लेडी डॉक्टर के घर में बिताये दो दिन- 2

हॉट डॉक्टर सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरी पहचान की डॉक्टर ने मुझे अपने घर बुलाया अपनी चूत चुदवाने के लिए. उसे पहले से ही मेरा लंड पसंद है.

दोस्तो, मैं हर्षद आपको डॉक्टर रेखा से मेरी दूसरी मुलाकात की दास्तां बता रहा था।

हॉट डॉक्टर सेक्स कहानी के पहले भाग
लेडी डॉक्टर ने अपने घर बुलाया सेक्स के लिए
में मैंने बताया था कि कैसे रेखा ने मुझे कॉल किया और अपने घर बुलाया। दो दिन के लिए उसका पति मुंबई गया हुआ था और वो घर पर अकेली रहने वाली थी।

मैं उसके घर पहुंचा और हम दोनों में जाते ही खूब चूमा-चाटी हुई। फिर हमने दो दिन नंगे रहने का फैसला गया। मैंने रेखा को लंड चुसवाया और फिर हम दोनों ही चुदाई के लिए तड़प गए।

अब आगे हॉट डॉक्टर सेक्स कहानी:

रेखा ने दरवाजा लॉक किया और ए.सी. चालू कर दिया।
मैंने रेखा को बेड के किनारे बैठा दिया और वहीं खड़े हुए मैं उसके चूचों को रगड़ने लगा।

वो मेरे लंड को दोनों हाथों में भरकर मसलने लगी। वो बोली- मुझे तो आज डर लग रहा है हर्षद, मेरी चूत इसे ले भी पाएगी या नहीं?

मैंने कहा- चिंता मत करो, एक बार ही दर्द होगा।
फिर मैं उसकी चूत को सहलाने लगा और रेखा सिहर उठी।
उसकी चूत फिर से गीली होने लगी थी।

मेरा लंड भी पूरे जोश में फड़फड़ा रहा था।
मैंने रेखा को ऐसे ही लिटा लिया और उसके सिर के नीचे दो तकिए रखवा दिए ताकि वो मेरे लंड को अपनी चूत में जाते हुए देख सके।
फिर मैंने उसकी जांघों को फैलाकर घुटनों को मोड़ दिया और बेड पर पंजों को टिका दिया।
रेखा की चूत अब ठीक मेरे लंड के निशाने पर थी।

मैंने एक हाथ में लंड पकड़ा और रेखा की चूत की दरार में रगड़ने लगा।
उसने अपने दोनों हाथों से चूत की दरार को फैला लिया और मैंने सुपारे को चूत पर रखा और कमर पकड़ कर उसकी चूत पर दबाने लगा।

मैंने पूछा- तैयार हो?
वो बोली- हां, डाल दो, जो होगा अब देखा जाएगा।

फिर मैंने एक जोर का धक्का मारा और मेरा लंड उसकी चूत की दरार को चीरता हुआ अंदर जा घुसा।
वो जोर से चीखी और मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया।

रेखा छटपटाते हुए लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने उसको उठने नहीं दिया।
वो बोली- बाहर निकालो!
मैंने कहा- बस थोड़ी ही देर का दर्द है, चुप रहो।

मैंने उसकी कमर को छोड़ दिया और उसकी चूचियों को सहलाने लगा।
मैंने 5 मिनट तक उसके बदन को सहलाया और वो पूरी तरह से नॉर्मल हो गई।
फिर वो आहिस्ता से अपनी गांड उठाकर लंड को लेने की कोशिश करने लगी।

लंड को चूत में फंसा देखकर वो बोली- तुम्हारा ये मूसल मेरी चूत में कैसे फिट बैठ गया है, हिल भी नहीं रहा है। जैसे कोई डंडा ठोक दिया हो मेरी चूत में!
मैं बोला- तुम्हारी चूत के हिसाब से मेरा लंड बड़ा है, लेकिन लोगी तो चूत भी बड़ी हो जाएगी, फिर मजा ही मजा है।

कहते हुए मैंने लंड को खींचकर थोड़ा सा बाहर निकाला, फिर ढेर सारा थूक उस पर लगा दिया।
फिर मैंने चूत में लंड को अंदर दबाया और सरकाने लगा।

धीरे-धीरे लंड चूत में अंदर बाहर जाने लगा।

5-7 मिनट के बाद लंड चूत में आराम से समाने लगा और रेखा गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी।
वो मेरे लंड को अपनी चूत में अंदर बाहर होते हुए देख रही थी और चूत के दाने को सहला रही थी।
उसकी गांड लगातार मेरे लंड की तरफ चल रही थी।

बीच-बीच में वो मुझे नीचे की ओर खींचकर मेरे होंठों को चूसने लगती थी।

कुछ ही देर की चुदाई में रेखा की चूत ने फिर से पानी फेंक दिया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत के रस में सराबोर हो गया।
उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया।

मैं उसके स्तनों को मुंह में लेकर लेटा रहा।
दस मिनट तक हम चिपके रहे।

फिर वो दोबारा से गांड हिलाने लगी।
अब मैंने फिर से उसकी चूत से लंड को आधा बाहर निकाला तो देखा कि पूरा लंड चूतरस में नहाया हुआ था।
मैंने फिर से उसे चोदना शुरू किया।
रेखा भी साथ देने लगी।

मैं हर बार आधा लंड बाहर करता और फिर से ठोक देता।
इस जबरदस्त घर्षण से उसकी चूत फिर से गर्म होने लगी।
अब मैं तेजी से चोदने लगा तो पच-पच … पच-पच की आवाज से पूरा कमरा गूंजने लगा।

अब हम दोनों पूरी मदहोशी में चुदाई कर रहे थे।
मेरे धक्के पूरे जोश में लग रहे थे और रेखा का बदन हर धक्के के साथ हिल रहा था।

फिर दस-पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद दोनों चरम सीमा पर पहुंच गए और आह्ह … आह्ह … की सिसकारियां लेते हुए हम दोनों झड़ गए।

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रेखा ने मेरी गांड को अपने पैरों के बीच में कसकर जकड़ लिया था और वो लंड के आखिरी धक्के को चूत में पूरा फील कर रही थी।
उसने मेरे जिस्म को पूरा अपने जिस्म पर ओढ़ लिया था।

हम दोनों की सांसें बहुत तेजी से चल रही थीं।
10-15 मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे।

जब अलग हुए तो बोली- बहुत मजा आया हर्षद … लेकिन चूत में दर्द हो रहा है।
मैंने उसके स्तनों को सहलाते हुए कहा- दर्द तो होगा ही … कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी तो पड़ता है।

वो बोली- हां सही कहते हो। तुम्हारा मोटा लंड चूत में जाता है तो मन करता है कि ये ऐसे ही हमेशा मेरी चूत में रहे।
फिर वो बेड से उठकर नीचे चलने लगी तो कराहने लगी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?

रेखा- चूत में सूजन आ गई है, पेन किलर लेनी पड़ेगी शायद!
फिर वो अलमारी की ओर गई और एक कपड़ा लेकर चूत साफ करने लगी।

फिर उसने मेरे लंड को भी साफ करना शुरू किया।
लंड पर लगा वीर्य सूखकर सफेद हो चुका था।

वो बोली- हर्षद, मुझे तुम्हारे लंड से निकला अमृत पीना है।
मैं बोला- जो जी में आए पी लो, सब तुम्हारा ही है।

नीचे बैठते हुए रेखा ने अपने दोनों हाथ मेरी गांड पर जमा दिए।
वो मेरा आधा मुरझाया लंड मुंह में लेकर चूसने लगी।
मेरे हाथ स्वत: ही उसके सिर पर चले गए और मैं उसके मुंह को लंड पर आगे पीछे करने लगा।

रेखा मेरी गांड को कसकर दबा रही थी और लंड चूसने का पूरा लुत्फ ले रही थी।
कुछ ही देर में उसने मेरे लंड को चूस चूसकर पूरा कड़क कर दिया और थूक में चिकना कर दिया।

फिर बोली- चलो मूतकर आते हैं, और फिर फ्रेश हो लेंगे।

हम दोनों एक दूसरे की कमर में हाथ डालकर बाथरूम में चले गए।
वो बोली- पहले तुम मूतो!
मैंने कहा- नहीं, पहले तुम … मुझे देखना है कि तुम कैसे मूतती हो।

रेखा कमोड पर टांग रखकर मूतने लगी और मैं खड़ा होकर देखने लगा।
उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी।
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।

धीरे-धीरे उसकी चूत से मूत आना बंद हो गया।
वो बोली- अब तुम आओ।
मैं- तुम वहां से हटोगी, तब तो आऊंगा!

वो बोली- तुम ऐसे मूतो की मेरे चूचे भी तुम्हारे गर्म मूत में नहाकर तृप्त हो जाएं।
मैंने कहा- ठीक है, जैसे तुम कहो।

सुबह से मैंने भी मूता नहीं था तो प्रेशर बहुत था।
मेरे लंड से गर्म-गर्म मूत निकल कर रेखा के स्तनों पर गिरने लगा।

मूत की धार को वो बारी-बारी से दोनों निप्पल पर लेने लगी।
साथ में उसकी सिसकारियां भी निकलने लगीं- आह्ह … हर्षद बहुत मजा आ रहा है … इस्स … ओह्ह … गर्म गर्म मूत है … सिकाई हो रही है चूचियों की!

उसके चूचे और निप्पल तनकर कड़क हो गए।
अब तक मेरा मूत खत्म हो गया था।

रेखा उठी और मुझसे सटकर खड़ी हो गई।
फिर वो अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ने लगी।

मैं लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा और उसकी सिसकारियां निकलने लगीं।

उसने टांगें फैलाकर चूत और गांड को बारी-बारी से मेरे लंड पर रगड़ना शुरू कर दिया।
कुछ ही देर में हम दोनों मदहोश होने लगे।
फिर दोनों के ही हाथ एक दूसरे की गांड की दरार में जाने लगे।

मेरी गांड की दरार में वो उंगली चला रही थी और मैं उसकी गांड की दरार में उंगली फिराते हुए उसके छेद तक सहला रहा था।
वो बोली- तुम्हारे मूसल ने फिर से मेरी चूत में आग लगा दी है।
मैंने उसके मन की बात पढ़ ली कि वो एक बार फिर से लंड लेना चाहती है।

मैंने उसकी एक टांग उठाकर ऊपर रखी और उसकी सूजी हुई चूत की दरार में लंड का सुपारा फंसा दिया।
फिर मैंने एक जोर का धक्का मारा और रेखा की चूत में आधा लंड घुस गया।
रेखा दर्द में चीखी लेकिन ये उसकी ही मर्जी थी तो मैं कुछ नहीं कर सकता था।

फिर मैंने लंड को चूत में घुसाए रखा और गांड में एक उंगली दे दी।
वो एकदम से सिहर गई और बोली- आह्ह … मजा आ रहा है ऐसे तो।

मैं धीरे-धीरे उसकी चूत में लंड को चलाने लगा और गांड में भी उंगली से चोदने लगा।

उसने मेरी कमर के पीछ हाथ लाकर मेरी गांड में भी उंगली दे दी।
वो हॉट डॉक्टर सेक्स का मजा लेती हुई अपनी उंगली को मेरी गांड में अंदर बाहर करने लगी।

हम दोनों को ही इस गंदे खेल में पूरा मजा आ रहा था। हम दोनों ही बहुत कामुक हो गए थे।

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फिर उसने अपनी गांड को मेरे लंड पर चक्की की तरह चलाना शुरू कर दिया।
उसका जोश बढ़ता जा रहा था।

अचानक से वो बोली- मैं झड़ने वाली हूं हर्षद!
मैंने भी जोर से चोदते हुए कहा- मैं भी!
फिर हम दोनों के मुंह से ही हर धक्के के साथ- आह्ह … आह्ह … ओह्ह … आह्ह … जैसे सीत्कार निकलने लगे।

कुछ धक्कों के बाद रेखा की चूत ने पानी छोड़ दिया और उससे उठी पच-पच की आवाज से मेरा लंड भी चरम उत्तेजना पर जाकर वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ने लगा।
हम दोनों एक दूसरे से लिपट गए और एक दूसरे को बांहों में कस लिया।

कुछ पल हम वहीं एक दूसरे को सहलाते रहे।
वो बोली- कितना मस्त ठोकते हो तुम हर्षद … मजा आ गया। मैं बहुत खुश हूं।
मैं बोला- मैं भी बहुत खुश हूं।

मैंने आहिस्ता से उसकी चूत से लंड को बाहर खींचा तो कामरस उसकी जांघों से बहता हुआ नीचे गिरने लगा।
वो बहते रस को देखती रह गई और बोली- इतना रस कहां से आता है तुम्हारे लंड में!

मैंने कहा- जब तक तुम्हारी चूत की आग ठंडी नहीं हो जाती, यह ऐसे ही निकलता रहेगा। तुम्हारी चूत बहुत प्यासी है।
वो बोली- हां, सही कहते हो। चला अब नहा लेते हैं।

उसने शावर चालू किया और हम नहाने लगे।
फिर बदन पौंछकर बेड पर आ गए।

समय 12.30 का हो गया था और खाने का वक्त हो गया था; दोनों को ही भूख लग आई थी।
वो बोली- चलो खाना खाते हैं।

हम नंगे ही गए और डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाने लगे।
हमने जल्दी ही खाना खत्म कर लिया।

रेखा किचन में जाकर बर्तन धोने लगी और मैं आराम से सोफे पर बैठकर रेखा को देखने लगा।

काम करते समय उसके गोल मटोल स्तन आगे-पीछे और ऊपर-नीचे झूल रहे थे।

ये देख मेरा हाथ भी मेरे लंड पर जाकर सहलाने लगा।

उसने मुझे देखा तो पूछने लगी- क्या हो रहा है हर्षद?
मैंने कहा- इसे मना रहा हूं।
वो हँसकर बोली- मना रहे हो या उकसा रहे हो?
मैं- तुम जो चाहे समझ लो।

कुछ देर में रेखा अपना काम खत्म करके आ गई।

मेरे पास आकर वो मुझसे सटकर बैठ गई।
उसने मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा- हर्षद … मैं हमेशा ऐसे ही तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं। काश तुम पहले मिले होते तो कितना अच्छा होता।
मैंने उसे चूमते हुए कहा- जो भी होता है किस्मत की बात है, सही वक्त पर ही कुछ होता है। अब हमारी मुलाकात को ही ले लो, कि कैसे हुई।

रेखा बोली- हां, तुम सही कहते हो।
उसने मेरी जांघों पर हाथ फिराना शुरू कर दिया और मुझे चूमने लगी।
मैं उसके स्तनों को सहलाने लगा।

ऐसे ही हम दोनों आधा घंटा एक दूसरे को सहलाते रहे और चूमा चाटी करते रहे।
रेखा बोली- 1.30 बज गया है, मुझे नींद आ रही है। बहुत थक गए हैं आज। चलो, 2-3 घंटे सो लेते हैं।

मैं बोला- हां … लेकिन पहले पेन किलर ले लो और वो क्रीम मुझे दे दो, चूत की मालिश कर देता हूं। मुझे लंड पर भी लगानी है।
रेखा उठी और अलमारी से पेनकिलर और मसाज क्रीम ले आई।
उसने क्रीम मेरे हाथ में थमा दी और पेन किलर लेकर पानी पीने चली गई।

फिर उसने बेडरूम में चलने के लिए कहा।
हम दोनों बेडरूम में गए और वो बेड पर अपनी दोनों टांगे फैलाते हुए पेट के बल लेट गई।

मैंने क्रीम निकाल कर उसकी चूत पर मसलना शुरू किया।

मैंने उंगली अंदर ले जाते हुए गहराई तक उसकी चूत में क्रीम मल दी।
वो बोली- अब मैं तुम्हारे मूसल पर क्रीम लगा देती हूं, लेट जाओ।

मैं लेटा तो वो अपने नाजुक हाथों से मेरे लंड पर क्रीम लगाने लगी।

फिर उसने सिर के नीचे तकिया लिया और अपनी गांड मेरी ओर करके लेटते हुए बोली- अब मुझसे चिपक कर सो जाओ।
वो ऐसे लेटी थी कि उसकी फूली हुई गुलाबी चूत ऊपर उभर आई थी और उसकी गांड का छेद भी नजर आ रहा था।

मैं भी उसके पीछे लेट गया और हाथ को गर्दन के नीचे से ले गया और दूसरे हाथ को ऊपर से उसके स्तनों पर रख कर सहलाने लगा।

उसने अपने दोनों हाथों से मेरे हाथ को अपने स्तनों पर दबा लिया।
वो बोली- अब चिपक कर लेट जाओ, पैरों में पैर फंसाकर!
मैंने आगे की ओर सरकते हुए उसके पैरों में पैर फंसा लिए और मेरा लंड उसकी चूत की हल्की खुली दरार में जाकर सट गया।

फिर हम दोनों को कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला।

दोस्तो, आपको ये हॉट डॉक्टर सेक्स कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना। आप कमेंट्स में अपनी राय लिख सकते हैं।
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