एक स्पर्श से जिस्म में कामुकता भड़क उठी

मैं पेशे से एक जॉब कंसलटेंट हूँ और नागपुर, महाराष्ट्र में मेरा अच्छ खासा काम है.
मैं अपने बारे में बताता हूँ, मैं 35 साल का शादीशुदा इंसान हूँ और मेरा बदन कसा हुआ है. हालांकि मैं जिम नहीं जाता लेकिन वॉलीबॉल का खिलाड़ी हूँ तो मेरा बदन पूरा कसा हुआ है.

यह सेक्सी कहानी तब की है जब एक कंपनी में बात करने गया था, वहाँ की एच आर से मिल कर कुछ बातें करनी थी. पहले वहाँ पर दूसरी लड़की थी पर अब मुझे नई लड़की से मिलना था, उसका नाम सोनी था.
सोनी बहुत ज़्यादा उसूलों वाली लड़की जिसके बारे कभी गलत सोचा भी नहीं जा सकता था. लेकिन मिलना जरूरी था इसीलिए बिना कुछ सोचे चला गया यह सोच कर कि जो होगा देखा जायेगा.

जब पंहुचा और वहीं पर रिसेप्शन में बैठा, तो कई ख्याल आ रहे थे क्या होगा, क्या बोलेगी, कैसी होगी.
30 मिनट बाद मुझे बुलाया गया.

जब गया और अपने बारे में बताया तो मेरा पिछला रेकोर्ड देख कर मुझ पर पहले रुतबा जताते हुए बोली- तुम्हारे भेजे हुए 6 बच्चों में से 2 छोड़ कर चले गए और उसके बदले में आपने नए कोई बच्चे नहीं भेजे, जिसके कारण आपके पैसे रोके गए! वगैरा वगैरा..
और फिर बातों बातों में वो कुर्सी से उठी तब उसे पूरा देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी और मैं तो बस पूरा उस के बदन को निहारने में ही लग गया.

34-26-36 की फिगर वाला कमाल का बदन जिस पर उसने सफ़ेद कमीज पहनी थी और अंदर का हल्के सफ़ेद रंग की ब्रा दिख रही थी और घुटनों के थोड़ा नीचे तक की स्कर्ट पहनी थी काले रंग की… उम्र तक़रीबन 31-32 के बीच की होगी लेकिन दिखने में 27-28 साल की लग रही थी.

एक पल में मानो उसने मुझ पर कामुकता का कहर ढा दिया था. उसको बड़ी मुश्किल से काम के बारे में मनाया और अपने ऑफिस में उसको आने का न्यौता दिया ताकि कुछ और बातें हो सके और वो भी हमारे ऑफिस को देख ले.

फिर मैं वहाँ से उसका नंबर लेकर चला गया.

जब वापस ऑफिस गया तो अपने पार्टनर को सब बता दिया तो मेरे पार्टनर ने मुझे बताया कि वो इसके पहले जिस पुणे की कंपनी में काम करती थी, वहीं के एक लड़के से शादी की लेकिन दो महीने के भीतर ही उसका पति चल बसा और यहाँ पर अपने मायके में रहती है. अगर उसने कुछ भला बुरा बोला होगा तो दिल पे मत लेना और उसको बहुत ही नम्रता से पेश आना.

मैंने हाँ बोल दिया और बताया कि उसको मैंने शनिवार को दोपहर में ऑफिस में बुलाया है तो नाश्ता पानी सही होना चाहिए ताकि उससे हम अपने बाकी लड़कों के नौकरी के बारे में भी बात कर सकें.

अब शनिवार का दिन आया तो हमेशा की तरह मैंने अपनी डायरी खोल कर देखा जिसमें उसके साथ के मुलाकात लिख रखा था. मैंने उसको 11.30 बजे कॉल किया तो बोली- ऑफिस में डायरेक्टर ने कुछ काम दिए हैं, निपटा कर आती हूँ.

तक़रीबन 5 बजे तक इंतजार करने के बाद मेरी पार्टनर ने मुझसे कहा कि उसको उसके बेटे के साथ बाहर जाना है तो अब वो रुक नहीं पायेगी.
उसने मुझे सोनी से सही तरह डील करने को कहा.

लेकिन जब 6 बज गए और बस ऑफिस बंद करने की सोच ही रहा था तो सोनी का कॉल आया, बोली- ऑफिस नहीं मिल रहा!
तो मैंने उसे ऑफिस आने रास्ता समझाया और 5 मिनट में वह ऑफिस पहुंच गयी.

मेरे ऑफिस में से बाहर का सब दीखता है, कांच ही ऐसा है, लेकिन बाहर से अंदर का कुछ नहीं
मैंने उसे उसकी काले रंग की कार से उतरते हुए देखा तो लगा जैसे काला हीरा खदान से आया है. उसने आज काले रंग की शिफॉन साड़ी पहन रखी थी और हाफ स्लीव्स ब्लाउज.
वाह! क्या गज़ब का नज़ारा था.

जब वो ऑफिस में अंदर आई तो शायद उसने बोर्ड देखा कि चप्पल बाहर उतारनी हैं और जब सैंडल उतारने को झुकी वो तो मैंने देखा कि उसने गहरे गले का ब्लाउज पहना है.
मेरा तो गला ही सूखा जा रहा था उसके बारे में सोचते हुए.

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लेकिन जब वो दरवाज़ा खटखटा के अंदर आई तो मैं जानबूझ कर लैपटॉप में काम करने का बहाना करने लगा.
वो जब अंदर आई तो मैंने उसको अंदर कुर्सी पर बैठाया और पानी पूछा तो बोली- अभी तो ए.सी गाड़ी से उतरी हूँ, प्यास नहीं लगी है.
मैंने उसे थोड़ा फ़्लर्ट करते हुए कहा- आज तो हमारे ऑफिस में ब्लैक डायमंड है!
तो मेरे इशारा समझते हुए उसने हल्की सी मुस्कान दी और फिर काम की बात करने लगी.

फिर मैंने उसे अपने काम की बातें करते हुए कहा- मेरे लैपटॉप में कुछ नौकरी के इच्छुक लड़के लड़कियों के रिज्यूमे हैं.
मैं उसकी तरफ जाकर उसके बाजु में दूसरी कुर्सी पर बैठ कर दिखा रहा था. तभी लैपटॉप पे काम करते करते मेरे सीधे हाथ की कोहनी उसके जिस्म को छू रही थी और हल्के से उसके चूचों को भी. मेरी तो हालत पतली हो रही थी और मेरा भी लौड़ा अब पैंट के अंदर ही तन रहा था.

जैसे ही वो जाने के लिए उठने लगी तो शायद उसकी साड़ी कुर्सी में फंस गई और वो गिरने लगी तो मैंने उसको कमर से पकड़ कर सम्भाल लिया और उसको गिरने से बचा लिया.
लेकिन मेरा ध्यान ही नहीं था कि मैंने कमर के ऊपरी भाग में उसको जहाँ पकड़ा था तो मेरी हथेली उसको एक चूचे को दबा रही थी.

मैंने उसको बैठा कर उसकी साड़ी को कुर्सी से निकाला और वो जाने के लिए खड़ी हो गयी और मैं भी उसके साथ ही साथ बाहर जाने लगा उसको छोड़ने के लिए!
लेकिन अचानक दरवाज़े तक भी नहीं पहुंची और पीछे पलटी तो वो फिर से मुझ से टकरा गयी और इस बार उसके चूचे मेरे छाती से टकरा गए और फिर से इससे पहले उसका संतुलन बिगड़े, मैंने उसकी कमर पर हाथ रख दिया.
माहौल में एकदम नीरवता… सन्नाटा सा छ गया. लेकिन जैसे इस सन्नाटे ने बहुत कुछ बोल दिया हो. वो लगभग मेरी बांहों में थी, हम दोनों एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे, धीरे से मैंने ही उसके होठों पर हल्का सा किस किया और छोड़ दिया तो उसने भी एक हल्का किस कर के छोड़ दिया.

फिर मैंने उसको जोर से किस किया और छोड़ा ही नहीं तक़रीबन 5 मिनट तक!

धीरे धीरे मैं उसकी कमर पर हाथ फेरता रहा और हम दोनों इतना ज़्यादा बहक गए कि बस शायद अब दोनों एक दूसरे में खो जाना चाहते थे.
इतने में मेरी नज़र कांच पर पड़ी तो हम दोनों ने देखा कि ऑफिस का चपरासी अंदर के तरफ आ रहा था तो मैंने सोनी को फिर से बैठा दिया और मैं भी अपनी जगह बैठ गया.

चपरासी बोला- साहब 7:30 बज गए और मुझे जाना है!
तो मैंने उसको बोल दिया- तू चला जा, हमको थोड़ा टाइम लगेगा.
वो चला गया और मैंने बाहर जाकर अंदर से दरवाजे की कुण्डी लगा दी, हालांकि वो दरवाज़ा भी कांच का ही है.

फिर अंदर आकर मैंने देखा कि वो बैठी ही थी तो मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और किस करने लगा. शायद उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वो एक छोटी सी गलती थी जो हो गयी लेकिन अब मैं ये गलती और करना चाहता था तो मैंने उसे बोलने का मौका ही नहीं दिया और उसको खड़ा कर के फिर से होठों पे अपने होंठ चिपका दिये और कस कर दबोच लिया.

अब शायद वो भी यह गलती कर के मजा लेना चाहती थी तो धीरे धीरे उसने बदन को ढीला छोड़ रही थी और अपने आप को मुझे सौंपती जा रही थी.
मैंने धीरे से उसके साड़ी का पल्लू उतार कर उसके मम्मे ब्लाउज के ऊपर से ही चूमना शुरू कर दिया और मेरे चूमने से सोनी भी गर्म हो गयी, वो धीमी धीमी सिसकारियां भरने लगी.
बस अब तो उस से भी रहा नहीं जा रहा था.

मैंने इतने में उसका ब्लाउज खोल दिया और ब्रा भी और उसके चूचे एक हाथ से मसलने लगा और दूसरे को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा. मैं इतने हल्के से चूस रहा था कि उसको तकलीफ भी ज़्यादा न हो और मज़ा भी भरपूर मिले.
अब वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी थी और मेरे लण्ड को पैंट के ऊपर से ही मसलने लगी और दबाने लगी जो मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने पैन्ट खोल कर मेरे लण्ड को बाहर निकाला तो वो पूरी तरह तन चुका था जिसके साथ सोनी खेले जा रही थी.

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फिर मैंने उसको वहीं टेबल पे बैठा कर साड़ी थोड़ी ऊपर कर के उसकी पैंटी को निकाल दिया और साड़ी के अंदर घुस कर उसकी चूत के लबों पर जीभ फिराने लगा.
वो शायद बहुत ही ज़्यादा मचलते और छटपटाते हुए लग रही थी. मैं उसकी चूत के दाने को चाट ही रहा था कि वो झड़ गयी, उसकी चूत गीली हो गई, जिसे मैंने चाट लिया… मुझे बहुत मस्त लग रहा था, एक अलग सा नशा हो गया था मुझे!

फिर मैंने अपने मुंह उसकी साड़ी से बाहर निकाला और खुद टेबल पर बैठ गया तो वो समझ गयी कि उसको क्या करना है और वो मेरे लण्ड को हाथ में पकड़ कर आगे पीछे करने लगी. फिर उसने मेरे लण्ड के सुपारे को चूसना शुरू किया. धीरे धीरे वो मेरा पूरा लण्ड मुंह में लेने लगी. और अब मैं भी झड़ने ही वाला था तो वो बोली- मुझे मुंह में पानी लेना पसंद नहीं है.
तो उसने हाथ से हिला हिला कर झड़ा दिया.

मैंने उसे फिर से टेबल पे बैठा दिया और इस बार पूरी साड़ी ऊपर तक कर दिया जिससे उसकी चूत के पहली बार अच्छे से दर्शन हो गए.
मस्त चूत थी एकदम साफ़.
मैंने उसकी तरफ देख कर सिर्फ थोड़ा इशारा किया तो बोली कि वो हमेशा अपने चूत को साफ़ सुथरा रखना पसंद करती है.

मैंने ज़्यादा समय न गंवाते हुए उसके चूत पे अपना लण्ड रखा और अंदर डालने लगा. पहली बार में तो मेरा लण्ड फिसला फिर वो बोली- धीरे से करना, बहुत दिन बीत गए हैं.
और उसने ही मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत पे लगा दिया और धीरे से अंदर डाला. पूरा सुपारा अंदर गया नहीं कि उसके चेहरे पर दर्द की शिकन दिखी.

फिर मैं धीरे धीरे सुपारे को ही अंदर बाहर करता रहा और जहाँ हल्का सा लगा कि वो काफी गर्म हो गयी तो पूरा लण्ड अंदर डाल दिया एक झटके से!
तो वो मुझे आँखें फाड़ कर देखने लगी और इतने में उसकी आँखों से आंसू भी आ गए.

फिर थोड़ी देर बाद उसका बदन अकड़ने लगा और वो झड़ गयी. फिर मैंने उसको टेबल से उतार कर टेबल को ही सटा कर घोड़ी बनाया और चोदा. पूरे कमरे में फच फच का शोर था और हमारी साँसें इतनी ज़्यादा फूल रही थी कि वो हम दोनों को साफ़ सुनाई दे रही थी.

इतने में वो झड़ चुकी थी और मेरा झड़ना बाकी था, मेरा भी होने ही वाला था तो मैंने बोला- मेरा होने वाला है!
तो बोली- बाहर ही निकालो!
और मेरा माल उसने अपने चूचों के ऊपर डलवा दिया.

फिर मैंने टिश्यू पेपर लेकर उसको अच्छे से साफ़ किया और थोड़ी देर तक वैसे ही टेबल पर चिपके पड़े रहे.
इतने में उसके मोबाइल पर घंटी बजी तो दोनों उठ कर कपड़े पहने और मैंने उसे कहा- जो हुआ उसे एक गलती समझ कर भूल जाते हैं और वापस अपने काम पर लगते हैं.

उसने भी हामी भरी और फिर उसको पानी पिला दिया ताकि थोड़ा अच्छा लगे. लेकिन जब वो जाने के लिए उठी तो मुझे पता नहीं क्या हुआ और उसे फिर से कस कर अपने बदन को चिपका कर उसके होठों पर किस किया और थोड़ी देर वैसे ही रहे.

जाते जाते मुस्कुरा कर वो बोली- कुछ गलतियां इंसान अक्सर करता रहता है.

उसके बाद मैंने सोनी को कई बार चोदा एक बार उसके ऑफिस में भी!

फ़िलहाल आपने इस हकीकत का मज़ा लिया और आपके विचारों का मुझे इंतजार रहेगा..
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