शहर में जिस्म की आग बुझाई- 3

This story is part of a series:


  • keyboard_arrow_left

    शहर में जिस्म की आग बुझाई- 2


  • keyboard_arrow_right

    शहर में जिस्म की आग बुझाई- 4

  • View all stories in series

मेरे पति के बॉस मेरे जिस्म की आग को ठंडी करने वाले थे लेकिन उससे पहले वो उस आग को और भड़का रहे थे मुझे चूम चाट कर … मैं भी चुदाई को आतुर थी.

दोस्तो, आपकी मुस्कान का नमस्कार।

मेरी अब तक की कहानी आपने पढ़ी; उम्मीद करती हूँ कि जिस्म की आग की कहानी आपको पसंद आ रही होगी।
अब आगे चलते हैं कहानी में क्या हुआ।

उसके बाद वो फिर से मेरे पैर के पास चले गए और मेरे एक पैर को उठा कर उँगलियों की तरफ से चूमना शुरू किये और धीरे धीरे मेरी जाँघों तक चूमने लगे. मेरा तो रोम रोम खड़ा हो गया, मेरी गोरी गोरी जांघ अपने आप मचलने लगी।

ऐसा करते हुए वो मेरे पेट तक पहुँच गए और मेरी नाभि में अपने होंठ डाल कर चाटने लगे।
मेरे मुँह से नशीली सिसकारी निकलने लगी- आआअह्ह ह्ह्हऊऊऊ अओओ ओओह्ह ह्ह्ह शीस्स्स स्स्सस्स … आआअह्ह ईईईई!

ऐसा करते हुये वो मेरे दूध तक पहुँच गए, मेरे एक निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और एक दूध को अपने हाथों से मसलने लगे. मेरे दूध वास्तव में इतने बड़े हैं कि उनको भी काफी मजा आ रहा था।

मेरा बदन भी अब उबाल मारने लगा, मेरे जिस्म की आग भड़क रही थी. मैंने भी उनका सर अपने दूध में दबा लिया। उनके दूध दबाने से काफी दर्द हो रहा था मगर आज मैं सभी दर्द को सहन कर लेना चाहती थीं।

उन्होंने मेरे दोनों हाथ को ऊपर किये और मेरी बगलों को जीभ से चाटने लगे। मुझे काफी गुदगुदी हो रही थी और मैं मचलने लगी।

उसके बाद उन्होंने मेरे चूचों पर हमला सा कर दिया और निप्पल के बगल में दांतों से काटने लगे और दूसरे को काफी जोर से मसलने लगे. मेरी तो हालत ख़राब हो गई; मजा के साथ साथ दर्द भी हो रहा था। मैं जोर से चिल्लाई- नहीं ईईई ई ई ईई दर्द होता है … नाआआआआ!
वो बोले- होने दे जान; आज तुझे खा जाऊँगा।

काफी देर तक ऐसा करने के बाद उन्होंने मुझे छोड़ा, मेरे दूध पर जगह जगह काटने के निशान पड़ गए थे और दूध एकदम लाल हो गए थे।

अब वो मेरे कमर को चूमते हुए नीचे की तरफ जा रहे थे और मेरी पुद्दी के पास जाकर मेरी दोनों जाँघों को एक झटके में फैला दिया।

मेरी पुद्दी पूरी फैल गई और उन्होंने अपने सर को उसमें झुका दिया और अपनी जीभ निकालकर पूरी पुद्दी को चाटने लगे।
मेरी पुद्दी में एक भी बाल नहीं था. उसमें से निकल रहा पानी वो पूरा का पूरा चाट गए।

उनकी खुरदरी जीभ से मुझे बहुत मजा आ रहा था, वो पूरी जीभ को ऊपर नीचे करते हुए चाट रहे थे। मैं तो बस अपने बदन को नागिन की तरह हिला रही थी और बस मुँह से सिसकारी ही निकल रही थी- आअह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआ ऊऊईईई आऊच उईईई माँआआहन ह्ह्ह्ह आआअह्ह बसस्स स्स्स्स्स करोओओओओ आआअह्ह्ह … नहीं ईईई ईईई नाआआआ!
मगर वो कहाँ रुकने वाले थे.

और कुछ ही पल बाद मैं झड़ गई और अपनी गांड हवा में कर दी। मेरी पुद्दी से पानी निकलता जा रहा था और वो चाटते जा रहे थे।

अब उन्होंने मेरे गांड के छेद को हाथ से थोड़ा ऊपर किया और जीभ को उस पर गोल गोल घुमाने लगे, मेरा छेद अपने आप अज़ीब तरह से अन्दर बाहर होने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद वो फिर से मेरी पुद्दी को चूमने लगे और मैं कुछ ही देर में दुबारा गर्म हो गई।

अब मुझे सहन नहीं हो पा रहा था मेरी कमर अपने आप ऊपर नीचे होने लगी।
इस बात को वो भी समझ गए, देर न करते हुए वो वहां से हट गए और अपने लंड को आगे पीछे करते हुए मुझसे पूछा- क्या तुम इसको अपने मुँह में लेना पसंद करोगी?
मैं बोली- अभी नहीं … बाद में!

ऐसा सुनने के बाद वो मेरी पुद्दी के पास बैठ गए और लंड के सुपारे को पुद्दी पर रगड़ते हुए बोले- अब तैयार हो न तुम?
मैंने बस थोड़ी सी मुस्कान के साथ अपना सर हिला दिया।
वो मेरे ऊपर आ गए।

मेरे दोनों पैर अपने आप फैल गए और उनका लंड मेरे जाँघों को सहलाता हुआ पुद्दी के पास आ गया।
वो मुस्कान के साथ बोले- देखा लंड को भी पता है कि उसकी जगह कहाँ है अपने आप वहां पहुंच गया।
मैं बस शर्मा के रह गई।

उन्होंने मेरे कान में आकर कहा- डाल दूँ?
“हां … पर आराम से!”
“क्यों?”
“आपका बहुत बड़ा है, दर्द होगा।”
“नहीं होगा जानेमन, चिंता मत करो। तुझे बहुत प्यार से चोदना है.”
“छीईईईई ईईई ईई … कितना गन्दा बोलते हो आप!”
“गन्दी बात में ही तो मजा है मेरी जान!”

इतना बोलते हुये उन्होंने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर लंड को पुद्दी पर थोड़ा रगड़ा और फिर छेद में सेट करके मुझे कसके अपनी बांहों में लेकर सीने से चिपका लिया। उनके दोनों हाथ मेरी पीठ को जोर से थाम लिए और अपने दोनों घुटनों से मेरी जांघों को फैला दिया।
अब मेरी चुदाई होने की पूरी तैयारी थी।

अब उन्होंने धीरे से अपनी कमर पे जोर देना शुरू किया और लंड अन्दर छेद में फिसलना शुरू हुआ. मगर उनका सुपारा काफी बड़ा था और छेद छोटा … तो जा नहीं रहा था।
मुझे भी दर्द महसूस हो रहा था।

उन्होंने मुझे हाथ से पुद्दी को फैलाने के लिए कहा।
मैंने अपनी उँगलियों से पुद्दी को थोड़ा चौड़ा किया और उनका सुपारा छेद में सेट हो गया।
उन्होंने मेरे गालों को चूमते हुए एक हल्का सा धक्का लगाया।

“ऊऊऊऊईईईईई माआआआआअ …!”
फच से सुपारा छेद में घुस गया। मैंने भी उनको कसके जकड़ लिया।
वो बहुत ही अनुभव के साथ लंड पेल रहे थे ताकि मुझे ज्यादा तकलीफ ना हो।

उन्होंने मुझसे पूछा- क्या तुम तैयार हो?
“हां …”
“डाल दूँ तो फिर?”
“हां …”

इसके बाद तो वो हुआ जिसके बारे में मैंने सोचा नहीं था।
उन्होंने अपनी कमर थोड़ी पीछे की और एक जोरदार धक्का लगा दिया और एक बार में पूरा का पूरा लंड मेरी पुद्दी में उतार दिया।
“आआआ आआअह्ह्ह ह्ह्ह्ह …! मर गईईईई ईईईईई, आआ आआआअह्ह्ह ह्ह्ह … अह्ह्ह आआअह्ह उम्म्ह … अहह … हय … ओह … निकालो उसे … मैं मर जाऊँगी।
मेरी आँखों से तुरंत ही आंसू आ गए.

उन्होंने मुझे इतनी ताकत से अपनी आगोश में जकड़ रखा था कि मैं हिल भी नहीं पा रही थी।
पूरा का पूरा लंड मेरी पुद्दी को चीरता हुआ बच्चेदानी तक जा पंहुचा था।
मेरी तो आवाज भी नहीं निकल पा रही थी।

उनके वजन के कारण मैं दबी जा रही थी। उनका वजन 90 किलो से कम नहीं रहा होगा, और मैं 68 किलो की थी। मेरे दूध उनके सीने के नीचे बुरी तरह दबे हुए थे। उन्होंने अपने हाथों के नाख़ून मेरी पीठ पर दबा दिए थे मैंने भी उनकी पीठ पर अपने नाखून गड़ा दिए थे।

मैं किसी तरह उस दर्द को सह रही थी. मैं जानती थी कि ये दर्द बस कुछ ही पल का है।

उन्होंने एक दो बार लंड को आधा बाहर निकाल कर अन्दर डाला और लंड अच्छे से पुद्दी में सेट हो गया।
कुछ देर तक वो ऐसे ही मेरे ऊपर लेटे रहे और कुछ ही देर में मेरा दर्द कम हो गया, मैं सहज हो गई।

उन्होंने धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया। लंड इतना मोटा था कि फुद्दी से चिपक के अन्दर जा रहा था. हर बार मेरी आआअह्ह निकल रही थी, उसमें थोड़ा दर्द और थोड़ा मजा दोनों था।
अब उन्होंने अपने दोनों हाथ से मेरी जाँघों को फंसा लिया और मेरे दोनों पैर अब हवा में हो गए। अब उन्होंने असली चुदाई शुरू की, वो बहुत ही जोर जोर से धक्के लगाने लगे, मैं बहुत ही तेज़ चिल्लाये जा रही थी- ऊऊउईईई आआअह्ह आआह नहींईईई बसस्सस्स स्स्स नहीं ईईई आआअह्ह्ह आअह बसस्स बस्स्स करोओओओ … नहींईईई नाआआ!

मगर वो कहाँ मानने वाले थे, वो बिल्कुल अन्धाधुन्ध धक्के लगा रहे थे। उनका हर धक्का मेरी पुद्दी पर फट फट बज रहा था, पूरा बिस्तर जोर जोर हिल रहा था.

वास्तव में उस वक्त ही मुझे पता लगा कि चुदाई कैसी होती है। मैं जान गई थी कि पुद्दी का भर्ता कैसे बन जाता है, वो ऐसी ही चुदाई से बनता है। मेरा पूरा गोरा बदन लाल हो गया था।

वो इतनी तेज़ी से और इतनी जोर से धक्का लगा रहे थे कि मानो कोई मशीन चल रही हो! मेरे दोनों दूध उनके सीने के नीचे दब कर बहुत तेज़ दर्द कर रहे थे। मैंने तो कभी नहीं सोचा था कि कभी इतना बड़ा लंड ले पाऊँगी।

उनको चोदते हुये 7 से 8 मिनट हो गये थे कि मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं झड़ गई और उसके तुरंत बाद वो भी अपना पानी मेरी पुद्दी में भर दिये और मेरे ऊपर ही लेटे रहे।
लंड अभी भी पुद्दी में ही था।

कुछ देर में लंड अपने आप ढीला होकर बाहर आ गया, मेरी पुद्दी से थोड़ा थोड़ा वीर्य बाहर आ रहा था. मैं भी चुपचाप लेटी रही। आज पहली बार ऐसी चुदाई करवा कर मस्त हो चुकी थी मैं!
अब तो ऐसा लग रहा था कि बस ऐसे ही लेटी रहूँ।

मगर मुझे क्या पता था कि खेल अभी शुरू हुआ था।

हम दोनों नंगे लेटे हुये थे।
मैंने अपना मुंह दूसरी तरफ कर लिया और अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी। मेरी गांड सुखविन्दर के तरफ थी।

अचानक से वो मुझसे लिपट गया और अपने एक हाथ से मेरे दूध को दबाते हुए बोला- कैसा लगा जान?
“बहुत अच्छा।”
“मजा आया?”
हाँ …”

उसने मेरी गांड को थोड़ा फैलाते हुये अपने लंड को गांड की दरार में फंसा दिया. गर्म गर्म लंड का स्पर्श मुझे काफी अच्छा लग रहा था।

उन्होंने मेरी पीठ को चूमते हुए कहा- जान सच कहूँ अगर तुमको बुरा न लगे तो?
“हाँ कहिये ना?”
“तुम सच में मेरे लायक हो, तुम जैसी मदमस्त गदराई हुई औरत मुझे बहुत पसंद है। क्या तुम हमेशा मेरा ऐसे ही साथ दोगी?”
“हाँ क्यों नहीं दूँगी, आप जैसा कहेंगे, करूँगी. मगर ये सब बात किसी को पता नहीं लगनी चाहिए बस।”
कभी नहीं, किसी को भी नहीं … बस हम दोनों तक ही रहेगी।”

ऐसा कह कर उन्होंने मेरे गले में चूमना शुरू किया और कहा- मुझे और करना है, क्या तुम तैयार हो?
“कितना करोगे? इतनी देर तक तो किये हो।”
“अभी मन नहीं भरा है मेरा!” ऐसा कह कर मुझे पेट के बल कर दिये और मेरे ऊपर आ गये, मेरी पीठ को चूमते हुए मेरी कमर को और फिर मेरी गांड तक पहुँच गए। मेरी गद्देदार गांड को फैला कर अपना मुंह उसमें दबा दिया और जीभ से फुद्दी को चाटने लगे।

मेरी सिसकारी फिर से निकलने लगी, अब तो मेरी शर्म भी जैसे खत्म हो गई थी, मैंने कहा- कितने गन्दे हो …आप क्या क्या करते हो?
“इसमें गन्दा कुछ नहीं है मेरी जान! तू चीज ही ऐसी है कि लगता है खा जाऊँ तुझे! बहुत किस्मत वाला हूँ मैं जो तू मुझे मिली है। तेरी जैसी माल को तो कोई भी चाटना पसन्द करेगा।” ऐसा कहते हुए उसने दोनों हाथ से गांड को फैला दिया और अपनी जीभ को पुद्दी पर और गांड के छेद पर फिराना शुरू किया।

मैंने भी अपनी गांड थोड़ा हवा में उठा दी और मजा लेने लगी।
कुछ देर तक चाटने के बाद जब उन्हें लगा कि मैं तैयार हूँ तो मेरी पीठ पर लेट गये और एक हाथ से लंड को फुद्दी में लगा दिया और एक हल्का सा धक्का दिया, लंड का सुपारा छेद में घुस गया।

उन्होंने पूछा- अब तो दर्द नहीं हो रहा?
“नहीं हो रहा!”

ऐसा सुनते ही उन्होंने एक और जोर का धक्का देकर पूरा का पूरा लंड पुद्दी में उतार दिया और मेरी कमर को दोनों हाथ से पकड़ के मुझे चोदना शुरू कर दिया।
उन्होंने अपनी रफ्तार तेज़ कर दी और मेरे चूतड़ों पर उनका हर धक्का फट फट बजने लगा।
इस बार तो वो और तूफानी अन्दाज में चुदाई कर रहे थे।

कुछ देर तक चोदने के बाद मुझे घोड़ी बनने के लिए बोले और मैं घोड़ी बन गई। इस तरह से तो उनका लंड और भी टाईट लग रहा था। वो मेरे चूतड़ों को पकड़ के दनादन चुदाई किये जा रहे थे।

करीब 10 मिनट तक ऐसे चोदने के बाद उन्होंने लंड बाहर निकाल लिया और मुझे फिर से पेट के बल लेटा दिया और बोले- जान अब तुम्हें थोड़ा दर्द और सहन करना होगा।

दोस्तो आगे अभी कहानी बाकी है. इन्तजार कीजिये जिस्म की आग की कहानी के अगले भाग का!
[email protected]

More Sexy Stories  ट्रेन में मिली शादीशुदा लड़की की कामवासना और चुदाई-3