जीजा साली सेक्सी चुदाई कहानी मेरी पहली बार चुदाई की है. मैं जीजा का लंड चूसने के बाद अपनी पुद्दी में लंड डलवाने के लिए बेचैन थी. मुझे मौक़ा कैसे मिला?
मैं शुभी अपनी कहानी का अगला भाग लेकर आप सभी के सामने पेश हूँ।
यह कहानी सुनें.
अभी तक आपने जीजा साली सेक्सी चुदाई कहानी के पहले भाग
मैंने अपने जीजू का लंड चूसा
में पढ़ा कि किस तरह से मेरे और मेरे जीजा के बीच में वो सब हुआ जो मैंने कभी नहीं सोचा था और शायद ये सब गलत भी था।
मगर जिस्म की प्यास और चढ़ती जवानी के कारण शायद मैं बहक गई।
अभी तक मेरे और जीजा के बीच में केवल ओरल सेक्स ही हुआ था क्योंकि हम दोनों को ही सही मौका नहीं मिल रहा था।
जीजा भी समझ रहे थे कि ये बात किसी को पता न चले क्योंकि इससे दोनों परिवार के बीच काफी उथल पुथल मच सकती थी।
फिर भी जीजा रोज मुझसे फोन पर बात करते और हम दोनों ही फोन पर सेक्सी बातें करते।
सच बताऊँ दोस्तो … तो जीजा को तो मैं उसी दिन से पसंद थी जिस दिन वो मेरी दीदी को पहली बार देखने आए थे।
मगर मेरी उम्र उस वक्त उनसे कम होने के कारण दीदी से शादी हुई।
जैसा कि मैंने आपको पहले ही बताया है कि मेरी दीदी पतली दुबली है और मेरे जीजा एक हट्टे कट्टे आदमी है।
उनकी पहली पसंद मैं ही थी क्योंकि मेरा भरा हुआ गदराया बदन उनको बहुत पसंद है।
हालांकि मेरे और जीजा की उम्र में 16 साल का फर्क था फिर भी मैं उनसे ये सब करने के लिए तैयार हो गई थी।
जीजा मेरी दीदी से भी 11 साल बड़े थे और मैं जबसे जीजा के साथ ओरल सेक्स की तो यही सोचती थी कि जीजा का मूसल जैसा लंड दीदी कैसे झेल पाती होगी जबकि दीदी इतनी पतली दुबली है।
जब भी जीजा को समय मिलता या वो अकेले होते तो मुझे फोन करते और हम दोनों रोमांटिक बातें करते।
हम दोनों इतने ज्यादा खुल चुके थे कि फोन पर ही पुद्दी लंड चुदाई इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करने लगे थे।
जीजा मुझे चोदने के लिए बेताब हो रहे थे क्योंकि दीदी प्रग्नेंट थी इसलिए जीजा को बस अपने हाथ से ही काम चलना पड़ता था।
रात में मैं भी जब अकेली बिस्तर पर लेटती तो मेरे हाथ जीजा की बातें याद करते हुए अपने आप पुद्दी को सहलाने लगते।
ऐसी कोई रात नहीं होती कि मैं अपनी पुद्दी में उंगली ना डालती।
बस ऐसे ही मेरा और जीजा का समय चल रहा था।
मगर ऐसा कोई मौका नहीं मिल रहा था कि वो मुझे चोद पाते।
समय बीतता गया और दीदी का नौवां महीना चालू हो गया।
अब उनकी डिलिवरी का समय करीब आ चुका था और किसी भी दिन उनकी डिलीवरी हो सकती थी।
मेरी माँ को जीजा ने पहले ही कह दिया था कि जब भी मैं बताऊँ आप जरूर आ जाइयेगा इसलिए मेरी माँ और मैं इसके लिए पहले से तैयार थे।
एक दिन सुबह सुबह जीजाजी का फोन आया और उन्होंने बताया कि दीदी को हॉस्पिटल ले जा रहे हैं आप लोग जल्दी ही आ जाइये।
मैं और मेरी माँ दोनों ने अपनी तैयारी की और हम दोनों वहाँ चले गए।
वहाँ जाकर हमें पता चला कि दीदी का ऑपरेशन हुआ है और उनको बेटा पैदा हुआ है। अब दीदी को एक हफ्ते हॉस्पिटल में ही रहना पड़ेगा।
हम लोग दीदी से मिले और उनके बेटे को भी देखा।
इसके बाद मैं जीजा और मेरी माँ जीजा के यहां चले गए।
वहाँ नहा धोकर खाना खाएं और शाम को फिर से हॉस्पिटल के लिए तैयार हुए।
मगर जीजा ने मुझे कहाँ- तुम जाकर क्या करोगी? तुम घर का काम देखो. मेरी मम्मी और तुम्हारी मम्मी हॉस्पिटल में रहेगी. मैं शाम को आ जाऊँगा।
और इसके बाद मेरी माँ और जीजा जी हॉस्पिटल के लिए चले गए।
मैंने घर के थोड़े बहुत काम करने के बाद खाना बनाया और फिर टीवी देखने लगी।
करीब 7 बजे जीजा जी घर आये।
जीजा घर आते ही दरवाजा बंद किये और मेरे गले लग गए।
मैं भी उनसे चिपक गई.
काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे के बाहों में रहे उसके बाद जीजा मुझसे अलग हुए और बोले- आज अपने मिलन की रात आ गई।
“कैसे?”
“रात में मेरी और तुम्हारी मम्मी हॉस्पिटल में रहेगी और हम दोनों घर पर!”
मैं मन ही मन सोच रही थी कि आज तो मेरी चुदाई पक्की है।
जीजा ने मुझसे कहा- जल्दी से खाना पैक कर दो मैं हॉस्पिटल में देकर जल्दी ही आ जाऊँगा।
मैंने खाना टिफिन में लगाया और जीजा चले गए।
मैं घर में अकेली रह गई और बैठे बैठे बस यही सोच रही थी कि क्या क्या होगा आज मेरे साथ!
मन में उथल पुथल मची हुई थी।
तभी मुझे ध्यान आया कि मेरे पुद्दी के बाल काफी बढ़े हुए हैं।
मैं तुरंत उठकर बाथरूम गई.
वहाँ पर दीदी की वीट क्रीम रखी हुई थी।
मैंने झट से अपने सारे कपड़े उतारे और अपनी पुद्दी पर क्रीम लगा ली।
साथ ही मैंने अपने बगलों पर भी क्रीम लगाई क्योंकि वहाँ भी बाल थे।
करीब 20 मिनट में मेरी साफ सफाई हो गई और मेरी पुद्दी बिलकुल दमकने लगी।
मेरी पुद्दी गुलाबी रंग की और गद्देदार फूली हुई थी।
मैंने अपनी गुलाबी रंग की नाइटी निकाली और उसे बिना ब्रा के पहनी।
बिना ब्रा के मेरे दूध नाइटी से चिपके हुए थे और निप्पल्स तने हुए साफ साफ झलक रहे थे.
रात करीब 10 बजे जीजा घर वापस आये, कुछ ही देर में जीजा फ्रेश हो गए और हम दोनों ने साथ में खाना खाया।
जीजा की नजर बार बार मेरे उभरे हुए दूध पर जा रही थी और हम दोनों बार बार मुस्कुरा रहे थे।
आज हम दोनों की मुराद पूरी होने वाली थी जिस मौके की हम दोनों को तलाश थी वो मौका हमें मिल गया था।
मेरे मन में तरह तरह की बातें आ रही थी जिससे मेरी पुद्दी अभी से गीली हो रही थी।
पुद्दी में एक अजीब सी सुगबुगाहट मची हुई थी।
खाना खाने के बाद मैं बर्तन साफ करने के लिए चली गई।
किचन में मैं जैसे ही बर्तन साफ करने लगी तभी जीजा ने मुझे पीछे से जकड़ लिया।
वो बोले- अभी रहने दो. ये सब सुबह हो जाएगा, अब तुमसे दूर नहीं रहा जाता।
उन्होंने मुझे तुरंत ही अपनी गोद में उठा लिया और बेडरूम में ले आये।
अब जीजा का सब्र जवाब दे रहा था, वो जितनी जल्दी मुझे चोद लेना चाहते थे।
बेडरूम में लाकर वो मुझसे लिपट गए और मेरे होंठों को बेइंतहा चूमने लगे.
मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी क्योंकि मेरे बदन की आग भी अब मेरे काबू में नहीं थी।
बस मुझे ऐसा लग रहा था कि जीजा मेरे बदन को मसल दे।
मैं चुदाई करवाने के लिए आतुर हो चुकी थी मेरी बुर में जैसे हजारों चींटियां रेंग रही थी।
मैं भी जीजा से बुरी तरह से लिपट गई और उनके चुम्बन के जवाब में अपनी जीभ निकाल कर उन्हें चूमने में मदद करने लगी।
वो भी मेरी जीभ को अपने मुँह में भर कर चूसने लगे।
हम दोनों एक दूसरे से इतनी बुरी तरह से लिपटे हुए थे कि मेरे बड़े बड़े दूध उनके सीने से चिपक कर दर्द करने लगे।
जीजा जान चुके थे कि मैंने अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई है.
वो इतने जोश में आ गए थे कि मेरी नाइटी को जल्दी से निकाल देना चाहते थे और इसी जल्दबाजी में उन्होंने मेरी नाइटी फाड़ डाली।
अब मैं केवल चड्डी में ही रह गई थी.
जीजा ने भी तुरंत ही अपने सारे कपड़े निकाल दिए और बिल्कुल ही नंगे हो गए।
हम दोनों में ही शर्म की एक झलक तक नहीं थी।
बस दोनों को चुदाई का भूत सवार था।
कपड़े उतारने के बाद जीजा ने मुझे अपनी तरफ खींचा और हम दोनों के नंगे बदन जैसे ही टकराये मेरे मुंह से बेहद गंदी सिसकारी निकल गई- आआह हहहह सीसी सस्स।
जीजा- ओओह मेरी जान … आज मेरी तमन्ना पूरी हुई।
मैं- क्या तमन्ना?
जीजा- तुझे नंगी अपनी बांहों में लेने की। कसम से तेरा ये गदराया बदन मुझे पागल बना देता है। आज तू बिल्कुल मना मत करना, आज रात भर तेरी जवानी को निचोड़ लेना है मुझे!
मैं- आज मैं आपकी हूँ … जो करना है करिये मैं मना नहीं करूंगी।
बस फिर क्या था … यह सुनते ही जीजा ने मुझे और कस लिया।
अपना एक हाथ मेरी पीठ पर घुमाते रहे और दूसरा हाथ मेरी चड्डी के अंदर से डालकर मेरे बड़े बड़े गठीले पुद्दीड़ को दबाने लगे।
फिर अपनी एक उंगली को गांड की दरार के बीच में डाल कर मेरी गीली पुद्दी और गांड के छेद पर फिराने लगे।
वो लगातार मेरे होंठों को भी चूमे जा रहे थे।
हम दोनों ही एक दूसरे के जीभ को बारी बारी से चूम रहे थे।
कुछ समय बाद जीजा अपने उंगली के नाखून से मेरी गांड के छेद को हल्के हल्के कुरेदने लगे।
मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था और मैंने अपनी एड़ियों को ऊपर कर लिया और जीजा से चिपक गई।
उनका मूसल जैसा लंड मेरे पेट के ऊपर दबा हुआ था और उनका सुपारा मेरी नाभि के अंदर घुसा जा रहा था।
जीजा ने धीरे धीरे मेरी चड्डी को नीचे सरका दी.
अब मैं पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी।
मेरी पुद्दी से इतना पानी निकल रहा था कि मेरी जांघ पर टपकने लगा।
जीजा का लंड भी पानी छोड़ रहा था और उनका पानी मेरे पेट पर लग रहा था।
तब जीजा ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया।
मैंने भी बिना झिझक के उनके लंड को थाम लिया और आगे पीछे करते हुए सहलाने लगी।
उनके लंड से गाढ़ा गाढ़ा पानी निकल रहा था जो कि मेरे हाथों में लग रहा था और मैं उसे पूरे लंड पर लगा लगा कर लंड को प्यार से फेंटे जा रही थी।
मुझे उनका गाढ़ा पानी बिल्कुल भी गंदा नहीं लग रहा था बल्कि मेरा जोश और भी ज्यादा बढ़ रहा था।
उनका लंड कमसे कम 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा जरूर रहा होगा.
जीजा के लंड को सहलाते हुए मेरे मन में एक बात जरूर आ रही थी कि पता नहीं ये मेरी बुर में कैसे अंदर जाएगा क्या मैं इसे झेल पाऊंगी या नहीं।
करीब 20 मिनट तक हम दोनों ऐसे ही खड़े होकर एक दूसरे के होंठों को चूमा और जीजा ने अपने दोनों हाथों से मेरे गोरे बदन को इस तरह से सहलाया और दबाया कि मेरे गदराए बदन का रोम रोम खड़ा हो गया।
उनके दोनों हाथ मेरे बदन के हर हिस्से पर चल रहा था और उनके कठोर हाथों का स्पर्श मुझे और उतेजित कर रहा था।
जीजा भी अब तक बिल्कुल मदहोश हो चुके थे और उन्होंने अपना एक हाथ मेरे दोनों पैरों के बीच में से डालकर उठा लिया और मुझे बिस्तर पर लेटा दिया।
वो भी एक झटके में बिस्तर पर आ गए और मेरे दोनों पैरों को फैला कर अपनी जीभ मेरी पुद्दी पर लगा दिए।
मैं बिलकुल तिलमिलाए जा रही थी और वो मेरी पुद्दी को बड़ी बेरहमी से चाटे जा रहे थे।
वो अपने दोनों हाथों से मेरी पुद्दी के फांकों को फैलाकर अपनी जीभ पुद्दी के छेद के अंदर तक डाल कर चाट रहे थे।
मैं बिस्तर पर इधर उधर छटपटा रही थी और आआह आओह मम्मीई ईई ऊउईई ईई ईईई आऊऊऊच्चच किये जा रही थी।
जल्द ही मेरी पुद्दी ने अपनी पिचकारी छोड़ दी और मैं झड़ गई।
इसके बाद भी वो बिना रुके मेरी पुद्दी का रसपान किये जा रहे थे।
जल्द ही मैं दोबारा गर्म हो गई और अपने दोनों दूध को खुद ही जोर जोर से मसलने लगी।
इसके बाद जीजा उठकर मेरे ऊपर लेट गए और मेरे दोनों दूधों पर हमला कर दिया।
अपने कठोर हाथों से मेरे दोनों दूध को जोर जोर से दबाते हुए उसके निप्पल्स को अपने दांतों से हल्के हल्के काटने लगे।
मेरी हालत बहुत बुरी हो गई और मैं जीजा के सर को अपने दूध पर दबाने लगी।
जीजा भी पूरी मस्ती में थे और बड़े जोश के साथ मेरे दूध दबा रहे थे।
जल्द ही मेरे दोनों दूध पर तेज जलन होने लगी उनके कठोर हाथों के कारण मेरे मुलायम दूध जगह जगह से छिल गए थे।
अब मैं जोर से बोली- बसस्स सस्स करो।
जीजा तुरंत ही दूध छोड़कर मेरे ऊपर आ गए और बोले- डाल दूँ?
मैं भी बिना शर्म के बोली- हाँ आआ।
जीजा ने तुरंत ही अपना लंड मेरी पुद्दी पर लगाया और मेरे दोनों पैरों को अपने हाथों में फंसा लिया।
उनका लंड बिलकुल पुद्दी की छेद पर लगा हुआ था।
अब उन्होंने अपनी कमर से दबाव देना शुरू किया और लंड छेद को फैलाता हुआ अंदर जाने लगा।
मेरी आँखें अपने आप बंद हो गई और मैंने जीजा को जोर से जकड़ लिया।
जैसे ही सुपारा अंदर गया मेरे मुंह से निकला- ऊई ईईई ममम्मीईई!
अब जीजा ने एक जोर का धक्का लगा दिया और उनका मूसल जैसा लंड छेद को चीरता हुआ पूरा अंदर चला गया।
मैं जोर से चीख पड़ी- मम्मीईई ईईईईई रेरेरेरे!
जीजा ने बुरी तरह से मुझे जकड़ लिया और मेरे ऊपर लेटे रहे।
धीरे धीरे लंड आगे पीछे करते हुए उन्होंने अपना लंड पूरी तरह से पुद्दी में सेट किया और जब मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो हल्के हल्के मुझे चोदना शुरू कर दिए।
उनका लंड इतना मोटा था कि जब वो अंदर जाता तो मुझे पुद्दी के फैलने का पूरा अहसास हो रहा था।
इसके बाद उनकी रफ्तार तेज होती गई और जल्द ही मेरे पेट पर उनके जोरदार धक्के लगने शुरू हो गए।
मेरा दर्द भी अब पूरी तरह से समाप्त हो गया और मैं भी चुदाई का मजा लेने लगी।
इतने दिन से भूखी मेरी पुद्दी आज दनादन लंड ले रही थी।
मैं आँखें बंद किये चुदाई का पूरा मजा ले रही थी।
जीजा मेरी दोनों गदराई जांघों को हाथों से दबाए हुए थे और फचाफच लंड पेल रहे थे।
कुछ समय बाद वो अपने सीने से मेरे दोनों दूध को दबाते हुए मुझे चोदने लगे।
मेरे दूध उनके सीने के नीचे बुरी तरह से पिस रहे थे।
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ही झड़ गए और जीजा पलट कर बगल में लेट गए।
दोनों के ही बदन बुरी तरह से पसीने से भीग चुके थे।
इसके बाद मेरे साथ क्या क्या हुआ ये सब आप लोग कहानी के अगले भाग में पढ़िए।
अब तक आपको मेरी जीजा साली सेक्सी चुदाई कहानी कैसी लगी? कमेंट्स कीजिए.
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जीजा साली सेक्सी चुदाई कहानी जारी रहेगी.