मैं उत्तरप्रदेश के एक गांव का रहने वाला हूँ और नजदीकी शहर गोरखपुर में रह कर पढ़ाई करता हूँ.
मेरी पिछली कहानी
क्लासमेट की बुर की चुदाई की रियल सेक्स स्टोरी
आपने पढ़ी होगी.
ये उस वक्त का किस्सा है जब मैं अपने गांव में था. उन दिनों सर्दियों में मैं अपने गांव में सवेरे के टाइम खेतों की तरफ घूमने निकला था. तभी मुझे तीन लड़कियां घास काटने जाती हुई दिखीं जिसमें से एक लड़की बहुत टाइट माल थी. मुझे मालूम था कि ये लौंडिया गांव की जान थी. कई लड़के उसे चोद चुके थे. उसे देखते ही मैं भी उसे चोदने की सोचने लगा.
मैं उन तीनों के पीछे पीछे जाने लगा. गांव से थोड़ी दूर एक बंजर ज़मीन पर वो घास काटने लगीं. वहीं बगल में बांसबाड़ी थी, जो काफी घनी थी. मैं वहां छुप कर उनको देखने लगा.
थोड़ी देर बाद वो लड़की कामिनी उधर की तरफ पेशाब करने आयी. वो अपनी सलवार उतार कर बैठी ही थी कि मैं उसके आगे आ गया. वो डर के मारे खड़ी हो गयी और उसने झट से अपनी सलवार ऊपर कर ली. डर से उसकी पेशाब की धार तक रुक गई थी.
उसने मेरी तरफ देखा और बड़ी दबंगी से पूछा- क्या है … क्यों आ गए हो?
मैंने पूछा- दोगी?
वो बिना कुछ पूछे ही मुझे गाली देने लगी.
मैंने कहा- सुन तो लो कि मैं क्या मांग रहा हूँ.
वो हल्के से मुस्कुराई और फिर से आंखें चढ़ा कर बोली- मुझे सब मालूम है कि तुम मुझसे क्या मांग रहे हो.
मैंने कहा- यदि मालूम ही है तो गाली क्यों दे रही हो. दे क्यों नहीं देतीं?
वो बोली- साले तुम सब लौंडों के नीचे हमेशा आग ही लगी रहती है.
उसकी ये बिंदास बात सुनकर मैंने कहा- नीचे क्या आग लगी रहती है. साफ़ साफ़ क्यों नहीं कहती कि गांव की जान कामिनी की चुत चोदने के लिया लौंडे लंड उठाए घूमते हैं.
वो लंड और चुदाई जैसे शब्द सुनकर और भी तुनक गई और बोली- साले तुम क्या मुझे बाजारू आइटम समझ रहे हो.
मैंने मुस्कुरा कर कहा- हां तुम बाजारू तो नहीं हो, लेकिन कुंवारी भी नहीं हो, भोसड़ा बन गया है तुम्हारा छेद … मुझे सब पता है कि तुम गांव के कई लौंडों के लंड ले चुकी हो.
वो मेरे मुँह से इतना सुनने के बाद बिना पेशाब किए उधर से जाने लगी. मैंने कहा- मूत तो लो रानी. इसी बहाने चूत के दर्शन तो हो जाएंगे.
कामिनी गांव की सबसे चालू लड़की थी. पर गज़ब के शरीर की मालकिन थी. उसके चूचे तो ऐसे उठे हुए थे, जैसे गोल गुम्बद हों, कमर ऐसी कि मटके तो कत्ल ही हो जाए, होंठ तो आहा … चूस कर सुजा देने लायक … एकदम रसीले.
जब वो बिना मूते जाने लगी, तो मैंने आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया. उसने मेरा लंड पकड़ कर दबा दिया और गाली देने लगी. वो मुझसे छोड़ने के लिए कहने लगी.
मैंने कहा- चुदवाओगी नहीं … तो बस चूत चुसवा लो और मेरा लंड चूस लो … फिर चली जाना.
वो हंस पड़ी लेकिन नानुकुर करने लगी. मैंने उसे कसके अपने सीने से लगाया और उसके होंठ चूसने लगा. वो भी समझ गयी कि आज वो छूटने वाली नहीं है, तो उसने भी मुझे चूमना शुरू कर दिया.
मैंने उसे चूमने में सहयोग करते देखा तो उसके संतरे दबाते हुए उससे कहने लगा- रानी, मन तो तेरा भी मेरे लंड को चूसने के लिए था, फिर काहे नखरे दिखा रही थी.
वो बोली- हां, एक तेरे लंड के लिए ही तो मैं राजी हो गई हूँ. तू अब पढ़ा लिखा मस्त माल हो गया है. मेरा दिल भी तेरे लिए मचलता है. बस लड़की हूँ इसलिए मना कर रही थी.
मैं उसके मुँह में अपना जीभ घुमाने लगा, वो भी अपनी जीभ और होंठों से मेरी जीभ चूसने लगी.
मैंने उसकी सलवार, जो पहले से खुली था, उसको नीचे सरका दिया, वो बिना पैंटी के थी. उसने भी सलवार को उठा कर दूर फेंक दिया.
मैंने अपनी एक टांग उसकी टांग में फंसाई और उसे नीचे झुकाते हुए ज़मीन पर लिटा दिया. वो जमीन पर लेते ही पसर गई.
वो बोली- साले, तेरे लंड में बड़ी आग लगी दिख रही है.
मैंने कहा- आग तो तुझे देखते ही लग गई थी. मैं बहुत दिन से तुझे चोदने के चक्कर में था, आज मौका मिला है तो पानी निकाल कर ही दम लूंगा.
ये कहते हुए मैं उसके ऊपर चढ़ गया. मुझे उम्मीद ही नहीं थी कि साली इतनी जल्दी मान जाएगी. मुझे उसके साथ वाली लड़कियों की कोई चिंता नहीं थी. क्योंकि इस वक्त हम दोनों बांसबाड़ी में थे, इधर से आसानी से बाहर का कोई भी हमको देख नहीं सकता था.
अब मैं उसके होंठ के ऊपरी पंखुरी को चूस रहा था और अपनी टांग के घुटने से उसकी टांगों के बीच उसकी चुत को रगड़ राग था. उसके होंठों से क्या मस्त रस निकल रहा था. उसके थूक से मिल कर मेरे मुँह में मानो शहद सा स्वाद आने लगा था. मेरा लंड पैंट के अन्दर ही तन्ना कर खड़ा था.
मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा, तो उसकी रुकी हुई पेशाब तेज़ धार से बाहर निकलने लगी और सुर्र सुर्र की आवाज़ आने लगी. मैं उसके होंठ चूस रहा था और वो लेटे हुए ही पेशाब करने लगी थी.
मैं जरा साइड में होता हुआ भीगने से बचने लगा. उसने भी पैर फैला कर मूत निकल जाने दिया.
मूतने के बाद मैंने उसे अपनी तरफ खींचा, तो हम दोनों अब सूखे में आ गए थे. कपड़ों की चिंता न मुझे थी और शायद उसके कपड़े तो शाम को घर जाते जाते गंदे हो ही जाते थे, इसलिए उसे भी कोई फ़िक्र नहीं थी.
अब मैं उसका कुरता उतारने लगा. अन्दर उसने ब्रा नहीं पहनी थी … बल्कि एक जेंट्स बनियान पहनी हुई थी. मैंने उसकी बनियान उतारी, तो उसके गोल खरबूज़ जैसे चूचे आज़ाद होकर फुदकने लगे. उसके चूचों पर उसके निप्पल दाखी रंग के (ब्राउन) ऐसे मस्त लग रहे थे, जैसे मिट्टी की गोल गुल्लक के ऊपर उनकी मुंडियां लगी हों.
मैं एक हाथ से उसके मम्मे सहलाने लगा, तो उसने मेरे सर को दबाते हुए मेरे होंठों को अपने चूचों पर रख दिया. उसके निप्पल एकदम टाइट थे, मानो कोई रूहानी सी वस्तु मेरे होंठों पर आ गई हो. मैं उसके दोनों चूचे बारी बारी से चूसने लगा और एक हाथ उसके चूत पर फिराने लगा.
कामिनी की चुत पर हल्की हल्की झांटें उगी थीं. ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे दो तीन दिन पहले ही झांटें बनाई गयी हों. उसकी चूत पर हाथ रखते ही मैंने चुत की पुत्तियां मसल दीं, वो सिसक गयी और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. मैंने उसे चूमा और आंख मार दी. वो भी हंस दी.
अब मैं उठा और अपने कपड़े उतारने लगा. अगले ही पल हम दोनों नंगे थे. वो मेरा लंड पकड़ कर आगे पीछे करने लगी. उसने जैसे ही मेरा लंड पकड़ा, मेरे बदन में एक सनसनी फ़ैल गई. मैं उसके होंठों को एक बार फिर से चूसने लगा और हाथ से उसकी चूचियों को सहलाने लगा.
मैंने उसे थोड़ा किनारे खींच साफ़ जगह पर लिटाया और उसकी चूत पर लगे पेशाब को उसके सलवार से साफ़ करने लगा. फिर मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रखा, उसकी चूत से पेशाब और चूत रस की एक मिश्रित सी सुगंध आई और मुझमें ये रस सूंघते ही मुझमें एक एनर्जी आ गयी.
मैं बिना रुके उसकी चुत की फांकों पर जीभ फिराने लगा. जैसे ही मैंने जीभ को चूत पर रखा, वो चिहुंक उठी और उसका बदन ऐंठ गया
मैं अपनी जीभ उसकी चुत की फांकों में घुमाने लगा. उसने मेरी जांघ को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और मुझे अपने ऊपर लिटा लिया. मैं चूत की तरफ सर किए था और मेरा लंड उसके मुँह की तरफ था.
मैं उसकी चूत चूस रहा था. उसने मेरा लंड हाथ में लिया और अपने होंठ उस पर रख दिए.
जब उसने मेरे लंड पर अपनी जीभ को फेरा, तो ये मेरे लिए चरमोत्कर्ष वाला आनन्द था. मैं अन्दर तक झूम उठा. अगले ही पल वो मेरा लंड अपने मुँह में ले कर चूसने लगी. मैंने भी उसकी चूत को चूसना चालू कर दिया था. हम दोनों 69 की पोजीशन में थे.
कुछ पल बाद मैंने अपनी एक उंगली को उसकी चूत में घुसाया, तो उसका बदन अकड़ गया. उसने मुझे कसके पकड़ लिया और उसी पल उसकी चूत से ढेर सारा गाढ़ा पानी निकलने लगा. ये बड़ा मस्त चूत रस था … मैं उसे जीभ लगा कर चाटता जा रहा था. उधर वो मेरे लंड को अपने होंठों में जोर से फंसाए हुए झड़ रही थी.
मेरा चेहरा उसकी चूत के रस से भर गया था.
चूत झड़ जाने के कुछ पल बाद जैसे उसे मस्ती चढ़ गई. उसने फिर से मेरा लंड चूसना चालू किया. मैं भी दो मिनट में ही टाइट होने लगा. मैं लंड से उसके मुँह में ही झटके मारने लगा. उसने भी लंड को जल्दी जल्दी अन्दर लेना चालू कर दिया. बस मैं रुक न सका और झड़ गया.
हम दोनों एक मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे. उसने फिर से मेरा लंड चूसना चालू किया और मेरे लंड को खड़ा कर दिया. मैंने उसके चूत में ढेर सारा थूक लगाया और सीधा हो कर उसकी चूचियों को चूसने लगा.
अब मैंने उसका एक टांग अपने कंधे पैर रखा और एक टांग नीचे ही रहने दिया. अपनी उंगली को उसकी चूत में फेरने लगा और थोड़ी जगह बनाई.
उसने पैर पसार दिए और चुत का मुहाना खोल दिया. मैंने अपना लंड चूत के छेद पर रखा और हल्का सा धक्का दे दिया. पहले ही झटके में मेरा आधा लंड उसकी चुत में चला गया.
साली रंडी को मानो कुछ हुआ ही नहीं. फिर मैंने एक तेज़ धक्का लगाया और लंड पूरा उसकी चूत में चला गया. उसने कसके मुझे पकड़ लिया और मुझसे पहले वो ही अपने कूल्हे उचकाने लगी. चूत गीली और ढीली होने के वजह से उसमें से फच फच की आवाज़ आने लगी. जो हम दोनों को ही जोश दे रही थी.
मैंने उसे चोदते हुए पूछा- साली, तूने तो वास्तव में चुत को भोसड़ा बनवा लिया है.
वो मस्ती से गांड उठाते हुए बोली- हां और इसी भोसड़े के लिए पूरे गांव के लौंडे मरे जाते हैं. जैसे तू मुझे चोदने के लिए पगला रहा था.
मैंने कहा- मुझे मालूम होता कि तेरी चुत अब तलैया बन गई है तो साली तेरी तरफ थूकता भी नहीं.
वो बोली- मादरचोद … साले लंड डालने के लिए छेद मिल गया, ये तेरे लिए बहुत बड़ी बात है.
मैंने उसे दूध मसलते हुए पूछा- कुछ हद तक तेरी बात सही है. हाथ से मुठ मारने से तो तेरी तलैया में गोता लगाना ज्यादा सुकून दे रहा है.
उसने हंस कर मुझे चूमा और बोली- जरा जोर से चोद भोसड़ी के … क्या पुल्ल पुल्ल कर रहा है.
मैंने कहा तेरी चुत की झांटें बड़ी साफ़ सी दिख रही हैं. कब बनाई थीं?
वो इठला कर बोली- हां परसों चौधरी साब ने झांटें साफ़ करवा का मेरी ली थी.
मैंने हैरान होते हुए कहा- उस साले बुड्डे का लंड अब खड़ा भी होता है?
वो हंस कर बोली- साले का लंड दबा खा कर ही खड़ा हो पाता है … फिर भी उसने मेरी चुत में आग लगा कर मुझे छोड़ दिया था. इसी लिए तो आज तुझसे चुदने का मन हो गया.
मैंने कहा- चौधरी तुझे क्या इनाम देता है.
वो बोली- और क्या फ्री में चुदने जाऊंगी.
मैंने कहा- तो साली रंडी तो तू हो ही गई.
वो कुछ नहीं बोली, बस हंस दी.
कोई पन्द्रह मिनट तक एक ही अवस्था में चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया.
वो बड़बड़ाने लगी- ले साले तेरा भी निकल गया. भोसड़ी के बहुत चुदुर चुदुर कर रहा था.
चूंकि वो अभी तक नहीं झड़ी थी और अभी भी अपने कूल्हे उचका कर लंड को ले रही थी. मैंने भी उससे कहा कि तू चिंता मत कर रंडी … आज तेरा काम उठा कर ही दम लूंगा.
मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर नहीं निकाला. थोड़ी देर बाद फिर से मेरा लंड अकड़ने लगा. लंड जब पूरा अकड़ गया, तो मैंने लंड बाहर निकाल कर धक्का लगाया.
वो मस्त हो गई और बोली- वाह मेरे शेर, तू तो साले चूत में ही कड़क हो गया.
मेरे दस झटकों के बाद वो एकदम से अकड़ गयी और मेरी कमर पर अपने पैरों को फंसा कर सिसियाते हुए चुतरस छोड़ने लगी … वो झड़ गयी थी. मैं भी थोड़ी देर बाद दुबारा उसकी चूत में ही झड़ गया.
चुदाई के बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और मैं उसके साथ ही उसकी सहेलियों की तरफ आ गया. उसकी सहेलियां मुझे और उसे एक साथ देख कर मुस्कुराने लगीं. मैंने ध्यान से देखा कि उनमें से एक लड़की तो मेरे पड़ोस की ही थी, उसका नाम अलका था.
उसने मुझे तंज़ कसते हुए कहा- हम भी कोई गैर नहीं हैं.
मैंने कहा- तो फिर कल तुम्हारी खातिरदारी कर देंगे, अगर इजाज़त हो तो आज बुकिंग कर लूं.
मैं ये कहते हुए उसके पास गया और उसके गाल को मसल कर और कूल्हों को सहला कर कहा- कल इसी जगह इसी वक़्त फीता कटवाने आ जाना.
वो हंस दी.
मैं उन सबको बाय बोल कर चला गया.
अलका की खातिरदारी वाली चुदाई की कहानी अगली बार लिखूंगा. आपके मेल का इन्तजार रहेगा.
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