2

लेडी डॉक्टर सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं एक लेडी डॉक्टर से लंड की खुजली का इलाज करवा रहा था. वो मेरे लंड को हाथ में लेकर खूब सहलाती थी.

साथियो, मैं हर्षद मोटे आपका एक बार पुन: अपनी गरम सेक्स कहानी में स्वागत करता हूँ.
लेडी डॉक्टर सेक्स कहानी के पहले भाग
मेरे लंड की खुजली का इलाज
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं डॉक्टर रेखा के मस्त मुलायम हाथों से अपने लंड पर दवा लगवा कर घर आ गया था.

अब आगे लेडी डॉक्टर सेक्स कहानी:

मैं फ्रेश होकर और लुंगी पहन कर आ गया.
मम्मी ने खाना लगाया. हम खाना खाने लगे.

पिताजी ने पूछा- सब ठीक है ना हर्षद. तेरी मम्मी ने मुझे सब बताया है. दवाइयां समय पर लेते रहना, जल्दी ठीक हो जाओगे.
मैंने हां में सर हिला दिया.

हम सबने खाना खाया. मैंने अपने रूम में जाकर दवाई लीं और बेड पर लेट गया.

लेकिन नींद कहां आनी थी.
आंखें बंद करने के बाद मुझे वही सब नजारा दिख रहा था, जो क्लीनिक में हुआ था.

डाक्टर रेखा का मेरे लंड पर हुआ पहला स्पर्श और उसका मेरे लंड और अंडकोष को सहलाना, मुझे बड़ी गुदगुदी दे रहे थे.

मेरे गांड के छेद पर चलने वाली उसकी उंगलियां और मेरे हाथ से रगड़ने वाली चूत.

इन सब बातों से मेरी नींद ही उड़ गयी थी और लंड में तनाव भी आ गया था.

रात को कब नींद लगी, पता ही नहीं चला.
सुबह मम्मी ने आठ बजे जगाया और कहा- उठो हर्षद, तुम्हें नौ ऑफिस जाना है ना!

मैं उठकर खड़ा हो गया.

मैंने पूछा- पिताजी गए क्या ऑफिस?
तो मम्मी बोलीं- हां अभी निकल गए हैं. अब कैसी तबियत है हर्षद?
वो मेरी लुंगी में बने हुए तंबू को देखती हुई बोलीं.

मैंने कहा- ठीक है, अभी लेकिन डाक्टर ने कहा है कि तीन चार दिन दवाई लगवाने के लिए क्लीनिक आना पड़ेगा.
मेरी सौतेली मम्मी अदिति बोलीं- तो ठीक है ना … शाम को जाना होगा ना!

मैंने कहा- हां … ये सब तेरी वजह से हो गया है अदिति.
उन्होंने कहा- अरे हर्षद तेरे पिताजी घर में रहते हैं … तो हम वो सब कैसे कर सकते हैं.
ये कह कर उन्होंने मेरे लंड को लुंगी से ऊपर से ही दबा दिया.

मैंने अदिति को अपनी बांहों में कसकर कहा- मुझे पता है अदिति, मैं तो मजाक कर रहा था.

मम्मी अपनी चूत नाईटी के ऊपर से ही मेरे लंड पर रगड़ती हुई बोलीं- बहुत बदमाश हो.

ये कह कर अदिति ने मेरी बांहों की गिरफ्त से खुद को छुड़वाकर कहा- हर्षद, अब बाथरूम में जाओ, वर्ना ऑफिस के लिए लेट हो जाओगे. मैं तब तक नाश्ता और चाय बनाती हूँ.

नौ बजे मैं ऑफिस निकल गया. ऑफिस में भी दिल नहीं लग रहा था. लग रहा था कि कब शाम हो और कब मैं क्लीनिक पहुंच जाऊं.

यही सोचते हुए पूरा दिन निकल गया.

शाम को साढ़े छह बजे घर आया और अच्छे से नहा धोकर तैयार हो गया.
आज मैंने सिर्फ पैंट ही पहनी थी, अन्दर से नंगा ही था और ऊपर एक टी-शर्ट पहन ली.

इतने में मम्मी ने आवाज दी- हर्षद तैयार हो गए क्या? चाय बनायी है मैंने, तेरे पिताजी आते ही होंगे.

मैं जाकर सोफे पर बैठ गया.

मम्मी चाय और बिस्कुट ले आयी थीं. वो भी मेरे सामने बैठ गईं.
सात बज गए थे मेरा लंड फड़क रहा था.

इतने में पिताजी भी आ गए. पिताजी बोले- मैं भी आता हूँ फ्रेश होकर.

दो मिनट बाद हम तीनों ने बातें करते करते चाय पी ली.
अब तक साढ़े सात बज चुके थे.

मम्मी और पिताजी को बोलकर मैं क्लीनिक जाने को अपनी बाईक पर निकल पड़ा.

मैं बाहर का गेट खोल कर अन्दर गया.
अन्दर गया तो एक मरीज बाहर बैठा था.

मैं भी कुर्सी पर बैठकर इंतजार करने लगा.

तभी अन्दर का मरीज बाहर आया और दूसरा अन्दर गया. वो मरीज एक औरत थी.

वो औरत दस मिनट बाद बाहर आयी तो अन्दर से डाक्टर रेखा ने आवाज दी- हर्षद, अन्दर आ जाओ.

मैं सोच रहा था कि इसे कैसे पता चला कि मैं बाहर बैठा हूँ.

मैं अन्दर गया और उसके सामने बैठकर पूछा- आपको कैसे पता चला मैं बाहर हूँ?
तो उसने कहा- बाहर कैमरा लगाया है, इसलिए मैं बाहर का सब देख लेती हूँ.

मैंने कहा- हम्म … ये अच्छा है.
वो बोली- अब तुम्हारी खुजली कैसी है?

“आज थोड़ी कम हो गयी है डाक्टर!”
डाक्टर रेखा बोली- अब अन्दर जाओ और पैंट निकालकर टेबल पर लेट जाओ, मैं बस अभी आती हूँ.

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मैं अन्दर जाकर पैंट निकालकर नंगा ही टेबल पर पीठ के बल लेट गया.

इतने में डाक्टर रेखा दवाई की बोतल और दस्ताने लेकर आयी.
आज मैंने जानबूझ कर अपना हाथ टेबल से बाहर लटका रखा था. वो मुझे सटकर खड़ी हो गई और दस्ताने पहनने लगी.

फिर उसने अपनी कमर हिलाकर मेरा हाथ अपनी चूत पर अडजस्ट किया और मेरी कमर के नीचे तकिया रख दिया.

अब वो मेरा लंड अपने एक हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी और दूसरे हाथ में टार्च लेकर देख रही थी.
मैंने आंखें बंद कर ली थीं.

डाक्टर रेखा ने आज भी पतली सी साड़ी पहनी थी और बड़े गले का स्लीवलैस ब्लाउज.
उसके झुकने पर उसके आधे स्तन नजर आ रहे थे.

डाक्टर रेखा मेरा लंड सहलाती हुई बोली- शर्माओ मत हर्षद, आंखें खोलो. तुम्हारा ये खड़ा होना चाहिए … डंडे जैसा. तभी मैं अच्छे से चैक करके दवाई से साफ कर पाऊंगी और मलहम भी अच्छे से लगा सकूँगी हर्षद. मन का डर निकाल दो.

मैंने अपनी आंखें खोलकर कहा- ठीक है डाक्टर, मैं कोशिश करता हूँ.

अब तक मेरे लंड में तनाव नहीं आया था.

डाक्टर रेखा ने टार्च बाजू रखकर मेरा लंड दोनों हाथों से पकड़ा और ऊपर नीचे करने लगी.
अब मैं भी अपने हाथ से उसकी चूत रगड़ने लगा था.

डाक्टर रेखा भी कमर हिलाकर अपनी चूत को मेरे हाथ पर रगड़ रही थी.
इससे मेरे लंड में तनाव आने लगा था.

कुछ ही मेरा लंड खंबे जैसे खड़ा हो गया था.

अब डाक्टर रेखा ने मेरे लंड के सुपारे पर दवाई टपका दी और हाथ से पूरे लंड और अंडकोष को नहला दिया.

फिर अपने दोनों हाथों से मेरा लंड और अंडकोषों को सहलाने लगी.
मैं भी मदहोश होकर उसकी चूत जोर से रगड़ने लगा.

डाक्टर रेखा भी गर्माने लगी थी और वो भी मदहोश होकर अपने मुँह से मादक सिसकारियां लेने लगी थी.

अब उसने लंड सहलाना बंद कर दिया और बोली- रुको मैं अभी आती हूँ.

वो अन्दर से टिश्यू पेपर्स लेकर आयी और उसने मेरा पूरा लंड और अंडकोष टिश्यू से साफ कर दिया; फिर उंगली से मलहम को लगा दिया.

वो अपने दोनों हाथों से पूरे लंड और अंडकोषों को सहलाकर मलहम लगाती रही और मैं उसकी चूत रगड़ता रहा.

पांच मिनट बाद डाक्टर रेखा बाजू होकर बोली- हर्षद अब अपनी पैंट पहन लो.
ये कह कर वो हाथ धोने चली गयी.

मैं बाहर आकर कुर्सी पर बैठ गया. इतने में डाक्टर रेखा भी आ गयी.

कुर्सी पर बैठती हुई बोली- हर्षद अब कैसा लग रहा है?
मैंने कहा- पहले से काफी अच्छा लग रहा है. खुजली भी कम हो गयी है डाक्टर. शायद आपके हाथों में जादू है.

वो हंसती हुई बोली- हो सकता है हर्षद. अब तुम ठीक हो गए हो, लेकिन दवाई समय पर लेते रहना और दो दिन तक क्लीनिक आते रहना. मैं तुम्हें पूरी तरह से ठीक कर दूँगी.
मैंने कहा- मुझे आप पर पूरा भरोसा है डाक्टर अब आप अपनी फीस बताएं.

उसने बोला- चार सौ रूपए.
मैंने उसकी फीस दी और जाने के लिए खड़ा हो गया.

डाक्टर बोली- जा रहे हो क्या हर्षद … जल्दी है क्या?
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है डॉक्टर.

मैं बैठ गया.
तो डाक्टर रेखा बोली- दस मिनट रुको ना … मैं अकेली बोर हो जाती हूँ.

मैंने कहा- ठीक है.
अब हमने बातचीत करते हुए एक दूसरे के बारे में जानकारी ली.

करीब आधा घंटा मैं उसके पास रुका रहा और बतियाता रहा.
फिर मैं वहां से निकल गया.
अपने घर जाकर मैं खाना खाकर सो गया.

ऐसे ही और दो दिन मैं क्लिनिक जाता रहा और डाक्टर रेखा की अनोखी ट्रीटमेंट लेता रहा.

मैं कुछ ही दिनों में एकदम ठीक हो गया था लेकिन ना चाहते हुए भी डाक्टर रेखा का सुंदर चेहरा, उसका अपने हाथों से लंड रगड़ना और मेरे हाथ से उसकी चूत रगड़ना मुझे हर बार गर्म कर देती रही थी.

वो सब मैं कभी नहीं भूल सकता था.
शायद हम दोनों भी एक दूसरे की ओर आकर्षित हो गए थे.

मैं सोच रहा था कि क्या डाक्टर रेखा को अपनी चूत रगड़वाना अच्छा लगता था, या उसकी चूत लंड की प्यासी है … या वो मेरे लंड से प्रभावित हो गयी थी? क्या डाक्टर रेखा भी मेरे बारे में भी यही सोचती होगी?

मैं अब आपको डाक्टर रेखा के बारे में बता देता हूँ.

वो दिखने में सुंदर, कद साढ़े पांच फिट और फिगर 34-30-36 का, बाहर निकले कूल्हे, बहुत ही सेक्सी फिगर.

उसको एक सात साल की बेटी है, जो पुणे में अपने मामा के पास रहती है.
हर रविवार डाक्टर रेखा का पति डाक्टर रमेश अपनी बेटी को लेकर डाक्टर रेखा के पास आता है और सोमवार को सुबह निकल जाता है.

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डाक्टर रेखा जब बोर होती तो अपने बेटी और पति से फोन पर बातें कर लेती थी.

ऐसे ही कुछ दिन बीत गए थे. उस दिन सोमवार था. मैं खाना खाकर आया था और अपने ऑफिस में बैठकर काम कर रहा था.

उसी समय मेरे मोबाइल पर डाक्टर रेखा का कॉल आ रहा था.
मैं स्क्रीन पर उसका नाम देख कर सोचने लगा कि ये मुझे क्यों फोन कर रही है?

कुछ पल बाद मैंने फोन उठाया और कहा- गुड आफ्टरनून डाक्टर!
तो उसने कहा- थैंक्स हर्षद … तुम्हें भी. अभी बिजी हो क्या?

मैंने कहा- कुछ खास नहीं, आप बोलिए न!
उसने कहा- अभी आ सकते हो क्या मेरे घर?

मैंने कहा- क्या हुआ है? सब कुछ ठीक है ना?
तो उसने कहा- कुछ ठीक नहीं है हर्षद.

जब उसने ये कहा, तो मैंने कहा- ठीक है मैं दस मिनट में पहुंचता हूँ.
मैंने फोन रख दिया और अपने बॉस को बोलकर वहां से अपनी बाईक लेकर निकल पड़ा.

ठीक दस मिनट में ही मैं उसके घर के गेट पर पहुंच गया.
मैंने बाईक बाहर ही लगा दी और गेट के अन्दर जाकर गेट बंद कर दिया.

उसकी क्लीनिक के साइड में ऊपर जानेके लिए सीढ़ियां थीं तो मैं उसी रास्ते से ऊपर आ गया.

जैसे ही दरवाजे से अन्दर गया तो मुझे डाक्टर रेखा ने अपनी बांहों में कस लिया.

उसकी कसी हुई चूचियां मेरे सीने पर रगड़ खाने लगी थीं. उसने पतली सी पीले रंग की नाईटी पहनी थी. अन्दर से सफेद ब्रा और पैंटी साफ़ झलक रही थी.

मुझे भी रहा नहीं गया और मैंने भी उसे अपनी बांहों में कसकर पूछा- क्या हुआ डाक्टर? आपने फोन करके बुलाया है.

उसने बांहों से मुझे अलग करते हुए कहा- बताऊंगी सब. पहले नहा कर आओ. कितनी गर्मी है बाहर. जरा अपने बदन को ठंडा कर लो. चलो आओ मेरे साथ अन्दर चलो.

मैं उसके साथ अन्दर गया. उसने मुझे एक तौलिया और सफेद रंग की पतली सी लुंगी दे दी.

फिर कहा- कपड़े इस रूम में निकालकर रखना और वो सामने बाथरूम है.

मैंने उस रूम में जाकर सब कपड़े निकाल दिय और पूरा नंगा हो गया. फिर तौलिया लपेटकर बाथरूम में घुस गया.

बहुत ही बड़ा बाथरूम था. ठंडे और गर्म पानी के अलग से शॉवर, टॉयलेट भी था.
एक बाथटब भी फिट किया गया था. एक बड़ा आईना भी लगाया था.

लिक्विड सोप, टूथपेस्ट, बाल साफ करने वाली क्रीम. कपड़े सुखाने के लिए स्टैंड मतलब उधर सब कुछ था.

मैंने ठंडे पानी का शॉवर चालू किया और पूरा बदन गीला कर लिया. फिर मैंने अपने लंड के आजू बाजू के बाल साफ कर दिए और पूरे बदन पर लिक्विड सोप लगाकर दस मिनट तक मस्त नहाया.

वाह क्या मस्त खुशबू आ रही थी.
मैंने शॉवर बंद कर दिया और पूरा बदन तौलिया से पौंछ लिया. फिर लुंगी लपेटकर बाहर आ गया.

मैं हॉल में गया, तो डाक्टर रेखा वहीं सोफे पर बैठी थी. मेरी ओर देखते हुए बोली- आओ हर्षद बैठो मेरे पास.

मैं थोड़ा अंतर रखकर बैठ गया.

सामने तिपाई पर दो गिलास शर्बत के रखे थे.

डाक्टर रेखा ने पूछा- पानी चाहिए क्या हर्षद?
मैंने कहा- नहीं.

तो उसने एक शर्बत का गिलास मेरे हाथ में थमा दिया और बोली- लो पी लो, तुम्हें अच्छा लगेगा हर्षद.

उसने दूसरा गिलास खुद उठाया और पीने लगी.
हम दोनों ने अपने अपने गिलास खाली करके वापस तिपाई पर रख दिए.

मैंने उससे कहा- बहुत ही टेस्टी शर्बत बनाया था आपने. सचमुच आपके हाथों में जादू है डाक्टर.
वो सरक कर मुझसे सटकर बैठकर बोली- क्या सच कहते हो हर्षद?

मैंने मुस्कुराकर कहा- सच में डाक्टर.
वो बोली- ये डाक्टर डाक्टर क्यों बार बार बोल रहे हो मुझे? तुम सिर्फ रेखा ही कहोगे मुझे … और आप नहीं, तुम ही कहना. समझ गए ना हर्षद. नहीं तो मैं तुमसे बात नहीं करूंगी.

मैंने कहा- जैसी तुम्हारी मर्जी रेखा.
वो मेरे बदन पर नजर गड़ाए बैठी थी. मैंने ऊपर टी-शर्ट नहीं पहनी थी, तो वो मेरी चौड़ी छाती और गठीला बदन देख रही थी.

मैं भी समझ रहा था कि आज रेखा की चूत मेरे लंड को नसीब होने वाली है.
आगे क्या हुआ, वो मैं लेडी डॉक्टर सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूंगा. आप मुझे मेल जरूर करें.
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लेडी डॉक्टर सेक्स कहानी का अगला भाग: लेडी डॉक्टर ने मेरे लंड की खुजली का इलाज किया- 3