मेरी कमसिन जवानी की आग-8

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    गांड में लंड: मेरी कमसिन जवानी की आग-7


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    मेरी कमसिन जवानी की आग-9

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अब तक की मेरी चुत चोदन कहानी में आपने जाना था कि राज अंकल जमकर पूरी ताकत से मेरी गांड को चोदने लगे थे. उधर चूत में जगत अंकल भी अपने लंड की स्पीड इतनी ज्यादा बढ़ा दी. मुझे लगा कि मैं अब मरी, तब मरी.. मुझे बहुत दर्द हो रहा था. मैं चिल्लाए जा रही थी, लगातार रो रही थी.
अब आगे..

तभी जगत अंकल ने समाली अंकल को कहा कि अरे समाली भाई.. तुमने वन्द्या के मुँह से अपना लंड बाहर क्यों निकाल लिया.. मस्त तो चूस रही थी और आवाज भी नहीं कम निकल रही थी. डालो कुतिया के मुँह में लंड.. ऐसी मस्त लड़की शायद ही कभी मिले.. देखो न कैसे मस्त चिल्ला रही थी. मेरी बीवी भी सुहागरात रात में नहीं चिल्लाई, जैसे ही मैंने अपनी बीवी की चूत में अपना लंड डाला था, साला झट से घुस गया था. साली शादी के पहले ही न जाने कितनों से ही चुदवा चुकी होगी. सुहागरात रात में ही उसकी चूत की सील टूटी ही मिली थी. और चूत क्या.. मेरी बीवी की पूरी फैलकर भोसड़ा हो गई थी.

समाली अंकल हंस कर बोले- ठीक बोल रहे हो जगत.. वन्द्या जैसी खूबसूरती और सेक्सी लुक वाली लड़की तो हो ही नहीं सकती.. वो भी इतना फ्रेश माल नहीं मिलेगा चोदने को. मेरी शादी जब हुई थी, तब मेरी उम्र उन्नीस साल की थी.. मेरी बीवी मुझसे भी कम उम्र की थी, पर तब भी साली चुदी चुदाई आई थी. पहले पांच छः महीने झूठ बोली कि पहले मर्द आप हो, मैं बोला कि सील तो पहले से टूटी थी सच बता.. नहीं तो छोड़ दूंगा तुझे.. और सच बोलेगी तो हमेशा साथ रखूंगा, तब उसने बताया था कि एक मेरे सगे मामा का लड़का है, उसने सील तोड़ी थी और फिर मेरे भाई का दोस्त वो बहुत बार चोदा. आज ये वन्द्या ही मिली है, जिसकी चूत और गांड से खून निकलते देखा है.

तब जगत अंकल बोले- बिल्कुल सही बोल रहे हो भाई.. बहुत ही गजब की आइटम है ये वन्द्या.. बहुत बहुत ज्यादा ही मजा आ रहा है.

जगत अंकल करीब 5 से 7 मिनट से चूत को चोद रहे थे और राज अंकल दूसरे मर्द हैं, जो राजीव अंकल के झड़ने के बाद गांड को चोद रहे थे. अब पता नहीं कैसे ये चमत्कार या जादू होना शुरू हुआ कि मेरी गांड का दर्द तो पूरा ही गायब हो गया और चूत का जो बहुत दर्द था, वो भी कम होने लगा. फिर धीरे-धीरे दो मिनट में पूरा दर्द गायब हो गया. मम्मी की कसम.. ये सब एक एक शब्द सही है वैसा का वैसा ही लिख रही हूं, जैसा हुआ है.

मुन्ना अंकल का दूध जोर से दबाना भी अब अच्छा लगने लगा. एक बात दिल से बोल रही हूं कि दर्द तो गायब हुआ, ये ठीक बात है पर उसके बाद जो जादू हुआ वो मैंने भी सोची नहीं थी. मेरी चूत और गांड दोनों जगह ऐसी आग लगी, ऐसा कुछ हुआ कि बता नहीं सकती. पूरा बदन अब अकड़ने लगा और जिस्म का एक एक अंग टूटने लगा. जिन लौड़ों के जरा से घुसने से दर्द हो रहा था, वे ही लंड अब छोटे लगने लगे और अपने आप मजा महसूस होने लगा, मेरा मन करने लगा कि हर जगह लंड घुस जाए और जमकर अन्दर डाल कर मुझे मसल दें. जमकर पूरी ताकत से मुझे चोदें.

अब मैं मदहोश हो चुकी थी. मुझे कुछ भी न समझ आ रहा था, न ही कोई लिहाज रह गया था. बिल्कुल पागलपन हवश का मुझमें सवार हो चुका था. अब मेरे मुँह से अपने आप ही कुछ भी निकलने लगा. मैं गन्दी गालियां और बहुत गन्दी बातें सब बकने लगी.

मैंने समाली अंकल का लौड़ा मुँह से निकाल कर कहा- राज, बहुत मस्त गांड चोदता है तू.. और जोर से रगड़ कमीने.. पूरा लंड अन्दर डाल, जितना दम हो.. पर जल्दी कर.. और तेजी से चोद साले हरामी मादरजात.

मेरे मुँह से गालियां सुनते ही समाली अंकल बोले- अब वन्द्या पागल हो गई. लड़की जब सेक्स की इस सिचुएशन में आ जाती है, तब उसे सम्हालना असंभव हो जाता है. अब देखो राज अंकल से तुम राज हो गए.. और आप से तू.. अब हम सबको मस्त सेक्सी गालियां मिलेगी वन्द्या से.

जगत अंकल बोला- हर मर्द लड़की से गंदी गालियां और बातें सुनने को तरसता रहता है, पर वन्द्या तूने यह गंदी गालियां और बातें कहाँ से सीखीं?
मैं बोली- मेरे मुहल्ले में सब लेडीज या जेंट्स एक दूसरे को बहुत गंदी गालियां देते हैं. मेरी मम्मी खुद ही बहुत गन्दी गन्दी गालियां देती हैं और बहुत सी बातें सेक्सी कहानियां पढ़कर मैंने भी सीखा है.
तब राज अंकल बोले- वन्द्या, तेरी मम्मी को मैं भी चोदने वाला था. सब बात हो गई थी. मैंने उसके दूध भी बहुत दबाए थे. तेरी मम्मी ने मेरा लंड चूस कर मेरा जल्दी से रस निकाला था और पी गई थी. फिर मेरी बदनसीबी रही कि अचानक मुझे बाहर जाना पड़ा, तो उसको चोद नहीं पाया था.
यह बात तब की है सोनू जब तू पैदा भी नहीं हुई थी. तब सिर्फ तेरी बड़ी बहन पैदा हुई थी. तेरी मम्मी अपनी ज़वानी के टाइम की सबसे सेक्सी कुतिया रही है. इसी गांव में अपनी बहन के यहाँ महीने महीने भर रूकती थी और तेरी मौसी भी तेरी मम्मी के आशिकों तेरी मम्मी को चोदने वालों से परेशान हो जाती थी. पर तेरी मम्मी के यहाँ रहने से तेरी मौसी के घर में फ्री में बहुत सारा सामान आ जाता था, इसलिए वो भी चाहती थी कि तेरी मम्मी यहीं रहे. क्योंकि हर कोई कुछ न कुछ लेकर ही मिलने आता था इसलिए तेरी मौसी खुश रहती थी. यहीं इसी गांव में कम से कम तीस से ज्यादा लोगों ने तेरी मम्मी को चोदा है और कुछ लोग आस पड़ोस के गांव के लोग भी किसी न किसी के द्वारा मिले हैं. दो तीन ठेकेदार और सेठ तो मानिकपुर से तक आके तेरी मम्मी की ले चुके हैं. तेरी मम्मी अपने टाइम की बहुत खुली सेक्सी लेडी है.. पर बिना लिए कुछ छूने नहीं देती थी, बहुत लालची भी थी. मैंने सुना है कि तेरे पापा ने तेरी मम्मी को दो तीन बार रंगे हाथों पकड़ा है.. बता तू?

मैं बोली- हाँ अंकल आप सच बोल रहे हो. मेरे घर में ऐसा ही माहौल है मम्मी तो अभी भी भले इतनी एज हो गई. लोग आते मम्मी के लिए हैं, पर घर में मुझे देख कर सबकी निगाहें मुझमें अटक जाती हैं.
मुझसे पहले मेरी बड़ी बहनों पर पर भी उनकी लार टपकती थी. अब उन दोनों की शादी हो चुकी, तो वो लोग अपने ससुराल में हैं. पापा तो मुंबई में ही रहते हैं.. साल में एक बार दस पन्द्रह दिन के लिए आती हैं. भाई कभी घर में एक मिनट के लिए भी नहीं आता है, तो अभी घर में मैं और मम्मी ही रहते हैं.
भाई तो घर में रहता नहीं, पर भाई से दोस्ती करके उसके दोस्त सब मेरे घर में ही भीड़ लगाये रहते हैं. सब मेरे लिए ही मेरे भाई के दोस्त बनते हैं.
मम्मी की पुरानी आदतों के कारण से सब मेरे घर को वेश्यालय ही समझते हैं. चाहे कम उम्र के हों.. या उम्रदराज मर्द.. सब मुझे उसी नजर से देखते हैं. सबको बस मेरे साथ सोना है, इसी के जुगाड़ में रहते हैं. यहाँ तक की मेरे सगे करीबी रिश्तेदार भी सब बस मुझे चोदना चाहते हैं. यह बिल्कुल सत्य है. पापा भी जब आते हैं और मम्मी से जब लड़ाई होती है तो सब पुरानी बातें बोल देते हैं.. और मम्मी को मुहल्लावालों को सुनाकर या उनके सामने ही वेश्या कह देते हैं. एक दो बार तो गुस्से में पापा मुझे या भाई सबको कह चुके हैं कि मुझे नहीं पता कि ये मेरी संतानें हैं, मुझे तो लगता है कि किसी और की हैं.

समाली अंकल लंड सहलाते हुए बोले- सही कह रही है तू.

मैं अपनी मस्ती में बोले जा रही थी:

अभी दो साल से मैं बड़ी होने लगी तो सबकी नजर अब मुझ पर ही है. मेरे घर में ऐसा ही माहौल है, इसलिए मैं भी वैसी ही हो गई. मेरा मन और कहीं नहीं लगता.. सारा दिन रात सिर्फ सेक्स के बारे में सोचती रहती हूं. कई बार तो इतना मन करने लगता है कि क्या बताऊं.. यही सच्चाई है.

मेरे पापा के फ्रेंड कमलेश अंकल जो स्कूल में टीचर हैं, वही मुझे घर में टयूशन पढ़ाते थे. वे मुझे मम्मी के कहने पर पढ़ाने आते थे. उनका मम्मी से चक्कर था, यह सबको पता था. वह मुझे स्कूल की किताबों की जगह सेक्स की कहानियों की पुस्तकों को ला ला कर पढ़ने को देते और मैगज़ीन जिसमें चुदाई की फोटो रहती थी, वो दिखाते और मेरे नीचे उंगली डालकर अन्दर बाहर करते. मौका मिलते ही नीचे हो कर मेरी चूत चाटने लगते. फिर उसी समय पहली बार उन्होंने मुझे अपना लंड भी चुसवा दिया था.

फिर तो वे कभी भी मेरे बदन में थोड़ी सी हरकत करके मुझे उत्तेजित करके तुरत मेरे मुँह में लंड डाल देते और जल्दी जल्दी मुँह में अन्दर-बाहर करके अपना लंड रस पिला देते थे. फिर तो ये उनकी लगभग हर दिन की आदत हो गई थी. जब तक मुझे लंड न चुसवा लें, टीचर जी मेरे घर से नहीं जाते थे.

मान लो मम्मी या कोई घर में हैं, उनको मौका नहीं मिल रहा है तो पढ़ाने के बहाने से तीन चार, पांच घंटे तक बैठे रहते थे. जैसे ही पांच मिनट का भी मौका अकेले होने का मिला, झट से मेरे मुँह में लंड डाल कर चुसवा लेते, फिर जाते.
सच कहूं तो एक दो महीने मुझे अजीब लगा, पर मजा आने लगा था. फिर दो महीने रोज यही करते करते मेरी आदत हो गई और सच बता रही हूं कि वो जैसे मेरे पास आते, मैं उनका लंड पैन्ट से निकाल कर मुँह में लेकर चूसने लगती.

दो से ढाई साल तक मैं उनका लंड, किसी दिन वो न आएं, तब छोड़ कर.. लगभग हर दिन उनका लंड चूसा है. जब स्कूल के एग्जाम का लास्ट पेपर था, तब पहली बार उन्होंने मुझे घोड़ी बना कर मेरी गांड में अपना लंड डाला था और बेदम चुदाई की थी गांड की. उस दिन मम्मी लोग सब दूसरे पड़ोसी गांव में निमंत्रण में गई थीं. उस दिन दर्द के मारे मैं इतना ज़ोर ज़ोर से रोई और चिल्लाई थी कि बता नहीं सकती हूं. पन्द्रह बीस मिनट बाद बेहोश भी हो गई थी, फिर भी न जाने कितनी देर तक वो मेरी गांड को चोदते रहे. वो मेरी पहली चुदाई थी, वो भी गांड की.

उसके बाद कमलेश सर एक महीने नहीं आए. गर्मी की छुट्टियां भी थीं. उसके बाद बीच में एक दो दिन आए तो मुझे यही बोल के गए कि मैं एक महीने नहीं आऊंगा.. पर वन्द्या जब भी तुम्हें, जिससे भी मौका मिले चुदवा लिया करना. जीवन में इससे जरूरी कुछ नहीं है, न ही इससे ज्यादा मज़ा किसी चीज में है. वन्द्या तुम अब मस्त हो गई हो, तुम अब फुल चुदवाने लायक हो, कोई भी हो चाहे, सगा भाई भी हो.. लंड लेने का मौका नहीं छोड़ना. आज कल ये सब चलता है.. कहानियों में भी तुम रिश्तों में चुदाई की कहानी भी पढ़ ही चुकी हो. कैसे बाप से बेटी, भाई से बहन चुदवाती है.

जब भी न्यूज पेपर में ऐसी खबर आती कि किसी भाई ने अपनी बहन या किसी पापा ने अपनी बेटी से शारीरिक रिश्ता बनाया.. तो वो न्यूज पेपर लाकर मुझे जरूर पढ़ाते और मम्मी को भी दिखाते कि देखो आज ये बात कितनी साधारण हो गई है.

सच में मेरे को मेरे घर के माहौल और कमलेश सर ने ऐसा बना दिया था. फिर सच बात तो यह है कि इसके लिए कोई कमलेश सर जिम्मेदार नहीं, मेरी मम्मी जैसी हैं.. वैसी ही तो मैं होऊंगी. कमलेश सर ने जब पहले दिन मुझे सेक्सी कहानियों की बुक पढ़ने को दी और फिर नंगी मैगजीन दी, तो मैंने खुद ही ले ली और पढ़ना भी शुरू कर दिया, एक बार ऐतराज नहीं किया, न ही किसी को बताया. भले ही मैं बहुत छोटी थी पर फिर भी मुझे वो सेक्सी कहानियां पढ़ना बहुत ही अच्छा लग रहा था. उस तरह की फोटो देखना, मुझे अपने कक्षा के सिलेबस की बुक्स से ज्यादा सेक्सी कहानियां पढ़ने में इंटरेस्ट अपने आप रहता था. मेरे अन्दर ही सेक्सी फीलिंग है, मैं बनी ही ऐसी हूं. गॉड ने मुझे बनाया ही ऐसा है. यही मेरी सच्चाई है. अंकल मैंने आपको सब सच बता दिया.

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कहानी जारी है.

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