दोस्तो, मैं आपका आजाद गांडू एक बार फिर से आपके मनोरंजन के लिए अपनी सच्ची गे सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूँ.
मेरी पिछली कहानी
पुराने लौंडेबाज से मुलाक़ात हुई तो गांड मराई
में मैं आपको बता चुका था कि मैं एक शहर में जॉब कर रहा था. उस समय मेरी उम्र लगभग अट्ठाइस साल की रही होगी.
मैं हैंडसम कसरती और तगड़ा जिस्म वाला बंदा हूँ.
एक दिन मैं कपड़े सिलवाने टेलर मास्टर साहब के पास गया.
वहां मुझे मेरे कस्बे के नवाज भाई मिले जो उस दुकान पर अस्थाई सीजनल काम करने आए थे.
वो मेरे पुराने बचपन से परिचित निकले. बहुत दिन बाद, लगभग पांच-छह साल बाद मिले थे.
वे मुझसे तीन या चार साल बड़े रहे होंगे. स्लिम छरहरे गोरे खूबसूरत नाजुक और शर्मीले से हैं.
मैं उनसे लम्बाई में बराबर और चौड़ाई में ड्योढ़ा था.
वे बाद में मेरे फ्लैट पर सिले हुए कपड़े देने आए.
उस रात रूके और उन्होंने मेरी गांड मार दी.
अब आगे :
एक दिन रात को आठ नौ बजे के लगभग किसी ने मेरे फ्लैट की घंटी बजाई.
मैंने दरवाजा खोला और देखा तो सामने नवाज भाई खड़े थे.
उनके साथ एक लड़का, लगभग मेरी उम्र का और एक लड़की थी.
मैंने नवाज भाई को अन्दर किया, वे दोनों भी अन्दर आ गए.
तब नवाज भाई बोले- यार मैं बड़ी मुसीबत में आया हूं, मना मत करना!
मैं आश्चर्य में पड़ गया.
वे आगे बोले- मेरे साथ आए ये दोनों मेरे कस्बे से भाग कर आए हैं. इनका कहीं ठिकाना नहीं है. आज इन्हें अपने पास रख लो, कल की आगे देखेंगे.
मैंने उन्हें रोक लिया.
वे सब रात को रूक गए.
बाद में पता लगा कि वो लड़की शादीशुदा थी. लड़का दूसरे की बीवी भगा लाया था जो उसकी पुरानी प्रेमिका थी.
लड़का बेरोजगार था अतः उससे लड़की के घर वालों ने शादी नहीं की थी.
अब वह बंगलोर में जॅाब कर रहा था.
लड़की का प्यार का राज खुल गया तो लड़की का पति उसे तंग करने लगा था.
इस बार लड़का गांव आया तो लड़की ने दुखड़ा रोया.
इसलिए वह लड़की लेकर तुरंत भाग आया, उसने आगे पीछे का कुछ सोचा समझा ही नहीं.
वो एक दोस्त की मोटर साईकिल पर लड़की को बिठा कर भाग आया था.
अब वो नवाज भाई की शरण में था.
हम दोनों, मैं और नवाज कमरे में सोए.
उन दोनों लड़के लड़की के लिए बगल में बरांडे में जमीन पर गद्दा बिछा दिया.
वो उधर सोये, बहुत प्यासे थे … अतः रात को ही लग गए.
जब उन्होंने समझा हम सो गए, तब लड़के ने अपना बहुत दिनों से तड़पता प्यासा हथियार उस लड़की की फड़कती तरसती चूत में पेल दिया.
वह ‘आ … आ …’ कर उठी.
लड़का डांट रहा था- अरे चुप रह वह लोग सुन रहे होंगे.
लड़की- तुम्हारा बहुत बड़ा है … धीरे … करो लग रही है … आह … आह … बस … बस …
लड़की चूत उचका रही थी, साथ में नखरे भी कर रही थी.
लौंडा लगा था और ‘दे … दनादन … दे … दनादन अन्दर बाहर … अन्दर बाहर कर रहा था. उसने चूत ढीली कर दी.
उन दोनों का खेल रूक ही नहीं रहा था. न जाने साला कब का प्यासा था.
‘हुं … हूं … हूं … हां … हां …’
जोर जोर से सांस चलने की आवाजें आ रही थीं.
पुच … पुच … पच … पच … की चटखारे फिजा में गूंज रहे थे.
लौंडे ने शायद एकदम से पूरा लंड पेल दिया था.
लौंडिया एकदम दर्द से चिल्ला उठी- उई मम्मी फट गई मेरी!
‘कुछ नहीं हुआ … चुप रह.’
कुछ देर बाद चुदाई की आवाजें बंद हो गईं और मैं सो गया.
सुबह उनसे बात की.
नवाज साहब भी शहर में नए थे, वे कुछ घबराए से थे कि आगे क्या और कैसे होगा.
मैंने एक दोस्त को बुलाया.
वो एक वकील के पास उन दोनों को ले गए.
उनसे नवाज भाई भी परिचित थे.
उन्होंने बताया कि लड़की की उम्र का प्रमाण पत्र लगेगा.
नवाज साहब ने अपने एक परिचित की दुकान के लड़के को गांव भेजा.
वो उसी कस्बे का था.
वो गांव जाकर चुपके से लड़की की बड़ी बहन से मिला; उससे लड़की के जन्म प्रमाण पत्र के लिए उसका मैट्रिक का सर्टीफिकेट ले आया.
वकील ने मजिस्ट्रेट के सामने कागज पेश किए, एप्लीकेशन दी.
लड़की अदालत में पेश हुई.
उसके बयान हुए.
मजिस्ट्रेट साहब ने कहा कि बालिग होने के कारण अब वो लड़की, लड़के साथ रह सकती थी.
मैंने चैन की सांस ली.
क्रूरता के आधार पर तलाक की अर्जी दी गई व वो दोनों लड़के लड़की बंगलोर रवाना होने को रेडी हो गए.
मैंने उन दोनों का रेलवे रिजर्वेशन करवा कर ट्रेन में बैठा दिया.
अब वे मुस्करा रहे थे.
नवाज साहब मेरे सहयोग के बहुत आभारी थे.
वो बोले- आपने काम करवा दिया. मेरे अकेले के लिए ये बड़ा मुश्किल काम था.
मेरे दस हजार खर्च हुए थे.
इसके लगभग तीन चार महीने बाद की बात है.
एक दिन नवाज भाई फिर से मेरे फ्लैट पर आए.
वो बोले- अब अदालत का आदेश उसकी ससुराल वालों को मिल गया है. वे फनफना रहे थे.
मैंने उनसे कहा- आप जाकर दो चार लोग बीच में ले जाकर सुलह करवा दें. यदि लड़का तलाक दे देगा तो आपसी सहमति से तलाक हो जाएगा. लड़की वाले जेवर व सामान आदि लौटा दें. लड़के वाले उनका लौटा दें. कुछ लोग बीच में पड़ें.
मेरी सलाह पर काम हुआ और इस तरह मामला निपट गया.
उन दोनों का तलाक हो गया.
नवाज भाई कागज दिखा आए.
वकील साहब को भी उन्होंने पेमेन्ट कर दिया.
इसके बहुत दिनों बाद एक दिन मैं फ्लैट में बैठा था कि नवाज भाई आए.
साथ में वह लड़का भी आया था.
आज वह सजा संवरा था, मुस्करा रहा था.
हम सब बैठे, बात हुई.
उसने दस हजार की गड्डी निकाल कर मुझे दी- सर … ये आपने जो खर्च किए थे.
फिर नवाज बोले- इनका तलाक हो गया था, आपको बताया ही था, अब ये शादी कर रहे हैं.
मैं मंद मंद मुस्कुरा रहा था.
नवाज भाई हंसे और बोले- गांव जाने में तो गांड फटती है. लड़की के पहले ससुराल वाले बड़े लोग हैं, गड़बड़ कर सकते हैं. इसके पेरेन्ट भी पसंद नहीं कर रहे हैं. यहीं अपने शहर में इनके मौसा रहते हैं. उनके घर से शादी का छोटा सा प्रोग्राम है. आपका शुक्रिया करने आया है.
मैंने बधाई दी.
शादी कैसी भी सादगी या धूमधाम से हो, दुल्हन तो मन पसंद है न क्यों भाई … जिसके लिए पापड़ बेले.
लड़का बड़ा खुश था.
कुछ देर के नवाज भाई बोले- अब मैं चलूंगा.
नवाज भाई उठे, मैं भी खड़ा हो गया तो बोले- ये अभी यहीं रहेगा.
मैं उस लड़के को देखने लगा तो नवाज भाई बोले- आपने इतना किया. ये भी आज की रात आपका शुकराना अदा करेगा.
ये कह कर नवाज भाई ने आंख दबा दी.
मैं हंस दिया- अरे हो गया शुकराना … अब बीवी के पास लेटना.
वह लड़का हंसा- बीवी आज बंधन में है, मौसा जी के घर रहेगी. मैं उससे नहीं मिल सकता. अब शादी के बाद ही मिलना हो पाएगा. इसी लिए तो ये मुझे आपके पास छोड़े जा रहे हैं.
नवाज भाई फिर बेशर्मी से बेाले- आपका एन्जॉयमेंट करेगा.
फिर उस लड़के के मस्त चूतड़ों पर हाथ मारते हुए- क्यों भाई, ठीक है न!
वो भी दांत निकाल कर हंसा.
नवाज भाई चले गए.
अब मैं उठा और फ्रेश हुआ, ब्रश किया.
मैंने उससे कहा- दोस्त खाना?
वह बोला- खा आया हूँ.
कुछ देर बाद हम दोनों लेट गए.
उसने अपने कपड़े उतार दिए.
मैंने लोअर ऑफर किया, तो वो बोला- सर उसे भी उतारना ही तो है.
मैं हंस दिया.
अब हम दोनो अंडरवियर बनियान में थे, बेड पर पास पास लेट गए.
मैं चित लेटा था. वह मेरी तरफ करवट लेकर लेट गया.
मैंने उसे अपने पास खिसकाया तो वो मुझसे चिपक गया.
उसने अपनी एक टांग टेढ़ी करके मेरे ऊपर रख दी.
वो मेरी तरफ चेहरा करके देख रहा था … न जाने क्या सोच रहा था.
मैंने एकदम से उसका मुँह चुम्बन के लिए ऊपर किया तो उसने अचानक ही मेरा मुँह चूम लिया.
मैं मुस्कराने लगा.
मैंने उससे कहा- तैयार?
वह हंस दिया और अंडरवियर के ऊपर से मेरा लंड सहलाने लगा.
अब मैं उससे लिपट गया और उसके दो तीन चुम्बन ले लिए.
उसने तब तक मेरे अंडरवियर में हाथ डाल कर मेरा लंड बाहर निकाला और मुट्ठी मारने लगा.
मैंने अपना हथियार उसके हाथ से छुड़ा कर उसे पलटने का इशारा किया तो वह तुरंत पलट गया. उसने मेरी तरफ पीठ कर ली.
मैंने उसे पूरा उल्टा किया और उसके ऊपर चढ़ बैठा.
उसका अंडरवियर नीचे खिसकाया, तो उसने खुद ही उतार कर दूर फैंक दिया व टांगें चौड़ी कर औंधा लेट गया.
मैंने लंड पर थूक लगा कर उसकी गांड पर टिकाया और कहा- यार थोड़ा सब्र करना, थोड़ी लगेगी … अपनी ढीली रखना.
वह हंसने लगा.
जब मैंने धक्का देकर सुपारा अन्दर किया तो वह मुँह तो बना रहा था पर उसने आवाज नहीं निकाली; चुपचाप लंड ले लिया.
दूसरे धक्के में पूरा लंड गांड में अन्दर चला गया.
वह वाकयी अपनी ढीली किए था. लंड आसानी से अन्दर चला गया था, मुझे ज्यादा जोर नहीं लगाना पड़ा.
अब मैं उसकी पीठ से चिपक गया और अपने मुँह को उसके कान के पास ले जाकर धीरे से फुसफुसाया- यार लग तो नहीं रही? बता देना.
उसके दांत बाहर आ गए.
वो बोला- लगे रहो सर.
अब मैं शुरू हो गया और अन्दर बाहर अन्दर बाहर धक्कम पेल धक्कम पेल करने लगा.
वह कुछ देर तो गांड चौड़ी किए शांत लेटा रहा. फिर मैंने तेज तेज किया तो वो भी शुरू हो गया. अपनी गांड चलाने लगा … चूतड़ उचकाने लगा.
वह लंड के धक्कों के साथ गांड की ताल मिला रहा था.
मैंने कहा- वाह यार … तुमने तो मजा बांध दिया, खिलाड़ी हो, मजे हुए कलाकार हो.
कुछ देर बाद मैं उसकी गांड में लंड डाले चुपचाप लेट गया.
वह अब भी गांड चला रहा था.
मैंने उससे कहा- अरे यार, तुम सा कोई बड़ी मुश्किल से मिलता है. इतना माशूक नमकीन और ये कलाकारी, मजा बांध दिया तुमने. अब तक कहां थे, इतने दिल से सही से कराने वाला मुश्किल से मिलता है. ये मेरी किस्मत थी कि तुम मिल गए.
मुझे भी फिर से जोश आने लगा. मैं भी धक्के देने लगा. वह साथ साथ गांड चला रहा था.
वह बोला- बड़ी देर से लगे हो सर … थक गए होगे. थोड़ा रूक लें.
मैं उसके ऊपर से उसके बगल में हो गया.
हम दोनों ने करवट ले ली.
मैं उसके निप्पल सहलाने लगा.
मैंने पूछा- यार मजा आ रहा है … कोई परेशानी तो नहीं है, साफ कह देना.
उसने मेरा एक चुम्बन ले लिया और अपने मजे की बात को इशारे से बता दिया.
मैं उसके निप्पल सहलाते हुए उसके चूतड़ सहलाने लगा. गोरे गोरे मस्त गोल गोल चूतड़ थे. मेरे हाथ अपने आप उन्हें मसकने लगे.
फिर मैं उसके पेट पर हाथ फेरने लगा तो मेरे हाथ में उसका लंड आ गया.
बहुत लम्बा मोटा सख्त तना हुआ था. मेरी मुट्ठी में मुश्किल से आ रहा था.
मैंने दो तीन बार आगे पीछे किया, कसके दबाया तो वह छुड़ाने लगा.
मैंने उससे कहा- यार, तेरा हथियार तो बड़ा मस्त है. इतना लम्बा मोटा लेकर वो लौंडिया तेरे से चुदा कर मस्त हो जाती होगी. ऐसा मस्त लंड तो बड़ी किस्मत से नसीब होता है.
वह हंसा और बोला- तभी तो उसे पटा कर भगा कर लाया हूं. इस काम में बड़ी मेहनत करनी पड़ी थी … और भी कई तरकीबें भिड़ाना पड़ी थीं. अकले लंड से काम नहीं चलता. लंड तो आपका भी जोरदार है. मेरी गांड में घुसा था, तो मुझे मालूम पड़ रहा था कि कैसा है.
मेरे हाथ में उसका लम्बा मोटा सख्त लंड मचल रहा था. मेरी भी तबियत मचल गई. मैं अपने को रोक नहीं पाया.
मैं आखिर उससे कह ही बैठा- यार तेरा हथियार बड़ा मस्त है. मेरी में डाल दे.
इस पर वह हंसा और गांड चलाने लगा.
‘अभी मेरी मार लो, फिर आपकी भी देखें लेंगे.’
हम दोनों फिर से लग गए.
थोड़ी देर में मेरा पानी छूट गया.
हम अलग हुए व बाथरूम से साफ होकर लौट आए.
‘आप भी माल हो, कभी आपको भी खुश कर दूंगा. जैसे कहोगे वैसे कर दूंगा. पर सर आज मूड नहीं है.’
मैंने मन मारकर कहा- यार मेरी मार दे, मेरा बड़ा मन है.
मैं गांड खोल कर पलंग पर औंधा लेट भी गया.
वह भी मेरे चूतड़ सहलाते हुए बोला- आपके ये तो मेरे से भी गोरे हैं. बीच में गुलाबी गांड भी मस्त है.
फिर वो मेरे चूतड़ मसकने लगा.
मैंने कहा- सर वर छोड़ो … यार बोलो.
वो खुल गया- हां यार … तुम भी तो नमकीन हो.
उसने मेरे दोनों चूतड़ों का चुम्बन ले लिया.
फिर बोला- तुम भी मस्त माल हो. कभी तुम्हें खुश कर दूंगा, आज मूड नहीं है. अपनी मराने में मेरा पानी निकल गया है. आज तुमने मेरी मार कर तबियत मस्त कर दी, सच में क्या रगड़ी है, लाल कर दी. पूरे दिल से मारी … कितनी देर डाले रहे. मैं थक गया, पर मजा बहुत आया.
उसने आगे बढ़ कर मेरा चुम्बन ले लिया.
मैंने उससे बहुत कहा, पर उसने मेरी नहीं मारी. न जाने क्या बात थी.
हम दोनों सो गए.
सुबह सो कर उठे तो वह बाथरूम के आईने में देख रहा था.
पीछे से मैं टूथ ब्रश लेने आया तो उसे न जाने क्या सूझी, उसने मेरा लंड मसक दिया.
मैं तमक कर बोला- डाल दूंगा.
वह मुस्कराने लगा- धमका किसे रहे हो? लो, डाल दो.
ये कह कर उसने अपना अंडरवियर नीचे खिसका दिया. मैंने थूक लगाकर डाल दिया तो वह खुद ही अपनी गांड चलाने लगा.
वो खड़े खड़े ही मरवा रहा था.
हम दोनों धक्कम पेल, धक्कम पेल लगे रहे. वह दीवार से टिक गया.
कुछ देर में मेरा पानी छूट गया.
मैंने पूछा- यार, कब से नहीं कराई थी!
वो बोला- तीन चार साल से गांव में कराता था, अब शहर में किससे कहता, तो प्यासा रह गया. तुमने आज मार कर तृप्त कर दी. रगड़ कर लाल कर दी … सच में क्या मस्ती से मारी, मजा आ गया. बहुत दिनों की इच्छा पूरी हुई और ऐसा जोरदार लंड, गजब की चुदाई … आंह मजा आ गया.
वह बार बार तारीफ़ दोहरा रहा था.
इसके आगे क्या हुआ दोस्तो, वो मैं अगली कहानी में लिखूंगा.
आपको मेरी गे सेक्स कहानी कैसी लगी, कमेंट्स करके बताएं.