कुछ अधूरा सा-2

कुछ अधूरा सा-1

मामा को विदेश गये करीब तीन वर्ष हो गए थे। चाहे मामी कुछ बोलती नहीं थी लेकिन प्यासी तो वे भी थी और अभी दो चार माह और मामा के आने की कोई योजना नहीं थी।

यही सब सोचते-सोचते मैं मामी के बेड तक पहुंच गया और बेड पर बैठ गया। पहले मैंने मामी को देखा कि वो गहरी नींद में हैं या नहीं। उनके खर्राटे चालू थे मतलब मामी गहरी नींद में थी।

उसके बाद में उनके पास में ही लेट गया। डर तो लग रहा था कि मामी चिल्ला दी तो कविता मामी पास वाले कमरे में ही सोती थी। आवाज सुन कर वो आ गई तो?
इन्हीं सब में मेरे अंदर से आवाज आ रही थी ‘जग, अगर आज नहीं तो कभी नहीं… जो होगा देखा जाएगा। माफी मांगनी पड़ी तो मांग लेंगे।’

मैंने पहले अपना एक पैर उनके पैरों पर डाला और थोड़ी देर वैसे ही रखा।

अचानक मामी के खर्राटे लेने बंद हो गए। मैं समझ गया कि मामी नींद से जग गई है, मैंने तुरंत आँखें बन्द कर ली पर अपना पैर जगह से नहीं हटाया।
फिर मामी ने मेरा पैर अपने ऊपर से हटा दिया और पलट कर मेरी तरफ देखा मगर बोली कुछ नहीं… शायद मैंने आँखें बन्द कर रखी थीं इसलिए!
मामी फिर मेरी तरफ पीठ कर के सो गई।

फिर जब मामी के हल्के-हल्के खर्राटों की आवाज मेरे कानों में आई तो मैंने अपनी आँखें खोली। फिर जब मामी के खर्राटों की आवाज तेज हुई तो मैंने फिर से अपना पैर मामी के पैरों पर डाल दिया।
मामी की आंख खुल गई और उन्होंने मेरा पैर फिर से अपने ऊपर से हटा दिया लेकिन इस बार उन्होंने पलट कर नहीं देखा।

कुछ देर बाद फिर मैंने वैसा ही किया और इस बार मैंने मामी के खर्राटों की आवाज का भी इन्तजार नहीं किया।

बहुत देर तक जब मामी की तरफ से कोई हलचल नहीं हुई तो मैंने आगे बढ़ने की सोची और मैंने अपना एक हाथ मामी के ऊपर डाल दिया जो मामी के कन्धे की तरफ से होता हुआ उनके स्तनों पर जा रहा था।

कुछ देर मैंने ऐसा ही रहने दिया, जल्दबाजी करके मैं हाथ आया मौका जाने नहीं देना चाहता था।
और वैसे भी मुझे मालूम था कि मामी जग रही हैं क्योंकि उनके खर्राटों की आवाज बिल्कुल भी नहीं आ रही थी।

थोड़ी देर बाद ही मैं अपने हाथों से मामी के उरोज सहलाने लगा और पैर से पैर सहलाने लगा।
ना ही उन्होंने कोई हलचल की और ना ही कुछ कहा… हाँ, बस उनके सांस फ़ूलने की आवाज लगातार आ रही थी।

उनकी तरफ से कोई विरोध ना होने की वजह से मेरी हिम्मत बढ़ने लगी और मैंने अपने हाथों की स्पीड बढ़ा दी।
मैंने जैसे ही उनके स्तनों को जोर से दबाया, वो सीधा उठ कर बैठ गई।

एक बार तो मैं डर गया कि अब क्या होगा… वो किसी को बोल नहीं दें।
लेकिन ना उन्होंने कुछ बोला और ना ही मेरी तरफ देखा, बस सीधी वॉशरूम में चली गई।
मैं उनके बैड पर वैसे ही लेटा उन्हें देख रहा था।

फिर वो वॉशरुम से आई और कमरे के बाहर चली गई।
अब मेरी फटने लगी, मुझे लगा वो कविता मामी को बुलाने गई हैं, आज तो मैं गया।
यह सब सोच कर मैं उनके बेड से उठने लगा तो मैंने देखा मामी आ रही हैं इसलिए मैं वापस वैसे ही लेट गया और अपनी आँखें बन्द कर ली।

मामी ने कमरे का दरवाजा बंद किया और अपने बेड पर आकर सो गई।

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। पहले तो मैं बहुत देर तक यह सोचता रहा कि अपने बिस्तर पर जाऊँ या यहीं सो जाऊँ।
और मामी भी कुछ बोली नहीं!
फिर मैंने मामी को 2-3 बार आवाज दी।
वो जगी हुई थी लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी।

फिर कुछ देर बाद मैंने फिर से कोशिश करने की सोची। और इसी प्रकार यह भी मालूम चल जाएगा कि मामी चाहती क्या हैं।
तो मैंने अपना एक पैर और हाथ मामी के ऊपर डाला मगर मामी कुछ नहीं बोली।

मैंने इसे ऊपर वाले का इशारा समझा, अब मैंने मामी को कस के पकड़ लिया और उनके एकदम पास आ गया। फिर मैंने अपने हाथ पैर चलाने शुरु कर दिये और पीछे से उनकी गर्दन के नीचे चुम्बन करने लगा, साथ में नीचे से झटके भी दे रहा था।
पजामे के अन्दर चड्डी तो थी नहीं तो मेरा लंड बराबर मामी की गांड में लग रहा था।

कुछ देर बाद मैंने मामी को सीधा किया तो उन्होंने अपनी आँखें बंद कर रखी थी। मैं मामी के ऊपर चढ़ गया और मामी को सब जगह चुम्बन करने लगा, कभी गर्दन पर, कभी गालों पर, कभी कान के नीचे… मगर जब मैंने उनके होंठों पर चूमा तो उन्होंने मेरा साथ नहीं दिया। फिर भी मैं उनके होठों बहुत अच्छे से चूम रहा था लेकिन उनके साथ के बिना वो मजा नहीं आ रहा था।

मुझे पता ही नहीं चला कि मैंने कब अपने पूरे कपड़े निकाल दिये और नंगा ही उनके ऊपर चढ़ा हुआ था।
अब मैं जल्दी से ही सोना मामी के कपड़े भी निकालना चाहता था क्योंकि वैसे ही बहुत देर से मैं सिर्फ चुम्मा-चाटी और दोनों स्तनों को दबा रहा था।

फिर जैसे ही मैंने कपड़े ऊपर करने के लिए मामी का कमीज पकड़ा तो मेरा हाथ उनकी सलवार पर लगा जो पूरी तरह गीली हो चुकी थी चूत की जगह से!
मगर मैंने वहाँ ध्यान ना देकर पहले कपड़े निकालना ठीक समझा। अभी सिर्फ कमीज को पेट तक ही किया था कि मामी ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैंने मामी की तरफ देखा तो अभी भी उनकी आँखें बंद थी।

मैंने फिर भी कमीज को ऊपर करने की कोशिश की तो उन्होंने मेरे हाथ पर जोर मारा।
मैंने धीमी आवाज में पूछा- क्या हुआ?
वो कुछ नहीं बोली, बस मेरा हाथ दबा रही थी।

मैंने फिर पूछा- कुछ बोलोगी नहीं तो मुझे पता कैसे चलेगा क्या कह रही हो?
तो उन्होंने अपने दूसरे हाथ से मेरे हाथ पर मारा। तो मैंने बोला कमीज छोड़ूँ तो मामी ने हाँ में सर हिलाया।
तो मैंने छोड़ दिया और वापस चूमना शुरु कर दिया।

फिर जब मैंने होंठों पर चूमा तो मामी फिर से मेरा साथ नहीं दे रही थी तो मैंने मामी को बोला- मैंने तो आपकी बात मानी पर आप मेरा साथ नहीं दे रही हो। ऐसे तो ना आपको मजा आएगा और ना ही मुझे!

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और फिर से मैंने मामी को चूमना शुरु कर दिया। मुझे पता था वो जवाब तो देगी नहीं मगर इस बार वो साथ जरूर देने लगी। साथ थोड़ा हल्का था लेकिन शुरुआत के लिए अच्छा था।
अब मामी के हाथ भी मेरी कमर पर चलने लगे थे।

मैंने मामी को चूमना जारी रखा। अब वो मेरा साथ अच्छे से दे रही थी, वो मुझे बहुत अच्छे से चूम रही थी। या यूं कहूँ कि काट रही थी।
मुझे बहुत मजा आ रहा था, मैं अपने होंठों को जब भी उनके होंठों से मिला रहा था तो वो उनको ऐसे चूस रही थी जैसे खा जाएँगी।

मैंने फिर से उनके कपड़े निकालने की कोशिश की तो इस बार फिर से उन्होंने मेरा हाथ रोक दिया। लेकिन इस बार मैं रुकना नहीं चाहता था, मैंने मामी से थोड़ी विनती की तो वो मान गई, उनका हाँ में सर हिलाना था कि मेरी खुशी का कोई ठिकाना न रहा।
मुझे लगा जैसे मेरी कोई बहुत बड़ी प्रार्थना स्वीकार हो गई।

मैंने उनको बैठने के लिए बोला और पीछे से उनके कपड़े निकालने लगा।
जैसे ही मैंने उनका कमीज निकाला, मुझे उनकी ब्रा दिखी लाल रंग की जो उनको एकदम फिट थी। मैंने समय खराब न करते हुये उनके दोनों स्तनों पर हाथ रखा और पीछे से उनको चूसना शुरू कर दिया।
वो भी मजे में हल्की-हल्की आवाजें निकाल रही थी।

मैं पीछे से उनकी कमर चाट रहा था और आगे से मेरे हाथ उनके स्तनों को दबा रहे थे। बहुत मजा आ रहा था, जो रोज में करने की सोचता था वो आज हकीकत में हो रहा था।

मैं बेड से नीचे उतरा और उनके सामने खड़ा हो गया। मैंने देखा कि उन्होंने भी अपनी आंखें अब खोल दी है, मैंने उनको भी खड़ी किया और उनके होंठों को चूमने लगा, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।

थोड़ी देर ऐसे ही चूमने के बाद मैं धीरे-धीरे नीचे आया। कुछ देर उनके स्तनों से खेल कर मैं पेट पर आ गया और चूमने लगा।
मैं और नीचे जाना चाहता था लेकिन उन्होंने मुझे ऊपर अपने होंठों पर खींच लिया।

अब उन्होंने मुझे सीधा बेड पर लेटाया और मुझे चूमने काटने लगी। वो मुझे ऊपर से लेकर नीचे तक चूसती रही मगर उन्होंने मेरा लंड नहीं चूसा।
मैंने कोशिश भी की मगर वो नहीं मानी और वो मेरे ऊपर सीधा लेट गई।

फिर ब्रा के ऊपर से ही मैं उनके स्तनों पर टूट पड़ा, मैंने उनकी ब्रा निकालने की कोशिश की मगर मुझसे नहीं हुआ। फिर उन्होंने ही अपनी ब्रा निकाल दी मैं उनके स्तनों को देखता ही रह गया क्योंकि वो बहुत बड़े थे।
मैं उन पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा।

फिर मैंने उन्हें अपने नीचे लेटाया और उनके ऊपर चढ़ गया, उनके होंठो को चूसना शुरू किया और हाथों से उनके स्तन दबा रहा था। अब मैं उनके एक स्तन को मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को हाथों से दबा रहा था।

मैं उनके पेट पर आया और उस पर भी चूमने लगा।
मामी पागल सी हो रही थी मगर मुंह से एक शब्द नहीं बोल रही थी।

मेरा लंड उनकी चूत की जगह रगड़ने से गीला हो गया था। मैंने 2-3 बार उनको लंड मुंह में लेने को कहा मगर मानी नहीं।
मैं उनकी बात हर बार इसलिए मान जाता क्योंकि मैं जबरदस्ती नहीं करना चाहता था।

वो ना मुझे सलवार का नाड़ा खोलने दे रही थी, ना मुझे चूत पर हाथ लगाने दे रही थी, ना मेरा लंड चूस रही थी, ना अपनी चूत चाटने दे रही थी।

मैं पागल हो रहा था, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ, कैसे आगे काम करूँ?
मैंने मामी को अब की बार थोड़ा गुस्से में बोला- आप चाहती क्या हो?
मामी पहली बार बोली- मैं सिर्फ इतना ही चाहती हूँ।
मैं बोला- कुछ समझा नहीं?
मामी बोली- अब तक जितना किया है ना, उतना ही… उसके आगे कुछ नहीं।
मैं बोला- ऐसा क्यूँ?
मामी बोली- मेरी मर्जी… और अब तुम जाकर अपने बिस्तर पर सो जाओ, बहुत रात हो चुकी है।
मैं बोला- ऐसा थोड़ी होता है।

और मामी से बहस करने लगा, बहुत बातें हुई पर आखिर में मेरा पानी निकालने के लिए मान गई। वो भी अपने मुंह में!
मैं उनके बेड पर नीचे पैर कर के बैठा और उनको अपने सामने बेड के नीचे बैठाया।
वो मुझे बोली- तुम बहुत गंदे हो जग! ऐसा कोई करवाता है क्या?
वो थोड़ा डर भी रही थी, शायद पहली बार किसी का लंड चूस रही थी।

मेरे लंड पर बिल्कुल भी बाल नहीं थे क्योंकि अभी 2 दिन पहले ही मैंने सफाई की थी।
अब मेरा लंड उनके मुंह के सामने था लेकिन वो थोड़ा हिचकिचा रही थी तो मैंने उनका सर पकड़ा और अपना लंड उनके होंठों से लगा दिया।
पहले तो उन्होंने अपना मुंह नहीं खोला मगर मेरे दबाव बनाने पर उन्होंने अपने होंठों को खोल दिया। मेरा पूरा लंड उनके मुंह में चला गया।

मैंने उन्हें चूसने बोला तो वो वैसे ही वो चूसने लगी। शुरु में थोड़ी दिक्कत हुई जैसे वो कभी मेरे लंड पर काट लेती, कभी उन्हें खांसी आने लगती।

फिर कुछ समय बाद वो ऐसे चूसने लगी जैसे बहुत बार किसी का चूसा हो, एक बार में ही वो तो खिलाड़ी बन गई थी।
अचानक उन्हें कुछ याद आया और वो रुकी, फिर उन्होंने लंड मुंह से बाहर निकाला और बोली- देखो मैं चूस तो रही हूँ मगर पानी मेरे मुंह में मत निकालना।
मैंने बोला- ठीक है।

उन्होंने बहुत देर चूसा मगर पानी नहीं निकला तो वो बोली- अब मैं थक गई अब मुझसे और नहीं होगा।
मैं बोला- तुम रुको, मैं करता हूँ।

मैंने उन्हें फिर से बिस्तर पर लेटाया और उनके ऊपर आ गया।
मैंने उन्हें बोला- आप सिर्फ़ मुंह खोल के चूसो, बाकी का काम मैं कर लूंगा।

मैंने अपना लंड उनके मुंह में डाला और अन्दर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर ऐसे करने के बाद मेरा पानी निकलने को हुआ, मैंने मामी को बोला- मेरा निकलने वाला है।
तो उन्होंने बाहर निकालने का इशारा किया।

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मैंने कहा- ठीक है।
और वापस लंड को अन्दर-बाहर करने लगा।

2-3 बार करते ही मुझे लगा पानी निकल रहा है, मैंने तुरंत ही अपना लंड बाहर निकाला और मामी के बिस्तर में ही अपना पूरा पानी निकाल दिया।
मामी की सांस फ़ूल रही थी और मेरी भी… लेकिन अब मैं थोड़ा शांत हो गया था।

मैंने अपने कपड़े उठाये और बाथरूम में चला गया, पहले मैंने अपने लंड को अच्छे से साफ किया और कपड़े पहनकर बाहर निकल आया।
बाहर आया तो देखा कि मामी ने भी अपने कपड़े पहन लिये थे और वो किसी दूसरे कपड़े से मेरा पानी अपने बिस्तर से साफ कर रही थी।
मैं बोला- ये मैं कर देता हूँ।
वो बोली- नहीं मैं कर लूंगी… तुम जाकर अपने बिस्तर पर सो जाओ।

मुझे उनकी आवाज में कुछ तीखापन लगा जैसे उन्होंने गुस्से में बोला हो।
मैं चुपचाप जाकर अपने बिस्तर पर सो गया।

सुबह बहुत लेट आंख खुली, कॉलेज भी नहीं जा पाया, किसी ने मुझे आज जगाया भी नहीं।

मैंने कविता मामी को पूछा- आपने मुझे कॉलेज के लिए उठाया क्यों नहीं?
उन्होंने कहा- मैंने सोना को बोला था कि तुझे उठा दे। मगर उसने कहा कि तूने ही मना किया था रात में उसे!
मैं बोला- हाँ मैंने ही मना किया था। मैं तो आपके साथ मजाक कर रहा था।

मैंने उनसे पूछा- सोना मामी हैं किधर?
उन्होंने कहा- वो नीचे गई है।

मैंने अपना ब्रश लिया और नीचे चला गया। सोना मामी से जाकर मैंने कहा- आपने मुझे कॉलेज के लिए उठाया क्यों नहीं?
उन्होंने बोला- क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि तुम कॉलेज जाओ। मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।
मैंने कहा- वो तो कॉलेज से आकर भी कर सकते थे।
उन्होंने कहा- अभी थोड़ा समय रहता है बात करने का… बाद में पता नहीं समय मिलता या नहीं।

मैंने कहा- रात में भी तो कर सकते थे, उस समय कोई नहीं होता।
वो बोली- रात तक का मैं इन्तजार नहीं कर सकती थी। अब तुम जाओ पहले मुंह धो लो और नाश्ता कर लो फिर मेरे पास आना।

मैं सब कुछ जल्दी-जल्दी कर के मामी के पास आया और कहा- अब बोलो?
‘पहले मेरी पूरी बात सुनना, उसके बाद कुछ कहना चाहो तो कह देना। तुम्हारे मामा मुझे बहुत प्यार करते हैं। और मैं भी उन्हें बहुत प्यार करती हूँ। किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है। वो हर तरह से एक अच्छे मर्द है। ना उनमें कोई कमी है।’

मैं बोला- अच्छी बात है लेकिन यह सब आप मुझे क्यों बता रही हैं?
वो बोली- क्योंकि जो कल रात हमारे बीच हुआ, वो गलत था। मैं उन्हें धोखा नहीं देना चाहती। मैंने कभी किसी दूसरे मर्द के बारे में नहीं सोचा। ना शादी से पहले ना शादी के बाद… मुझे पता है कल रात जो हुआ, उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है, इस उम्र में हो जाता है लेकिन मैं कैसे बहक गई मुझे समझ नहीं आया। मुझे अपने आप पर नियंत्रण रखना चाहिए था।
तुमसे एक बात और कहना चाहूँगी जो कुछ भी कल रात हमारे बीच हुआ, अनजाने में हुआ, हम दोनों ही बहक गये थे। अच्छा होगा अगर तुम इसको अपने दिलो दिमाग से निकाल फेंको। मेहरबानी करके किसी से भी इस बात का जिक्र नहीं करना।

मैं बोला- मामी आपने तो मुझे कच्चा खिलाड़ी समझ लिया? आप फिक्र न करें, यह बात आप के और मेरे बीच ही रहेगी।
इतना कह कर मैं जाने लगा तो मामी ने मुझे रोका और बोली- अभी मेरी बात पूरी नहीं हुई है। देखो मुझे मालूम है अब से हमारे बीच पहले जैसा कुछ नहीं रहेगा। कल रात वाले पल के बाद तो बिल्कुल भी नहीं। इसलिए मैं चाहती हूँ कि तुम अब से मेरे कमरे में नहीं सोओगे। मैं यह नीचे वाला कमरा तुम्हारे लिए ही साफ कर रही हूँ।

मुझे बुरा तो लगा मगर मैंने कहा- ठीक है।
फिर मैं वहाँ से चला आया।

दो दिन के बाद नानी भी वापस आ गई। इस बीच मेरी और सोना मामी की कोई बात नहीं हुई। वो मुझसे नजर बचाती फिरती और मैं उनसे!

मेरा दम घुटने लगा था अब यहाँ… एक दिन मैंने नानी से कहा- मुझे मुम्बई जाना है, घर वालों की बहुत याद आ रही है।
नानी ने कहा- ठीक है चला जा!
मैं मुम्बई आ गया।

2-3 महीने के बाद एक दिन मामी का मुझे फोन आया, वो मुझसे मांफी मांग रही थी अपने उस दिन के व्यवहार के लिए और रो भी रही थी, बोल रही थी- मैं मजबूर थी, क्या करती, अपने आप को तुम्हारे सामने कमजोर सी महसूस कर रही थी। मुझे डर था वैसा फिर से ना हो जाये।
मैं बोला- आपकी बात मैं समझता हूँ, आपको उस समय जो सही लगा, आपने वहीं किया।

उन्होंने बोला- जब समझता है तो फिर वापस क्यों नहीं आया? मैंने तुझे बुलाने के लिए ही फोन किया है। वापस आ जा मजे करेंगे पहले की तरह दोस्त बन कर!
मैंने कहा- अभी नहीं आ सकता!
वो बोली- क्यों?
मैंने कहा- जॉब लग गई है। पहले की तरह फ्री नहीं रहता अब। जब छुट्टी मिलेगी तो जरूर आऊंगा।

उन्होंने थोड़ी जिद की बुलाने के लिए… बाद में बोली- ठीक है, मगर आना जरूर जब भी समय मिले।
फिर थोड़ी और बात हुई उसके बाद बाय बोल कर फोन रख दिया।

आज भी जब कभी वो सब याद आ जाता है तो बहुत हंसी आती है। मेरे जिद करने की बात पर… कौन बच्चों की तरह जिद करता है। जब वो मना कर रही थी तो मैं कैसे बच्चों की तरह कर रहा था- मुझे चाहिए, मुझे चाहिए।

अफसोस भी होता कि मैंने जल्दबाजी क्यों नहीं की, थोड़ा गुस्सा क्यों नहीं दिखाया।, अगर कर लेता तो शायद वो सब कुछ भी हो जाता जो बाकी रह गया था।

मगर जो भी हो, आज मेरे और मामी के बीच के रिश्ते बहुत अच्छे है। अब में जब भी गांव जाता हूँ। हम अपनी सब बातें एक-दूसरे के साथ शेयर करते हैं, हंसी-मजाक मौज-मस्ती खूब करते हैं, ना वो मुझसे शरमाती है ना मैं उनसे!
मगर जो उस रात हुआ वैसा फिर कभी नहीं हुआ।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी?
आप सबके जवाब का इन्तजार रहेगा।
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