मेरे कुंवारे जिस्म में जल रही वासना की ज्वाला- 2

कॉलेज गर्ल पोर्न स्टोरी में पढ़ें कि जब लड़की जवान हो जाती है तो उसकी चूत लंड मांगने लगती है. मेरी चूत भी लंड मांग रही थी. मैंने किसका लंड लिया पहली बार?

दोस्तो, मैं मोनिका एक बार फिर से आपके सामने अपनी चुत की फड़फड़ाहट को एक मर्द के लंड से शांत करवाने वाली इस सेक्स कहानी को लेकर हाजिर हूँ.
कॉलेज गर्ल पोर्न स्टोरी के पहले भाग
मेरी कुंवारी चूत की गर्मी
में अब तक आपने पढ़ा कि मैं उस दिन कॉलेज से आकर अन्तर्वासना की एक मस्त सेक्स कहानी पढ़ रही थी जिस वजह से मेरी चुत में चुलबुली काफी हद तक बढ़ गई थी.
फिर मॉम ने बाजार चलने के लिए कहा तो मैं उनके साथ चलने को तैयार हो गई.

अब आगे कॉलेज गर्ल पोर्न स्टोरी:

उस दिन भी मैंने स्कर्ट और एक टी-शर्ट पहनी थी लेकिन उस दिन ब्रा और पैंटी दोनों पहनी हुई थीं क्योंकि मम्मी साथ में थीं, तो रिस्क नहीं लेना था.

हमने घर के लिए किराना, किचन के डिब्बों के दो सैट, प्लास्टिक के डिब्बे आदि ऐसे कुछ सामान खरीदे और गाड़ी की डिक्की में रख कर घर वापस आने लगे.

जैसे ही हम निकले कि मम्मी के फोन पर पापा का कॉल आ गया और उन्होंने मॉम को अपने आफिस बुलाया.

मम्मी ने मुझसे कहा- तुम और अंकल घर जाओ. मैं ऑटो से आफिस जाती हूं.
वो ऑटो में आफिस चली गईं.

अब मैं और ड्राइवर अंकल गाड़ी में घर की ओर जा रहे थे.

तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आ गया.

कहानी आगे बढ़े … उससे पहले मैं अपने ड्राइवर अंकल के बारे में बता देती हूँ.

उनकी उम्र 48-50 के बीच की रही होगी. मैं उनको अंकल और वो मुझे छोटी मैडम कहकर बुलाते थे.

मुझे जो आईडिया आया था, उसी के मुताबिक मैंने सोचा क्यों न अंकल को ही उत्तेजित करूं, शायद ये मुझे चोद भी दें.

अपने आईडिया के मुताबिक मैंने रास्ते में ड्राइवर अंकल से एक कपड़े के शोरूम के बाहर गाड़ी रुकवाई और ‘एक कपड़ा देख कर आती हूँ …’ ऐसा बोलकर मैं अन्दर चली गई.

अन्दर जाते ही मैंने ट्रायल रूम में एक कपड़े के ट्रायल के बहाने अपनी ब्रा और पैंटी निकाल कर अपने पास एक छोटे पर्स में डाल लीं और बाहर आकर गाड़ी में आगे बैठ गई.

गाड़ी में बैठते ही ड्राइवर अंकल ने गाड़ी घर की ओर ले ली.
इसी बीच उन्होंने एक दो बार मेरे बूब्स पर भी नज़र मार ली क्योंकि बिना ब्रा के निप्पल भी टी-शर्ट के ऊपर से अपना आकार बना चुके थे.

थोड़ी देर में हम घर पर पहुंचे और गाड़ी बेसमेंट में पार्क की.

जैसे ही हम नीचे पहुंचे, मैं तुरंत गाड़ी से नीचे उतर गई.
मैंने ड्राइवर अंकल को बोला- आप अन्दर से डिक्की खोलें, मैं सामान निकालती हूँ.

ड्राइवर अंकल ने डिक्की खोली और मैंने झुकती हुई सामान निकालने लगी.

मैंने उस समय अपना पूरा स्कर्ट पीछे से ऊपर कर दिया था क्योंकि मुझे मालूम था कि ड्राइवर अंकल भी तुरंत सामान निकलवाने आएंगे.

और ऐसा ही हुआ.

वो भी तुरंत अपनी सीट से उठकर पीछे डिक्की की साइड आए और मेरी उठी हुई स्कर्ट को देखकर मेरी गांड और चुत को ध्यान से देखने लगे.

मैं अनजान बनकर धीरे धीरे सामान निकालने का नाटक करती रही.

अब वो भी सामान निकलवाने के बहाने मेरे पीछे खड़े होकर मेरी चुत और गांड को अपना लंड टच करवाने लगे थे.
मैं ऐसे ही अनजान बन रही थी और उनको और उत्तेजित कर रही थी.

कुछ ही देर में वो इतना ज्यादा उत्तेजित हो गए थे कि उन्होंने अपनी पैंट की चैन खोलकर लंड बाहर निकाल दिया था और मेरी गांड की दरार पर रख दिया था.

सामान लेने के बहाने वो थोड़ा और आगे को होते, जिससे थोड़ा दबाव बनता और उनका लंड मेरी गांड में और ज़्यादा टच होने लगता.

मैंने महसूस किया कि उनका लंड यही कोई 4 या 5 इंच का होगा लेकिन मुझे तो पहली बार लेना था तो साइज से कोई मतलब नहीं था.

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अब वो थोड़ा आगे पीछे धक्के भी लगा रहे और देख रहे थे कि मैं भी कोई विरोध नहीं कर रही हूँ.
वो अपने लंड को मेरी चुत में घुसाने की कोशिश करने लगे.

ड्राइवर अंकल लंड ठीक तरह से चुत पर सैट नहीं कर पा रहे थे तो उन्होंने लंड की जगह अपनी उंगली चुत में डाल दी और उंगली आगे पीछे करने लगे.

मैंने भी ज्यादा देरी ना करते हुए अंकल को बोल दिया- अंकल … उंगली नहीं अपना हथियार डालो न!

ड्राइवर अंकल ने ये सुना तो तुरंत अपना पूरा पैंट निकाला और मुझे थोड़ा और झुका दिया.
मेरे कुतिया बनते ही अंकल ने अपने लंड को मेरी कुंवारी चुत पर सैट किया और धीरे से धक्के लगाते हुए लंड को चुत में डाल दिया.

मैंने अभी तक उनका लंड देखा नहीं था क्योंकि मैं तो झुककर खड़ी थी.

चूंकि मैं मोटी गाजर मूली अपनी चुत में लेती रहती थी, तो मुझे अंकल के लंड से कोई ख़ास दर्द नहीं हुआ.

ड्राइवर अंकल का लंड अब मेरी चुत में था और वो बड़े प्यार से एकदम धीरे धीरे धक्के लगा रहे थे.
मैं पहली बार लंड चुत में ले रही थी और वो आनन्द शब्दों में तो बयान ही नहीं किया जा सकता.

सच में मूली गाजर की जगह पर मर्द का लंड चुत में लेना क्या मज़ा दे रहा था कि क्या बताऊं.
मुझे ऐसा लग रहा था कि जिंदगी का सबसे बड़ा सुख यही है.

कुछ ही मिनट में मेरी चुत ने पानी छोड़ दिया लेकिन अंकल का लंड अभी भी टाइट था.

अब मैं मुड़कर गाड़ी की डिक्की में ही बैठ गई और अंकल के हवा में लहराते हुए लंड को देखने लगी.

मैं सच कहूँ तो मेरी लाइफ का पहला खुला लंड मैं अपनी आंखों के सामने देख रही थी.
अंकल का काला लंड, उसके ऊपर लाल टोपा और थोड़ी सी उसमें से आने वाली मादक महक मुझे बेकाबू कर रही थी.

अंकल मेरे सामने लंड लेकर खड़े थे तो मैंने भी देर ना करते हुए उनका लंड हाथ में ले लिया और अपने हाथों से उनकी मुठ मारने लगी.
मैं अंकल के लंड को तेजी से हिलाए जा रही थी.

तभी अंकल मेरी टी-शर्ट के ऊपर से ही मेरे मम्मों को दबाने लगे.
अंकल ये सब बहुत प्यार से कर रहे थे जैसे उनको कोई जल्दबाजी ही नहीं हो.

बाकी मैंने जहां तक देखा और सुना था तो लोग ऐसे अचानक से चुत मिलने पर एकदम जंगली की तरह व्यवहार करने लगते हैं.
पर मेरे ड्राइवर अंकल एकदम अलग थे.

अब अंकल ने मेरे दोनों मम्मों को बारी बारी से दबाना मसलना चालू कर दिया था और मैं उनका लंड हिला रही थी.

ड्राइवर अंकल ने मेरे दोनों मम्मों को दबाते हुए उनको एकदम टाइट कर दिया था.
अंकल जब मेरी चूचियों के निप्पलों से खेलते, तब मेरे शरीर में एक करंट या लहर सी दौड़ जाती थी.

मैं खुद ही अंकल के दोनों हाथों को पकड़ कर अपने दोनों मम्मों को दबवा रही थी.

कुछ देर बाद मैंने अंकल का लंड छोड़ दिया था ताकि वो झड़ न जाएं.

तभी अंकल ने मेरी टी-शर्ट उतार दी. अब तो मेरे दोनों बूब्स उनके सामने एकदम नंगे थे.
मैं सिर्फ स्कर्ट में गाड़ी की डिक्की में थी और आधा सामान गाड़ी में और आधा बाहर था.

मेरे नंगे मम्मों को देखते ही अंकल की स्पीड थोड़ी बढ़ गई और वो निप्पल और बूब्स को जोर से मसलने लगे थे.

मेरे मुँह से भी मस्ती से ‘आह … आह …’ की आवाज आने लगी थी.

तभी अंकल मेरे थोड़े और पास आए और दोनों मम्मों के बीच में लंड रखकर धक्के देने लगे. उनका लंड मेरे मुँह के पास आकर वापिस चला जा रहा था.

मेरा मन कर रहा था कि अंकल का लंड मुँह में ले ही लूं लेकिन अंकल बूब्स को चोद रहे थे.

दो तीन मिनट के बाद मैंने ही उनके लंड को मम्मों से हटाया और मुँह में ले लिया.

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मैं अपनी बहनों को बताना चाहती हूँ कि मुँह में लंड लेने का भी एक अलग ही मज़ा है.
शुरू शुरू में अजीब लगता है पर बाद में लंड चूसने में जन्नत का मजा मिलता है.

मैं अंकल के लंड को मुँह में आगे पीछे कर रही थी, मुझे तो बहुत बहुत मजा आ रहा था.
ऐसा लग रहा था, जैसे मैं कोई बड़ी वाली लॉलीपॉप चूस रही होऊं.

अंकल भी मेरे मुँह में धक्के लगा रहे थे.

थोड़ी देर में अंकल झड़ने को आए तो उन्होंने मुँह से लंड निकाला और गाड़ी के टायर पर अपना सारा माल गिरा दिया.

मैं ऐसे ही आंखें बंद करके गाड़ी की डिक्की में बैठी रही और एक मस्त अनुभव जो हुआ था, उसका आनन्द अन्दर ही अन्दर उठाने लगी.

मैं चाहती थी कि आज मैं जी भरके सेक्स करूं, पता नहीं कल क्या हो.

तभी मैं उठी और गाड़ी की पीछे वाली सीट में जाकर सीधा लेट गई और अपना स्कर्ट वापिस ऊपर कर दिया.

अंकल भी मेरे पीछे आ गए और मेरी पोजीशन देख कर समझ गए कि मैं क्या चाहती हूँ.

वो मेरी नंगी चुत देख कर दरवाजे के पास घुटनों के बल बैठ गए और मेरी चुत पर अपनी जीभ रख दी.
उनकी जीभ का टच होते ही मैं चिहुँक सी गई.

अंकल भी धीरे धीरे मेरी चुत की फांकों के अन्दर पूरी जीभ डालने लगे और बड़ी मस्ती से मेरी कमसिन चुत चाटने लगे.

मुझे आज पता चला कि चुत चटवाने का सुख क्या होता है.

मैंने अंकल के सिर को पकड़ कर अपनी चुत पर दबा दिया और कहने लगी- आंह और चाटो अंकल और चाटो … मजा आ रहा है.

मैं भी कमर उछाल उछाल कर अपनी चुत उनके मुँह में दबाने लगी.

इसी बीच अंकल का लंड फिर से टाइट होने लगा था.

थोड़ी देर चुत चाटने के बाद अंकल गाड़ी के दरवाजे के पास खड़े हो गए और मैं वहां सीट में बैठे बैठे उनका लंड चूसने लगी.
मैं एकदम जल्दी जल्दी लंड चूस रही थी. मुझे अंकल के लंड से उनके वीर्य का स्वाद भी आ रहा था.

उत्तेजना के उन पलों में मुझे ऐसा लगने लगा था कि इस बार मैं अंकल के लंड के माल को खा जाऊं.

अब अंकल का लंड एकदम टाइट हो गया था.
मैंने अंकल के लंड को मुँह से बाहर निकाला और अंकल को सीट में आकर बैठने को कहा.

मैं थोड़ा अन्दर हुई और अंकल भी अन्दर आ गए.
अंकल का लंड एकदम मिसाइल के जैसा खड़ा था.

तभी मैं थोड़ा उठी और स्कर्ट ऊपर करके अंकल की गोद में बैठने लगी, जिससे अंकल का लंड पूरी तरह मेरी चुत में समा जाए.

अब अंकल का लंड वापिस चुत में था और मैं उनकी गोद में थी.

मेरी पीठ अंकल के मुँह की तरफ थी तो अंकल चोदते चोदते मेरी पीठ भी अपनी जीभ से चाट रहे थे.
उनके हाथ मेरे आमों पर जमे थे.

ये सब मेरे लिए और आनन्दमय था. अंकल की जीभ काम कर रही थी, उनका लंड भी और उनके दोनों हाथ मेरे बूब्स को दबाए जा रहे थे.

चुत चोदने की वजह से चप-चप, पच-पच की आवाजें आ रही थीं

अंकल की स्पीड अब बढ़ गई थी.
वो जोर जोर से धक्के लगाए जा रहे थे.
मैं भी ‘उह … आह … उह … आह …’ करे जा रही थी.

अंकल भी इसी आवाज से जोश में आ गए थे.

तभी मैंने अंकल से कहा- अन्दर मत झड़ना.

एक दो धक्के लगाने के बाद अंकल ने मुझे गोद से हटाया और गाड़ी की सीट में ही झड़ गए.

थोड़ी देर तक अंकल मेरे मम्मों को दबाते रहे और चुत में उंगली करते रहे. उसी टाइम मैं भी झड़ गई.

एक मिनट बाद हम दोनों बाहर निकल आए.
अंकल ने कपड़े पहने और गाड़ी साफ की.
मैं भी कपड़े पहन कर अन्दर चली गई.

दोस्तो, ये थी मेरी लाइफ की पहली सेक्स कहानी.
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